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कोई नहीं है टक्कर में: 2027 तक तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था होगा भारत, ये रहा पूरा गणित
पैंटोमैथ (Pantomath) की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत 2027 तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा और 2030 तक 10 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक मार्केट कैप पहुंचने की संभावना है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 month ago
दुनिया भर में चल रहे जियोपॉलिटिकल संकट के बीच भारत के लिए एक राहत भरी खबर आई है. पैंटोमैथ (Pantomath) की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत 2027 तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा और 2030 तक 10 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक मार्केट कैप पहुंचने की संभावना है. वर्तमान में भारत का मार्केट कैप विश्व में 5वां सबसे बड़ा (4.5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर) है. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत को हर साल 2.5 लाख करोड़ रुपये के इक्विटी कैपिटल की सख्त जरूरत होगी और मार्केट कैपिटल ऐसे बड़े निवेश लक्ष्यों को हासिल करने में सहायक होगा.
अर्थव्यवस्था ने बेहतर प्रदर्शन किया
असित सी मेहता इन्वेस्टमेंट इंटरमीडिएट्स (ACMIIL) के रिटेल रिसर्च के प्रमुख देवांग शाह ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था ने वित्तीय वर्ष 2024 की तीसरी तिमाही में उम्मीदों से बेहतर प्रदर्शन किया, जिसमें विकास दर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और बाजार की भविष्यवाणियों दोनों को पार कर गई. वित्त वर्ष 2024 की तीसरी तिमाही में भारत की GDP की अनुमानित वृद्धि दर 6.6 प्रतिशत की अपेक्षा लगभग 8.4 प्रतिशत है, जो काफी ज्यादा है. इसके कारण वित्त वर्ष 2024 के लिए पूरे वर्ष की जीडीपी वृद्धि दर के पूर्वानुमान को संशोधित कर 7.3 प्रतिशत से बढ़ाकर 7.6 प्रतिशत कर दिया गया, जो अर्थव्यवस्था की लचीलापन और उच्च वृद्धि की क्षमता को दर्शाता है.
2025 में GDP 7 प्रतिशत रहने का अनुमान
शाह ने कहा कि बढ़ती मांग और इनपुट कॉस्ट दबाव में कमी से आने वाली तिमाहियों में कॉर्पोरेट मार्जिन को भी बढ़ावा मिलेगा. आरबीआई ने वित्त वर्ष 2025 के लिए जीडीपी वृद्धि दर लगभग 7 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है. उन्होंने ने कहा कि हम ऑटो और ऑटो सहायक उपकरण, सीमेंट, रक्षा, रेलवे, उपभोक्ता वस्तुएं, ऊर्जा, लॉजिस्टिक्स, FMCG, कैपिटल गुड्स और इंजीनियरिंग, इन्फ्रास्ट्रक्चर, कंस्ट्रक्शन, बैंकिंग और फाइनेंशियल आदि जैसे कुछ क्षेत्रों पर तेजी से आगे बढ़ रहे हैं, जो आगे भी बेहतर प्रदर्शन करेगा. कुछ पिछड़े क्षेत्रों में भी खरीद के अवसर हैं, जिनमें इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी, केमिकल और मेटल्स आदि शामिल हैं.
लोकसभा चुनाव का नहीं पड़ेगा असर
वित्त वर्ष 2025 में विशेष ध्यान लोकसभा चुनावों पर रहेगा जिसमें आर्थिक सुधारों और नीतियों के जारी रहने की उम्मीद है क्योंकि वर्तमान सरकार के सत्ता में बने रहने की उम्मीद है. यह परिणाम घरेलू और वैश्विक दोनों निवेशकों में विश्वास पैदा कर रहा है और पॉलिसी और रिफॉर्म्स की निरंतरता को देखते हुए भारतीय इक्विटी बाजारों में लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट को प्रोत्साहित करता है. इसके साथ ही रिपोर्ट में कहा गया है कि सत्ता में बने रहने वाली सरकार से भारतीय अर्थव्यवस्था को जल्द ही 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के लक्ष्य को हासिल का भी लाभ होगा. आरबीआई वित्त वर्ष 2025 की दूसरी छमाही में दरों में कटौती पर विचार कर सकता है, जो इन्फ्लेशन और वैश्विक केंद्रीय बैंकरों के मोनेटरी पॉलिसी रुख पर निर्भर करेगा.
तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लिए तैयार
सरकार द्वारा पब्लिक कैपिटल एक्सपेंडिचर को बढ़ावा देने से भारतीय कंपनियां प्राइवेट कैपिटल एक्सपेंडिचर को पुनर्जीवित करने के लक्ष्य की तरफ आगे बढ़ रहे हैं. ये फैक्टर देश में जीडीपी वृद्धि के लिए अनुकूल वातावरण का भी संकेत देते हैं. भारत 2027 तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लिए तैयार है और देश के लिए सबसे बड़ी परीक्षा अगला वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग हब बनना होगा.
तेजी से गति पकड़ रही है अर्थव्यवस्था
पैंटोमैथ कैपिटल एडवाइजर्स (Pantomath Capital Advisors) के प्रबंध निदेशक महावीर लुनावत ने कहा कि अर्थव्यवस्था तेजी से गति पकड़ रही है, जिससे सभी के लिए पर्याप्त वेल्थ उपलब्ध हो पा रही है. इसके अलावा केंद्र सरकार की पॉलिसी कंट्यूनिटी से यह संभव होता दिख रहा है. लूनावत ने इसके साथ ही कहा कि सरकार द्वारा कोर सेक्टरों पर जोर दिए जाने से स्थिरता अर्थव्यवस्था एक नए रास्ते पर जा रही है, जिससे कम जोखिम और अधिक रिटर्न की तलाश में वैश्विक पूंजी आकर्षित हो रही है. इन सब घटनाक्रमों के बीच भारतीय रुपया वैश्विक स्वीकृति प्राप्त करने के लिए तैयार है.
वित्त वर्ष 2023-24 में कैसा रहा IPO बाजार
भारतीय आईपीओ बाजार में तेजी का दौर जारी है, जिसमें उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है और यह पूंजी जुटाने की इच्छुक कंपनियों के लिए ग्लोबल हॉटस्पॉट का केंद्र बन गया है. वित्त वर्ष 2023-24 में 76 कंपनियों ने मेनबोर्ड आईपीओ के माध्यम से सार्वजनिक बाजारों में प्रवेश किया, जिससे लगभग 62,000 करोड़ रुपये जुटाए गए, जो पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 19 प्रतिशत ज्यादा है.
2023-24 में बड़ी मात्रा में लॉन्च हुए IPO
रिपोर्ट में कहा गया है कि आईपीओ के पहले दिन की औसत बढ़त 28 प्रतिशत रही और 70 प्रतिशत या 55 से अधिक शेयरों अपने इश्यू प्राइस से ऊपर जाकर कारोबार किया है. इस बढ़त के लिए कई कारक है जैसे तेजी से बढ़ते बाजार, आईपीओ में रिटेल इन्वेस्टर की जबरदस्त भागीदारी और इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. वित्त वर्ष 2024 में निफ्टी 50 ने 29 प्रतिशत की बढ़त के साथ सेशन का अंत किया और निफ्टी स्मॉलकैप 100 और निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स ने 70 प्रतिशत और 60 प्रतिशत की बढ़त हासिल की. म्यूचुअल फंड ने 1.9 ट्रिलियन के शेयर खरीदे जबकि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने 2 ट्रिलियन के शेयर खरीदे.
वित्त वर्ष 2025 में कैसा रहेगा आईपीओ बाजार?
आईपीओ (IPO) बाजार में काफी उत्साह है क्योंकि भारत की मजबूत आर्थिक वृद्धि से उत्साहित होकर कई इनोवेटिव और आकर्षक पेशकशें बाजार में आने वाली हैं. वित्त वर्ष 2025 के करीब आने के साथ ही आईपीओ के लिए एक और शानदार साल की उम्मीदें काफी बढ़ गई हैं. IPO सेक्टर फिर से उभरेगा, जिन कंपनियों ने पहले अपने IPO की योजना को स्थगित कर दिया था, वे अब अनुकूल बाजार स्थितियों का लाभ उठाते हुए अपनी शुरुआत करने के लिए तैयार हैं. डिमांड में उछाल की उम्मीद और मजबूत मार्केट प्रैक्टिस द्वारा समर्थित, घरेलू और विदेशी निवेशक प्राइमरी मार्केट में गहरी दिलचस्पी दिखा रहे हैं, जिससे नई लिस्टिंग की बाढ़ आ गई है.
कई कंपनियों लॉन्च करने के लिए तैयार
आईपीओ के क्षेत्र में उतरने के लिए कई कंपनियों की तैयारी के साथ ही गति स्पष्ट है. कुल 56 कंपनियों ने 70,000 करोड़ रुपये जुटाने के लक्ष्य के साथ भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के पास अपने दस्तावेज दाखिल किए हैं. वर्तमान में 19 कंपनियों ने 25,000 करोड़ रुपये जुटाने के लिए सेबी की मंजूरी हासिल कर ली है, जबकि 37 अन्य कंपनियाँ 45,000 करोड़ रुपये जुटाने की उम्मीद कर रही हैं और बेसब्री से SEBI की मंजूरी का इंतजार कर रही हैं. इन 56 संभावित आईपीओ उम्मीदवारों में से नौ नई पीढ़ी की टेक फर्म हैं, जो सामूहिक रूप से लगभग 21,000 करोड़ रुपये जुटाना चाहती हैं.
इन्वेस्टमेंट डेस्टिनेशन बन गया है भारत
इंडिया इन्फ्लेक्शन ऑपर्चुनिटी फंड (IIOF) के मैनेजिंग पार्टनर प्रसन्ना पाठक ने कहा कि भारत के मजबूत मैक्रोइकॉनोमिक फंडामेंटल्स, मजबूत जीडीपी ग्रोथ, कम होती महंगाई, स्थिर रुपया और सरकारी खर्च और कैपिटल एक्सपेंडिचर ने पिछले एक से दो सालों में भारत को आकर्षक इन्वेस्टमेंट डेस्टिनेशन में से एक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. पिछले एक से दो सालों में हमने जो तेजी देखी है, उसके बाद वित्त वर्ष 25 के सफलतम होने की उम्मीद है.
दस वर्षों में कैसी होगी अर्थव्यवस्था?
भारत अगले 10 वर्षों में विकास का इंजन बनने के लिए तैयार है. भारत 7.3 प्रतिशत की प्रभावशाली जीडीपी वृद्धि दर के साथ चीन को भी पीछे छोड़ते हुए सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में के रूप में उभरा है. ग्रॉस फिक्स्ड कैपिटल फॉर्मेशन (GFCF) एक महत्वपूर्ण पैरामीटर है जो भारत जैसी बढ़ती और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के लिए जीडीपी भविष्य की नीति निर्धारण का फैसला करता है.
2023 में 30 प्रतिशत था GFCF
2023 में ग्रॉस फिक्स्ड कैपिटल फॉर्मेशन (GFCF), सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का लगभग 30 प्रतिशत था. 2030 तक देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) को दोगुना करने के लिए भारत को अगले 7 वर्षों के लिए हर साल 2.5 लाख करोड़ रुपये के अतिरिक्त इक्विटी पूंजीकरण की आवश्यकता होगी. रिपोर्ट में कहा गया है कि निवेशक के दृष्टिकोण से देखें तो हमारे मार्केट कैपिटल की स्पष्टता सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है, क्योंकि हमारे पास हाई प्रमोटर होल्डिंग्स और एक्सपेक्टेड फ्लो है.
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