आज़ादी के अमृत महोत्सव में नौकरी नहीं, काम को सम्मान चाहिए

यदि कामगार आरक्षण की वजह से अपने पारंपरिक हुनर को छोड़ देंगे, तो देश कभी आगे नहीं बढ़ पाएगा.

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Monday, 08 August, 2022
फाइल फोटो

पूरन डावर
(सामाजिक चिंतक एवं आर्थिक विश्लेषक)

जिन जातियों की काम के नाम से पहचान थी, जो देश के रोज़गार-स्वरोज़गार की नींव थे, देश की अर्थव्यवस्था को यदि ज्यादा सुदृढ़ नहीं कर रहे थे, तो कम से कम उस पर भार भी नहीं थे. उनके श्रम का सम्मान कम था या नहीं, यह एक अलग विषय है, लेकिन उन्हें अच्छी शिक्षा देकर लघु एवं मध्यम उद्योगों में बदला जा सकता था, मगर विडम्बना है कि उन्हें आरक्षण का झुनझुना पकड़ाकर जीवन पर्यन्त दलित घोषित ही नहीं, बल्कि दलित बना दिया गया.

नौकरी में आरक्षण बंद हो
चंद लोग असल मायनों आरक्षण का लाभ लेते हैं और वह भी सांसद,विधायक, आईएएस,सरकारी अधिकारी बनकर जीवन पर्यन्त दलित कहलाते हैं. बाकियों के हाथों से उनका काम छिन गया. डिग्री लेकर घूम रहे हैं और बेरोज़गारी का रोना रोने के अतिरिक्त उनके पास कुछ बचा नहीं है. आज़ादी के 75वें वर्ष में सरकार को, देश की संसद को कुछ सोचना होगा. डिग्री के साथ उनके पारम्परिक रोज़गारों के स्तर को उठाकर उन्हें अपने पैरों पर खड़ा करना होगा. नौकरी में जातिगत आरक्षण की व्यवस्था को बंद करना होगा. इसके बजाए आर्थिक आरक्षण पर ध्यान देना होगा. 

तो देश कैसे बढ़ेगा?
यदि कामगार आरक्षण की वजह से अपने पारंपरिक हुनर को छोड़ देंगे, तो देश कभी आगे नहीं बढ़ पाएगा. उन्हें मुफ्त शिक्षा, सस्ती दरों में उच्च तकनीक प्रदान करना और इसके अलावा, कामकाज में विस्तार के लिए सस्ती ऋण व्यवस्था कारगर हो सकती है. पारंपरिक नाई (बाल काटने वाला) पढ़-लिखकर मेकओवर आर्टिस्ट बन सकता है, मसाज वाला स्पा या थेरेपी सेंटर खोल सकता है, मोची शू क्लीनिक में बदल सकता है, चर्मकार जूता कारख़ाने का मालिक बन सकता है, चायवाला कॉफी कैफे डे खोल सकता है, पकौड़े वाला मैकडॉनल्ड्स खड़ा कर सकता है, हलवाई 'हल्दी राम' बन सकता है, रसोइया शेफ़, गाय-भैंस पालने वाला डेरी मालिक हो सकता है. पढ़-लिखकर शाक्य या कुशवाह आधुनिक खेती कर फार्म मालिक बन सकते हैं, धोबी वॉशिंग हाउस खोल सकता है, ये महज जातियां नहीं लोगों के काम थे, लेकिन ज्यादा पढ़ा-लिखा न होने के कारण सम्मान नहीं था.

पूर्व के निर्णयों पर विचार ज़रूरी
आज़ादी का अमृत महोत्सव सही मायने में तभी सफल होगा, जब पूर्व के निर्णयों पर पुनर्विचार हो. सरकारी नौकरियों में आरक्षण उस समय की मांग हो सकती, उस समय के निर्णयों पर प्रश्न चिन्ह नहीं है, लेकिन सभी कामगारों को नौकर नहीं बनाया जा सकता. आजादी के 75वें वर्ष में इन कामगार जातियों को दलित न मानकर कामगार का दर्जा देना होगा. सरकारी नौकरी नहीं प्रारम्भिक शिक्षा, तकनीकी शिक्षा के साथ उनको उद्यमियों के रूप में खड़ा करना होगा.
 


पार्टी के पास मिला था करोड़ों का चंदा, चुनावी मैदान में उतरे, तो रडार पर आए प्रत्याशी 

सरदार वल्लभभाई पटेल पार्टी ने भी मुंबई की तीन लोकसभा सीटों पर अपने तीन प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं. ये पार्टी आयकर विभाग (Income Tax Department) के रडार पर है.

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Monday, 06 May, 2024
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लोकसभा चुनाव (Loksabha Election 2024) के बीच मुंबई एक ऐसी करोड़पति पार्टी चर्चा में आई है, जिसका पार्टी कार्यालय एक फोटोकॉपी की दुकान से चलता है. इस पार्टी ने अपने तीन उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा है. आपको जानकर हैरानी होगी कि इस पार्टी के उम्मीदवारों की कोई इनकम नहीं है और दो उम्मीदवार तो ऐसे हैं, जिनके पास अपना घर तक नहीं है. वहीं, पार्टी ने जैसे ही अपने उम्मीदवारों को  चुनावी मैदान में उतारा, वैसे ही  ये आयकर विभाग (Income Tax Department) की रडार पर आ गए हैं.  तो चलिए आपको बताते हैं इस पार्टी के उम्मीदवार कौन हैं और  ये कहां से चुनाव लड़ रहे हैं?

आयकर विभाग की रडार में पार्टी और उम्मीदवार
मुंबई में इन दिनों एक पार्टी खूब चर्चा में है. इस पार्टी का नाम सरदार वल्लभभाई पटेल पार्टी (एसवीपीपी) है. ये एक रजिस्टर्ड राजनीतिक पार्टी है. दो साल पहले आयकर विभाग ने एसपीवीपी समेत 200 पार्टियों की जांच की थी. टैक्स चोरी के मामले में आयकर विभाग ने इनके ठिकानों पर भी छापा मारा था. दरअसल, ये पार्टियां बैंकिंग के माध्यम से अपने क्लाइंट से डोनेशन लेती हैं और फिर अपना कमीशन काटकर कैश में वापस कर देती हैं. एसवीपीपी कभी सक्रिय नहीं दिखाई दी, लेकिन इनके पास भी 55.5 करोड़ रुपये का चंदा पाया गया था. सूत्रों के अनुसार इस तरह तकी पार्टी हवाला कारोबार के लिए बनाई जाती है. पार्टी नेताओं को 0.01 प्रतिशत का कमीशन मिलता है. वहीं, पार्टियों को चंदा देने वालों का टैक्स भी बचता है. ऐसे में अब ये पार्टी और इसके उम्मीदवार आयकर विभाग की नजरों में आ गए हैं. इनसे पूछताछ भी चल रही है. 

उम्मीदवारों की इनकम Nill
इस पार्टी ने 2022 में अपनी इनकम की जानकारी चुनाव आयोग को दी थी, वहीं, अब इस पार्टी से लड़ने वाले उम्मीदवारों ने हलफनामे में अपनी इनकम भी निल (NILL) दिखाई है. उनके पास कोई वाहन भी नहीं है. तीन में से दो ने जानकारी में बताया है कि उनके पास घर भी नहीं है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 60 साल के प्रत्याशी कमलेश व्याज बोरिवली में एक सोसायटी में रहते हैं. वह उत्तर मुंबई से चुनाव लड़ रहे हैं आइटी विभाग का कहना है कि वह आईटी के केस के बारे में बात करने में समर्थ नहीं है. इसके अलावा 38 साल के महेश सावंत ने मुंबई साउथ सेंट्रल से पर्चा भरा है. वहीं 45 साल के भवान चौधरी ने मुंबई नॉर्थ ईस्ट से नामांकन दाखिल किया है.

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एक चॉल में स्थित फोटोकॉपी की दुकान में कार्यालय
इस पार्टी का कार्यालय मुंबई बोरिवली ईस्ट के चॉल स्थित एक फोटोकॉपी की दुकान से चलता है. इसके फाउंडर दशरथ पारिख हैं. पार्टी ने जानकारी दी थी कि उन्हें 55.5 करोड़ रुपये का चंदा मिला था, जिसमें से 10 करोड़ शिक्षा, 5 करोड़ भोजन पर खर्च किए. इसके अलावा 16 करोड़ रुपये सर्दी में जरूरतमंद लोगों को गर्म कपड़े बांटने में लगाए. वहीं 11 करोड़ रुपये से गरीबों की मदद की. पार्टी के अनुसार गुजरात में उनके 4 पार्षद भी हैं. 

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चुनाव के बीच ED की ताबड़तोड़ कार्रवाई, मंत्री के सचिव के नौकर के घर मिला नोटों का अंबार

ED ने रांची में कई ठिकानों पर छापेमारी की है. वीरेंद्र राम मामले में झारखंड के ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम के पीएस संजीव लाल के घरेलू सहायक से भारी मात्रा में नकदी बरामद हुई है.

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Monday, 06 May, 2024
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लोकसभा चुनाव के मद्देनजर एक तरफ जहां 7 मई को तीसरे चरण के लिए मतदान किया जाना है. वहीं दूसरी तरफ झारखंड में ED ने बड़ी कार्रवाई की है. ED ने झारखंड के रांची में कई ठिकानों पर छापेमारी कर बड़े पैमाने पर कैश बरामद किया है. ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम के निजी सचिव संजीव लाल के नौकर के घर ईडी ने भारी नकदी जब्त की है. सूत्रों के मुताबिक, नकदी 20 से 30 करोड़ रुपये के बीच होने का अनुमान है. फिलहाल नोट गिनने वाली मशीनें मंगाई जा रही हैं. ईडी ने कुछ योजनाओं के कार्यान्वयन में कथित अनियमितताओं से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में फरवरी 2023 में झारखंड ग्रामीण विकास विभाग के मुख्य अभियंता वीरेंद्र के. राम को गिरफ्तार किया था.

सचिव के नौकर के घर से मिला नोटों का ढेर

ईडी का मानना है कि यह काली कमाई का हिस्सा है. दरअसल ईडी 10 हजार रुपये रिश्वत के मामले की जांच चल रही थी और उसी दौरान ईडी को कुछ ऐसी कड़ियां मिली जिसके तार मंत्री तक जुड़ते नजर आए. ईडी को जानकारी मिली थी कि आलमगीर आलम के मंत्रालय में भ्रष्टाचार चल रहा था और ये पैसा नौकरों के घर पर जा रहा था. इसके बाद ईडी ने आलमगीर के निजी सचिव के नौकर के घर पर छापेमारी की गई और वहां इतना कैश देखकर ईडी भी हैरान रह गई.

 

पीएम मोदी ने उठाया था मुद्दा

कुछ दिन पहले ही पीएम मोदी जब झारखंड में चुनाव प्रचार कर रहे थे तो उन्होंने करप्शन का मुद्दा उठाया था और उनकी रैली के कुछ दिन बाद यह कार्रवाई हुई है जिसमें बड़ी मात्रा में यह कैश मिला है. बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने इसे लेकर कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि काउंटिंग होने दीजिए ये गिनती 50 करोड़ तक जाएगी. पूरी झारखंड सरकार गले तक भ्रष्टाचार में डूबी हुई है.

वीरेंद्र के राम मामले में हुई छापेमारी

ED ने ग्रामीण विकास विभाग के चीफ इंजीनियर वीरेंद्र के राम से जुड़े मामले में छापेमारी की है. बता दें कि चीफ इंजीनियर वीरेंद्र के राम को फरवरी 2023 में मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार कर लिया गया था. दरअसल उनपर कुछ योजनाओं में उनके क्रियान्वयन में कथित तौर पर मनी लॉन्ड्रिंग तथा अनियमितता का आरोप था. इसके बाद प्रवर्तन निदेशालय की टीम वीरेंद्र के राम तक पहुंची और उन्हें गिरफ्तार किया गया। बता दें कि ईडी की छापेमारी में भारी मात्रा में मिले कैश के बाद कई लोग गिरफ्तार किए जा सकते हैं.

कांग्रेस MP के यहां बरामद हुआ था 350 करोड़ कैश  

आपको बता दें कि पिछले साल दिसंबर में भी झारखंड में बड़ी संख्या में कैश बरामदगी हुई थी. कांग्रेस के राज्यसभा सांसद और कारोबारी धीरज साहू के ठिकानों से IT ने 350 करोड़ से ज्यादा कैश बरामद किया था. इस पर उन्होंने प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि छापेमारी में जो कैश बरामद किया गया है, वो मेरी शराब की कंपनियों का है. शराब का कारोबार नकदी में ही होता है और इसका कांग्रेस पार्टी से कोई लेना-देना नहीं है.
 


कांग्रेस छोड़कर एक बार फिर बीजेपी में शामिल हुए लवली, जानिए कितनी है इनके पास संपत्ति?

कांग्रेस के कद्दावर नेता अरविंदर सिंह लवली बीजेपी में शामिल हो गए हैं. लोकसभा चुनाव के बीच ये कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका है.

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Saturday, 04 May, 2024
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इस लोकसभा चुनाव के बीच कांग्रेस का दामन छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए हैं. वहीं, अब कांग्रेस के कद्दावर नेता व पूर्व मंत्री अरविंद सिंह लवली ने बीजेपी में शामिल होकर कांग्रेस को बड़ा झटका दे दिया है. लवली कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में से एक हैं. हाल में ही इन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा दिया है. शनिवार को उनके साथ ही कांग्रेस के कुछ और नेताओं ने भी बीजेपी की सदस्याता ले ली है. आपको बता दें, लवली बीजेपी में दूसरी बार शामिल हुए हैं. इससे पहले भी वह कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में गए थे. तो चलिए आपको बताते हैं इस नेता के पास कितनी संपत्ति है?

लवली के पास 6 करोड़ की संपत्ति
दिल्ली कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अरविंद सिंह लवली शनिवार को बीजेपी में शामिल हो गए. उन्होंने कुछ दिनपहले ही कांगेस से इस्तीफा दिया है. उनके साथ में नसीब सिंह, नीरज बसोया और राजकुमार चौहान ने भी बीजेपी की सदस्याता ली. अरविंदर सिंह लवली के पास करोड़ों की संपत्ति है. 2019 में अरविंदर सिंह लवली द्वारा दायर चुनावी हलफनामे के अनुसार उनके पास कुल 5 करोड़ रुपये की संपत्ति है. उन्होंने 50-50 हजार के दो अलग अलग शेयरों में कुल 1 लाख रुपये निवेश किए हैं. उनके पास 61 लाख रुपये के सोने और चांदी के जेवर भी हैं. इसके अलावा गुरुग्राम में 1 करोड़ रुपये की कीमत का एक फ्लैट भी है और दिल्ली के कृष्णा नगर इलाके में 50 लाख रुपये की प्रॉपर्टी भी शामिल है. 

बीजेपी ज्वाइन करने के बाद लवली ने क्या कहा?
बीजेपी में शामिल होने के बाद अरविंदर सिंह लवली ने कहा कि  वह पीएम मोदी, नड्डा और अमित शाह का धन्यवाद करते हैं. जब हम खोए-खोए घूम रहे थे, उस समय इन्होंने उन्हें मौका दिया है. हम आज हम लोग आए हैं, लेकिन बहुत लोग हैं जो चाहते हैं कि देश को सशक्त सरकार मिले. देश के विकास में पीएम के हाथ को मजबूत करना चाहते हैं. 

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राहुल गांधी ने अमेठी छोड़ रायबरेली ही क्यों चुना,पूरा समीकरण समझिए

राहुल गांधी ने रायबरेली से पर्चा भरने के लिए आखिरी दिन तक सस्पेंस बनाए रखा. क्या ये दांव कांग्रेस के लिए मास्टर स्ट्रोक साबित होगा या 2019 का ही दौर दोहराया जाएगा

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Friday, 03 May, 2024
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नए किरदार आते जा रहे हैं, मगर नाटक पुराना चल रहा है. अमेठी में कांग्रेस की तरफ से के एल शर्मा के आने और राहुल गांधी के रायबरेली जाने के बाद ये शेर अमेठी और रायबरेली की राजनीतिक सच्चाई के लिए सच साबित हो रहा है. इसकी शुरुआत उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय के एक बयान से हुई थी. अगस्त 3023 में उन्होंने दावा किया था कि राहुल गांधी अमेठी से चुनाव लड़ेंगे और प्रियंका गांधी की अगर इच्छा हुई तो वो वाराणसी से चुनाव लड़ेंगी. तभी ये बहस शुरू हुई कि राहुल गांधी एक बार अमेठी से चुनाव लड़ेगे. लेकिन इस बहस से अलग हटकर राहुल गांधी ने रायबरेली को चुना.  

दरअसल, 2024 के लोकसभा चुनाव का माहौल बनने के साथ ही ये दावा किया जा रहा था कि अब अमेठी का हाल वैसा है ही जैसा 1977 में रायबरेली में था. तब लोकसभा चुनाव में इंदिरा गाँधी की हार के बाद तमाम घरों में चूल्हे नहीं जले थे। यानी अमेठी राहुल गांधी की हार का पश्चाताप कर रहा है और इसका प्रायश्चित वो जीत के तोहफे से करना चाहता है. लेकिन जिन लोगों ने ये गुब्बारा भरा उसमें कील खुद राहुल गांधी ने लगाई. आखिर क्यों. इसे समझने के लिए रायबरेली और अमेठी के सियासी सफर पर चलना होगा.

अमेठी से राहुल गांधी आश्वस्त नहीं?

अमेठी लोकसभा सीट 1967 में अस्तित्व में आई. तब से ही अमेठी और कांग्रेस को एक दूसरे का पर्याय माना जाता रहा. लेकिन 2019 में ये मिथ टूट गया. बीजेपी की कद्दावर नेता स्मृति ईरानी से राहुल गांधी हार गए. राहुल गांधी दो सीटों पर चुनाव लड़े थे और अमेठी हारकर वो केरल के वायनाड से सांसद बने. तब से ही ये नैरेटिव सेट हो गया कि राहुल गांधी अमेठी से भाग गए. लेकिन इसी वर्ष 20 फरवरी 2024 को राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा अमेठी पहुंची और जिस तरह से उनका स्वागत हुआ, तब से ही ये कयास लगाए जा रहे थे कि अमेठी राहुल गांधी को वापस बुलाना चाहता है. इन कयासों को कांग्रेस जिलाध्यक्ष प्रदीप सिंघल के दावों ने और हवा दी. ये दावा किया गया था कि राहुल गांधी ही अमेठी से चुनाव लड़ेंगे और और अंतिम दिन पर्चा दाखिल करेंगे. लेकिन इस आखिरी दिन राहुल गांधी अमेठी नहीं रायबरेली को चुना. इसका मतलब अमेठी में भारत जोड़ो यात्रा का जनसमर्थन भी राहुल गांधी को अमेठी से निश्चित विजय के लिए आश्वस्त नहीं कर पाया. ऐसे में सवाल ये कि रायबरेली से राहुल गांधी आश्वस्त कैसे?

य़ूपी में कांग्रेस की सबसे सुरक्षित सीट रायबरेली

2019 में कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश से सिर्फ एक सीट जीती थी. रायबरेली. रायबरेली से सोनिया गांधी सांसद बनीं. रायबरेली से ही सोनिया गांधी के ससुर फिरोज गांधी, उनकी सास इंदिरा गांधी सांसद रहे. इसलिए रायबरेली के लोगों का कांग्रेस से भावनात्मक लगाव है. इस लगाव को सोनिया गांधी ने और मजबूत किया. आपको याद होगा. इसी साल फरवरी महीने में सोनिया गांधी ने तय किया था कि 
स्वास्थ्यगत कारणों से वो अब लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी.तब उन्होंने रायबरेली की जनता के नाम एक पत्र लिखा था, जिसमें सोनिया गांधी ने कहा कि रायबरेली के बिना उनका परिवार अधूरा है वो रायबरेली आकर और यहां के लोगों से मिलकर पूरा होता है। यह नेह-नाता बहुत पुराना है. राहुल गांधी इस भावनात्मक लगाव का फायदा हो सकता है इसलिए शायद एक सुरक्षित सीट के लिए अमेठी पर रायबरेली को प्राथमिकता दी

वायनाड से आस अमेठी से उदास?

राहुल गांधी 2019 की तरह ही इस बार भी दो सीट पर चुनाव लड़ रहे हैं. केरल के वायनाड और उत्तर प्रदेश के रायबरेली. वायनाड में 26 अप्रैल को चुनाव हो चुके हैं. राहुल गांधी वहां अपनी जीत को लेकर आश्वस्त हैं. 2009 से कांग्रेस यहां लगातर जीत रही है. इसी सीट से 2019 में राहुल गांधी सांसद बने. मोदी सरनेम मामले में इसी सीट पर उनकी सदस्यता गई और बहाल हुई. इस पूरे दौर में राहुल गांधी को वायनाड से भारी समर्थन मिला.इसीलिए राहुल नहीं चाहते थे कि ऐसा संदेश जाए कि उन्होंने उन वोटर्स को छोड़ दिया, जिन्होंने उनकी राजनीतिक अस्तित्व की लड़ाई में उनका साथ दिया. इस बीच अमेठी के साथ राहुल गांधी का वो जुड़ाव नहीं दिखा जो वायनाड को मिला. दूसरी तरफ स्मृति ईरानी ने अमेठी में अपना घर बना लिया. गृहप्रवेश किया. इस तरह अमेठी में घर बनवाने वाली वह पहली सांसद बन गई.गांधी परिवार की परंपरागत सीट होने के बावजूद इस परिवार के किसी सदस्य का यहां पर घर नहीं है. अमेठी लोकसभा क्षेत्र से संजय गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी,राहुल गांधी सांसद बने लेकिन किसी का घर अमेठी में नहीं है. 2019 में हार के बाद राहुल गांधी 5 बार गए जरूर, लेकिन स्मृति ईरानी ने यहां स्थाई ठिकाना बना लिया.

रायबरेली से भाजपा के पास बड़ा चेहरा नहीं 
अमेठी में भाजपा की तरफ से स्मृति ईरानी एक लोकप्रिया और मजबूत चेहरा हैं. जबकि रायबरेली से बीजेपी के प्रत्याशी दिनेश सिंह बिल्कुल इसके उलट. 2018 में बीजेपी में शामिल होने से पहले जब तक वो कांग्रेस में थे चुनाव जीतते रहे. 2019 में वो रायबरेली से लोकसभा चुनाव हारे. 2022 के विधानसभा चुनाव में दिनेश प्रताप सिंह के भाई को रायबरेली की हरचंदपुर विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया गया था वो भी चुनाव हारे. राजनीतिक विश्लेषक बताते हैं कि कांग्रेस में रहते हुए भी दिनेश प्रताप सिंह की पार्टी पर अच्छी पकड़ थी, लेकिन बीजेपी में वो प्रभाव नहीं है. इसी कमजोर प्रभाव का फायदा राहुल गांधी को रायबरेली में मिल सकता है


यानी रायबरेली में राहुल गांधी के लिए वही सारे समीकरण फिट हो रहे हैं जो वायनाड में पहले से हैं. राजनीतिक पंडितों का मानना है कि कि अब अमेठी में कांग्रेस के प्रत्याशी के एल शर्मा के लिए प्रियंका गांधी कमान संभालेंगी, इस तरह आस-पास की दो सीटों पर कांग्रेस के दो बड़े नेताओं के रहने से पूर्वांचल की दूसरी सीटों पर भी कांग्रेस को माइलेज मिल सकता है. बहरहाल ये सभी समीकरण सियायी कयासों और किस्से सेट हो रहे हैं. सच्चाई 4 जून के नतीजों से साबित होगी


Raebareli कैसे बनी गांधी परिवार का गढ़, जानें इस हॉट लोकसभा सीट की पूरी कहानी

उत्तर प्रदेश की रायबरेली लोकसभा सीट का इतिहास कांग्रेस के पक्ष में जाता है. यहां से 16 बार कांग्रेस को जीत मिली है.

Last Modified:
Friday, 03 May, 2024
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राहुल गांधी (Rahul Gandhi) केरल के वायनाड के साथ ही उत्तर प्रदेश की रायबरेली लोकसभा सीट (Raebareli Lok Sabha Seat) से चुनाव लड़ रहे हैं. इस सीट को कांग्रेस का गढ़ माना जाता है और आंकड़े इसकी गवाही भी देते हैं. किसी जमाने में यूपी में कांग्रेस का 'हाथ' मजबूत था, लेकिन पिछले चुनाव में एकमात्र रायबरेली में ही पार्टी को जीत नसीब हुई थी. ऐसे में रायबरेली यूपी में कांग्रेस का अंतिम किला है, जिसे बचाने की चुनौती अब राहुल गांधी पर होगी. 

इन्हें मिली थी पहली जीत 
राहुल गांधी का मुकाबला यहां BJP के दिनेश प्रताप सिंह से है. दिनेश 2019 में भी भाजपा की टिकट पर रायबरेली से चुनाव लड़े थे, लेकिन सोनिया गांधी के हाथों उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. इस बार उनके सामने सोनिया के बेटे राहुल गांधी हैं. रायबरेली लोकसभा सीट के इतिहास बेहद रोचक रहा है. 1951-52 के आम चुनाव में रायबरेली और प्रतापगढ़ दोनों को मिलाकर एक लोकसभा सीट हुआ करती थी. तब यहां से सबसे पहले फिरोज गांधी ने चुनाव जीता था. बाद में जब रायबरेली सीट अस्तित्व में आई, तब भी 1958 में फिरोज गांधी को ही जीत मिली. उनके निधन के बाद 1967 के चुनाव में इंदिरा गांधी ने इस सीट से मैदान में उतरकर अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत की.

इंदिरा ने 4 बार लड़ा चुनाव 
इंदिरा गांधी ने इस सीट से 4 बार लोकसभा का चुनाव लड़ा था. एक रिपोर्ट के अनुसार, 1971 के चुनाव में रायबरेली सीट से इंदिरा गांधी के सामने सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार राजनारायण थे. जब चुनावी नतीजों में इंदिरा को विजयी घोषित किया गया, तो राजनारायण ने सरकारी तंत्र के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए इलाहबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. राजनारायण की याचिका पर हाईकोर्ट ने इंदिरा के निर्वाचन को अवैध घोषित कर दिया. हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद इंदिरा गांधी सुप्रीम कोर्ट गईं. कहा जाता है कि इसी घटना के चलते इंदिरा गांधी ने देश में इमरजेंसी लागू करने फैसला लिया था. इमरजेंसी के बाद 1977 में हुए चुनाव में इंदिरा गांधी का सामना फिर राजनारायण से हुआ. भारतीय लोक दल (बीएलडी) की टिकट पर राजनारायण ने यहां से जीत हासिल की और वह रायबरेली सीट से जीत हासिल करने वाले पहले गैर कांग्रेसी सांसद बने.   

3 बार गैर-कांग्रेसी जीते
अस्तित्व में आने के बाद से यह सीट कांग्रेस की विरासत बनी हुई है. 2004 में इंदिरा गांधी की बहू यानी सोनिया गांधी ने रायबरेली से चुनाव लड़ा और पांच बार सांसद चुनी गईं. अब सोनिया के बेटे राहुल गांधी अपने परिवार की विरासत संभालने के लिए मैदान में उतरे हैं. इस सीट से चुनाव-उपचुनाव मिलाकर कुल 16 बार कांग्रेस नी जीत हासिल की है. गैर-कांग्रेसी उम्मीदवारों को यहां से महज तीन बार ही विजय नसीब हुई है. 2019 में दिनेश प्रताप सिंह ने सोनिया गांधी के सामने चुनाव लड़ा था. सोनिया गांधी को चुनाव में 5,31,918 वोट मिले थे. जबकि भाजपा उम्मीदवार दिनेश प्रताप सिंह को 3,67,740 मत मिले. इस तरह, दिनेश 1,64,178 मतों से चुनाव हार गए थे. बता दें कि 2018 में दिनेश प्रताप सिंह कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे.

रायबरेली से कब, कौन जीता? 
1952- फिरोज गांधी (कांग्रेस), 1958- फिरोज गांधी (कांग्रेस), 1962- ब्रजलाल (कांग्रेस), 1967- इंदिरा गांधी (कांग्रेस), 1971- इंदिरा गांधी (कांग्रेस), 1977- राजनारायण (बीकेडी), 1980- इंदिरा गांधी (कांग्रेस), 1981- अरुण नेहरू (कांग्रेस) उपचुनाव, 1984- अरुण नेहरू (कांग्रेस), 1989- शीला कौल (कांग्रेस), 1991- शीला कौल (कांग्रेस), 1996- अशोक सिंह (भाजपा), 1998- अशोक सिंह (भाजपा), 1999- कैप्टन सतीश शर्मा (कांग्रेस), 2004- सोनिया गांधी (कांग्रेस), 2006-सोनिया गांधी (कांग्रेस) उपचुनाव, 2009- सोनिया गांधी (कांग्रेस), 2014-सोनिया गांधी (कांग्रेस), 2019-सोनिया गांधी (कांग्रेस).


सीएम योगी आदित्यनाथ भी हुए डीप फेक का शिकार, आरोपी हुआ गिरफ्तार, जानें क्या है मामला

एक शख्स ने सीएम योगी आदित्यनाथ की डीपफेक वीडियो को सोशल मीडिया पर शेयर किया था. नोएडा पुलिस ने अब कार्रवाई करते हुए आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है और आगे की कार्रवाई जारी है.

Last Modified:
Thursday, 02 May, 2024
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लोकसभा चुनाव के बीच दिग्गज नेताओं के फेक वीडियो बनाने के मामले सामने आ रहे हैं. गृहमंत्री अमित शाह के फेक वीडियो के बाद अब यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ का डीप फेक वीडियो बनाने का मामला सामने आया है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का एक डीप फेक वीडियो सोशल मीडिया नेटवर्किंग साइट एक्स (X) पर अपलोड किया गया था. इस मामले में नोएडा एसटीएफ ने साइबर क्राइम थाने में मुकदमा दर्ज कराया और पोस्ट करने वाले आरोपी श्याम किशोर गुप्ता को गिरफ्तार कर लिया है.

पुलिस ने आरोपी को किया गिरफ्तार

दरअसल मामला उत्तर प्रदेश के नोएडा का है. यहां सेक्टर 49 स्थिति बरोला से नोएडा पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार किया है. पुलिस ने जांच की तो पता चला कि 1 मई 2024 को सोशल मीडिया साइट एक्स पर सीएम योगी आदित्यनाथ के डीपफेक एआई जनरेटेड वीडियो को शेयर किया गया था. इस वीडियो को सोशल मीडिया साइट एक्स (X) पर @shyamguptarpswa नाम के प्रोफाइल से शेयर किया गया था. साथ ही इस वीडियो को शेयर करते हुए आरोपी ने भ्रामक तथ्य साझा किए और राष्ट्रविरोधी चीजों को भी शेयर किया.

AI जेनरेटेड था डीप फेक वीडियो

इस डीप फेक वीडियो में पुलवामा के वीर जवानों की पत्नियों का मंगलसूत्र आदि की बात की जा रही है. नहीं चाहिए भाजपा, भाजपा हटाओ, देश बचाओ, आदि बातें कहीं जा रही हैं. ट्विटर हैंडल पर पोस्ट करने वाले ने लिखा कि क्या यह वीडियो सही है. अगर सही है तो जनता अंधभक्त है. वीडियो को यूपी भाजपा, पीएमओ, सीएम यूपी आदि को टैग किया गया है. नोएडा एसटीएफ के एसीपी राजकुमार मिश्रा ने बताया कि जांच में यह पता चला है कि यह डीप फेक वीडियो है और AI जेनरेटेड है.

अमित शाह का भी बना था डीप फेक वीडियो

आपको बता दें कि कुछ ही समय पहले केंद्रीय मंत्री अमित शाह का भी एक डीपफेक वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया गया था. इस मामले में दिल्ली पुलिस ने केस दर्ज किया है और मामले की गहनता से जांच की जा रही है. अमित शाह के वीडियो को कई राजनेताओं ने भी शेयर किया था. दिल्ली पुलिस इस मामले में देश भर में व्यापक तौर पर कार्रवाई कर रही है. पुलिस ने तेलंगाना के सीएम को नोटिस भी भेजा था. जबकि दिल्ली पुलिस द्वारा देश के कई अन्य नेताओं से पूछताछ के लिए नोटिस जारी किया गया है.
 


Shyam Rangeela ने कर दिया सीरियस मजाक, PM मोदी के खिलाफ वाराणसी से लड़ेंगे चुनाव

श्याम रंगीला वाराणसी लोकसभा सीट से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने जा रहे हैं.

Last Modified:
Wednesday, 01 May, 2024
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मिमिक्री करने वाले श्याम रंगीला (Shyam Rangeela) अब मोदी के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरने जा रहे हैं. श्याम ने उत्तर प्रदेश की वाराणसी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. राजस्थान के इस मिमिक्री आर्टिस्ट ने सोमवार को ट्विटर पर चुनाव लड़ने की घोषणा की थी. हालांकि, तब तब लोगों ने इसे मजाक के तौर पर लिया था, लेकिन अब यह साफ हो गया है कि श्याम कोई मजाक नहीं कर रहे हैं और वह PM मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे. 

इस हफ्ते जाएंगे वाराणसी 
एक मीडिया हाउस से बातचीत में श्याम रंगीला चुनाव लड़ने की पुष्टि की है. उनका कहना है कि वह इस सप्ताह के अंत तक वाराणसी पहुंचेंगे और पीएम मोदी के खिलाफ नामांकन दाखिल करेंगे. रंगीला का कहना है कि वह ऐसा इसलिए कर रहे हैं, ताकि लोकतंत्र जिंदा रहे. 29 साल के श्याम रंगीला को पीएम मोदी की मिमिक्री से ही लोकप्रियता हासिल हुई है. हालांकि, ये बात अलग है कि इसके लिए उन्हें परेशानियों का भी सामना करना पड़ा. पिछले साल राजस्थान के एक जंगल में नीलगाय को खाना खिलाते हुए उनका एक वीडियो वायरल हुआ था. जिसमें वह PM मोदी की नकल कर रहे थे. इस वीडियो को लेकर वन विभाग ने उन्हें नोटिस थमा दिया था. 

मैं तो असली फकीर हूं 
श्याम रंगीला का कहना है कि मैं पूरे दिल से चुनाव लड़ने के लिए तैयार हूं और वाराणसी जाने वाला हूं. उन्होंने आगे कहा कि मैं कम से कम यह कहने के लिए चुनाव में खड़ा हुआ हूं कि लोकतंत्र खतरे में नहीं आने दूंगा. वाराणसी में लोगों को वोट के लिए विकल्प मिलेगा. सूरत और इंदौर जैसी स्थिति नहीं होगी. गौरतलब है कि मध्य प्रदेश के इंदौर और गुजरात के सूरत में कांग्रेस के उम्मीदवारों ने नाम वापस ले लिए हैं. चुनाव लड़ने पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) के डर से जुड़े सवाल पर रंगीला ने कहा कि मुझे कोई डर नहीं है. यदि मेरे खाते चेक किए जाएंगे, तो उन्हें कुछ नहीं मिलेगा. मैं असली फकीर हूं, जो झोला उठाकर चल देगा. हालांकि, ये बात अलग है कि लोग श्याम के इस फैसले को सीरियस मजाक करार दे रहे हैं.

YouTube से मोटी कमाई
श्याम रंगीला ने कहा कि मैं एक समय नरेंद्र मोदी का फैन था. आप कह सकते हैं कि मैं 2016-17 तक मोदी का भक्त था, लेकिन मेरे ऊपर तमाम तरह पाबंदियां लगाई गईं. PM की मिमिक्री के लिए मेरी आलोचना हुई. मुझे टीवी शो के ऑफर मिलते थे, लेकिन बाद में पता चलता था कि स्क्रिप्ट मंजूर नहीं हुई है और मुझे हटा दिया गया है. ऐसा एक बार नहीं कई बार हुआ. तब मुझे पता लगा कि कॉमेडी में भी राजनीति आ गई है. श्याम रंगीला का अपना यूट्यूब चैनल है, जिस पर 921K सब्सक्राइबर हैं. उनके हर वीडियो पर हजारों व्यूज हैं, इस हिसाब से देखा जाए तो अकेले YouTube से ही उन्हें मोटी कमाई हो जाती है.  


क्या वास्तव में 2019 के मुकाबले कम हुई है वोटिंग? आपकी सोच बदल देगा ये गणित

लोकसभा चुनाव के 2 चरणों का मतदान हो चुका है. तीसरे चरण की वोटिंग अब सीधे 7 मई को होनी है.

Last Modified:
Tuesday, 30 April, 2024
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लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) में अब तक 2 चरणों की वोटिंग हो चुकी है. 19 अप्रैल को पहले चरण में 102 सीटों पर मतदान हुआ. वहीं, 26 अप्रैल को दूसरे चरण में 88 सीटों पर वोटिंग हुई. इस तरह, लोकसभा की कुल 543 सीटों में से 190 सीटों पर वोटिंग हो चुकी है. दोनों ही चरण के वोटिंग प्रतिशत को 2019 के मुकाबले कम बताया जा रहा है. पहले चरण में औसत मतदान 65.5% रहा, जबकि 2019 में इन्हीं सीटों के 70% से अधिक मतदान हुआ था. इसी तरह, दूसरे चरण में 62% वोटिंग हुई, जो 2019 के मुकाबले करीब 7% कम है. इन आंकड़ों को लेकर अब कयासों का दौर भी शुरू हो गया है. कोई कम वोटिंग प्रतिशत को बीजेपी के पक्ष में बता रहा है, तो किसी का मानना है कि पार्टी के लिए चिंता का विषय है.

क्या है आम धारणा?
आमतौर पर ज्यादा वोटिंग को सत्ता विरोधी लहर के तौर पर देखा जाता है. यह माना जाता है कि मतदाता सरकार के कामकाज से खुश नहीं हैं और बदलाव चाहते हैं. इसलिए बड़ी संख्या में मतदान के लिए अपने घरों से बाहर निकले हैं. जबकि कम मतदान को लेकर आम धारणा है कि लोगों में बदलाव की कोई अभिलाषा नहीं है और इसलिए वोटिंग को लेकर उन्होंने खास दिलचस्पी नहीं दिखाई. हालांकि, बीते कुछ सालों में पूरा गणित बदल गया है. 2019 में पिछली बार की तुलना में अधिक वोट पड़े थे. तब माना गया कि जनता 'अच्छे दिन' की असलियत समझ गई है और उसने बीजेपी को सत्ता से हटाने के लिए वोटिंग की है. लेकिन परिणाम इस कयास से एकदम उलट रहे. भाजपा पहले से अधिक सीटों के साथ सरकार में वापस लौटी.

निकाल रहे अलग-अलग मायने 
2019 के चुनाव परिणाम के लिहाज से देखें, तो कम या ज्यादा मतदान किसी की हार या जीत का पैमाना नहीं है. फिर भी तमाम एक्सपर्ट्स और नेता अपने-अपने हिसाब से दो चरणों के मतदान प्रतिशत के मायने निकाल रहे हैं. कई लोगों का यह भी मानना है कि भाजपा वोटरों और कार्यकर्ताओं के बीच अति आत्मविश्वास भी कम वोटिंग की एक वजह हो सकती है. दरअसल, वे यह मानकर बैठे हैं कि चुनाव परिणाम लगभग तय है, सरकार में भाजपा को ही आना है. जबकि दूसरी तरफ विपक्ष में उत्साह के कमी दिखाई दे रही है. इस वजह से विपक्षी दलों के मतदाताओं में भी वोटिंग को लेकर उत्साह नहीं है. इसके साथ ही गर्मी ने भी लोगों को घरों में कैद होने को मजबूर कर दिया है. 

इतने बढ़ गए हैं मतदाता
पिछले यानी 2019 के लोकसभा चुनाव से यदि तुलना की जाए, तो निश्चित तौर पर मतदान का प्रतिशत कम नजर आएगा. लेकिन क्या वास्तव में जैसा दिखाई दे रहा है वैसे ही है? कहने का मतलब है कि दोनों चुनावों के पहले-दूसरे चरण के आंकड़ों में भले ही अंतर है, पर क्या इसे मतदान में कमी कहा जा सकता है? चलिए थोड़ा विस्तार से समझते हैं. 2019 में देश में कुल मतदाता थे 89.6 करोड़ और 2024 में यह संख्या है 97 करोड़. यानी पिछली बार के मुकाबले रजिस्टर्ड वोटर्स की संख्या इस बार ज्यादा है. चुनाव आयोग के अनुसार, दुनिया में सबसे ज्यादा 96.88 करोड़ मतदाता लोकसभा चुनाव में वोटिंग के लिए रजिस्टर्ड हैं. इसमें 18 से 29 साल की उम्र वाले 2 करोड़ नए वोटर्स भी शामिल हैं. 

क्या ऐसी तुलना जायज है?
अब सवाल ये उठता है कि जब इस बार मतदाताओं की कुल संख्या 2019 से ज्यादा है, तो दोनों चुनावों के आंकड़ों की तुलना के आधार पर कम वोटिंग % की बात कहना क्या जायज है? इसे एक उदाहरण के तौर पर समझते हैं. मान लीजिए की पिछले चुनाव में 1 लाख पंजीकृत मतदाता थे और 50 प्रतिशत मतदान हुआ. इस बार 2 लाख मतदाता हैं और 48 प्रतिशत मतदान हुआ, तो क्या उसे पहले से कम वोटिंग प्रतिशत कहा जा सकता है? कुल मतदाताओं के हिसाब से मतदान का प्रतिशत कम या ज्यादा हो सकता है, लेकिन इसे 2019 की तुलना में कम नहीं कहा जा सकता. 

बरकरार रहेगा सूरज का सितम  
वहीं, मौसम की बात करें तो उसका मिजाज अभी तल्ख ही रहने वाला है. मौसम विभाग के अनुसार, अप्रैल से जून तक देश के अधिकांश हिस्सों में तापमान सामान्य से अधिक रह सकता है. लोकसभा चुनाव के सात में से अभी 2 चरण पूरे हुए हैं. अब 7 मई, 13 मई, 20 मई, 25 मई और 1 जून को बाकी के चरणों के लिए वोट डाले जाएंगे. इस दौरान देश के अधिकतर हिस्सों में प्रचंड गर्मी का असर देखने को मिलेगा और लू भी चलती रहेगी. एक रिपोर्ट बताती है कि लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार अवधि के दौरान, करीब 72% निर्वाचन क्षेत्रों में अधिकतम तापमान 35°C या इससे ज्यादा रह सकता है.


Happy Birthday :BJP की सबसे अमीर महिला मंत्री हैं मीनाक्षी लेखी? जानिए कितनी है संपत्ति?

मंगलवार यानी 28 अप्रैल को सांसद व विदेश और संस्कृति राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी का जन्मदिन है. मीनाक्षी लेखी के पास करोड़ों की संपत्ति है. 

Last Modified:
Tuesday, 30 April, 2024
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भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने लोकसभा चुनाव 2024 में अपने कई मौजूदा सांसदों का टिकट काटा है, जिसमें एक नाम लोकसभा सांसद और कैबिनेट की मंत्री मीनाक्षी लेखी (Meenakshi Lekhi) का भी है.  मीनाक्षी लेखी की जगह इस बार बांसुरी स्वराज (सुषमा स्वराज की बेटी) को नई दिल्ली सीट से उम्मीदवार बनाया है. बावजूद इसके  मीनाक्षी लेखी दिल्ली में पार्टी के लिए जोरों-शोरों से प्रचार-प्रासर कर रही हैं. आपको बता दें, आज यानी 30 अप्रैल को मीनाक्षी लेखी का जन्मदिन है. तो चलिए आज इस खास मौके पर हम जानते हैं कि मीनाक्षी लेखी कितनी संपत्ति की मालकिन हैं?

भाजपा की सबसे अमीर महिला मंत्री
30 अप्रैल 1967 को दिल्ली में जन्मी मीनाक्षी लेखी वर्तमान में सांसद व विदेश और संस्कृति राज्य मंत्री हैं. वह भाजपा की ओर से लोकसभा में दो बार नई दिल्ली संसदीय क्षेत्र से सांसद भी रह चुकी हैं. मीनाक्षी लेखी अपनी संपत्ति को लेकर भी चर्चाओं में रहती हैं, क्योंकि ये केंद्र सरकार के कैबिनेट की सबसे अमीर महिला मंत्री हैं. कैबिनेट में निर्माला सीतारमण, अनुप्रिया पटेल, स्मृति ईरानी समेत जितनी भी महिला मंत्री हैं, उनमें सबसे ज्यादा संपत्ति मीनाक्षी लेखी के पास है. मीनाक्षी लेखी ना सिर्फ महिलाओं में बल्कि केंद्र सरकार के टॉप-10 दौलतमंद मंत्रियों में भी शामिल हैं. वहीं, मीनाक्षी लेखी सुप्रीम कोर्ट की वकील भी हैं. उनके पति अमन लेखी (Aman Lekhi) भी देश के दिग्गज वकील हैं और सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस करते हैं. अमन लेखी भारत के पूर्व अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल भी रह चुके हैं. उनकी गिनती देश के सबसे महंगे वकीलों में भी होती है. 

करोड़ों की संपत्ति, लाखों में निवेश  
चुनावी हलफनामे के अनुसार मीनाक्षी लेखी की कुल संपत्ति 36 करोड़ रुपये है. इसमें चल और अचल संपत्ति दोनों शामिल है. मीनाक्षी लेखी और उनके पति अमन लेखी के अलग-अलग बैंक खातों में लगभग 3 करोड़ रुपये जमा हैं. मीनाक्षी लेखी ने कंपनियों में बांड, डिबेंचर और शेयर में 6 लाख रुपये निवेश किए हुए हैं. इसके अलावा एलआईसी या अन्य बीमा पॉलिसियों में 76 लाख रुपये से ज्यादा निवेश किए हैं. मीनाक्षी लेखी के नाम पर कोई कार नहीं है, लेकिन उन्होंने अपने पति अमन लेखी के 6 वाहनों का जिक्र किया है, जिसकी कुल कीमत 2 करोड़ रुपये है.

आलीशान घर, लाखों के गहने
मीनाक्षी का दिल्ली के साउथ एक्सटेंशन में एक आलीशान घर है, जिसकी कीमत 22 करोड़ रुपये है. वहीं, 1 करोड़ रुपये की कीमत का एक अपार्टमेंट भी है. वहीं, दिल्ली में इनके दो और फ्लैट हैं, जिनकी कीमत 4 करोड़ रुपये है. मीनाक्षी लेखी के पास 49 लाख और अमन लेखी के पास 25 लाख के गहने हैं. कुल मिलाकर उनके परिवार के पास सोने व चांदी के 81 लाख रुपये के गहने हैं. मीनाक्षी के पति के पास लगभग डेढ़ करोड़ रुपये का कमर्शियल स्पेस है. 


Rajnath Singh से ज्यादा अमीर हैं Smriti Irani, पिछले 5 साल में इतनी बढ़ी दोनों की संपत्ति

लोकसभा चुनाव के 5वें चरण के लिए होने वाले मतदान के लिए प्रत्याशियों ने अपना नामांकन दाखिल करना शुरू कर दिया है. बीजेपी के दिग्गज राजनाथ सिंह, स्मृति ईरानी ने भी नामांकन दाखिल किया.

Last Modified:
Tuesday, 30 April, 2024
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भाजपा के दो बड़े दिग्गज नेताओं ने अपनी-अपनी सीट से नामांकन किया. इनमें एक तो रक्षामंत्री राजनाथ सिंह हैं, जिन्होंने लखनऊ से पर्चा भरा. वहीं, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने अमेठी सीट से नामांकन दाखिल किया. दोनों नेताओं ने हलफनामे में अपनी-अपनी संपत्ति का खुलासा किया है. हलफनामे से पता चलता है कि स्मृति ईरानी रक्षामंत्री राजनाथ सिंह से ज्यादा अमीर हैं. स्मृति के पास 8.75 करोड़ की प्रॉपर्टी है तो रक्षामंत्री 6.46 करोड़ की संपत्ति के मालिक हैं. दोनों की संपत्ति बीते 5 साल में डेढ़ गुना बढ़ी है.

2.04 करोड़ बढ़ी राजनाथ सिंह की प्रॉपर्टी 

लखनऊ सीट भाजपा का गढ़ है. कभी यहां पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी चुने जाते थे. इसके बाद राजनाथ सिंह ने उनकी विरासत को संभाला, राजनाथ सिंह लगातार तीसरी बार लखनऊ सीट से बीजेपी के उम्मीदवार हैं. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के हलफनामे के अनुसार उनकी संपत्ति 6.46 करोड़ है. 2019 में रक्षा मंत्री की संपत्ति 4.42 करोड़ थी. इस तरह उनकी संपत्ति में 2.04 करोड़ का इजाफा हुआ है. खास बात ये है कि राजनाथ सिंह के पास में कोई भी वाहन नहीं है.

राजनाथ सिंह के अकाउंट्स में 3 करोड़ 11 लाख

रक्षा मंत्री ने साल बीतने के साथ टैक्स भी ज्यादा चुकता किया है. 2018-19 में 17 लाख, 2020-21 में करीब 20 लाख, 2021-22 में 18 लाख, 2022-23 में 22 लाख का टैक्स भरा है. खास बात है कि राजनाथ पर किसी तरह का कोई कर्ज नहीं है. रक्षा मंत्री के पास 1 करोड़ से 47 लाख रुपए की कृषि योग्य जमीन है. उनके पास 32 बोर की एक रिवाल्वर और दोनाली बंदूक है. उन्होंने लखनऊ और दिल्ली के अलग-अलग बैंक अकाउंट्स में कुल 3,11,32,962 रुपए जमा कर रखे हैं. उनकी पत्नी के बैंक अकाउंट्स में 90,71,074 रुपए हैं. रक्षा मंत्री के पास 8 लाख रुपए गोल्ड है. जबकि पत्नी के पास करीब 60 लाख के गहने हैं. 

इतनी बढ़ी स्मृति ईरानी की संपत्ति

अमेठी लोकसभा सीट से लगातार तीसरी बार स्मृति ईरानी ताल ठोक रहीं हैं. नामांकन पत्र के साथ दाखिल एफिडेविट के अनुसार स्मृति ईरानी की संपत्ति पिछले लोकसभा चुनाव से बढ़ गई है. लोकसभा चुनाव 2019 में स्मृति ईरानी के पूरे परिवार की कुल संपत्ति लगभग 11 करोड़ थी तो वहीं अब यह संपत्ति लगभग 17 करोड़ से अधिक हो गई है. इसमें 8 करोड़ 75 लाख 24 हजार स्मृति ईरानी के पास और उनके पति जुबिन ईरानी के पास कुल 8 करोड़ 81 लाख 77 हजार की संपत्ति है.

स्मृति ईरानी ने 5 साल में भरा इतना टैक्स

केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के पास 1,08,740 रुपए नकदी है, जबकि पति जुबिन ईरानी के पास 3,21,700 नगदी है. स्मृति के बैंक खातों में 25,48,497 रुपये जमा है और उनके पति के बैंक खातों में 39,49,898 राशि जमा है. स्मृति ईरानी ने अपने हलफनामे में पिछले पांच वित्तीय वर्षों के आयकर रिटर्न का खुलासा किया है. ईरानी ने वित्तीय वर्ष 2022-23 में 97,87,487 रुपए आयकर रिटर्न भरा है. वहीं, 2021-22 में 96,65,665, 2020-21 में 65,57,208, 2019-20 में 83,04,839 और 2018-19 में 61,33,665 टैक्स चुकाया है.

ईरानी पर 16.55 लाख का कर्ज

स्मृति ईरानी पर 16.55 लाख का कर्ज है. हालांकि उनके पति ने कोई कर्ज नहीं लिया है. 2019 में स्मृति के ऊपर किसी तरह का लोन नहीं था. स्मृति ईरानी के पास 27 लाख 86 हजार रुपए की कार है. पति के पास मौजूद कार की कीमत 4 लाख 70 हजार 172 रुपए है. स्मृति ईरानी के पास 37 लाख 48 हजार 440 रुपए के गहने हैं, और उनके पति के पास 1 लाख 5 हजार का गोल्ड है.