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Gautam Singhania की मुश्किलें बढ़ाने वाली खबर आई सामने, आरोपों की होगी जांच!
गौतम सिंघानिया की पत्नी नवाज मोदी ने उन पर घरेलू हिंसा के आरोप लगाए हैं. नवाज ने कहा है कि गौतम उनके और उनकी बेटी के साथ मारपीट किया करते थे.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 5 months ago
रेमंड ग्रुप (Raymond Group) के मालिक गौतम सिंघानिया (Gautam Singhania) और उनकी पत्नी नवाज मोदी (Nawaz Modi) के बीच चल रहा विवाद जहां कंपनी की आर्थिक सेहत को प्रभावित कर रहा है. वहीं, गौतम की मुश्किलों में भी इजाफा करने वाला है. Raymond के शेयर लगातार गिर रहे हैं. कंपनी को लेकर निवेशकों का भरोसा कम हो रहा है. बीते 5 कारोबारी दिनों में रेमंड का शेयर 10.17% लुढ़क चुका है. इस बीच, गौतम सिंघानिया की परेशानी बढ़ाने वाली खबर भी सामने आई है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, एक प्रॉक्सी एडवायजरी फर्म ने रेमंड के स्वतंत्र निदेशकों से अपील की है कि नवाज मोदी द्वारा गौतम सिंघानिया पर लगाए गए आरोपों की जांच हो.
इन्हें लिखा ओपन लेटर
इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर एडवायजरी सर्विसेज (IiAS) ने यह भी कहा कि जांच के दौरान गौतम और नवाज, दोनों को बोर्ड से दूर रखा जाए. IiAS ने इस संबंध में रेमंड के स्वतंत्र निदेशकों - Mukeeta Jhaveri, आशीष कपाड़िया, के नरसिम्हा मूर्ति, दिनेश लाल और शिव सुरिंदर कुमार को एक पत्र लिखा है. जिसमें एडवायजरी फर्म ने उम्मीद जताई कि जरूरत पड़ने पर वह प्रमोटर्स से कंपनी की रक्षा करेंगे. एडवायजरी फर्म ने निदेशकों को एक स्वतंत्र कानूनी सलाहकार रखने की भी सलाह दी है, ताकि वह खुद को किसी भी तरह के आरोपों से बचा सकें. बता दें कि नवाज मोदी ने रेमंड के चेयरमैन और अपने पति गौतम सिंघानिया पर घरेलू हिंसा के साथ ही कंपनी के फंड के दुरुपयोग के आरोप लगाए हैं.
खामोशी पर जताई आपत्ति
IiAS ने अपने खुले पत्र में लिखा है कि एक बोर्ड मेंबर (नवाज मोदी) ने दूसरे बोर्ड मेंबर (गौतम सिंघानिया) पर इतने गंभीर आरोप लगाए हैं, लेकिन इसके बावजूद सभी खामोश हैं. गौतम और नवाज के इस पारिवारिक झगड़े से निवेशक परेशान हैं और शेयरों में लगातर आ रही गिरावट से इसे समझा जा सकता है. फर्म ने आगे लिखा - सबकी खामोशी को गलत समझा जा सकता है. कंपनी खुद भी यह नहीं चाहेगी कि शेयरधारकों के बीच यह राय बने कि इन गंभीर आरोपों को बर्दाश्त किया जा सकता है. कम से कम स्वतंत्र निदेशकों को निवेशकों और बाकी स्टेकहोल्डर्स से बातचीत करके उनकी चिंताओं को दूर करने का प्रयास करना चाहिए.
इन सवालों के मांगे जवाब
एडवायजरी फर्म ने कंपनी के स्वतंत्र निदेशकों को लिखे पत्र में कुछ सवालों के जवाब भी मांगे हैं. मसलन, क्या किसी डायरेक्टर ने कंपनी की आचार संहिता और नैतिक नीति का उल्लंघन किया है?, क्या कंपनी या उसके किसी निदेशक पर आपराधिक देनदारी बन रही है?, क्या किसी निदेशक का काम कंपनी के ब्रैंड के अनुरूप है?, कंपनी के CMD पर ज्यादती के आरोप लगे हैं, यदि उनमें सच्चाई है तो आगे क्या किया जाएगा? क्या तलाक और अपने ऊपर लगे आरोपों से सीएमडी का ध्यान बंटा रहेगा? यदि ऐसा है तो तलाक का समझौता होने और सभी मुद्दों के निपटारा होने तक एक अंतरिम सीईओ होने से कंपनी को चलाने में मदद मिल सकती है.
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