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क्या Vedanta के 'अच्छे दिनों' की शुरुआत हो चुकी है? इस खबर से तो यही मिल रहे संकेत
अनिल अग्रवाल को बड़े दिनों के बाद अच्छी खबर सुनने को मिली है. उनकी कंपनी में निवेशकों का विश्वास बढ़ा है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 month ago
दिग्गज कारोबारी अनिल अग्रवाल (Anil Agarwal) के लिए पिछला कुछ समय खास अच्छा नहीं गया है. कर्ज का बोझ, सरकार से विवाद जैसी तमाम परेशानियां उनकी राह में आई हैं. अब बड़े दिनों के बाद उन्हें एक अच्छी खबर सुनने को मिली है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, दुनिया की सबसे बड़ी एसेट मैनेजमेंट कंपनी ब्लैकरॉक ने अग्रवाल की कंपनी वेदांता में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाई है. इसका सीधा मतलब है कि वेदांता में ब्लैकरॉक का विश्वास बढ़ा है. इसी तरह, अबू धाबी इन्वेस्टमेंट अथॉरिटी (ADIA) के साथ-साथ ICICI म्यूचुअल फंड और निप्पॉन इंडिया म्यूचुअल फंड ने पिछले चार महीनों में वेदांता में हिस्सेदारी बढ़ाई है.
इन्होंने भी बढ़ाई हिस्सेदारी
अनिल अग्रवाल के लिए एक और अच्छी बात ये है कि विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) का भरोसा भी वेदांता समूह पर बढ़ा है. उन्होंने अपनी हिस्सेदारी में 1.2 प्रतिशत का इजाफा किया है. जानकार मानते हैं कि वेदांता के लिए यह खबरें बूस्ट का काम करेंगी. दरअसल, डीमर्जर प्लान, कर्ज कम करने की कोशिश और धातुओं की बढ़ती कीमतों ने वेदांता के शेयरों को मजबूती प्रदान की है. इसके चलते घरेलू और अंतरराष्ट्रीय फंड्स की दिलचस्पी वेदांता में बढ़ी है. ब्लैकरॉक इंक दुनिया में 10 ट्रिलियन डॉलर का एसेट मैनेज करती है और पूरी दुनिया में इस कंपनी की एक खास इमेज है.
आज बाजार में दिखेगा असर
रिपोर्ट्स के मुताबिक, निवेशक अब वेदांता में खरीदारी में रुचि दिखा रहे हैं. कई विदेशी और घरेलू निवेशकों ने कंपनी में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाई है. यही वजह है कि दिसंबर के बाद से Vedanta का बाजार पूंजीकरण करीब तीन अरब अमेरिकी डॉलर बढ़ा है. वहीं, वेदांता के शेयरों की बात करें, तो पिछले सत्र में ये करीब 3 प्रतिशत की मजबूती के साथ 318.40 रुपए पर बंद हुए थे. इसी दिन कंपनी के शेयर ने 52-सप्ताह का उच्चतम स्तर 322 रुपए छूआ था. इस आल अब तक ये 23.82% रिटर्न दे चुका है. निवेशकों के बढ़ते विश्वास की खबर का कुछ न कुछ असर आज वेदांता के शेयरों पर देखने को मिल सकता है.
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कर्ज कम करने की कोशिश
हाल ही में खबर आई थी कि वेदांता पर कर्ज का बोझ कम करने की कोशिश के तहत अनिल अग्रवाल अपना स्टील कारोबार बेचना चाहते हैं. मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया था कि वेदांता लिमिटेड के स्वामित्व वाली ESL स्टील बिकने जा रही है. ESL की वर्तमान क्षमता 1.5 मिलियन टन है. अग्रवाल के स्टील कारोबार को खरीदने वालों की दौड़ में आर्सेलर मित्तल के लक्ष्मी मित्तल (Lakshmi Mittal) और जय सराफ की कंपनी निथिया कैपिटल शामिल हैं. जय सराफ आर्सेलर मित्तल के पूर्व एग्जीक्यूटिव हैं और वह ESL स्टील पर बोली लगाने के लिए एक कंसोर्टियम बना रहे हैं, जिसमें निथिया कैपिटल सहित कुछ अन्य इन्वेस्टर्स शामिल हो सकते हैं.
इतना है कंपनी कर कर्ज
वेदांता लिमिटेड के मालिकाना हक वाली ईएसएल स्टील की वर्तमान क्षमता 1.5 मिलियन टन है, जिसे कंपनी ने दोगुना करने का लक्ष्य रखा है. हालांकि, अब कंपनी अपनी इस यूनिट को बेच रही है. दरअसल, अनिल अग्रवाल वेदांता के कर्ज को जल्द से जल्द कम करना चाहते हैं. इसी क्रम में वह अपने नॉन-कोर एसेट्स को बेच रहे हैं. ईएसएल स्टील की बिक्री अग्रवाल की इसी योजना का हिस्सा है. बता दें कि वेदांता लिमिटेड ने कुछ वक्त पहले विभिन्न व्यवसायों को अलग करने के लिए छह लिस्टेड यूनिट्स बनाने की घोषणा की थी. कंपनी पर करीब 20,000 करोड़ रुपए का कर्ज है.
पहले भी बनाई थी योजना
वेदांता ने 2022 के आखिरी में भी ईएसएल स्टील को बेचने की बात कही थी, मगर बाद में इस योजना को रोक दिया गया. अब कंपनी फिर से स्टील कारोबार को बेचने की दिशा में आगे बढ़ रही है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, स्टील कारोबार को कुछ खरीदने में घरेलू और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों ने दिलचस्पी दिखाई है. अगले कुछ महीनों में डील पूरी हो सकती है. वेदांता ने 2018 में 5,320 करोड़ में ईएसएल स्टील का अधिग्रहण किया था. गौरतलब है कि अडानी समूह को लेकर पिछले साल आई हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद से वेदांता जैसी कंपनियां अपना कर्ज कम करने पर ज्यादा फोकस कर रही हैं.
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