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Agriculture 4.0: कृषि में आई चौथी क्रांति, यह एक्सपेरिमेंट साबित हो रहा गेमचेंजर
मौसम की मार को अगर छोड़ दें तो तकनीक के सहारे खेती में नए बदलाव लाने का एक सिलसिला शुरू हो गया है.
अभिषेक शर्मा 1 year ago
नई दिल्लीः कृषि क्षेत्र में पिछले कुछ दशकों से काफी बदलाव देखने को मिले हैं. मौसम की मार को अगर छोड़ दें तो तकनीक के सहारे खेती में नए बदलाव लाने का एक सिलसिला शुरू हो गया है. डिजिटलीकरण और स्टार्टअप्स के इस क्षेत्र में काम करने से किसानों को सरकार द्वारा मिलने वाली मदद में इजाफा हुआ है. इसको कई विशेषज्ञ चौथी क्रांति मान रहे है, जिसके जरिए अब फोकस कम जमीन पर ज्यादा उपज करने की कोशिश की जा रही है.
सरकार भी बढ़ाना चाहती है किसानों की आय
पिछले महीने नागालैंड में केंद्रीय बागवानी संस्थान में बोलते हुए केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था कि किसानों और खेती के साथ सम्मान का व्यवहार किया जाना चाहिए और इस क्षेत्र में काम करने वाले लोगों की आय में वृद्धि होनी चाहिए. ऐसे में सरकार का प्लान भी यह है कि वो किसानों की आय में बढ़ोतरी करना चाहती है. इसके लिए सरकार ने फसल बीमा योजना, किसान क्रेडिट कार्ड, किसान सम्मान निधि जैसी कई योजनाओं को चला रखा है.
मौसम की मार से बचना जरूरी
हालांकि कई बार किसानों को मौसम की मार भी झेलनी पड़ती है. जैसे इस वक्त देश के कई हिस्सों में बाढ़ आई है, वहीं यूपी के कुछ हिस्से, बिहार व झारखंड सूखे की चपेट में हैं. यहां इस बार खरीफ की फसल बर्बाद हो चुकी है. केंद्र सरकार ने संसद को सूचित किया कि हाल ही में आई बाढ़ से भारत के कई हिस्सों में 2.4 लाख हेक्टेयर से अधिक फसल प्रभावित हुई है. असम को सबसे ज्यादा नुकसान होने की उम्मीद है क्योंकि राज्य में बाढ़ ने कहर बरपाया है. कर्नाटक और मेघालय को भी काफी नुकसान हुआ है.
कैसे तकनीक बनेगी गेमचेंजर
बेस्ट एग्रोलाइफ के एमडी विमल अलावधी ने कहा कि भारत में चौथी कृषि क्रांति की शुरुआत हो चुकी है. डिजिटलीकरण के माध्यम से भारतीय कृषि का परिवर्तन चल रहा है, जिससे किसानों की बाजार, इनपुट, डेटा, सलाहकार, लोन और बीमा तक पहुंच में सुधार हो रहा है. फसलों की बेहतर निगरानी, पौधे के स्वास्थ्य और सटीक खेती करने में तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है. भारतीय कृषि एक रोमांचक मोड़ पर है जहां पारंपरिक कृषि विधियों को प्रौद्योगिकी के माध्यम से एक किफायती लेकिन स्केलेबल तरीके से फिर से तैयार किया जा रहा है.
भविष्य के लिए तैयार कृषि क्षेत्र
कोविड -19 महामारी और चल रहे रूस-यूक्रेन संघर्ष की शुरुआत के बाद से, एग्रीटेक एक ऐसा उद्योग है जिसने विश्व स्तर पर निवेशकों का ध्यान आकर्षित किया है. वैश्विक निकायों और सरकारों द्वारा प्रौद्योगिकी-संचालित खेती की वकालत करने के साथ, यह अनुमान है कि भारतीय एग्रीटेक स्टार्टअप 2025 तक 30-35 बिलियन अमरीकी डालर का मूल्य पूल तैयार करेंगे. इसके अलावा, जलवायु परिवर्तन और संभावित खाद्य कमी की घटनाओं के सामने, कृषि 4.0 की उन्नति खाद्य सुरक्षा और अधिक व्यावसायिक क्षमता दोनों को चलाने के लिए अभिन्न अंग बन गई है. वैश्विक खाद्य प्रणाली आर्थिक, पर्यावरणीय और सामाजिक परिवर्तन से गुजरती है जिसके चलते चौथी औद्योगिक क्रांति सीधे कृषि को प्रभावित करेगी.
टेक टू लीड द एग्रीकल्चर सेक्टर
कोविड-19 के झटके के बावजूद भारतीय कृषि क्षेत्र 2021-22 में 3.9 प्रतिशत और 2020-21 में 3.6 प्रतिशत की दर से बढ़ा है. इकोनॉमी की कुल सकल मूल्य वर्धित (जीवीए) में कृषि और संबद्ध क्षेत्र की हिस्सेदारी लंबी अवधि में लगभग 18 प्रतिशत पर आ गई है. आर्थिक सर्वेक्षण में वर्ष 2021-22 में यह 18.8 प्रतिशत और वर्ष 2020-21 में 20.2 प्रतिशत था.
अब, एग्रीटेक भविष्य की चुनौतियों के समाधान प्रदान करने के साथ-साथ कृषि क्षेत्र में मौजूदा अंतराल को दूर करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार है. इससे प्रति व्यक्ति आय मौजूदा 1800 अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 3600 अमेरिकी डॉलर हो जाएगी और खेती से होने वाली आय दोगुनी हो जाएगी.
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