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ई-कॉमर्स में 2034 तक इस महाशक्ति को पीछे कर देगा भारत

शिपरॉकेट के द्वारा किए गए एक सर्वे में ये बात निकलकर सामने आई है कि ई-कॉमर्स के कारोबार में भारत तेजी से ग्रोथ कर रहा है. भारत की ग्रोथ की स्‍पीड ये है कि वो 2034 तक अमेरिका को भी पीछे छोड़ देगा. 

ललित नारायण कांडपाल 10 months ago

दुनिया के बाजारों में भले ही सुस्‍ती देखने को मिल रही हो लेकिन भारत की जीडीपी से लेकर उसका विदेशी मुद्रा भंडार बेहद सकारात्‍मक स्‍तर में तेजी कर रहे हैं. भारत के अग्रणी ई-कॉमर्स इनेबलमेंट प्लेटफॉर्म शिप्रॉकेट के क्रॉस-बॉर्डर शिपिंग उत्पाद शिपरॉकेट एक्स ने हाल ही में ‘द स्टेट ऑफ क्रॉस-बॉर्डर ट्रेड’ शीर्षक से अपनी सर्वेक्षण रिपोर्ट में भारत को लेकर कई अहम बातें कहीं हैं. ये सर्वे कहता है कि भारत 2034 तक अमेरिका को ई कॉमर्स के कारोबार में पीछे कर देगा. आंकड़े बता रहे हैं कि लगातार दूसरी तिमाही में भारत का कुल वस्तु निर्यात 100 अरब अमेरिकी डॉलर के आंकड़े को पार कर गया है जोकि पिछले कुछ महीनों से लगातार बना हुआ है. इस निर्यात में नंबर वन पर गुजरात है जबकि नंबर दो पर राजस्‍थान शामिल है. 

भारत की जीडीपी में देता है अहम योगदान 
एमएसएमई निर्यात के देश के कुल आंकड़े में शेयर को देखें तो पता चलता है कि ये कुल निर्यात का 40 प्रतिशत शक्ति देने में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाता है. ये देश की जीडीपी में 6.22% की भूमिका निभात है. 2021-22 की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) के दौरान भारत का कुल व्यापारिक निर्यात लगातार दूसरी तिमाही में 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर के ज्‍यादा लगातार बना हुआ है, जो 105.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक जा पहुंचा है. इस वृद्धि के कुछ प्रमुख कारकों में महामारी के बाद बड़े पैमाने पर लोगों की पसंद में बड़ा बदलाव आया है जिसमें उन्‍होंने दुकानों की बजाए ई कॉमर्स को अपनाया है. इसके साथ साथ अन्य कारणों में वैश्विक खुदरा विक्रेताओं के साथ खरीदारी में कंज्‍यूमर की सक्रिय भागीदारी भी शामिल है.

सीमा पार से व्‍यापार हुआ आसान
भारत सरकार ने सिर्फ देश के अंदर कारोबार को बढ़ाने में काम नहीं किया बल्कि सीमा-पार व्यापार के सरलीकरण में भी अहम भूमिका निभाई है. भारत सरकार के लिए क्षेत्र सर्वोच्च प्राथमिकता का रहा है क्योंकि यह वैश्विक ई-कॉमर्स के 20% की हिस्‍सेदारी रखता है और देश में ईज ऑफ डूईंग बिजनेस को निर्धारित करने मे भी अहम भूमिका निभाता है. इस क्षेत्र ने वर्ष 22 में 417 बिलियन अमरीकी डालर का कुल निर्यात राजस्व प्राप्त किया है. 

क्‍या कहते हैं शिपरॉकेट के को फाउंडर 
इस पूरे सर्वे को लेकर शिपरॉकेट के को-फाउंडर अक्षय गुलाटी, ने कहा, भारतीय MSME हमारे सकल घरेलू उत्पाद में महत्वपूर्ण योगदान के साथ देश के पावरहाउस हैं. भारत में ई-कॉमर्स की निरंतर वृद्धि के साथ, हम दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा ई-कॉमर्स उद्योग बनने की राह पर हैं, जिससे हमारे छोटे व्यवसायों के लिए वैश्विक बाजारों तक पहुंच पहले से कहीं अधिक आसान हो गई है. हमने प्रत्यक्ष रूप से देखा है, सीमा पार व्यापार को चलाने में भारतीय MSME की जबरदस्त क्षमता, और इसलिए, शिपरॉकेट के मूल में भारत के व्यापारियों को सशक्त बनाने का जुनून निहित है. यह सर्वेक्षण उस दिशा में एक कदम आगे है और हमें भारतीय ई-कॉमर्स ब्रैंडों के लिए चुनौतियों और विस्तार के अवसरों को समझने में मदद करता है.

MSME की है बड़़ी भूमिका
अंतर्राष्ट्रीय खुदरा बाजार में भारतीय उत्पादों की बढ़ती स्वीकार्यता के साथ, MSME निर्यात भारत के कुल निर्यात का 40% शक्ति देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. ये देश की जीडीपी का 6.22% है. वैश्विक ई-कॉमर्स व्यापार में बढ़ते अवसर में उपभोक्ता के परचेज बिहेवियर (खरीद व्यवहार) में परिवर्तनकारी बदलावों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. भारत के भौगोलिक विस्तार में फैले लगभग 63.4% मिलियन यूनिट्स के साथ, MSME निर्यात भारतीय अर्थव्यवस्था की ताकत को बहाल करने में एक महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाने जा रहा है. उद्योग निकाय FISME के अनुसार एक अध्ययन के माध्‍यम से कहा गया है कि 2030 तक ई-कॉमर्स निर्यात क्षमता $200 से $300 बिलियन की सीमा तक पहुंचने की क्षमता है. 


क्‍या करती है शिपरॉकेट 
शिपरॉकेट भारत की सबसे बड़ी ईकामर्स सक्षम कंपनियों में एक है जो डिजिटल खुदरा विक्रेताओं को एंड-टू-एंड ग्राहक अनुभव मंच प्रदान करता है. डायरेक्ट कॉमर्स के लिए एक ऑपरेटिंग सिस्टम बनाने वाला प्लेटफॉर्म भारत में एसएमई, डी2सी रिटेलर्स और सोशल कॉमर्स रिटेलर्स के लिए शिपिंग, पूर्ति, ग्राहक संचार और मार्केटिंग टूल्स के साथ-साथ प्रदाताओं को सक्षम बनाता है. इस कंपनी के बोर्ड पर 25+ कूरियर भागीदार कंपनियां शामिल हैं जो ब्रैंड पैन-इंडिया के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय शिपिंग डिलीवरी की अनुमति देता है. इसके शिपिंग समाधान भारत के भीतर 24,000+ पिन कोड और दुनिया भर के 220+ देशों और क्षेत्रों में उपलब्ध हैं.
2017 में लॉन्च किया गया, शिपरॉकेट एक सहज लॉजिस्टिक्स डेटा प्लेटफॉर्म बनाने के मिशन पर है जो खुदरा विक्रेताओं, वाहकों और उपभोक्ताओं को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्थानों से जोड़ता है. शिपरॉकेट खुदरा विक्रेताओं को ऑर्डर, प्रिंट और शिपिंग लेबल प्रबंधित करने के लिए प्लेटफॉर्म के मल्टी-कैरियर एपीआई के साथ शॉपिफाई, मैगेंटो, वूकामर्स, ज़ोहो और अन्य पर अपनी शॉपिंग वेबसाइटों को एकीकृत करने में मदद करने के लिए एक तकनीकी स्टैक प्रदान करता है. यह कैश ऑन डिलीवरी (COD) ऑर्डर और भुगतान समाधान सहित कई प्रदाताओं से ट्रैकिंग जानकारी भी प्राप्त करता है। 
आज, शिपरॉकेट 270K से अधिक विक्रेताओं के पीछे का मंच है, जो सालाना $3B से अधिक का ग्रॉस मर्चेंडाइज वैल्‍यू GMV उत्पन्न करते हैं। प्लेटफ़ॉर्म प्रतिदिन 220k से अधिक शिपमेंट वितरित करता है और वर्ष दर वर्ष 2.5-3X लेनदेन बढ़ा रहा है.
 


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