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Bharat Atta और Bharat Chana Dal के बाद अब Bharat Rice लाएगी सरकार?
भारत सरकार इस पॉलिसी का इस्तेमाल खाद्य पदार्थों की कीमतों में हो रही वृद्धि से निपटने के लिए भी कर सकती है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 4 months ago
भारत में इस वक्त खाद्य पदार्थों की कीमतों में इजाफा देखने को मिल रहा है और भारतीय सरकार इस चुनौती से निपटने के लिए विभिन्न तरीकों पर प्रमुख रूप से काम कर रही है. अब खबर आ रही है कि केंद्र सरकार जल्द ही भारत चावल (Bharat Rice) लेकर आ सकती है. इसके साथ ही यह खबर भी आ रही है कि भारत चावल या Bharat Rice को 25 रुपए प्रति किलोग्राम की कीमत पर उपलब्ध करवाया जाएगा और ऐसा 2024 के लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखकर किया जा रहा है.
कहां मिलेगा Bharat Rice?
यह जानकारी सरकार से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी द्वारा मीडिया के साथ साझा की गई है. मामले के जानकार ने यह भी बताया कि भारत सरकार इस पॉलिसी का इस्तेमाल खाद्य पदार्थों की कीमतों में हो रही वृद्धि से निपटने के लिए भी कर सकती है. आपको बता दें कि अगर सरकार द्वारा भारत चावल (Bharat Rice) की पेशकश की जाती है तो यह भारतीय राष्ट्रीय कृषि को-ऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन (Nafed) और भारतीय राष्ट्रीय को-ऑपरेटिव कंज्यूमर्स फेडरेशन (NCCF) जैसी सरकारी संस्थाओं के माध्यम से ही की जायेगी. इसके साथ ही भारत चावल या Bharat Rice को केंद्रीय भण्डार की आउटलेट से भी खरीदा जा सकता है.
महंगे हुए खाद्य पदार्थ
इस वक्त भारत सरकार द्वारा भारत आटा (Bharat Wheat Flour) और चना दाल उपलब्ध करवाई जा रही है. 2000 से अधिक खुदरा दुकानों पर भारत आटा 27 रुपए 50 पैसे प्रति किलो की कीमत पर प्रदान किया जा रहा है, तो वहीं चना दाल 60 रुपए प्रति किलो की कीमत पर उपलब्ध करवाई जा रही है. आपको बता दें कि नवंबर के दौरान खाद्य पदार्थों की महंगाई का स्तर 8.7% पर पहुंच गया है जबकि अक्टूबर के दौरान यह 6.61% पर था और वहीं पिछले साल नवंबर में यह 4.67% के स्तर पर दर्ज किया गया था. इसके साथ ही राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा प्रदान किये गए डेटा की मानें तो नवंबर में ही खाद्यान्नों की कीमतों में भी 10.3% की वृद्धि देखने को मिली है.
रिटेल इन्फ्लेशन में भी हुआ इजाफा
खाद्य पदार्थों की कीमतों में हुए इजाफे की वजह से रिटेल इन्फ्लेशन में भी प्रमुख रूप से बढ़ोत्तरी देखने को मिल रही है. अक्टूबर में कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स यानी CPI पर आधारित रिटेल इन्फ्लेशन का स्तर 4.87% हुआ करता था जबकि नवंबर में यह 5.88% पर पहुंच गया था और रिटेल इन्फ्लेशन में हुई इस बढ़ोत्तरी के लिए खाद्य पदार्थों की कीमतों में हुई वृद्धि को ही प्रमुख रूप से वजह माना जा रहा है. कम आय वाले लोगों को इस वक्त काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है और कमाई के पिरामिड में सबसे नीचे मौजूद लोगों की स्थिति का पता इकॉनमी और GDP की विकास दर की संख्या से नहीं लगाया जा सकता है.
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