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सैलरी को Tax कटौती से बचाना है? ये तरीके हैं सबसे शानदार!
CTC में बदलाव करने का विकल्प मौजूद है तो आप अपना सैलरी ब्रेक-अप खुद तैयार करके अपनी सैलरी में से कटने वाले टैक्स को बचा सकते हैं.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
बहुत सी कम्पनियां अपने कर्मचारियों को हर साल वित्त वर्ष की शुरुआत में CTC (कॉस्ट थ्रू कंपनी) में बदलाव का विकल्प देती हैं. अगर आपके पास भी CTC में बदलाव करने का यह विकल्प मौजूद है तो आप अपना सैलरी ब्रेक-अप खुद तैयार करके अपनी सैलरी में से कटने वाले टैक्स को बचा सकते हैं. हम आपके लिए कुछ ऐसे तरीके लेकर आये हैं जिनको अपने CTC में शामिल करके आप टैक्स की काफी भर भरकम बचत कर सकते हैं.
1. यात्रा और फ्यूल पर मिलने वाला रीइंबर्समेंट: अगर आपको अपने ऑफिस के काम से काफी बार कहीं आना जाना पड़ता है और इसके लिए आप कैब का इस्तेमाल करते हैं तो कंपनी यह रकम आपको वापस कर देती है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि कंपनी से मिलने वाली इस रकम पर आपको किसी तरह का टैक्स नहीं देना होता है. इतना ही नहीं अगर आप ऑफिस के काम से कहीं आना जाना करने के लिए अपनी गाड़ी का इस्तेमाल करते हैं तो आप कंपनी में फ्यूल और मेंटिनेंस के खर्चों के लिए वापसी का दावा कर सकते हैं और टैक्स से बच सकते हैं. यदि आप गाड़ी का इस्तेमाल अपने निजी कारणों के लिए करते हैं तो 1.6 लीटर CC(क्यूबिक कैपेसिटी) से कम वाली गाड़ियों पर आपको 2700 रुपये और उससे बड़ी गाड़ियों के लिए आपको 3300 रुपयों का टैक्स भरना पड़ता है.
2. ड्राइवर की सैलरी से भी बचा सकते हैं टैक्स: किसी भी कंपनी में सीनियर एग्जीक्यूटिव को ड्राइवर रखने का विकल्प दिया जाता है. वैसे तो ड्राइवर को दी जाने वाली सैलरी पर 900 रुपये प्रति महीने का टैक्स काटा जाता है लेकिन फिर भी टैक्स बचाने में यह तरीका आपकी काफी ज्यादा मदद कर सकता है.
3. LTA (लीवट्रेवल असिस्टेंस) से भी बचता है टैक्स: बहुत सी कंपनियां छुट्टी के दौरान की गयी यात्रा पर होने वाले खर्चे को आपको वापस कर देती हैं. अगर चार सालों की अवधि के दौरान आप दो बार अपनी फैमिली के साथ की गयी यात्रा के खर्चे पर दावा करते हैं तो यह टैक्स फ्री होता है. इसके लिए साल की शुरुआत में ही आपको LTA को अपनी सैलरी या CTC का हिस्सा बना लेना चाहिए. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि वित्त वर्ष के दौरान आप LTA का ऑप्शन नहीं चुन सकते और ITR में भी आप इसपर दावा नहीं कर सकते हैं.
4. कंपनी द्वारा दी गयी सम्पत्ति भी होती है टैक्स फ्री: अगर कोई कंपनी अपने कर्मचारियों के लिए चल सम्पति यानी मूवेबल प्रॉपर्टी को खरीदने की पेशकश करती है तो इस पर काफी भारी भरकम टैक्स बचाया जा सकता है. इनकम टैक्स के सेक्शन 17(2) के तहत, कंपनी के नाम पर खरीदे गए गैजेट और कर्मचारी को व्यक्तिगत इस्तेमाल के लिए दिए जाने वाले गैजेटों और उपकरणों की कीमत के केवल 10% हिस्से पर ही टैक्स लगाया जाता है. इतना ही नहीं अगर बात कंप्यूटर की हो तो, किसी भी तरह का टैक्स नहीं लगाया जाता है.
5. इन्टरनेट और आपके फोन का बिल भी बचाते हैं टैक्स: कोविड महामारी के दौरान देश भर में तालाबंदी कर दी गयी जिसकी वजह से लोगों को अपने घरों से काम करना पड़ा था. जब लोग अपने घरों से काम कर रहे थे तो उनके फोन और इन्टरनेट का खर्चा बढ़ता ही चला गया. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इन खर्चों की वापसी के लिए किये गए दावे पर आपको किसी तरह का कोई टैक्स नहीं देना होता है. लेकिन इसके लिए भी एक शर्त का पालन करना जरूरी होता है. और शर्त यह होती है कि आपको ओरिजनल बिल जमा करवाना होता है.
6. अखबार और मैगजीन की पढ़ाई से बचता है टैक्स: इन्टरनेट और फोन बिल की ही तरह अगर आप अखबार और मैगजीन के बिल जमा करवाते हैं तो आपको इन खर्चों की वापसी के लिए किये गए दावों पर किसी तरह का कोई खर्चा नहीं देना होता है.
7. फ़ूड कूपन से बचता है टैक्स: भोजन पर मिलने वाले कूपन 50 रुपये तक टैक्स फ्री होते हैं. मतलब अगर आप 50 रुपये तक के फ़ूड कूपन का इस्तेमाल करते हैं तो आपको कोई टैक्स नहीं देना होता है.
8. NPS (नेशनल पेंशन स्कीम) में आपका योगदान बचाएगा आपका टैक्स: कोई भी रिटायरमेंट फंड बनाते समय सरकार टैक्स को काफी कम कर सकती है. इनकम टैक्स सेक्शन 80CCD(2) के तहत NPS में तय की गयी बेसिक सैलरी का 10% जितना भाग टैक्स फ्री होता है. लेकिन कमाल की बात ये है कि, जिनके पास यह विकल्प मौजूद है उनमें से केवल 10% लोगों ने ही इस विकल्प को चुना है.
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