Rajnath Singh से ज्यादा अमीर हैं Smriti Irani, पिछले 5 साल में इतनी बढ़ी दोनों की संपत्ति

लोकसभा चुनाव के 5वें चरण के लिए होने वाले मतदान के लिए प्रत्याशियों ने अपना नामांकन दाखिल करना शुरू कर दिया है. बीजेपी के दिग्गज राजनाथ सिंह, स्मृति ईरानी ने भी नामांकन दाखिल किया.

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Tuesday, 30 April, 2024
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भाजपा के दो बड़े दिग्गज नेताओं ने अपनी-अपनी सीट से नामांकन किया. इनमें एक तो रक्षामंत्री राजनाथ सिंह हैं, जिन्होंने लखनऊ से पर्चा भरा. वहीं, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने अमेठी सीट से नामांकन दाखिल किया. दोनों नेताओं ने हलफनामे में अपनी-अपनी संपत्ति का खुलासा किया है. हलफनामे से पता चलता है कि स्मृति ईरानी रक्षामंत्री राजनाथ सिंह से ज्यादा अमीर हैं. स्मृति के पास 8.75 करोड़ की प्रॉपर्टी है तो रक्षामंत्री 6.46 करोड़ की संपत्ति के मालिक हैं. दोनों की संपत्ति बीते 5 साल में डेढ़ गुना बढ़ी है.

2.04 करोड़ बढ़ी राजनाथ सिंह की प्रॉपर्टी 

लखनऊ सीट भाजपा का गढ़ है. कभी यहां पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी चुने जाते थे. इसके बाद राजनाथ सिंह ने उनकी विरासत को संभाला, राजनाथ सिंह लगातार तीसरी बार लखनऊ सीट से बीजेपी के उम्मीदवार हैं. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के हलफनामे के अनुसार उनकी संपत्ति 6.46 करोड़ है. 2019 में रक्षा मंत्री की संपत्ति 4.42 करोड़ थी. इस तरह उनकी संपत्ति में 2.04 करोड़ का इजाफा हुआ है. खास बात ये है कि राजनाथ सिंह के पास में कोई भी वाहन नहीं है.

राजनाथ सिंह के अकाउंट्स में 3 करोड़ 11 लाख

रक्षा मंत्री ने साल बीतने के साथ टैक्स भी ज्यादा चुकता किया है. 2018-19 में 17 लाख, 2020-21 में करीब 20 लाख, 2021-22 में 18 लाख, 2022-23 में 22 लाख का टैक्स भरा है. खास बात है कि राजनाथ पर किसी तरह का कोई कर्ज नहीं है. रक्षा मंत्री के पास 1 करोड़ से 47 लाख रुपए की कृषि योग्य जमीन है. उनके पास 32 बोर की एक रिवाल्वर और दोनाली बंदूक है. उन्होंने लखनऊ और दिल्ली के अलग-अलग बैंक अकाउंट्स में कुल 3,11,32,962 रुपए जमा कर रखे हैं. उनकी पत्नी के बैंक अकाउंट्स में 90,71,074 रुपए हैं. रक्षा मंत्री के पास 8 लाख रुपए गोल्ड है. जबकि पत्नी के पास करीब 60 लाख के गहने हैं. 

इतनी बढ़ी स्मृति ईरानी की संपत्ति

अमेठी लोकसभा सीट से लगातार तीसरी बार स्मृति ईरानी ताल ठोक रहीं हैं. नामांकन पत्र के साथ दाखिल एफिडेविट के अनुसार स्मृति ईरानी की संपत्ति पिछले लोकसभा चुनाव से बढ़ गई है. लोकसभा चुनाव 2019 में स्मृति ईरानी के पूरे परिवार की कुल संपत्ति लगभग 11 करोड़ थी तो वहीं अब यह संपत्ति लगभग 17 करोड़ से अधिक हो गई है. इसमें 8 करोड़ 75 लाख 24 हजार स्मृति ईरानी के पास और उनके पति जुबिन ईरानी के पास कुल 8 करोड़ 81 लाख 77 हजार की संपत्ति है.

स्मृति ईरानी ने 5 साल में भरा इतना टैक्स

केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के पास 1,08,740 रुपए नकदी है, जबकि पति जुबिन ईरानी के पास 3,21,700 नगदी है. स्मृति के बैंक खातों में 25,48,497 रुपये जमा है और उनके पति के बैंक खातों में 39,49,898 राशि जमा है. स्मृति ईरानी ने अपने हलफनामे में पिछले पांच वित्तीय वर्षों के आयकर रिटर्न का खुलासा किया है. ईरानी ने वित्तीय वर्ष 2022-23 में 97,87,487 रुपए आयकर रिटर्न भरा है. वहीं, 2021-22 में 96,65,665, 2020-21 में 65,57,208, 2019-20 में 83,04,839 और 2018-19 में 61,33,665 टैक्स चुकाया है.

ईरानी पर 16.55 लाख का कर्ज

स्मृति ईरानी पर 16.55 लाख का कर्ज है. हालांकि उनके पति ने कोई कर्ज नहीं लिया है. 2019 में स्मृति के ऊपर किसी तरह का लोन नहीं था. स्मृति ईरानी के पास 27 लाख 86 हजार रुपए की कार है. पति के पास मौजूद कार की कीमत 4 लाख 70 हजार 172 रुपए है. स्मृति ईरानी के पास 37 लाख 48 हजार 440 रुपए के गहने हैं, और उनके पति के पास 1 लाख 5 हजार का गोल्ड है.
 


72 साल की उम्र में मार्क्सवादी नेता Sitaram Yechury का निधन, जानिए कैसा था इनका राजनीतिक सफर?

Communist Party of India के वरिष्ठ नेता व पूर्व राज्यसभा सांसद Sitaram Yechury का 72 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है.

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो by
Published - Thursday, 12 September, 2024
Last Modified:
Thursday, 12 September, 2024
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भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (Communist Party of India) के वरिष्ठ नेता व पूर्व राज्यसभा सांसद सीताराम येचुरी (Sitaram Yechury) का 72 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. जानकारी के अनुसार सीताराम येचुरी दिल्ली एम्स में भर्ती थे. लंबे समय से वह वेंटीलेटर पर ही थे और पार्टी ने मंगलवार यानी 12 सितंबर को उनकी मृत्यु की सूचना दी है. सीताराम येचुरी ने हाल ही में मोतियाबिंद की सर्जरी भी करवाई थी. जेएनयू के छात्र से लेकर मार्क्सवादी नेता बनने तक सीताराम येचुरी का राजनीति सफर पूरे 50 वर्ष का रहा है. 

निमोनिया का चल रहा था इलाज

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सीताराम येचुरी का निधन दोपहर 3.05 बजे हुआ. येचुरी को निमोनिया जैसे सीने में संक्रमण के इलाज के लिए 19 अगस्त को दिल्ली एम्स में भर्ती कराया गया था. सीताराम येचुरी का जन्म 12 अगस्त 1952 को मद्रास (चेन्नई) में हुआ था. साल 1975 में बतौर छात्र नेता उन्होंने इमरजेंसी का विरोध किया था, जिसके लिए उन्हें जेल भी जाना पड़ा था.

सीताराम येचुरी की जिंदगी पर एक नजर

सीताराम येचुरी का जन्म 12 अगस्त 1952 को मद्रास (चेन्नई) में हुआ था. उनके पिता सर्वेश्वर सोमयाजुला येचुरी आंध्र प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम में इंजीनियर थे. वहीं, उनकी मां कल्पकम येचुरी एक सरकारी अधिकारी थीं. उन्होंने दसवीं कक्षा तक हैदराबाद में पढ़ाई की. इसके बाद उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए दिल्ली आए, यहां उन्होंने प्रेसिडेंट्स एस्टेट स्कूल नई दिल्ली में दाखिला लिया. इसके बाद उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU) के सेंट स्टीफन कॉलेज से अर्थशास्त्र में बीए (ऑनर्स) की पढ़ाई की और फिर जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) से एमए अर्थशास्त्र किया.

इमरजेंसी के विरोध में जेल भी गए

येचुरी भारतीय वामपंथी राजनीति के एक प्रमुख चेहरे थे, जिन्होंने आपातकाल का जमकर विरोध किया और उसके लिए वो जेल भी गए. सीताराम येचुरी साल 1974 में स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) में शामिल हुए. वह साल 1975 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) से जुड़े थे. आपातकाल के बाद वह एक साल में 1977-78 में तीन बार जेएनयू छात्रसंघ के अध्यक्ष चुने गए थे. सीताराम येचुरी एसएफआई के ऐसे पहले अध्यक्ष थे, जो केरल या बंगाल से नहीं थे. वह 1984 में सीपीआई-एम की केंद्रीय समिति के लिए चयनित हुए. साल 1986 में उन्होंने एसएफआई छोड़ दी.

लगातार तीन सीपीआई-एम के महासचिव रहे
इसके बाद सीताराम येचुरी 1992 में 14वीं कांग्रेस में पोलित ब्यूरो के लिए चुने गए. जुलाई, 2005 में पश्चिम बंगाल से राज्यसभा के लिए चुनकर संसद पहुंचे. येचुरी को 19 अप्रैल 2015 को सीपीआई-एम CPI(M) का पांचवां महासचिव बनाया गया. अप्रैल 2018 में उन्हें फिर से पार्टी का महासचिव चुना गया. अप्रैल 2022 में येचुरी लगातार तीसरी बार सीपीआई एम के महासचिव बने थे.

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राहुल गांधी ने जताया दुख

सीताराम येचुरी के निधन पर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने दुख प्रकट किया है. राहुल गांधी ने X पर पोस्ट किया कि सीताराम येचुरी जी मेरे मित्र थे. भारत के विचार के रक्षक और हमारे देश की गहरी समझ रखने वाले थे. मुझे हमारी लंबी चर्चाएं याद आएंगी. दुख की इस घड़ी में उनके परिवार, मित्रों और अनुयायियों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदना.

सीएम ममता बैनर्जी ने भी जताया दुख

पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने येचुरी के निधन पर दुख प्रकट करते हुए कहा, जानकर दुख हुआ कि सीताराम येचुरी का निधन हो गया है. वे एक अनुभवी सांसद थे और उनका निधन राष्ट्रीय राजनीति के लिए एक क्षति है. मैं उनके परिवार, मित्रों और सहकर्मियों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करती हूं.

 


सोशल मीडिया पर किरकिरी होने के बाद कन्हैया मित्तल ने मांगी माफी, अब नहीं होंगे कांग्रेस में शामिल

सोशल मीडिया पर नेगेटिव कमेंट्स मिलने के बाद भजन गायक Kanhaiya Mittal ने एक वीडियो शेयर करके कहा है कि वह अब कांग्रेस पार्टी ज्वाइन नहीं करेंगे. 

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो by
Published - Tuesday, 10 September, 2024
Last Modified:
Tuesday, 10 September, 2024
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हरियाणा में विधानसभा चुनाव की हलचल के बीच अचानक से कन्हैया मित्तल (Kanhaiya Mittal) का नाम चर्चा में आ गया है. बता दें, कन्हैया मित्तल वो शख्सियत हैं, जिन्होंने ‘जो राम को लाएं हैं हम उनको लाएंगे’ गाना गाकर पूरे देश में राम भक्ति का जोश जगा दिया था. साल 2022 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले उनका ये गीत सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुआ था. वहीं, अब उनका एक ऐसा वीडिया वायरल हो रहा है, जिसमें वह कहते नजर आएं कि वह कांग्रेस पार्टी ज्वाइन कर सकते हैं. इस वीडिया के बाद उन्हें अपने सनातनी फैंस सहित सभी राम भक्तों के गुस्से का शिकार होना पड़ा. ऐसे में अब उनका एक और वीडियो सामने आया है, जिसमें उन्होंने अपने सनातनी फैंस से माफी मांगते हुए कांग्रेस पार्टी ज्वाइन न करने की बात कही है. तो आइए जानते हैं उन्होंने वीडियो में क्या कहा है?   

वीडियो में कन्हैया मित्तल ने कही ये बात
कन्हैया मित्तल का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें उन्होंने कहा था कि मैंने कभी भाजपा ज्वाइन नहीं की. भाजपा के लोग मुझे गाना 'जो राम को लाए हैं' गाने के लिए बुलाते थे और मैं गाता भी था. उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ मेरे गुरु हैं और हमेशा रहेंगे जिस प्रकार एक मां के दो बेटे अलग-अलग राजनीतिक दल में हो सकते हैं तो एक गुरु और शिष्य क्यों नहीं. हालांकि इसके बाद मंगलवार यानी 10 सितंबर को फिर उन्होंने सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट किया. वीडियों में उन्होंने कहा कि वह कांग्रेस नहीं ज्वाइन करेंगे. पिछले दो दिनों से मुझे यह अहसास हुआ कि मेरे सभी सनातनी भाई-बहन व भाजपा का शीर्ष नेतृत्व मुझे बहुत प्यार करता है.

कन्हैया मित्तल ने राम भक्तों से मांगी माफी
कन्हैया मित्तल ने वीडिया में अपने सनातनी फैंस को संबोधित करते हुए कहा कि आप सभी परेशान हैं उसके लिए मै क्षमा चाहता हूं और जो मैंने मन की बात कल कही थी कि मैं कांग्रेस ज्वाइन करने वाला हूं, उसे मैं वापस लेता हूं, क्योंकि मैं नहीं चाहता किसी भी सनातनी भाई-बहन का भरोसा टूटे. आज मैं टूटा तो कल कई टूटेंगे. हम सब राम के थे राम के हैं और राम के रहेंगे और मैंने आपको डिस्टर्ब किया उसके लिए मैं पुन: आप सभी से क्षमा प्रार्थी हूं. गलती अपना करता है तो तंग भी अपने ही होते हैं. इसके लिए मैं आप सभी से क्षमा चाहता हूं. साथ ही एक बार पुन:भाजपा के शीर्ष नेतृत्व का धन्यवाद करता हूं.

इन सीटों पर थी कन्हैया की नजर
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कन्हैया मित्तल की नजर अंबाला शहर और पंचकूला विधानसभा सीट पर है. कहीं ना कहीं उन्हें कांग्रेस की तरफ से टिकट देने का भरोसा दिया गया था. भारतीय जनता पार्टी ने पंचकूला विधानसभा सीट से स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता को मैदान में उतारा है. 

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अजित पवार को यूं ही नहीं हो रहा है गलती का अहसास, सियासी हित हैं वजह

अजित पवार ने अपने चाचा को झटका देते हुए भाजपा की महायुति सरकार को समर्थन दिया था. लेकिन लोकसभा चुनाव के बाद सारे समीकरण बदल गये हैं

Last Modified:
Tuesday, 13 August, 2024
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महाराष्ट्र में इसी साल विधानसभा चुनाव होना है. इससे पहले बड़ी सियासी उथल-पुथल देखने को मिल सकती है. संभव है कि चाचा की पार्टी तोड़ने वाले अजित पवार 'कमल' छोड़कर वापस चाचा के पास लौट जाएं. पिछले कुछ समय में वह लगातार ऐसे संकेत दे रहे हैं. मंगलवार को उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में बहन के खिलाफ पत्नी को चुनाव लड़ाना मेरी गलती थी और मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था. 

पत्नी को मिली थी हार
महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजित पवार ने कहा कि मैं अपनी सभी बहनों से प्यार करता हूं. मुझे सुप्रिया सुले के खिलाफ अपनी पत्नी को चुनाव नहीं लड़वाना चाहिए था. बता दें कि बारामती लोकसभा सीट से शरद पवार गुट की NCP उम्मीदवार सुप्रिया सुले ने चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी. जबकि अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार को यहां शिकस्त का सामना करना पड़ा. 

जन सम्मान यात्रा
लोकसभा चुनाव में अजित पवार की एनसीपी को मात्र एक सीट पर जीत मिली. पवार के लिए सबसे बड़ा झटका ये रहा कि जिस बारामती विधानसभा क्षेत्र से वह पिछले 33 साल से विधायक हैं. वहां पार्टी का प्रदर्शन सबसे खराब रहा. अजित पवार इस समय राज्यव्यापी 'जन सम्मान यात्रा' पर निकले हैं. इस दौरान उन्होंने कहा कि राजनीति को घर के भीतर नहीं आने देना चाहिए. मैं अपनी सभी बहनों से प्यार करता हूं. मैंने अपनी बहन के खिलाफ सुनेत्रा को चुनावी मैदान में उतारकर गलती की. अब मुझे लगता है कि यह एक गलत फैसला था.

जनता में है नाराज़गी 
अजित पवार को अपनी गलती का अहसास ऐसे ही नहीं हुआ है. वह अच्छे से जानते हैं कि पार्टी तोड़ने और बारामती से शरद पवार को चुनौती देने से जनता में उनके प्रति नाराज़गी है. वैसे, तो बारामती शरद पवार का गढ़ रहा है, लेकिन इस बार सुप्रिया सुले की जीत में सहानुभूति वाली वोटों में भी अहम् भूमिका निभाई है. लोगों ने अजित पवार को झटका देने के लिए उनकी पत्नी के खिलाफ मतदान किया. 

भविष्य स्पष्ट नहीं
अजित के सामने सबसे बड़ी चुनौती ये है कि उनका भविष्य स्पष्ट नहीं है. भाजपा में यह मांग उठ रही है कि पार्टी को विधानसभा चुनाव में अजित पवार से नाता तोड़ लेना चाहिए. BJP के कुछ नेता लोकसभा चुनाव में पार्टी के कमजोर प्रदर्शन के लिए भी अजित को कुसूरवार ठहरा रहे हैं. ऑर्गनाइजर में प्रकाशित लेख में कहा गया था कि अजित के साथ गठबंधन से भाजपा की ब्रैंड वैल्यू कम हुई है. क्योंकि अजित के आने से पार्टी भ्रष्टाचार के मोर्चे पर मुखर नहीं हो पाई. कुछ रिपोर्ट्स में यह दावा भी किया गया है कि RSS अजित और भाजपा गठजोड़ से नाराज था. इसी वजह से संघ का एक बड़ा कैडर लोकसभा चुनाव में प्रचार के लिए नहीं निकला. 

बैलेंस बनाने की कोशिश
यदि भाजपा अजित से नाता तोड़ लेती है, तो अपने दम पर उनके लिए मजबूती से खड़े रहने लायक सीटें जीतना भी मुश्किल हो जाएगा. इसलिए अजित चाचा की तरफ झुकाव के संकेत देकर बैलेंस बनाने के कोशिश कर रहे हैं. यदि भाजपा के साथ बात बिगड़ती है, तो वो इसी गलती के अहसास की बदौलत चाचा के खेमे में वापस लौट सकते हैं. 


बांग्लादेश में तख्तापलट, सेना बनाएगी सरकार, शेख हसीना ने देश छोड़ा

बांग्लादेश में भीषण हिंसा भड़क चुकी है और हालात बेकाबू हो चुके हैं. प्रदर्शनकारियों ने पीएम आवास में घुसकर सरकारी संपत्तियों को भी आग के हवाले कर दिया है.

Last Modified:
Monday, 05 August, 2024
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भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश में तख्तापलट हो गया है. ऐसे में वहां से हालात बेकाबू हो गए हैं. प्रदर्शनकारी पीएम आवास में घुस गए हैं और खूब हंगामा कर रहे हैं. एक ओर खबर  रही है कि बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना अपने पद से इस्तीफा देकर भारत के लिए रवाना हो चुकी हैं. दूसरी ओर बांग्लादेश से सामने आए वीडियो में प्रदर्शनकारी बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान की मूर्ति पर चढ़कर उसे तोड़ते हुए नजर आ रहे हैं. इतना ही नही प्रदर्शनकारी इतने उग्र हो चुके हैं कि उन्होंने बांग्लादेश के राष्ट्रपिता बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान की मूर्ति पर चढ़कर हथौड़े भी चलाए. 

बांग्लादेश में हालात हुए बेकाबू
बांग्लादेश में छात्र नेताओं ने प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांग करते हुए सोमवार को राजधानी ढाका तक लॉन्ग मार्च निकाल. इस दौरान देश में हिंसा भड़क गई और हालात बेकाबू हो गए. वहीं, अब बांग्लादेश से भीषण आगजनी और हिंसा के बीच खबर आ रही है कि बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस्तीफा दे दिया है और हेलिकॉप्टर से देश छोड़ दिया है. इस बीच सामने आए वीडियो में प्रदर्शनकारी बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान की मूर्ति पर चढ़कर उसे तोड़ते हुए नजर आ रहे हैं. उन्होंने बांग्लादेश के राष्ट्रपिता बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान की मूर्ति पर चढ़कर हथौड़े चलाए. देशव्यापी कर्फ्यू को दरकिनार कर हजारों  की संख्या में प्रदर्शनकारी लॉन्ग मार्च के लिए ढाका के शाहबाग चौराहे पर इकट्ठा हुए हैं. इससे पहले रविवार को हुई हिंसा में 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. 

प्रदर्शनकारियों ने सरकारी संपत्ति को लगाई आग
5 अगस्त की सुबह बंग्लादेश के अलग-अलग इलाकों में देशव्यापी कर्फ्यू को दरकिनार करते हुए प्रदर्शनकारी इकट्ठा हुए और शेख हसीना के इस्तीफे की मांग को लेकर सड़कों पर उग्र प्रदर्शन शुरू कर दिया. इस दौरान प्रदर्शनकारियों और सत्तारूढ़ पार्टी के समर्थकोंके बीच झड़पें शुरू हो गईं. प्रदर्शन ने इतना उग्र रूप ले लिया कि पुलिस और छात्रों के बीच भी हिंसा भड़क उठी. सुरक्षा बलों ने हिंसक भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले और स्टन ग्रेनेड दागे. इस हिंसा में कई पुलिसकर्मियों की भी मौत हो गई. प्रदर्शनकारी इतने उग्र हो गए कि वो पीएम हाउस के भीतर घुस गए और सरकारी संपत्तियों को आग के हवाले कर दिया.

अब सेना बनाएगी सरकार
हिंसा के बीच बांग्लादेश के आर्मी चीफ जनरल वकार-उज-जमान ने प्रेस कान्फ्रेंस कर लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है. उन्होंने देश के लोगों से कहा है कि आपकी मांगें हम पूरी करेंगे. तोड़ फोड़ से दूर रहिये. आप लोग हमारे साथ चलेंगे तो हम स्थिति बदल देंगे. मारपीट और अराजकता से दूर रहिए. हमने आज सभी पार्टी नेताओं से बात की है. उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में सेना अंतरिम सरकार बनाएगी. 

क्यों बिगड़े बांग्लादेश के हालात? 
दरअसल, शेख हसीना सरकार ने हाल ही में जमात-ए-इस्लामी, इसकी छात्र शाखा और इससे जुड़े अन्य संगठनों पर प्रतिबंध लगा दिया था. यह कदम बांग्लादेश में कई सप्ताह तक चले हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बाद उठाया गया था. कहा जा रहा है कि सरकार की इस कार्रवाई के बाद ये संगठन शेख हसीना सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतर आए हैं. 

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प्रदर्शनकारियों की ये थी मांग
बांग्लादेश में आरक्षण के मुद्दे को लेकर कई बार हिंसा भड़क चुकी है. प्रदर्शनकारियों की मांग थी कि 1971 के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के परिजनों के लिए 30 प्रतिशत सरकारी नौकरियों को आरक्षित करने वाली कोटा प्रणाली को समाप्त किया जाए. पहले जब हिंसा भड़की थी तब कोर्ट ने कोटे की सीमा को घटा दिया था, लेकिन हिंसा नहीं थमी और अब प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर आए हैं और हिंसा करने पर ऊतारू हो गए हैं. 

सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म बंद करने के दिए आदेश
बांग्लादेश में भड़की हिंसा में अब तक 11,000 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. अधिकारियों ने दावा किया कि प्रदर्शनकारियों ने पुलिस स्टेशनों, सत्तारूढ़ पार्टी के कार्यालयों और उनके नेताओं के आवासों पर हमला किया और कई वाहनों को जला दिया है. सरकार ने मेटा प्लेटफॉर्म फेसबुक, मैसेंजर, व्हाट्सएप और इंस्टाग्राम को बंद करने का आदेश दिया है.


इस साल 500 अरब डॉलर को पार कर जाएगी महाराष्ट्र की अर्थव्यवस्था: CM फडणवीस

महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने कहा कि मुंबई में ट्रांस-हार्बर लिंक ब्रिज, तटीय सड़क परियोजना (The trans-harbour link bridge, coastal road project) पूरी होने वाली है. 

Last Modified:
Friday, 02 August, 2024
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महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री (Chief Minister) देवेन्द्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) ने सरकार के एक साल पूरे होने के अवसर पर दूरदर्शन के साथ एक साक्षात्कार में कहा है कि हम ट्रांस-हार्बर लिंक ब्रिज, तटीय सड़क परियोजना (The trans-harbour link bridge, coastal road project) के पूरा होने के करीब हैं. इसके अलावा मुंबई में मेट्रो की दो नई लाइनों पर भी पहले से ही काम किया जा रहा है. 

2031-32 तक एक ट्रिलियन अर्थव्यवस्था को हासिल कर लेगा महाराष्ट्र

फडणवीस ने दावा किया कि इस साल महाराष्ट्र की अर्थव्यवस्था 500 अरब अमेरिकी डॉलर को पार कर जाएगी. उन्होंने यह भी कहा कि राज्य 2031-32 तक एक ट्रिलियन अर्थव्यवस्था हो हासिल कर लेगा, लेकिन हम इसे उससे पहले यानी 2028 तक हासिल करना चाहते हैं.

वित्त वर्ष 2023 में राज्य की GDP की अनुमानित वृद्धि 7 प्रतिशत

आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार वित्त वर्ष 2023 के लिए महाराष्ट्र की अर्थव्यवस्था में 6.8 प्रतिशत की वृद्धि होने का अनुमान लगाया गया था, जबकि इस वित्तीय वर्ष में देश की GDP के लिए 7 प्रतिशत की बढ़ोतरी का अनुमान लगाया गया था. वहीं, राज्य में कृषि और इससे जुड़े दूसरे क्षेत्रों में 10.2 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाया गया था, जबकि उद्योग क्षेत्र में  6.1 प्रतिशत और सर्विस में 6.4 प्रतिशत की वृद्धि होने का अनुमान लगाया गया था. प्रारंभिक अनुमानों के अनुसार, 2022-23 के लिए नाममात्र (मौजूदा कीमतों पर) सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) 35,27,084 करोड़ रुपये होने का अनुमान लगाया गया था. 

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ED ने सपा सांसद बाबू सिंह के खिलाफ की कड़ी कार्रवाई, लखनऊ में करोड़ो की जमीन हुई जब्त 

ED ने लखनऊ में सपा सांसद बाबू सिंह कुशवाहा की करोड़ो की जमीन को जब्त कर लिया है. बाबू सिंह के खिलाफ संपत्ति से अधिक आय सहित कई आपराधिक मामले दर्ज हैं.

Last Modified:
Friday, 02 August, 2024
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प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने उत्तर प्रदेश के जौनपुर से समाजवादी पार्टी (SP) के सांसद बाबू सिंह कुशवाहा के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है. शुक्रवार को ईडी की टीम ने बुलडोजर के साथ पहुंचकर बाबू सिंह की लखनऊ के कानपुर रोड पर स्थित करोड़ों की संपत्ति को जब्त कर लिया है. आपको बता दें, बाबू स‍िंह कुशवाहा के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज है. इसी मामले में ईडी की टीम ने ये कार्रवाई की है. बाबू सिंह इससे पहले एनआरएचएम केस में जेल भी जा चुके हैं. उनके ऊपर आय से अधिक संपत्ति सहित कई आपराधिक मामले दर्ज हैं. 

लोकसभा चुनाव में दर्ज की थी जीत
बाबू सिंह कुशवाहा लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा के कृपाशंकर सिंह को हराकर जौनपुर से सांसद बने. हालांकि, उनके खिलाफ लंबे समय से आय से अधिक संपत्ति का केस चल रहा है. इस केस में बाबू सिंह कुशवाहा पर ईडी का एक्शन चलता रहा है. बता दें, सपा सांसद बाबू सिंह कुशवाहा एनआरएचएम घोटाले में आरोपी रहे हैं. इसके अलावा प्रवर्तन न‍िदेशालय की टीम कुशवाहा पर चल रहे पीएमएलए केस में जांच कर रही है. जांच के बाद ईडी ने कुशवाहा की लखनऊ में स्थित जमीन को जब्त कर लिया है. इस जमीन की कीमत करोड़ों में बताई जा रही है.

बाबू सिंह के पास इतनी है संपत्ति
लोकसभा चुनाव के दौरान चुनाव आयोग को दायर किए गए चुनावी हलफनामे के अनुसार सांसद बाबू सिंह कुशवाहा के पास करीब 20 करोड़ रुपये की संपत्ति है. इसके अलावा उनके पास 2 करोड़ से अधिक देनदारियां भी है. उनके पास उत्तर प्रदेश में कई जगहों पर करोड़ों की संपत्ति हैं. 

8 आपराधिक मामलों में आरोप तय
सांसद बाबू सिंह कुशवाहा के खिलाफ अब तक 8 मामलों में आरोप तय हो चुके हैं. वहीं, आय से अधिक संपत्ति मामले में उनके खिलाफ लगातार एक्शन चल रहा है. बाबू सिंह कुशवाहा पर आय से अधिक संपत्ति मामला सामेत कई केस चल रहे हैं. उनके खिलाफ ईडी के साथ-साथ सीबीआई की भी जांच चल रही है. कांग्रेस सांसद ने चक्रव्यूह वाले बयान के बाद खुद के खिलाफ ईडी एक्शन की आशंका जताई थी. हालांकि, इंडिया गठबंधन के सांसद पर अब ईडी की गिरफ्त कसती दिख रही है.

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पूर्व उपराष्ट्रपति Kamala Harris का पूर्व राष्ट्रपति से मुकाबला, अमेरिका में रचने जा रहा इतिहास  

संयुक्त राज्य अमेरिका में 5 नवंबर 2024 को होने वाले राष्ट्रीय चुनाव में पूर्व उपराष्ट्रपति कमला हैरिस का मुकालबा पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से होगा. दोनों के बीच कड़ी टक्कर है.

Last Modified:
Wednesday, 31 July, 2024
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कैलिफोर्निया के बेवर्ली हिल्स में वह एक धूप भरी दोपहर थी. डोहेनी ड्राइव पर एक भारतीय रेस्तरां में मैंने खुद को एक गर्मजोशी भरे व्यक्ति के साथ बातचीत करते हुए पाया. उनका नाम कमला हैरिस (Kamala Harris) था. वो अफ्रीकी-अमेरिकी और भारतीय-अमेरिकी मूल की थी और सैन फ्रांसिस्को की जिला अटॉर्नी थी. उस दोपहर जब हमने भारतीय मनोरंजन उद्योग की अविश्वसनीय शक्ति` पर चर्चा की, तो मैंने कल्पना भी नहीं की थी कि वह किसी दिन अमेरिकी राष्ट्रपति पद के शिखर पर होंगी. भारतीय लेखक भुवन लाल ने कमला हैरिस के साथ मुलाकात का अपना एक संस्मरण साझा किया. लेखक ने कमला हैरिस के निजी जीवन और राजनीतिक सफर पर प्रकाश डाला है, तो आइए जानते हैं कैसा है कमला हैरिस का राजनीतिक सफर? 

मां भारतीय और पिता जमैका से थे
लेखक भुवन लाल ने बताया कि 1958 के अंत में दिल्ली विश्वविद्यालय के लेडी इरविन कॉलेज से गृह विज्ञान में स्नातक युवा कमला हैरिस की मां श्यामला गोपालन अपने सपनों को पूरा करने के लिए अमेरिका गई. उन्होंने शैक्षणिक वर्ष 1958-59 के लिए कैलिफोर्निया में यूसी बर्कले में हिलगार्ड छात्रवृत्ति प्राप्त की थी. वहां उनकी मुलाकात जमैका में पैदा हुए अर्थशास्त्री डोनाल्ड हैरिस से हुई. नागरिक अधिकार आंदोलन के दौरान उन्हें प्यार हो गया और 5 जुलाई 1963 को उन्होंने शादी कर ली. उनकी दो बेटियां हुई, जिनमें से एक कमला और माया थी. 

हर साल सर्दियों में कमला जाती थी चेन्नई
अपने शुरुआती वर्षों में कमला और माया अपनी मां की मातृभूमि से जुड़े रहने के लिए हर दूसरी सर्दियों में चेन्नई वापस चली जाती थीं. जहां वह अपने नाना भारतीय सिविल सेवक और पूर्व स्वतंत्रता सेनानी पिंगनाडु वेंकटरमन गोपालन के साथ समय बिताती थी. अपनी छुट्टियों के दौरान, कमला अपने दादाजी के साथ समुद्र तट पर टहलती थीं और वह और उनके दोस्त भारतीय लोकतंत्र, भ्रष्टाचार और उस समय के राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा करते थे.

ऐसे हुई करियर की शुरुआत

कमला ने मॉन्ट्रियल में हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी की और हेस्टिंग्स कॉलेज ऑफ लॉ के लॉ स्कूल से स्नातक होने के बाद 1990 में कैलिफोर्निया के ओकलैंड में अल्मेडा काउंटी डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी के कार्यालय में अपना शानदार करियर शुरू किया. इसके बाद सैन फ्रांसिस्को की पहली महिला जिला अटॉर्नी के रूप में चुना गया.जैसे-जैसे समय आगे बढ़ता गया, कमला का राजनीतिक सितारा बुलंद होने लगा. इस दौरान, लॉस एंजिल्स में एक यहूदी मूल के वकील डौग एम्हॉफ ने कमला को डेट करना शुरू किया और 22 अगस्त 2014 को तत्कालीन कैलिफोर्निया अटॉर्नी जनरल से शादी कर ली. 

अफ्रीकी-भारतीय मूल की पहली महिला उपराष्ट्रपति
22 अगस्त 2020 को डेमोक्रेटिक उम्मीदवार जो बिडेन ने कमला को उप-राष्ट्रपति पद के लिए चल रहे साथी के रूप में चुना था. एक और बड़ी सफलता हासिल करते हुए वह किसी प्रमुख पार्टी के टिकट पर चुनी जाने वाली पहली अफ्रीकी-अमेरिकी और भारतीय-अमेरिकी महिला बन गईं. नवंबर 2020 में कमला को अमेरिका के उपराष्ट्रपति के पद पर पदोन्नत किया गया. वह अवैध आप्रवासन और गर्भपात सहित प्रगतिशील सुधारों की मुखर समर्थक बनीं और उपराष्ट्रपति के रूप में साढ़े तीन साल में 17 विदेश यात्राएं कीं लेकिन आश्चर्यजनक रूप से वह भारत नहीं आईं.

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पहली बार कोई भातीय मूल का व्यक्ति राष्ट्रपति की दौड़ में शामिल
21 जुलाई 2024 को, 81 वर्षीय राष्ट्रपति बिडेन ने सत्ता छोड़ दी और उन्होंने 2024 के चुनाव के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में कमला हैरिस का समर्थन किया. इतिहास में पहली बार भारतीय मूल का कोई व्यक्ति अब अमेरिका में शीर्ष पद की दौड़ में है.

कमला हैरिस का ट्रंप से मुकाबला 
संयुक्त राज्य अमेरिका में 5 नवंबर 2024 को होने वाले राष्ट्रीय चुनाव में एक ओर पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप हैं. 13 जुलाई 2024 को उन पर हुए हत्या के प्रयास के बाद लोग उन्हें मसीहा के रूप में देख रहे हैं. अब उन्हें एक प्रभावशाली स्थिति में देखा जा रहा है और वह राष्ट्रपति के रूप में एक और कार्यकाल जीत सकते हैं. उनके पास महत्वपूर्ण अरबपतियों का समर्थन रिपब्लिकन पार्टी पर जबरदस्त पकड़ भी है. दूसरी ओर, कमला हैरिस जो अमेरिकी राजनीति के अपने लंबे करियर में पहले ही उपराष्ट्रपति जैसे महत्वपूर्ण पद पर रह चुकी हैं.  ट्रम्पमेनिया के खिलाफ खड़ी कमला के पास अधिक महिला-अनुकूल, प्रजनन अधिकार-केंद्रित अभियान होने की संभावना है. समान रूप से 2024 के चुनाव के लिए, चुनौती, हमेशा की तरह संयुक्त राज्य अमेरिका में स्विंग राज्यों को जीतने की होगी. ओवल ऑफिस का अगला अधिकारी अमेरिका और शेष विश्व के लिए महत्वपूर्ण है, जो भी होगा उसका नाम इतिहास में दर्ज होगा.

 


हाथ में एक सीट और सत्ता का ख्वाब, आखिर राज ठाकरे ने क्यों दिया एकला-चलो का नारा?

महाराष्ट्र में इसी साल होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियां तेज हो गई हैं. सियासी दल सीटों के गुणाभाग में जुटे हुए हैं.

नीरज नैयर by
Published - Friday, 26 July, 2024
Last Modified:
Friday, 26 July, 2024
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महाराष्ट्र को इसी साल विधानसभा चुनाव से गुजरना है. राज्य में इस समय भाजपा की अगुवाई वाली महायुति की सरकार है. भाजपा , एकनाथ शिंदे गुट की शिवसेना और अजित पवार गुट की एनसीपी सरकार का हिस्सा है. इस गठबंधन को लोकसभा चुनाव में बड़ा नुकसान उठाना पड़ा था. इसलिए विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा फूंक-फूंककर कदम आगे बढ़ा रही है. इस बीच, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) प्रमुख राज ठाकरे ने अपने दम पर चुनाव लड़ने का ऐलान करके सबको चौंका दिया है. उन्होंने साफ किया है कि मनसे राज्य की 288 विधानसभा सीटों में से 225 से 250 पर लड़ने के लिए तैयारी कर रही है. राज ठाकरे ने संभावित उम्मीदवारों की पहचान करने के लिए 5 नेताओं की एक टीम भी बनाई है.

ऐसा रहा है प्रदर्शन 
महाराष्ट्र की राजनीति में राज ठाकरे कोई बड़ा करिश्मा नहीं कर पाए हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में उन्हें केवल एक सीट मिली थी. लिहाजा, राज के 'एकला चलो' की घोषणा किसी को समझ नहीं आ रही है. विपक्ष भी ठाकरे के मजे ले रहा है. उद्धव ठाकरे गुट की शिवसेना के प्रवक्ता आनंद दुबे का कहना है कि मनसे एकमात्र विधायक के दम पर सत्ता में आने की इच्छुक है. लगता है कि पार्टी भ्रमित है और उसे स्पष्ट करना चाहिए कि वो असल में चाहती क्या है. बालासाहेब ठाकरे के निधन के बाद उद्धव और राज ठाकरे की राह अलग हो गई थी. राज ने 2006 में महाराष्ट्र नव निर्माण सेना (मनसे) नाम से अपनी पार्टी बनाई. 2009 में मनसे ने अपना पहला विधानसभा चुनाव लड़ा और 13 सीटों पर जीत हासिल की. लेकिन इसके बाद राज का 'सूर्य' अस्त हो गया. 2014 और 2019 में हुए चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा. 2019 में तो उसे केवल एक ही सीट नसीब हुई.

क्या स्थायी है ब्रेक?
राज ठाकरे ने लोकसभा चुनाव में बिना शर्त के PM मोदी को समर्थन दिया था. हालांकि, ये बात अलग है कि उनके पास समर्थन देने जैसा कुछ था. इस कदम को उनकी भाजपा से नजदीकी के तौर पर देखा गया. यह माना जा रहा था कि राज महायुति में शामिल होकर विधानसभा का चुनाव लड़ेंगे. क्योंकि इससे उनके ज्यादा सीटों पर प्रभाव छोड़ने की संभावना बनी रहेगी. महायुति में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकप्रियता की बदौलत महाराष्ट्र में भाजपा मजबूत हुई है. ऐसे में इस 'साथ' का कुछ न कुछ फायदा राज ठाकरे की मनसे को भी मिल सकता है. लेकिन ठाकरे ने इस संभावना पर खुद ही ब्रेक लगा दिया है. तो क्या इस 'ब्रेक' को स्थायी माना जाए? मौजूदा वक्त में सबसे बड़ा सवाल यही है.

रणनीति नंबर 1
मनसे प्रमुख के इस कदम के पीछे दो रणनीतियां हो सकती हैं. पहली, महायुति पर दबाव बनाना. राज ठाकरे को इल्म है कि भाजपा के नेतृत्व वाले इस गठबंधन का हिस्सा बनने से उन्हें कुछ लाभ मिल सकता है. ऐसे में अगर वो ज्यादा से ज्यादा सीटों पर लड़ते हैं, तो लाभ का प्रतिशत बढ़ने की संभावना भी बढ़ जाएगी. इसलिए वह 'एकला चलो' का नारा लगाकर  खुद को मोल-भाव की स्थिति में ला रहे हैं. और इसका शुरुआती असर दिखाई भी देने लगा है. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना के विधायक एवं प्रवक्ता संजय शिरसाट का कहना है कि मनसे को विधानसभा चुनाव महायुति के साथ मिलकर लड़ना चाहिए. अभी सीट बंटवारे पर अंतिम सहमति नहीं बनी है, जब बनेगी तो मनसे को भी प्रस्ताव दिया जाएगा.

रणनीति नंबर 2
ठाकरे की दूसरी रणनीति, लोकसभा चुनाव के परिणामों से प्रेरित हो सकती है. इस चुनाव में महाराष्ट्र के सियासी समीकरणों को बिगाड़ कर भाजपा का साथ देने वाली पार्टियों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है. एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे की शिवसेना में तोड़फोड़ की थी और अजित पवार अपने चाचा शरद पवार की पार्टी तोड़कर आए थे. चुनाव में अजित की NCP महज एक सीट जीत पाई. वहीं, एकनाथ शिंदे की पार्टी को 7 सीटों पर संतोष करना पड़ा. जबकि उद्धव ठाकरे की शिवसेना (UBT) को 9 सीटों पर जीत मिली और शरद पवार की एनसीपी ने भी अच्छा प्रदर्शन किया. वहीं, भाजपा को भी राज्य में बड़ा नुकसान हुआ है. यदि यही स्थिति विधानसभा चुनाव में भी रही तो महायुति से जुड़े सभी दलों को नुकसान उठाना पड़ सकता है और जाहिर है राज ठाकरे भी इससे अछूते नहीं रहेंगे. लिहाजा, संभव है कि इसी को ध्यान में रखते हुए उन्होंने अकेले चुनाव लड़ने का फैसला लिया हो. वैसे भी उनके पास चुनाव बाद भी हाथ मिलाने का विकल्प रहेगा.

ऐसा है समीकरण
महायुति में सीटों का बंटवारा अभी नहीं हुआ है, लेकिन भाजपा राज्य की 288 सीटों में से 160-170 पर चुनाव लड़ सकती है. अजित पवार की NCP ने 80 से 90 सीटों पर लड़ने का दावा किया है. वहीं, शिंदे की शिवसेना लगभग 100 सीटों पर किस्मत आजमाना चाहती है.  पिछले चुनाव में भाजपा को सबसे ज्यादा 105 सीटें मिली थीं. शिवसेना ने 56, एनसीपी ने  54 और कांग्रेस ने 44 सीटों पर जीत हासिल की थी. चुनाव के बाद शिवसेना ने भाजपा के नेतृत्व वाले NDA से रिश्ता तोड़कर एनसीपी-कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बना ली और उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बने. लेकिन जून 2022 में एकनाथ शिंदे ने शिवसेना के 40 विधायकों को तोड़कर अलग पार्टी बनाई और BJP  के समर्थन से मुख्यमंत्री बन गए. इसी तरह अजित पवार भी एनसीपी तोड़कर सरकार का हिस्सा बन गए. 
 


ED की एक कार्रवाई कहीं ढीली न कर दे NDA गठबंधन की गांठ, नीतीश हैं नाराज?

मोदी सकरार के प्रमुख सहयोगी नीतीश कुमार प्रवर्तन निदेशालय की एक कार्रवाई को लेकर नाराज बताए जा रहे हैं.

Last Modified:
Monday, 22 July, 2024
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सरकार की सबसे मजबूत एजेंसी मानी जाने वाली ED की एक कार्रवाई मोदी सरकार के लिए मुश्किलें पैदा कर सकती है. प्रवर्तन निदेशालय ने हाल ही में  बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी कहे जाने वाले एक IAS अधिकारी के ठिकानों पर छापेमारी की थी. जांच एजेंसी के इस एक्शन से नीतीश कुमार नाराज बताए जा रहे हैं. नीतीश की जनता दल यूनाइटेड केंद्र की मोदी सरकार की प्रमुख सहयोगी है. नीतीश और चंद्रबाबू नायडू के कंधों पर मोदी सरकार टिकी है. ऐसे में नीतीश की नाराजगी केंद्र सरकार को भारी पड़ सकती है. भले ही JDU के किसी भी नेता ने सार्वजनिक तौर पर ED की कार्रवाई के लिए केंद्र पर सवाल न उठाए हों, लेकिन इससे उनका पारा हाई ज़रूर हुआ है.

इशारों-इशारों में चेताया  
आईएस संजीव हंस ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव हैं. उन्हें CM नीतीश कुमार का बेहद करीबी माना जाता है. हाल ही में ईडी की टीम ने पटना, दिल्ली, अमृतसर, चंडीगढ़ और पुणे के करीब 20 ठिकानों पर छापेमारी की थी, जिसमें हंस के भी ठिकाने शामिल हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, संजीव हंस के घर से 1100 ग्राम यानी 110 तोला सोना और अन्य कीमती सामान बरामद किया गया है. ED की इस कार्रवाई से जनता दल यूनाइटेड में रोष है. बताया तो यहां तक जाता है कि हंस से जुड़े परिसरों पर छापेमारी के बाद, JDU के एक वरिष्ठ नेता ने बीजेपी कोटे से उप-मुख्यमंत्री बने नेता को साफ शब्दों में चेतावनी दी है कि इस तरह की कार्रवाई से सहयोगियों के बीच मतभेद उत्पन्न हो सकते हैं. 

यूपी पर भी JDU नाखुश
माना जा रहा है कि उत्तर प्रदेश में कावड़ यात्रा को लेकर सरकार के आदेश से JDU की नाराज़गी , संजीव हंस पर छापेमारी से उपजी नाराज़गी का ही परिणाम है. योगी सरकार ने कावड़ यात्रा को जारी आदेश में कहा है कि यात्रा के रास्ते में हर खाने वाली दुकान या ठेले के मालिक को अपने नाम का बोर्ड लगाना होगा.जेडीयू नेता केसी त्यागी ने यूपी सरकार के इस फैसले पर नाराज़गी व्यक्त की थी. उन्होंने कहा था कि कांवड़ यात्रा सदियों से पश्चिमी उत्तर प्रदेश के इलाकों से गुजर रही है और सांप्रदायिक तनाव की सूचना नहीं मिली है. हिंदू, मुस्लिम और सिख भी स्टॉल लगाकर तीर्थयात्रियों का स्वागत करते हैं. इतना ही नहीं, मुस्लिम कारीगर भी कांवर बनाते हैं. लिहाजा ऐसे आदेशों से सांप्रदायिक तनाव बढ़ सकता है. 

यहां भी बढ़ सकता है विवाद
बिहार को विशेष दर्जा देने के मुद्दे पर भाजपा और JDU में मतभेद दिखाई दे रहे हैं. नीतीश कुमार चाहते हैं कि बिहार को विशेष दर्जे का ऐलान जल्द से जल्द किया जाए. जबकि भाजपा नेताओं का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले से ही बिहार को ज्यादा देते रहे हैं. बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा था कि राज्य के विकास के लिए जो भी जरूरी होगा, PM मोदी ज़रूर देंगे. सियासी पंडितों का मानना है कि नीतीश की इस मांग के पूरी होने की संभावना बेहद कम है, और ऐसे में उनका भाजपा से टकराव बढ़ सकता है. यदि ऐसा हुआ तो फिर केंद्र की मोदी सरकार मुश्किल में पड़ जाएगी. नीतीश कुमार का वैसे भी पाला बदलने का इतिहास रहा है. 
 


Editors Guild ने प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए राहुल गांधी से मांगा समर्थन, विधायी समीक्षा का किया आग्रह

Editors Guild ने प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा को लेकर एक पत्र लिखा है. गिल्ड ने इस बात पर भी प्रकाश डाला है कि कई नए कानून अपर्याप्त हितधारक परामर्श और संसदीय जांच के साथ लागू किए गए हैं.

Last Modified:
Saturday, 20 July, 2024
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एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (Editors Guild Of India-EGI) ने इंडिया गठबंधन (विपक्ष) के नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को एक पत्र लिखा है. अपने इस पत्र में, एडिटर्स गिल्ड ने मीडिया की स्वतंत्रता को प्रभावित करने वाले विधायी उपायों पर महत्वपूर्ण चिंता व्यक्त की है.

नए कानून और संशोधन से वैध पत्रकारिता को दबाने की कोशिश
ईजीआई ने इस बात पर प्रकाश डाला है कि कई नए कानून और संशोधन, जैसे कि आईटी नियम 2021 और आईटी अधिनियम 2000 के तहत इसका 2023 संशोधन- अपर्याप्त हितधारक परामर्श और संसदीय जांच के साथ लागू किए गए हैं. गिल्ड ने कहा है कि ये नियम ऑनलाइन स्पेस, प्रसारण, प्रिंट और दूरसंचार क्षेत्रों को प्रभावित कर रहे हैं और इसमें ऐसे प्रावधान हैं जो अत्यधिक व्यापक और अस्पष्ट हैं, जिनका संभावित रूप से वैध पत्रकारिता को दबाने के लिए दुरुपयोग किया जाता है. 

प्रेस की स्वतंत्रता को खतरा, राहुल गांधी से मांगा समर्थन
गिल्ड ने इस बात पर जोर दिया कि ये उपाय सरकारी अधिकारियों को व्यापक शक्तियां प्रदान करते हैं, जिससे बढ़ते नियंत्रण और दंडात्मक उपायों के कारण प्रेस की स्वतंत्रता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने का खतरा है. एडिटर्स गिल्ड ने भी इस महत्वपूर्ण मामले में राहुल गांधी का समर्थन मांगते हुए अपने सदस्यों के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ इन मुद्दों पर अधिक विस्तार से चर्चा करने की इच्छा व्यक्त की है.

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