ICICI के निदेशक मंडल ने वित्त वर्ष 2024 के लिए प्रति शेयर 6 रुपये का फाइनल डिविडेंड प्रस्तावित किया है. यह डिविडेंड भुगतान कंपनी की आगामी एजीएम मीटिंग में शेयरधारकों के अप्रूवल के अधीन है.
वित्त वर्ष 2024-25 की शुरूआत होते ही 2023-24 की चौथी तिमाही के नतीजे सामने आने लगे हैं. इसी कड़ी में आईसीआईसीआई लोम्बार्ड के चौथी तिमाही के नतीजे सामने आ चुके हैं. कंपनी ने वित्त वर्ष 2024 की चौथी तिमाही में कंपनी का मुनाफा (PAT) 18.9% बढ़कर 520 करोड़ रुपये रहा है. जबकि आईसीआईसीआई लोम्बार्ड की ग्रॉस डायरेक्ट प्रीमियम इनकम (सकल प्रत्यक्ष प्रीमियम आय- GDPI) वित्त वर्ष 2024 में सालाना आधार पर 17.8 फीसदी बढ़कर 247.76 बिलियन रुपये (24776 करोड़) रही है, जबकि वित्त वर्ष 2023 में यह 210.25 बिलियन रुपये (21025 करोड़) थी. कंपनी की यह ग्रोथ इंडस्ट्री की ग्रोथ में 12.8% का इजाफा हुआ है.
जीडीपीआई ग्रोथ में हुआ इतना इजाफा
कंपनी की ग्रोथ को मापने के अहम बिंदु जीडीपीआई ग्रोथ पर नजर डालें तो वित्त वर्ष 2024 की चौथी तिमाही (Q4FY2024) में ग्रोथ 22 फीसदी बढ़कर 60.73 बिलियन रुपये (6073 करोड़ रुपये) रही, जबकि यही ग्रोथ वित्त वर्ष 2023 की चौथी तिमाही में यह 49.77 बिलियन रुपये ( 4977 करोड़ रुपये) थी. यह ग्रोथ इंडस्ट्री की ग्रोथ 9.5 फीसदी के मुकाबले अधिक है. फसल और जन स्वास्थ्य को छोड़कर, कंपनी की जीडीपीआई ग्रोथ वित्त वर्ष 2024 की चौथी तिमाही में 22 फीसदी रही जो इंडस्ट्री की 13.8 फीसदी ग्रोथ के मुकाबले अधिक है. वित्त वर्ष 2024 के लिए कंबाइंड रेश्यो (संयुक्त अनुपात) 103.3 फीसदी रहा, जबकि वित्त वर्ष 2023 के लिए यह 104.5 फीसदी था.1.37 बिलियन रुपये (137 करोड़ रुपये ) के कैट (CAT) घाटे के प्रभाव को छोड़कर, वित्त वर्ष 2024 में कंबाइंड रेश्यो 102.5 फीसदी रहा.
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इन आंकड़ों पर भी बेहतर रहे हैं कंपनी के नतीजे
आईसीआईसीआई लोम्बॉर्ड के कर पूर्व लाभ (Profit Before Tax) के आंकड़ों पर नजर डालें तो वित्त वर्ष 2024 में 21 फीसदी बढ़कर 25.55 बिलियन रुपये (2555 करोड़ रुपये) हो गया, जबकि वित्त वर्ष 2023 में यह 21.13 बिलियन रुपये (2113 करोड़ रुपये) था. जबकि कर पूर्व लाभ वित्त वर्ष 2024 की चौथी तिमाही में 21.9 फीसदी बढ़कर 6.98 बिलियन रुपये (698 करोड़ रुपये) हो गया, जो वित्त वर्ष 2023 की चौथी तिमाही में 5.73 बिलियन रुपये (573 करोड़ रुपये) था. इसी तरह वित्त वर्ष 2024 में कैपिटल गेंस (पूंजीगत लाभ) 5.51 बिलियन रुपये (551 करोड़ रुपये) था, जबकि वित्त वर्ष 2023 में यह 4.53 बिलियन रुपये (453 करोड़ रुपये) था. वित्त वर्ष 2024 की चौथी तिमाही में कैपिटल गेंस 1.56 बिलियन रुपये (156 करोड़ रुपये) था, जबकि वित्त वर्ष 2023 की चौथी तिमाही में यह 1.59 बिलियन रुपये (159 करोड़ रुपये) था.
कंपनी देने जा रही है इतना डिविडेंड
आईसीआईसीआई कंपनी के निदेशक मंडल ने वित्त वर्ष 2024 के लिए प्रति शेयर 6 रुपये का फाइनल डिविडेंड प्रस्तावित किया है. यह डिविडेंड भुगतान कंपनी की आगामी एनुअल जनरल मीटिंग में शेयरधारकों के अप्रूवल के अधीन है. प्रस्तावित फाइनल डिविडेंड सहित FY 2024 के लिए कुल डिविडेंड 11 रुपये प्रति शेयर है. रिटर्न ऑन एवरेज इक्विटी (आरओएई -ROAE) वित्त वर्ष 2024 में 17.2 फीसदी रहा, जबकि वित्त वर्ष 2023 में यह 17.7 फीसदी था. FY 2024 की चौथी तिमाही में आरओएई 17.8 फीसदी रहा, जो FY2023 की चौथी तिमाही में 17.2 फीसदी था.
इससे पहले इन मसालों के खिलाफ जांच में दोषी पाए जाने पर सिंगापुर से लेकर हांगकांग इन्हें प्रतिबंधित कर चुके हैं जबकि अमेरिका में भी इसे लेकर जांच हो रही है.
सिंगापुर और हांगकांग में एवरेस्ट और एमडीएच मसालों में मिले पेस्टीसाइड के इस्तेमाल की जांच के बाद इन ब्रैंडस को वहां तो प्रतिबंधित कर दिया गया था लेकिन अब खबर आ रही है कि भारत सरकार की जो समिति इस मामले में जांच कर रही थी उसने भी जांच पूरी कर ली है. समिति ने अपनी जांच रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है. माना जा रहा है कि सरकार सिंगापुर और हांगकांग से इन दोनों मसाला कंपनियों के उस लॉट को वापस मंगा सकती है और इनके खिलाफ कार्रवाई भी कर सकती है.
समिति इस मामले की कर रही थी जांच
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत सरकार की ओर से बनाई गई समिति एवरेस्ट और एमडीएच के मसालों में मिले एक विशेष प्रकार के एसिड की जांच कर रही थी. इसी एसिड को लेकर सिंगापुर और हांगकांग की ओर से आरोप लगाए गए थे. लेकिन अब इस मामले को लेकर समिति की जांच पूरी हो चुकी है और उसने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है. अब सरकार इस मामले में आने वाले कुछ दिनों में रिपोर्ट के अध्ययन के बाद कार्रवाई कर सकती है. खबर है कि सरकार मसालों के उन लॉट को वापस मंगाए जाने के साथ इन कंपनियों पर सख्त कार्रवाई भी कर सकती है. अब सरकार क्या कदम उठाती है ये सरकार के एक्शन के बाद ही पता चलेगा.
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सिंगापुर और हांगकांग में मसालों में मिला था ये रसायन
सिंगापुर और हांगकांग की सरकार ने जब इन दो मसालों की जांच की थी तो पता चला था कि इनमें अत्यधिक मात्रा में एथिलीन ऑक्साइड पाया गया था. इस एसिड के इस्तेमाल से कैंसर से लेकर दूसरी कई बीमारियों के होने की संभावना है. इन मसालों में इसकी मात्रा ज्यादा पाई गई थी, जिसके कारण इन्हें सिंगापुर और हांगकांग में प्रतिबंधित कर दिया गया. सबसे खास बात ये भी है कि इन दो देशों के बाद अमेरिका में भी इसे लेकर जांच चल रही है.
भारत से बड़े पैमाने पर सप्लाई होते हैं मसाले
भारत से दुनिया के कई देशों को बड़ी मात्रा में मसाले सप्लाई होते हैं. भारत मसाला और मसाले से जुड़ी वस्तुओं का बड़े पैमाने पर निर्यात करता है. अगर आंकड़ों पर नजर डालें तो वर्ष 2022-23 के दौरान भारत से 3.73 बिलियन डॉलर के मसालों का निर्यात कई देशों को किया गया. वर्ष 2017-18 से 2021-22 से भारत से कुल निर्यात 10.47 सीएजीआर से बढ़ा है. पूरी दुनिया में मसालों का निर्यात 30 फीसदी बढ़ गया है. मसालों के वैश्विक कारोबार में देश की हिस्सेदारी 43 फीसदी से ज्यादा हो चुकी है. भारत ने 2021-22 के दौरान लगभग 4.1 अरब डॉलर के 15 लाख टन मसालों का निर्यात किया. इस अवधि में उत्पादन की क्षमता 1.63 प्रति हेक्टेयर से बढ़कर 2.5 टन प्रति हेक्टेयर हो गया. साल 2021-22 में 43.8 लाख हेक्टेयर इलाके में 111.2 लाख टन मसालों का उत्पादन किया गया.
SEBI ने म्यूचुअल फंड को संचालित करने वाले नियमों में बदलाव किया. इसके तहत AMCs को संभावित बाजार दुरुपयोग रोकने के लिए एक Regulatory Framework स्थापित करना जरूरी बनाने का फैसला किया है.
सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया यानी सेबी (SEBI) के डायरेक्टर बोर्ड ने म्यूचुअल फंड को संचालित करने वाले नियमों में बड़ा बदलाव किया. इसके तहत एसेट मैनेजमेंट कंपनियों (AMCs) को संभावित बाजार दुरुपयोग रोकने के लिए एक ‘संस्थागत व्यवस्था’ (Regulatory Framework) स्थापित करना जरूरी बनाने का फैसला किया गया है. यह संस्थागत व्यवस्था पहचान और संभावित बाजार दुरुपयोग की रोकथाम के अलावा सिक्योरिटीज में ‘फ्रंट-रनिंग’ और धोखाधड़ी वाले लेनदेन पर नजर रखेगी. यहां फ्रंट-रनिंग का मतलब कीमत को प्रभावित करने वाली संवेदनशील जानकारी के आधार पर ब्रोकर का कारोबार करना है.
धोखाधड़ी पर नकेल कसने की तैयारी
सेबी ने डायरेक्टर बोर्ड की बैठक के बाद जारी एक बयान के मुताबिक, नियामक चाहता है कि AMC गलतियों के खिलाफ आवाज उठाने वाले ‘व्हिसिल ब्लोअर’ तंत्र बनाकर पारदर्शिता को बढ़ावा दे. सेबी के डायरेक्टर बोर्ड की पिछले डेढ़ महीने में यह पहली बैठक है. इसके पहले 15 मार्च को बैठक हुई थी. AMC से संबंधित गड़बड़ी में फ्रंट रनिंग, भेदिया कारोबार और संवेदनशील जानकारी का दुरुपयोग शामिल हैं. जब कोई ब्रोकर या निवेशक गोपनीय जानकारी के आधार पर किसी कारोबार में शामिल होता है, उसे ‘फ्रंट रनिंग’ कहते हैं. यह ऐसी संवेदनशील जानकारी होती है, जिससे परिसंपत्ति की कीमत प्रभावित होती है.
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इन दो मामलों के बाद आया फैसला
यह निर्णय SEBI द्वारा Axis AMC और LIC से संबंधित दो ‘फ्रंट-रनिंग’ मामलों में जारी आदेश के बीच आया है. Axis AMC मामले में ब्रोकर-डीलरों, कुछ कर्मचारियों और संबंधित संस्थाओं को AMC के कारोबारों को ‘फ्रंट-रनिंग’ में लिप्त पाया गया था. वहीं LIC मामले में, बीमा कंपनी के एक कर्मचारी को सौदों की ‘फ्रंट-रनिंग’ करते हुए पाया गया था. SEBI ने बयान में कहा कि हाल में सामने आए मामलों को ध्यान में रखते हुए निदेशक मंडल ने संभावित बाजार दुरुपयोग की पहचान और निवारण के लिए AMC को एक व्यवस्थित संस्थागत तंत्र स्थापित करने के लिए SEBI (म्यूचुअल फंड) विनियम, 1996 में संशोधन को मंजूरी दी.
AMFI रोडमैप तैयार करेगा
म्यूचुअल फंड निकाय 'एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया' (AMFI) सेबी के परामर्श से ऐसे Regulatory Framework के लिए विस्तृत मानकों को तय करेगा. इसके अतिरिक्त, SEBI ने म्यूचुअल फंड के लिए समान अवसर प्रदान करने के लिए प्रायोजक की समूह कंपनियों की प्रतिभूतियों के संबंध में निष्क्रिय योजनाओं के लिए विवेकपूर्ण मानदंडों को सुव्यवस्थित किया है. वर्तमान में, म्यूचुअल फंड योजनाओं को प्रायोजक की समूह कंपनियों में अपने नेट एसेट वैल्यू (NAV) का 25 प्रतिशत से अधिक निवेश करने की अनुमति नहीं है.
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राज बब्बर फिर से चुनावी मैदान में नजर आएंगे, कांग्रेस ने उन्हें गुरुग्राम सीट से उम्मीदवार बनाया है.
एक्टिंग से लेकर राजनीति तक में बड़ा नाम कमाने वाले राज बब्बर (Raj Babbar) लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे. कांग्रेस ने उन्हें गुरुग्राम से टिकट दिया है. यहां उनका मुकाबला BJP के राव इंद्रजीत से होगा. कांग्रेस ने हरियाणा की दस लोकसभा सीटों में से नौ पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है, जबकि कुरुक्षेत्र की सीट उसने इंडिया गठबंधन के तहत आम आदमी पार्टी (AAP) के लिए छोड़ी है.
ऐसे शुरू हुआ सफर
राज बब्बर ने 1989 में जनता दल के साथ राजनीति में एंट्री ली थी. बब्बर तीन बार लोकसभा सांसद और दो बार राज्यसभा सांसद भी रहे हैं. इसके साथ ही उन्होंने कांग्रेस के उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष की जिम्मेदारी भी संभाली है. राज बब्बर 1994 में पहली बार राज्यसभा सांसद बने थे. 2009 के लोकसभा चुनाव में राज बब्बर ने यूपी की फतेहपुर सीकरी सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा. बसपा के कद्दावर नेता रामवीर उपाध्याय की पत्नी सीमा उपाध्याय ने उन्हें शिकस्त दी थी.
पिछली बार मिली थी हार
2014 के लोकसभा चुनाव में राज बब्बर ने उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद से चुनाव लड़ा, मगर परिणाम वही रहे. उन्हें हार का सामना करना पड़ा. इसके बाद साल 2015 में बब्बर राज्यसभा सांसद चुने गए. साल 2019 के लोकसभा चुनाव में राज बब्बर ने एक बार फिर से फतेहपुर सीकरी से चुनाव लड़ने का फैसला किया. वह कांग्रेस की टिकट पर चुनावी मैदान में उतरे, लेकिन भाजपा के राजकुमार चाहर ने उन्हें करीब 5 लाख वोटों से हरा दिया. राज बब्बर ने एक्टिंग की दुनिया में कई बेहतरीन फ़िल्में की हैं. उन्हें 5 बार फिल्म फेयर अवॉर्ड के लिए नॉमिनेट भी किया गया था.
2019 में थी इतनी दौलत
2019 में फतेहपुर सीकरी लोकसभा क्षेत्र से नामांकन दाखिल करते हुए कांग्रेस प्रत्याशी राज बब्बर ने बताया था कि पिछले पांच साल में उनकी संपत्ति एक करोड़ रुपए कम हो गई है. उनकी चल और अचल दोनों संपत्तियों में कमी आई है. बब्बर ने यह भी बताया था कि उनके पास अपना कोई वाहन और हथियार नहीं है. 2019 में बब्बर द्वारा दायर हलफनामे के अनुसार, उनके पास 12.57 करोड़ रुपए से अधिक की चल और अचल संपत्ति है. जबकि 2014 में गाजियाबाद से लोकसभा प्रत्याशी रहे राज बब्बर के पास 13.58 करोड़ से अधिक की संपत्ति थी. 2019 के ब्यौरे के हिसाब से उनके पास 5.83 करोड़ से अधिक की चल और 6.73 करोड़ रुपए की अचल संपत्ति है.
गोदरेज ग्रुप की पांच कंपनियां शेयर बाजार में लिस्टेड हैं, उन पर इस खबर का कुछ न कुछ असर जरूर पड़ेगा.
127 साल पुराने गोदरेज परिवार (Godrej Family) का बंटवारा हो गया है. परिवार के सदस्यों के बीच आपसी सहमति से कारोबार के बंटवारे पर मुहर लग गई है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, आदि गोदरेज (Adi Godrej) और उनके भाई नादिर के हिस्से में गोदरेज इंडस्ट्रीज आई है. गोदरेज समूह की पांच कंपनियां - गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स, गोदरेज प्रॉपर्टीज, गोदरेज इंडस्ट्रीज, गोदरेज एग्रोवेट और एस्टेक लाइफसाइंसेज शेयर बाजार में लिस्टेड हैं. लिहाजा, इस बंटवारे का उनके शेयरों पर असर पड़ सकता है.
इन्हें मिली गोदरेज एंड बॉयस
आदि गोदरेज और नादिर के हिस्से में जहां गोदरेज इंडस्ट्रीज आई है. वहीं, आदि गोदरेज के चचेरे भाई-बहन जमशेद और स्मिता को नॉन-लिस्टेड कंपनी गोदरेज एंड बॉयस का मालिकाना हक मिला है. जमशेद और स्मिता के हिस्से में गोदरेज एंड बॉयस से जुड़ी कंपनियों के साथ ही मुंबई में एक प्लॉट और दूसरी महत्वपूर्ण संपत्ति भी मिलेगी. बता दें कि गोदरेज ग्रुप का कारोबार साबुन, होम अप्लायंस से लेकर रियल एस्टेट तक फैला हुआ है. पिछले काफी समय से कारोबार के बंटवारे की कोशिश चल रही, जो अब सफल हो गई है.
ब्रैंड का करते रहेंगे इस्तेमाल
गोदरेज समूह को संस्थापक परिवार की दो शाखाओं के बीच बांटा गया है. एक हिस्सा 82 वर्षीय आदि गोदरेज और उनके 73 साल के भाई नादिर को मिलेगा. दूसरा हिस्सा उनके चचेरे भाई-बहन जमशेद गोदरेज और स्मिता गोदरेज को मिलेगा. आदि, नादिर, जमशेद और स्मिता के पास गोदरेज और बॉयस में लगभग 10% हिस्सेदारी है. जबकि 24% पिरोजशा गोदरेज फाउंडेशन और 27% गोदरेज इन्वेस्टमेंट्स के पास है. समूह की तरफ से जारी बयान में कहा गया कि दोनों पक्ष गोदरेज ब्रैंड का इस्तेमाल जारी रखेंगे.
इस पर कुछ साफ नहीं
समूह की पांच सूचीबद्ध कंपनियों का मार्केट कैप 2.4 लाख करोड़ रुपए से अधिक है. गोदरेज समूह का कहना है कि आदि के बेटे पिरोजशा गोदरेज इंडस्ट्रीज ग्रुप (GIG) के एग्जीक्यूटिव वाइस चेयरपर्सन होंगे. वह अगस्त 2026 में चेयरपर्सन के रूप में नादिर गोदरेज की जगह लेंगे. हालांकि, अभी यह साफ नहीं है कि गोदरेज एंड बॉयस के तहत समूह की 3000 करोड़ रुपए से अधिक की रियल एस्टेट संपत्ति को दोनों पक्षों के बीच कैसे विभाजित किया जाएगा. आज शेयर बाजार बंद है. लिहाजा इस बंटवारे की खबर का समूह की कंपनियों पर क्या असर होता है ये सीधे सोमवार को पता चलेगा.
शेयर बाजार कल गिरावट के साथ बंद हुआ था. आज बाजार में छुट्टी है यानी कोई कारोबार नहीं होगा.
शेयर बाजार (Stock Market) में आज कारोबार नहीं होगा. आज तो कोई त्योहार भी नहीं है, तो फिर ऐसा क्या है कि मार्केट को बंद रखा गया है. दरअसल, 1 मई को महाराष्ट्र दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस मौके पर महाराष्ट्र में बैंकों से लेकर सरकारी कार्यालय तक बंद रहते हैं. शेयर बाजार में भी इस दिन अवकाश रखा जाता है. लिहाजा, आज बाजार में ट्रेडिंग नहीं होगी. बाजार कल खुलेगा और उसके बाद शनिवार-रविवार का साप्ताहिक अवकाश रहेगा.
कल आई थी गिरावट
इससे पहले, मंगलवार को बाजार में उतार-चढ़ाव देखने को मिला. बाजार खुलने के साथ ही सेंसेक्स और निफ्टी दोनों फुल स्पीड से ऊपर की तरफ भागते दिखाई दिए. लेकिन कारोबारी की समाप्ति तक बाजार लाल निशान पर पहुंच गया. आईटी और पावर सेक्टर के शेयरों में अंतिम दौर की बिकवाली की वजह से बाजार ने अपनी शुरुआती बढ़त गंवा दी. बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 188.50 अंक टूटकर 74,482.78 और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का निफ्टी 38.55 अंक फिसलकर 22,604.85 पर बंद हुआ.
20 मई को भी छुट्टी
BSE और NSE की वेबसाइट के अनुसार, एक मई महाराष्ट्र दिवस के उपलक्ष्य में बाजार बंद रहेगा. इस दौरान, इक्विटी डेरिवेटिव सेगमेंट, करेंसी डेरिवेटिव सेगमेंट, इक्विटी सेगमेंट और एसएलबी सेगमेंट में कारोबार नहीं होगा. शनिवार और रविवार को साप्ताहिक अवकाश के चलते ट्रेडिंग नहीं होगी. इसके अलावा, 20 मई को भी शेयर बाजार बंद रहेगा. क्योंकि इस दिन मुंबई की लोकसभा सीट पर चुनाव है. वहीं, कमोडिटी और इलेक्ट्रॉनिक गोल्ड रिसीट सेगमेंट में आज सुबह ट्रेडिंग नहीं होगी, लेकिन, MCX में शाम को कारोबार होगा.
कब-कब रहेगी छुट्टी?
एक मई को महाराष्ट्र दिवस के अवसर पर यानी आज बाजार बंद है. इसके बाद 20 मई को लोकसभा चुनाव के मद्देनजर मार्केट में अवकाश रहेगा. 17 जून को बकरीद के मौके पर भी बाजार में कोई कारोबार नहीं होगा. इसके बाद 17 जुलाई को मुहर्रम, 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस, 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी जयंती के मौके पर बाजार में ट्रेडिंग नहीं होगी. इसी तरह, 1 नवंबर को दिवाली, 15 नवंबर को गुरुनानक जयंती और 25 दिसंबर को क्रिसमस के अवसर पर बाजार में कारोबार नहीं होगा. हालांकि, दिवाली पर लक्ष्मी पूजन वाले दिन बाजार में विशेष सत्र में मुहूर्त ट्रेडिंग होती है.
इंडियन ऑयल कंपनी के मुनाफे से लेकर रेवेन्यू तक में गिरावट के बाद कंपनी ने अपने निवेशकों को 7 रुपये प्रति शेयर का डिविडेंड देने का ऐलान किया है.
ऑयल सेक्टर की बड़ी कंपनी इंडियन ऑयल के नतीजे जारी हो गए हैं. कंपनी के मुनाफे से लेकर रेवेन्यू में बड़ी कमी देखने को मिली है. हालांकि कंपनी की ओर से निवेशकों को डिविडेंड देने का फैसला किया गया है. कंपनी अपने निवेशकों को प्रति शेयर 7 रुपये का डिविडेंड देने का फैसला किया है. सबसे खास बात ये भी है कि कंपनी ने जो डिविडेंड देने का फैसला किया है वो 10 रुपये के फेसवैल्यू वाले का 70 प्रतिशत है.
जानिए कितना रहा है मुनाफा?
कंपनी की ओर से जारी किए नतीजों के अनुसार, 2023-24 में कंपनी को 4838 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ है. जबकि 2022-23 में नतीजों पर नजर डालें तो ये 10059 करोड़ रुपये रहा था, जो 52 प्रतिशत कम है. वहीं अगर 2024 के पहले तीन महीनों में कंपनी के नतीजों पर नजर डालें तो कच्चे तेल के दामों में 16 फीसदी का इजाफा देखने को मिला था. इसके कारण कंपनी के मुनाफे में कमी आई थी लेकिन कंपनी ने 7 रुपये प्रति शेयर का डिविडेंड देने का फैसला किया है.
कमाई में भी आई है कमी
वहीं अगर इंडियन ऑयल की चौथी तिमाही में कमाई पर नजर डालें तो उसमें गिरावट देखने को मिली है. कंपनी का रेवेन्यू 3 फीसदी घटकर 2.19 लाख करोड़ रुपये रहा, जबकि पिछले वित्तीय वर्ष में ये 2.26 लाख करोड़ रुपये रहा था. वहीं 2023-24 के दौरान कंपनी के ऑपरेशन से रेवेन्यू में गिरावट देखने को मिली है. वहीं अगर कंपनी के पूरे साल के रेवेन्यू पर नजर डालें तो वो 866345 करोड़ रुपये रहा जबकि पिछले साल 2022-23 में ये 934953 करोड़ रुपये रहा था.
कैसी रही शेयर की चाल?
वहीं अगर कंपनी के शेयर पर नजर डालें तो मंगलवार को ये 179.50 रुपये पर खुला था, जबकि 168.95 रुपये बंद हुआ. कंपनी के शेयर में 4.41 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिली. कंपनी के शेयर का 52 हफ्तों का हाई 196.80 रुपये रहा जबकि 52 हफ्तों का लो प्राइस 81.40 रुपये रहा. कंपनी का मार्केट 2.39 लाख करोड़ रहा है.
ये भी पढ़ें: एक प्लेट पानी पुरी का दाम 333 रुपये, जानिए क्यों सोशल मीडिया पर हो रही है चर्चा?
एयरपोर्ट से लेकर होटल्स में महंगाई का ये पहला उदाहरण नहीं है. इससे पहले भी कई मामले सामने आए हैं, लेकिन बावजूद इसके ऐसे मामले रूकने का नाम नहीं लेते हैं.
मुंबई की महंगाई पहले भी कई बार चर्चा का विषय बनी है. लेकिन इस बार सोशल मीडिया पर पानी पुरी की महंगाई की बड़े पैमाने पर चर्चा हो रही है. दरअसल सुगर कॉस्मैटिक कंपनी के सीओओ और को फाउंडर कौशिक मुखर्जी ने पानी पुरी की एक प्लेट के दाम 333 रुपये को लेकर एक्स पर ट्वीट करते हुए आश्चर्य व्यक्त किया है.
अपने ट्वीट में उन्होंने लिखी ये बात
कौशिक मुखर्जी ने अपने ट्वीट में 8 एक तस्वीर साझा की है. इसमें पानी पुरी, दही पुरी, सेव पुरी की प्लेट दिखाई दे रही है. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा है मुंबई एयरपोर्ट पर खाना पीना काफी महंगा है. लेकिन इतना महंगा होगा इसका अंदाजा नहीं है. उनके इस ट्वीट पर कई लोगों ने अपनी बात कही है.
कौशिक मुखर्जी के ट्वीट पर लोगों ने कही क्या बात?
कंपनी के को फाउंडर और सीओओ कौशिक मुखर्जी के ट्वीट पर कई लोगों ने अपनी बात कही. एक यूजर ने लिखा कि लास्ट में दी जाने वाली सूखी पूरी की तो बात ही कुछ और है.
इसी तरह एक दूसरे यूजर ने लिखा कि, दिन में लूट... वे इसे हल्के में लेते हैं.. यदि आप 50 हजार का हवाई टिकट खरीद सकते हैं, तो एक पानी पूरी के लिए 333 रुपये क्यों नहीं देते... एक कॉफी के लिए 100 रुपये, एक डोसा के लिए 200 रुपये... इस लूट के बारे में कौन कहना चाहता हैं?.. नियम बदलने होंगे.. तब तक पेट भरने के लिए बाहर से खाएं....
इसी तरह एक अन्य यूजर विस्मय बुच ने लिखा कि यहां पानी पुरी की कीमत महज 3.5 गुना है. बिल्कुल उचित. टी2 पर आगमन के पास सुख सागर में जंबोकिंग वड़ापाव या डोसा का आनंद लें. इनकी कीमत आसानी से 4-5x की रेंज में होती है.
इससे पहले राहुल बोस ने सामने लाया था मामला
एयरपोर्ट से लेकर होटल तक मिलने वाले खाने पीने के सामान की महंगाई का मामला पहली बार चर्चा में नहीं आया है. इससे पहले 2019 में राहुल बोस ने चंडीगढ़ के पांच सितारा होटल JW Mariott में 2 केलों के लिए 442 रुपये चार्ज किए जाने का मामला सामने आया था. राहुल बोस के इसे लेकर वीडियो बनाए जाने के बाद होटल पर जीएसटी विभाग ने कार्रवाई करते हुए 25000 रुपये की पेनल्टी लगा दी थी. जीएसटी विभाग ने इसमें नियमों के उल्लंघन का मामला पाया था.
चीन दौरे के बाद टेस्ला (Tesla) के सीईओ एलन मस्क (Elon Musk) की संपत्ति में 37.3 बिलियन डॉलर की वृद्धि हो गई है.
एलन मस्क (Elon Musk) ने हाल में चीन का दौरा कर प्रधानमंत्री ली कियांग से मुलाकात की. इस मुलाकात के बाद एक ओर चीन ने टेस्ला पर लगाए तमाम प्रतिबंध हटा दिए. दूसरा एलन मस्क की संपत्ति में भी इजाफा हुआ है. जानकारी के अनुसार चीनी सरकार ने डाटा सिक्योरिटी का हवाला देते हुए अमेरिकी ईवी कंपनी की सेल्फ-ड्राइविंग कारों के डेटा शेयरिंग पर प्रतिबंध लगा दिया था, जिस कारण टेस्ला की सेल्स में काफी गिरावट देखने को मिली थी. साथ ही टेस्ला के कारोबार पर भी काफी बुरा असर देखने को मिल रहा था.
टेस्ला के शेयरों ने तोड़ा तीन साल का रिकॉर्ड
चीनी सरकार द्वारा अमेरिकी ईवी कंपनी की सेल्फ-ड्राइविंग कारों के डेटा शेयरिंग पर प्रतिबंध हटने के बाद टेस्ला के शेयरों ने बढ़ोतरी का तीन साल पुराना रिकॉर्ड तक तोड़ दिया. आंकड़ों के अनुसार कंपनी के शेयर में कारोबारी सत्र के दौरान 18 प्रतिशत तक की तेजी देखने को मिली. मंगलवार को बाजार बंद होने के बाद कंपनी का शेयर 15.31 फीसदी की तेजी के साथ 194.05 डॉलर पर बंद हुआ. एक्सपर्ट्स के अनुसार आने वाले दिनों में टेस्ला के शेयरों में और इजाफा देखने को मिल सकता है.
एक दिन में 18.5 बिलियन डॉलर का इजाफा
टेस्ला के शेयरों में इजाफा होने के बाद एलन मस्क की दौलत में जबरदस्त इजाफा देखने को मिला है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार उनकी दौलत एक झटके में फिर से 200 अरब डॉलर को पार कर गई है. 4 मार्च को आखिरी बार एलन मस्क की दौलत 200 अरब डॉलर से ज्यादा देखने को मिली थी. 5 मार्च को एलन मस्क की नेटवर्थ में 17 बिलियन डॉलर की गिरावट आ गई थी. तब से उनकी दौलत लगातार कम हो रही थी. 201.5 अरब डॉलर की नेट वर्थ के साथ एलन मस्क जल्द ही दूसरे स्थान पर मौजूद जेफ बेजोस से आगे निकल सकते हैं. एलन मस्क पिछले हफ्ते ही मार्क जुकरबर्ग से आगे निकल गए हैं.
टेस्ला पर किस तरह के थे प्रतिबंध
चीन ने दुनिया की सबसे बड़ी ईवी कंपनी पर डाटा सिक्योरिटी को लेकर कई तरह के बैन लगा दिए थे. पहले ये बैन सिर्फ सैन्य इलाकों तक ही सीमित था. उसके बाद ये बैन कई सार्वजनिक स्थानों के लिए भी लगा दिया गया. इसी सिलसिले में उन्होंने अचानक चीन का दौरा कर चीनी प्रधानमंत्री ली कियांग से मुलाकात की. जिसके बाद सरकार ने टेस्ला पर लगे सभी प्रतिबंधों को हटा दिया. जो एलन मस्क के लिए काफी राहत की खबर है. खास बात तो ये है कि मस्क के चीन विजिट के बाद चाइना एसोसिएशन ऑफ ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स एंड नेशनल कंप्यूटर नेटवर्क इमरजेंसी रिस्पांस टेक्निकल टीम ने बड़ा फैसला लिया. सोमवार को टेक्निकल टीम ने डाटा सिक्योरिटी टेस्टिंग को पास करने वाली इंटेलिजेंट कनेक्टेड व्हीकल की लिस्ट में टेस्ला का भी नाम जोड़ दिया.
भारत का दौरा टालकर पहुंचे थे चीन
बता दें, एलन मस्क भारत का दौरा टालकर 28 अप्रैल को बीजिंग गएथे. उन्होंने फुल सेल्फ-ड्राइविंग (एफएसडी) शुरू करने और ड्राइविंग डेटा को अन्य देशों में भेजने पर चर्चा की. इस दौरान टेस्ला के सीईओ ने कहा कि वह चीन के बहुत बड़े प्रशंसक हैं. उनका यह बयान चीन में ड्राइवर अस्सिटेंस सिस्टम को लागू करने की मंजूरी और चीन में सेल्फ-ड्राइविंग सॉफ्टवेयर को पेश करने का रास्ता साफ होने के बाद आया है.
टाटा समूह की कंपनी टाटा केमिकल्स के शेयरों में गिरावट का दौर जारी है. कल की तरह आज भी शेयर लुढ़के हैं.
टाटा समूह (TATA Group) की कंपनी टाटा केमिकल्स (Tata Chemicals) को मार्च तिमाही में बड़ा घाटा हुआ है. बीते 9 सालों में यह पहला मौका है कि जब कंपनी के तिमाही नतीजे इतने खराब रहे हैं. टाटा केमिकल्स के घाटे की खबर का असर उसके शेयरों पर भी पड़ा है. कंपनी के शेयर आज गिरावट के साथ बंद हुए हैं. किसी भी कंपनी के शेयर उसकी आर्थिक सेहत के आधार पर ट्रेड करते हैं. ऐसे में टाटा केमिकल्स के घाटे का असर उसके शेयरों पर आगे भी देखने को मिल सकता है. शायद यही वजह है कि घरेलू ब्रोकरेज फर्म ने टाटा केमिकल्स के शेयर का टार्गेट प्राइज घटा दिया है.
पहले प्रॉफिट, अब घाटा
टाटा केमिकल्स को जनवरी-मार्च 2024 तिमाही में करीब 850 करोड़ रुपए का घाटा हुआ है. एक साल पहले की इसी अवधि में कंपनी ने 709 करोड़ रुपए का प्रॉफिट कमाया था. इस तिमाही में ऑपरेशनल रिवेन्यु सालाना आधार पर 21.1 प्रतिशत घटकर 3,475 करोड़ रुपए रह गया है. इसका असर स्टॉक मार्केट में कंपनी की परफॉरमेंस पर पड़ा है. टाटा केमिकल्स का शेयर कल भी करीब 2 प्रतिशत की नरमी के साथ बंद हुए थे और आज यानी मंगलवार को उसमें 2.49% की गिरावट आई है.
5 सत्रों से जारी है नरमी
पिछले 5 कारोबारी सत्रों में यह शेयर 4.45% नीचे लुढ़क चुका है. बीते एक साल में इसने 10.30% का रिटर्न दिया है. कहा जा सकता है कि टाटा की इस कंपनी के शेयरों के लिए 2024 अब तक खास अच्छा नहीं गया है. एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ब्रोकरेज फर्म कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज ने टाटा केमिकल्स के शेयर की 'सेल' रेटिंग बनाए रखते हुए इसका Target Price 780 से घटाकर 770 रुपए कर दिया है. फर्म का कहना है कि शायद टाटा संस (Tata Sons) के आईपीओ की उम्मीद में निवेशकों का रुझान टाटा केमिकल्स की तारा बढ़ा था. अब जब आईपीओ की संभावना कम नजर आ रही है, तो उनका उत्साह भी कम हो गया है.
इतना किया Target Price
कोटक इक्विटीज ने यह भी कहा कि बैटरी केमिकल्स में बड़े विस्तार की कोई भी उम्मीद दिखाई नहीं दे रही है. इसलिए उसने इस शेयर के Target Price 780 से घटाकर 770 रुपए कर दिया है. वहीं, ब्रोकरेज फर्म मोतीलाल ओसवाल ने न्यूट्रल रेटिंग के साथ टाटा केमिकल्स के शेयर को 980 रुपए का टार्गेट प्राइज दिया है. इस समय कंपनी का शेयर 1072.10 रुपए पर मिल रहा है. यानी ब्रोकरेज फर्म्स को लगता है कि कंपनी का स्टॉक अभी और गोता लगा सकता है. लिहाजा, इसमें निवेश का फैसला सोच-समझकर लें.
गिरावट की ये भी है वजह
पिछले महीने यानी मार्च में भी टाटा संस के आईपीओ को लेकर सामने आई खबर की वजह से टाटा केमिकल्स के शेयरों में बड़ी गिरावट देखने को मिली थी. 11 मार्च को शुरुआती कारोबार में कंपनी के शेयर 10% तक टूट गए थे. दरअसल, कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि टाटा संस आईपीओ (Tata Sons IPO) लाने से बच रही है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के नियमों के तहत टाटा संस को मौजूदा स्वरूप में आईपीओ लाना होगा और सितंबर 2025 तक लिस्ट होना होगा, लेकिन कंपनी इससे बचने के विकल्प तलाश रही है.
विकल्प तलाश रही कंपनी
टाटा संस ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पास ‘अपर लेयर NBFC यानी नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी नियमों में छूट की अपील की थी, मगर RBI ने इससे इंकार कर दिया. अब कंपनी बैलेंस शीट के रीस्ट्रक्चरिंग का विकल्प तलाश रही है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि यदि कर्ज चुकाकर लोन को रीस्ट्रक्चर करने में टाटा संस सफल रहती है और टाटा कैपिटल में अपनी होल्डिंग को किसी अन्य यूनिट में ट्रांसफर कर देती है, तो उस स्थिति में उसे इन्वेस्टमेंट या अपर लेयर NBFC के रूप में डीरजिस्टर किया जा सकेगा. इससे कंपनी लिस्टिंग से बच जाएगी.
आखिर क्या है लेना-देना?
अब सवाल ये उठता है कि टाटा संस के आईपीओ टालने की खबर से टाटा केमिकल्स का क्या लेनादेना है? दरअसल, टाटा संस में टाटा केमिकल्स की कुल हिस्सेदारी करीब 3 प्रतिशत है. टाटा केमिकल्स को टाटा संस की मेगा लिस्टिंग का सबसे बड़ा लाभार्थी माना जाता रहा है. निवेशकों को उम्मीद थी कि टाटा संस के आईपीओ से टाटा केमिकल्स को भी फायदा होगा, लेकिन आईपीओ के टलने की खबर से निवेशकों का उत्साह एकदम से कम हो गया है और इसका असर कंपनी के शेयरों पर पड़ रहा है.
बीजेपी लीडर स्मृति ईरानी की दौलत पिछले पांच सालों में काफी बढ़ी है. उन्होंने कई म्यूचुअल फंड्स में निवेश किया है.
म्यूचुअल फंड्स 'सही' हैं, मानने वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. म्यूचुअल फंड्स (Mutual Funds) कम समय में अच्छा रिटर्न देने का माध्यम बन गए हैं, इसलिए उन पर दांव लगाने वालों की तादाद लगातार बढ़ रही है. केंद्रीय मंत्री और बीजेपी लीडर स्मृति ईरानी (Smriti Irani) भी बेहतरीन रिटर्न के लिए म्यूचुअल फंड्स को बेस्ट ऑप्शन के तौर पर देखती हैं. उनका पोर्टफोलियो दर्शाता है कि उन्हें इन्वेस्टमेंट के इस विकल्प पर कितना भरोसा है.
अमेठी से भरा नामांकन
स्मृति ईरानी उत्तर प्रदेश की अमेठी लोकसभा सीट (Amethi Lok Sabha Election) से चुनावी मैदान में हैं. यह लगातार तीसरा मौका है जब BJP ने उन्हें इस सीट से उम्मीदवार बनाया है. 2019 के लोकसभा चुनाव में ईरानी ने कांग्रेस लीडर राहुल गांधी को 55,000 वोटों से हराया था. हालांकि, राहुल गांधी वायनाड की सुरक्षित सीट से जीतकर संसद पहुंचने में सफल रहे. वहीं, कांग्रेस ने अब तक अमेठी से अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है. चर्चा यह भी है कि राहुल गांधी फिर से स्मृति ईरानी का सामना करने के लिए यहां से मैदान में उतर सकते हैं.
इतना हुआ संपत्ति में इजाफा
स्मृति ने अमेठी से नामांकन भर दिया है. इसके साथ उन्होंने जो एफिडेविट दिया है, उसमें उनकी संपत्ति की जानकारी मौजूद है. इस हलफनामे से यह भी पता चलता है कि उन्होंने कहां, कितना निवेश किया हुआ है. पिछले लोकसभा चुनाव के मुकाबले स्मृति ईरानी की संपत्ति में इजाफा हुआ है. इन पांच सालों में उनकी संपत्ति 4 करोड़ 4 लाख 22 हजार 348 रुपए बढ़ी है. वहीं, उनके पति की संपत्ति में 4 करोड़ 14 लाख 19 हजार 976 रुपए का इजाफा देखने को मिला है. अकेले स्मृति के पास 8.75 करोड़ की संपत्ति है.
इनमें लगा है ईरानी का पैसा
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कई म्यूचुअल फंड्स में पैसा लगाया हुआ है. इसमें SBI Magnum Midcap Fund, SBI Blue Chip Fund, DSP India T.I.G.E.R. Fund, DSP Overnight Fund, SBI Focused Equity Fund, Kotak Emerging Equity Fund और Motilal Oswal ELSS Tax Saver Fund शामिल हैं. अब यह भी जान लेते हैं कि स्मृति ने इनमें से किसमें, कितना इन्वेस्टमेंट किया है. SBI Magnum में उनका निवेश 2,329,577 रुपए, SBI Blue Chip में 1,861,590 रुपए, SBI Focused में 1,238,943 रुपए, DSP India T.I.G.E.R. में 67,934 रुपए, DSP Overnight में 9127 रुपए, Kotak में 1,488,267 रुपए और Motilal Oswal में 1,818,419 रुपए लगाए हैं.