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अडानी - हिंडनबर्ग विवाद से इंडियन बैंकिंग पर नहीं पड़ा प्रभाव: वित्त मंत्री
अडानी ग्रुप और हिंडनबर्ग के बीच चल रही खींचतान का असर अब बैंकिंग सिस्टम और दिग्गज लेंडर्स पर दिखने लगा है. इसी बीच वित्त मंत्री ने कहा है कि सब ठीक है और इंडियन बैंकिंग सिस्टम अच्छी स्थिति में है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
न्यूयॉर्क स्थित शोर्ट सेलर हिंडनबर्ग और अडानी ग्रुप के बीच चल रही खींचतान आज लगातार 10 दिनों से जारी है. जहां अडानी ग्रुप को हिंडनबर्ग रिपोर्ट से काफी नुकसान उठाना पड़ा है, वहीँ अब इस खींचतान के चलते देश के बैंकिंग सिस्टम और लेंडर्स को भी समस्याएं होने लगी हैं. इसी बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि इंडियन बैंकिंग सिस्टम पूरी तरह ठीक है और अच्छी स्थिति में है.
CNBC-TV18 के साथ हुए अपने एक इंटरव्यू में वित्त मंत्री ने कहा - स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया (SBI) और जीवन बीमा निगम (LIC) ने खुद बताया है कि अडानी ग्रुप के साथ उनका संबंध सीमित है और वैल्यूएशन गिरने के बावजूद भी वो अभी प्रॉफिट में हैं. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि ट्विन बैलेंस शीट समस्या से गुजरने के बाद आज NPA (Non-Performing Assets) के बहुत ही निचले स्तर पर आ जाने से इंडियन बैंकिंग सिस्टम पूरी तरह ठीक है और यह रिकवर भी हो रहा है. इंटरव्यू में आगे उन्होंने कहा – ऐसी स्थिति में किसी भी एक्सपर्ट द्वारा की गयी मैक्रो-इकनोमिक एनालिसिस भी यही बता रही है कि भारतीय बैंकों को कोई ख़तरा नहीं है.
पब्लिक सेक्टर के बैंकों ने दी सफाई
इन्वेस्टर्स की परेशानियों को दूर करते हुए देश के सबसे बड़े लेंडर SBI ने कहा है कि अडानी ग्रुप के साथ उनका संबंध कैश बना रहे एसेट्स कि बदौलत पूरी तरह सिक्योर है. पब्लिक सेक्टर के एक और लेंडर बैंक ऑफ़ बडौदा ने कहा कि परेशानी झेल रहे अडानी ग्रुप के साथ उनका कुल लेन-देन 7000 करोड़ है और यह पूरी तरह सिक्योर है. सरकारी जीवन बीमा जायंट, जीवन बीमा निगम ने खुलासा किया है कि अडानी ग्रुप के साथ उनका कुल लेन-देन 36,474.78 करोड़ का है जो कर्ज और ईक्विटी के रूप में है. साथ ही, LIC ने यह भी बताया की यह रकम उनके निवेश के 1 प्रतिशत से भी कम है.
हिंडनबर्ग ने दिया इतना गहरा घाव
हिंडनबर्ग रिपोर्ट से मची तबाही के चलते अडानी ग्रुप की 7 लिस्टेड कंपनियों ने अब तक अपने मार्किट कैपिटलाइजेशन का आधे से ज्यादा हिस्सा खो दिया है. अगर वैल्यू की बात करें, तो यह नुकसान तकरीबन 100 बिलियन डॉलर्स का है. कुछ दिनों पहले ही, अडानी ग्रुप ने 20000 करोड़ कि वैल्यू वाला अपना FPO वापस लिया था जो वापस लिए जाने से एक दिन पहले ही पूरी तरह सब्सक्राइब हुआ था. इसके साथ ही शेयर बाज़ार में गिरावट ने निवेशकों को और ज्यादा हताश कर दिया.
अडानी ग्रुप ने हिंडनबर्ग द्वारा लगाये गए स्टॉक मैनीप्यूलेशन के इल्जामों को झूठा और आधारहीन बताया है. आगे ग्रुप ने कहा कि अडानी ग्रुप की कंपनियों को पिछले एक दशक में लगातार कम आँका गया है. कंपनी के शेयर्स में गिरावट ने भी अडानी के भाग्य को एक नाटकीय मोड़ दिया. अडानी ने पिछले कुछ सालों में विदेशी जायंट कंपनियों के साथ पार्टनरशिप बनायी है और इन्वेस्टमेंट भी इकट्ठी की है. हिंडनबर्ग रिपोर्ट के चलते अडानी को एशिया के सबसे धनी आदमी की पोजीशन से भी हाथ धोना पडा है. इसके साथ ही वह विश्व के सबसे धनी व्यक्तियों की लिस्ट में 17वें नंबर पर पहुँच गए हैं.
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