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मार्च में CPI Inflation में दिखी गिरावट, जानिये क्या है इसकी वजह?
मार्च 2023 में इन्फ्लेशन के स्तर में गिरावट देखने को मिली है. इस गिरावट के पीछे मौजूद एक मुख्य वजह बेहतर बेस इफेक्ट है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
मार्च में भारत का रिटेल इन्फ्लेशन पिछले 15 महीनों के अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है. मीडिया द्वारा किये गए एक सर्वे में पता चला है कि CPI (कंज्यूमर प्राइज इंडेक्स) का इन्फ्लेशन मार्च में गिरकर 5.7% पर पहुंच गया है जबकि पिछले महीने यह 6.44% पर स्थिर बना हुआ था.
41 महीनों से बढ़ रहा था इन्फ्लेशन
5.7% के स्तर पर CPI इन्फ्लेशन, भारत के केंद्रीय बैंक यानी RBI (रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया) के द्वारा जारी किये गए 2 से 6 प्रतिशत के आवश्यक स्तर में शामिल हो जाएगा. 2022 की शुरुआत से ही इन्फ्लेशन 6% के स्तर से ऊपर बना हुआ है. वहीं अगर RBI के 4% के मीडियम टर्म टारगेट की बात करें, तो पिछले 41 महीनों से इन्फ्लेशन इस स्तर से काफी ऊपर बना हुआ है. स्टेटिस्टिक्स और प्रोग्राम इम्प्लीमेंटेशन की मिनिस्ट्री 12 अप्रैल को मार्च के महीने में इन्फ्लेशन के डाटा को रिलीज करेगी.
मार्च में इन्फ्लेशन
मार्च 2023 में इन्फ्लेशन के स्तर में गिरावट देखने को मिली है. इस गिरावट के पीछे मौजूद एक मुख्य वजह बेहतर बेस इफेक्ट है. पिछले साल मार्च में CPI महीने-दर-महीने के आधार पर 1% जितना बढ़ गया था. प्रमुख इकोनॉमिस्ट का मानना है कि बेस इफेक्ट की बदौलत आवश्यक खाद्य पदार्थों के दामों में भी स्थिरता देखने को मिली है. लेकिन अन्य खाद्य पदार्थों जैसे, डेरी प्रोडक्ट्स, फलों, मीट और दालों की कीमतों में बढ़त देखने को मिली. मार्च में होलसेल के स्तर पर ‘फ़ूड एंड बेवरेज’ ग्रुप का इन्फ्लेशन फरवरी के 6.26% से कम होकर 5% रहने की उम्मीद है. दूसरी तरफ मार्च में फ्यूल की कीमतें बढ़ने की वजह से LPG की कीमतों में भी बढ़त देखने को मिली है जिसकी वजह से कुल इन्फ्लेशन भी बढ़ेगी. प्रमुख इन्फ्लेशन या कहें फ़ूड और फ्यूल को छोड़कर बाकी बची इन्फेल्शन में बढ़त देखने को मिली है और यह 6% पर स्थिर है.
किस वजह से कम हुआ इन्फ्लेशन?
इन्फ्लेशन से जुड़ा यह डाटा तब सामने आया है जब RBI ने अपनी मोनेटरी पॉलिसी कमेटी की मीटिंग में रेपो रेट को 6.5% के स्तर पर स्थिर कर दिया था और RBI के इस फैसले ने पूरी मार्केट को चौंकाकर रख दिया था. रेपो-रेट तय करने वाले पैनल को अपने द्वारा बढ़ाए गए 250 BPS (बेसिस पॉइंट्स) का प्रभाव देखना था. पैनल ने यह भी साफ कर दिया था कि जरूरत पड़ने पर पैनल द्वारा रेट बढ़ाया जा सकता है. हालांकि इकोनॉमिस्ट का मानना है कि MPC द्वारा अब रेपो रेट में इजाफा नहीं किया जाएगा. RBI की लेटेस्ट फोरकास्ट की मानें तो 2023-24 के बीच CPI इन्फ्लेशन 5.2% के औसत स्तर पर रह सकता है. इतना ही नहीं वित्त वर्ष 24 के क्वार्टर्स के दौरान CPI इन्फ़्लेशन 5.1% से 5.4% की बीच रह सकता है. MPC की अगली मीटिंग 6 से 8 जून के बीच होगी और तब अप्रैल के महीने का इन्फ्लेशन डाटा भी उपलब्ध होगा.
ऐसे होगा इंडस्ट्री का विकास
12 अप्रैल 2023 को स्टेटिस्टिक्स मिनिस्ट्री द्वारा फरवरी के महीने के लिए IIP यानी इंडेक्स ऑफ इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन के डाटा को भी रिलीज किया जाएगा. यदि फरवरी में IIP 5.8% के स्तर पर रहता है तो पिछले तीन महीनों के दौरान यह IIP का सबसे अधिकतम स्तर होगा. जनवरी में इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन 5.2% जितनी बढ़ गयी थी.
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