होम / यूटिलिटी / Zero Calorie Rice: शुगर और BP के पेशेंट के लिए सर्वश्रेष्ठ विकल्प, भारत में शुरू हुई खेती!
Zero Calorie Rice: शुगर और BP के पेशेंट के लिए सर्वश्रेष्ठ विकल्प, भारत में शुरू हुई खेती!
Zero Calorie Rice के बारे में बहुत ज्यादा लोग नहीं जानते और कमाल ये है कि जीरो कैलरी चावल का आविष्कार नया बिलकुल नहीं है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 6 months ago
चावल में शुगर होता है, साथ ही इसे खाने से वजन बढ़ता है और इसीलिए शुगर या फिर बीपी के पेशेंट्स को चावल न खाने की सलाह दी जाती है. लेकिन अगर मैं आपसे कहूं कि चावल का एक ऐसा प्रकार भी है जिसमें न तो शुगर होती है और न ही कैलरी होती, तो शायद आपको विश्वास नहीं होगा. ऐसे ही चावलों को जीरो कैलरी चावल (Zero Calorie Rice) कहा जाता है.
भारत में Zero Calorie Rice की खेती
जीरो कैलरी चावल (Zero Calorie Rice) के बारे में अभी भी बहुत ज्यादा लोग नहीं जानते और कमाल की बात ये है कि जीरो कैलरी चावल का आविष्कार नया तो बिलकुल भी नहीं है. हाल ही एमिन भारत में जीरो कैलरी चावल की खेती भी शुरू की जा चुकी है. आपको बता दें कि जीरो कैलरी चावलों की खेती का सिलसिला भी वहीँ से शुरू हुआ है जहां इससे पहले काला आलू और रेड राइस की खेती की जा चुकी है. हम बिहार के गया जिले की बात कर रहे हैं. बिहार के गया में मौजूद आमस क्षेत्र के हरिहरपुर नाम के गांव में लगभग 2 एकड़ के क्षेत्र में जीरो कैलरी चावलों की खेती की जा रही है.
पूरी तरह Organic खेती
यहां जीरो कैलरी चावल (Zero Calorie Rice) की खेती डॉक्टर अनिल कुमार के द्वारा की जा रही है जो पेशे से आयुष डॉक्टर भी हैं और उन्होंने अपने खेतों में जैविक या फिर रासायनिक, किसी भी प्रकार के उर्वरक का छिड़काव नहीं किया है. अब आप सोच रहे होंगे कि बिना उर्वरक के फसल पर गलत प्रभाव पड़ा होगा और उससे उपज भी कम हो गई होगी, लेकिन ऐसा नहीं है. दरअसल उन्होंने जीरो कैलरी चावलों की खेती मछली पालन वाले एक तालाब में की है. आपको बता दें कि मछली पालन के दौरान तालाब के पानी में दवाएं डाली जाती हैं और इनसे पानी का अमोनिया बढ़ जाता है जिसकी वजह से उपज पर किसी प्रकार का प्रभाव नहीं पड़ता है.
कहां से शुरू हुई खेती?
जीरो कैलरी चावल (Zero Calorie Rice) पूरी तरह से वेज होते हैं और इनमें शुगर और कैलरी की मात्रा बहुत कम होती है जिसकी वजह से वजन कम करने की चाहता रखने वाले, शुगर और बीपी के पेशेंट्स के लिए यह काफी फायदेमंद साबित होते हैं. जीरो कैलरी चावलों की खेती की शुरुआत दक्षिण-पूर्वी एशियाई क्षेत्रों से मानी जाती है और यह दिखने में थोड़े पारदर्शी होते हैं.
यह भी पढ़ें: Delhi Air Quality: प्रदूषण से लड़ने के लिए एक बार फिर हुई Odd-Even की वापसी
टैग्स