होम / बिजनेस / हवाई यात्री ध्यान दें: Air India का ऐसा दुर्व्यवहार, पैसेंजर को लगी 48000 की चपत
हवाई यात्री ध्यान दें: Air India का ऐसा दुर्व्यवहार, पैसेंजर को लगी 48000 की चपत
जब मैं फ्लाइट की केबिन में जाकर बैठा तो मैंने अपनी व्हीलचेयर एयर इंडिया के स्टाफ को दे दी.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
नई दिल्ली: इसी साल मई में जब IndiGo एयरलाइंस ने एक दिव्यांग बच्चे को विमान में यात्रा करने से मना कर दिया था, तो पूरे देश में बवाल खड़ा हो गया. एक एयरलाइन के किसी दिव्यांग के साथ इस बर्ताव की सभी ने निंदा की. सरकार और अथॉरिटी भी हरकत में आई और सिविल एविएशन रेगुलेटर DGCA ने निर्देश जारी किया कि कोई भी एयरलाइंस किसी दिव्यांग को हवाई यात्रा के लिए मना नहीं कर सकती.
लेकिन ये कहानी यहीं खत्म नहीं होती, IndiGo के बाद बारी है टाटा ग्रुप के हाथों में गई एयर इंडिया की, जिसने एक दिव्यांग की व्हीलचेयर ही गायब कर दी. एयर इंडिया के स्टाफ से जब दिव्यांग यात्री ने अपनी व्हीलचेयर मांगी तो स्टाफ ने अटपटा सा जवाब देकर उनके हाथों में पर्ची थमा दी और कहा कि उनकी व्हीलचेयर खो गई है.
क्या है मामला
ये घटना दिल्ली के रहने वाले अजय गुप्ता के साथ हुई. वो बचपन से ही दिव्यांग हैं. अजय गुप्ता 19 जुलाई को दिल्ली से मुंबई के लिए एयर इंडिया की फ्लाइट संख्या AI-887 से सफर कर रहे थे. अजय गुप्ता ने Business World Hindi को बताया कि उनके पास अपनी इलेक्ट्रिक व्हीलचेयर है. उन्होंने कहा, "जब मैं फ्लाइट की केबिन में जाकर बैठा तो मैंने अपनी व्हीलचेयर एयर इंडिया के स्टाफ को दे दी. स्टाफ ने भरोसा दिया कि उनकी व्हीलचेयर प्लेन में ही रख दी जाएगी और जब वो मुंबई उतरेंगे तो उन्हें लौटा दी जाएगी. जब फ्लाइट मुंबई पहुंची तो मैंने अपनी व्हीलचेयर मांगी, तब स्टाफ ने कहा कि उन्हें व्हीलचेयर लगेज बेल्ट पर मिलेगी. मैंने उन्हें समझाया कि हमेशा व्हीलचेयर केबिन में ही मिलती है, लेकिन वो नहीं माने. उन्होंने मुझे एक टूटी हुई छोटी सी केबिन व्हीलचेयर दी, जिसमें कोई बच्चा भी ठीक से नहीं बैठ सकता."
I am in rage with the horrific travel experiences and tired of doing this again and again. Are the differently-abled not meant to travel? Should we just sit on a chair and spend our entire lives on it only. @airindiain has taken that chair away from me as well.
— Ajay Gupta (@ajay_bachpan) July 19, 2022
अजय गुप्ता ने बताया, "मैं जब बेल्ट पर पहुंचा तो स्टाफ ने मुझे बताया कि उनकी व्हीलचेयर दिल्ली एयरपोर्ट पर ही छूट गई है. जब मैंने पूछा ऐसा क्यों हुआ तो उन्होंने इसका कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया. मैंने स्टाफ से कहा कि मुझे व्हीलचेयर लाकर दी जाए. इस पर उन्होंने मुझसे कहा कि एयरपोर्ट पर सीमित व्हीलचेयर ही होती हैं, इसलिए उन्हें शहर जाकर नई व्हीलचेयर ही खरीदनी होगी. एयर इंडिया स्टाफ अपनी गलती मानने की बजाय दिल्ली एयरपोर्ट अथॉरिटीज पर आरोप लगाता रहा कि ये उनकी गलती है, हमारी नहीं. स्टाफ ने कहा कि वो ज्यादा से ज्यादा ये कर सकते हैं कि एयरपोर्ट के बाहर गाड़ी तक उनको छोड़कर आ सकते हैं. थोड़ी देर बाद मुझे मेरे इलेक्ट्रिक व्हीलचेयर खोने की एक स्लिप थमा दी गई. मुझे मजबूरी में शहर से 48 हजार रुपये की व्हीलचेयर खरीदनी पड़ी. ये मेरे लिए वित्तीय के साथ-साथ मानसिक और भावनात्मक पीड़ा थी, जिसने मुझे अंदर तक हिलाकर रख दिया."
अजय गुप्ता के मुताबिक इस घटना से वो इतना आहत हुए कि उन्होंने इसकी शिकायत अथॉरिटीज के अधिकारियों से भी की. उन्होने एयर इंडिया के CEO कैम्पबेल विल्सन को भी चिट्ठी लिखकर सख्त कदम उठाने की मांग की है. लेकिन अभी तक किसी तरह का कोई जवाब नहीं आया है. एयरलाइन या अथॉरिटी के खिलाफ किसी तरह का कोई एक्शन नहीं लिया गया है. अजय गुप्ता का कहना है कि ये संवेदनहीनता नहीं तो और क्या है कि अबतक एयर इंडिया और दिल्ली एयरपोर्ट अथॉरिटी के किसी सीनियर अधिकारी ने इस बारे में उनसे बात नहीं की है, बल्कि अथॉरिटी के एक वेंडर ने उन्हें फोन करके कहा कि उनकी व्हीलचेयर मिल गई है. उसे वह घर पर डिलिवरी करवा देगा, इसलिए अपना पता दे दीजिए.
अजय गुप्ता ने एयर इंडिया के CEO को जो चिट्ठी लिखी है, उसे यहाँ पढें
दरअसल, ये मामला सिर्फ व्हीचेयर के खोने और उसे पाने तक का नहीं है. ऐसा लगता है कि अथॉरिटीज और एयर इंडिया इस मामले को दबाने की कोशिश कर रही है. वो चाहती हैं कि ये मामला तूल न पकड़े, नहीं तो ये दुनिया के सामने आ जाएगा कि तमाम दावे करने वाली एयरलाइंस का दिव्यांग यात्रियों के प्रति कैसा रवैया रहता है. एयरलाइंस या अथॉरिटी की ओर से माफी की बात तो दूर, उन्होंने अपने किए पर कोई पछतावा तक नहीं जाहिर किया है.
अजय गुप्ता ने BW Hindi से कहा, "आज़ादी के 75 साल बाद भी जब अपने ही देश में अपनी ही एयरलाइंस इस तरह का व्यवहार करती है, तो बेहद दुख होता है. ऐसा महसूस होता है कि हम सब इस व्यवस्था का हिस्सा चुपचाप बनते जा रहे हैं और अगर यही व्यवस्था कायम रही, तो 75 साल के बाद भी डिसेबल्ड लोगों को आज़ादी नहीं मिली है. डिसेबल्ड व्यक्ति समाज में उपहास का पात्र बनेंगे और ना चाहते हुए भी खुद को अपने घर में बंद करना चाहेंगे." उन्होंने कहा कि आज ज़रुरत है सख्त कानून का बनना और लोगों को संवेदनशील बनाना.
Video: उत्तर प्रदेश में एक्सप्रेस-वे का रिकॉर्ड, जानिए सभी के नाम और उनकी लंबाई
टैग्स