अगर आपके कोई बिजनेस शुरू करना चाहते हैं तो आप ऑनलाइन पेट्रोल-डीजल बेचकर करोड़ों में कमाई कर सकते हैं.
देश में पेट्रोल डीजल की मांग लगातार बढ़ रही है और अगर आप भी ई-कॉमर्स कंपनियों की तरह अपना कारोबार शुरू करना चाहते हैं तो पेट्रोल डीजल की ऑनलाइन बिक्री शुरू कर इसकी होम डिलीवरी शुरू कर सकते हैं. आप ऑनलाइन फ्यूल यानी पेट्रोल-डीजल बेचकर करोड़ों में कमाई कर सकते हैं. इसके लिए इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (IOC), भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लि. (BPCL), पेट्रोलियम प्रोसेस इंजीनियरिंग सर्विस (PESCO) जैसी तेल कंपनियां मदद करेगी. इसके अलावा आप सरकार से भी मदद ले सकते हैं.
ऐसे शुरू करें ऑनलाइन बिजनेस
साल 2016 के पहले पेट्रोल-डीजल की ऑनलाइन ब्रिकी की अनुमित नहीं थी. इसके बाद सरकार ने ऑनलाइन पेट्रोल-डीजल की ब्रिकी की इजाजत दे दी. इस बिजनेस को शुरू करने के लिए तेल कंपनियों के पास प्रोजेक्ट की डिटेल रिपोर्ट जमा करनी होगी. आइए जानते हैं कैसे शुरू कर सकते हैं बिजनेस
• यदि आप डीजल की डिलीवरी का बिजनेस शुरु करना चाहते हैं तो सबसे पहले तेल कंपनियों से संपर्क करें. इनमें IOC, BPCL और HPCL शामिल हैं.
• उनके पास आपको एक डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट जमा करनी होगी.
• प्रोजेक्ट पसंद आने पर तेल कंपनियां आपको ऑनलाइन बिक्री की इजाजत देंगी.
• प्रोजेक्ट रिपोर्ट की एक कॉपी PMO को भी भेजें, ताकि आपको सरकार की तरफ से भी मंजूरी मिल जाए. इससे आपको बिजनेस के लिए लोन लेने में आसानी होगी
वेबसाइट और ऐप से होगी डिलीवरी
लोग आपसे पेट्रोल-डीजल खरीदने के लिए वेबसाइट और ऐप के जरिए संपर्क करेंगे. इसलिए आपको वेबसाइट और ऐप डेवलप करानी होगी, जिस पर आपको ऑनलाइन ऑर्डर मिलेंगे. दूसरी चीज आपको तय करना होगा कि किन इलाकों या शहरों में फ्यूल की डिलिवरी की जाएगी. उसी हिसाब से डिलीवरी का नेटवर्क तैयार करना होगा. लेकिन ध्यान रहे फ्यूल डिलिवरी की एक मिनिमम लिमिट तय है, आप उस लिमिट से कम फ्यूल के लिए ऑर्डर नहीं ले सकते हैं.
कितना करना होगा निवेश
अगर आप Petrol-Diesel Home Delivery Business शुरू करते हैं, तो इसके लिए आपको करीब 12 लाख रूपये का निवेश करना होगा. अगर आपके पास इतनी राशि नहीं है, तो आप इसके लिए किसी भी बैंक से PM Mudra Loan के जरिए 10 लाख रुपये तक का लोन ले सकते हैं. कुल मिलाकर इस बिजनेस से मोटी कमाई कर सकते हैं.
सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त स्टार्टअप
पेपफ्यूल डॉट कॉम (Pepfuel.com) सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त स्टार्टअप है. पेपफ्यूल्स का इंडियन ऑयल के साथ थर्ड पार्टी एग्रीमेंट है. यह डोर-टू-डोर डिलीवरी (online diesel delivery) के लिए है. इस ऐप पर ग्राहक ऑनलाइन या मैसेज के जरिए ऑर्डर कर सकते हैं. नोएडा के टिकेन्द्र, प्रतीक और संदीप तीनों ने मिलकर इसे स्टार्ट किया है. कारोबार शुरू के कुछ सालों बाद की इनकी कंपनी का सालाना टर्नओवर 100 करोड़ के आसपास पहुंच गया.
Income Tax के नए नियम के अनुसार पीआरसीआईटी रैंक के अधिकारी अब टैक्सपेयर्स के 1.5 करोड़ रुपये से ज्यादा तक के बकाया ब्याज को कम करने या माफ करने का फैसला कर सकते हैं.
अगर आप इनकम टैक्स भरते हैं, तो ये खबर आपके काम की है. दरअसल, सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (CBDT) ने देय टैक्स नहीं चुकाने पर लगने वाले ब्याज को माफ करने या कम करने की मंजूरी दे दी है. इनकम टैक्स के इस नए नियम के अनुसार अब टैक्स अधिकारी टैक्सपेयर्स के 1.5 करोड़ रुपये से अधिक के बकाया ब्याज को कम करने या माफ करने का फैसला कर सकते हैं. हालांकि इस छूट के लिए कुछ शर्तें रखी गई हैं, उनके पूरा होने पर ही ब्याज माफ हो पाएगा. तो आइए जानते हैं टैक्सपेयर्स को ये छूट किन शर्तों पर मिलेगी?
इतना ब्याज माफ करने की छूट
सीबीडीटी ने इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 220(2) के तहत चुकाए गए या देय ब्याज को घटाने या माफ करने के संबंध में अधिकारियों के लिए एक सर्कुलर में जारी करके मॉनेटरी लिमिट तय करने का आदेश दिया है. यह आदेश इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 119(1) के तहत जारी किया गया है. सर्कुलर में ब्याज की रकम की सीमा की जानकारी भी दी गई है, जिसे माफ करना या घटा सकना टैक्स अधिकारियों के अधिकार क्षेत्र में होगा. इस रकम को तीन भागों में बांटा गया है, जैसे-
1. प्रिंसिपल चीफ कमिश्नर रैंक के अधिकारी डेढ़ करोड़ रुपये से अधिक के देय ब्याज को माफ करने या घटाने के बारे में फैसला कर सकते हैं.
2. देय ब्याज 50 लाख से डेढ़ करोड़ रुपये तक हो, तो चीफ कमिश्नर रैंक के अधिकारी फैसला कर सकते हैं.
3. देय ब्याज 50 लाख रुपये तक हो तो इसे घटाने या माफ करने के बारे में प्रिंसिपल कमिश्नर या कमिश्नर रैंक के अधिकारी निर्णय कर सकते हैं.
ब्याज में छूट के लिए इन तीन शर्तों को करना होगा पूरा
1. सर्कुलर के अनुसार ब्याज माफ करने की पहली शर्त यह है कि अगर ब्याज की रकम ऐसी हो, जिसे चुकाने में बहुत मुश्किल हुई हो या होने वाली हो.
2. दूसरी शर्त यह है कि अगर शख्स ऐसी वजह के चलते ब्याज नहीं चुका सका, जो उसके कंट्रोल में नहीं थी.
3. वहीं, तीसरी शर्त यह है कि टैक्सपेयर ने किसी भी बकाया रकम की रिकवरी या असेसमेंट से जुड़ी जांच में अधिकारियों से सहयोग किया हो.
टैक्स न चुकाने पर इतना लगता है ब्याज
इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 220(2) के तहत अगर टैक्सपेयर सेक्शन 156 के तहत डिमांड नोटिस में दर्ज टैक्स न चुकाए तो उसे उस रकम पर देरी वाले हर महीने के लिए 1 प्रतिशत महीने की साधारण दर से ब्याज चुकाना होता है. सेक्शन 220(2A) के तहत प्रिंसिपल चीफ कमिश्नर या चीफ कमिश्नर या प्रिंसिपल कमिश्नर या कमिश्नर रैंक के अधिकारियों को यह अधिकार है कि वे चुकाए जाने वाले ब्याज की रकम घटा दें या उसे माफ कर दें.
Home Loan लेने पर टैक्सपेयर्स को सरकार की ओर से 3.5 लाख रुपये तक की टैक्स छूट मिलती है.
क्या आप जानते हैं आपको होम लोन (Home Loan) की तरह ही कार लोन (Car Loan) पर भी टैक्स छूट मिल सकती है? अगर नहीं, तो चलिए आज हम आपको इसकी पूरी जानकारी देते हैं. अगर आप व्यवसाय या पेशेवर कार्यों में कार का इस्तेमाल करते हैं, तो कार लोन के ब्याज पर टैक्स में छूट ले सकते हैं. बता दें, होम लोन पर आयकर अधिनियम के तहत सेक्शन 80सी और 24बी के अंतर्गत ब्याज और मूलधन पर छूट दी जाती है. हालांकि, कार लोन पर आमतौर पर टैक्स छूट का प्रावधान नहीं है, क्योंकि इसे लग्जरी खर्च के रूप में देखा जाता है. लेकिन, अगर आप डॉक्टर, इंजीनियर, वकील या अन्य किसी प्रोफेशन से जुड़े हैं और अपनी कार का उपयोग व्यवसायिक उद्देश्यों के लिए कर रहे हैं, तो आप टैक्स छूट का लाभ उठा सकते हैं. आइए जानते हैं कैसे?
ऐसे मिलेगा लाभ
1. उदाहरण के लिए मान लीजिए कि आप एक ट्रैवल एजेंसी के मालिक हैं या अपनी कार को किराए पर चला रहे हैं, तो इसके ब्याज की रकम को टैक्स रिटर्न में व्यवसाय की लागत के रूप में दिखा सकते हैं.
2. इसके अलावा, सालाना ईंधन खर्च और रखरखाव लागत भी टैक्स छूट में शामिल की जा सकती है.
3. डेप्रिसिएशन कॉस्ट यानी कार के मूल्य में कमी पर भी छूट का दावा किया जा सकता है. डेप्रिसिएशन कॉस्ट 15-20 प्रतिशत प्रति वर्ष होती है.
इतनी मिल सकती है छूट
मान लीजिए, अगर आपकी इनकम 10 लाख रुपये है और आप कार लोन के ब्याज में 70,000 रुपये चुका रहे हैं, तो आपकी टैक्स गणना 9.30 लाख रुपये पर होगी. ईंधन और रखरखाव लागत के साथ, टैक्स छूट और भी अधिक हो सकती है.
इन बातों का रखना होगा ध्यान
एक्सपर्ट का कहना है कि टैक्स छूट का दावा करते समय इस बात का प्रमाण भी देना आवश्यक है कि कार का उपयोग व्यवसाय में हो रहा है. अगर गलत दावा किया गया तो आयकर अधिकारी इसे खारिज कर सकते हैं और जुर्माना भी लगा सकते हैं. जहां एक ओर होम लोन पर टैक्स में सीधी छूट मिलती है. वहीं, कार लोन पर टैक्स छूट केवल व्यवसायिक इस्तेमाल की शर्तों पर ही मिलती है. इस प्रकार, पेशेवर और व्यवसायी अपनी कार से जुड़े खर्चों को टैक्स लाभ में बदल सकते हैं, बशर्ते उनके पास उचित दस्तावेजी प्रमाण मौजूद हो.
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बाजार में कुल 14 इन्फ्रास्ट्रक्चर सरकारी कंपनी जैसे-NHAI, IRFC और Power Finance Corporation (PFC) आदि) ने टैक्स-फ्री बॉन्ड्स जारी किए हैं.
अगर आप शेयर बाजार में निवेश करना चाहते हैं और कोई सुरक्षित विकल्प तलाश रहे हैं ,तो यह खबर आपके काम की हो सकती है. दरअसल, आज के समय में निवेश के कई विकल्प मौजूद हैं, लेकिन कुछ समय से शेयर बाजार में बॉन्ड ने काफी अच्छा रिटर्न दिया है. निवेशक टैक्स-फ्री सरकारी बॉन्ड (Tax Free Bond) में निवेश कर सकते हैं. इसमें मिलने वाले रिटर्न पर आपको टैक्स का भुगतान भी नहीं करना होगा और साथ यह सिक्योर ऑप्शन भी है. वहीं, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा इन्टरेस्ट रेट (Interest Rate) घटाने की उम्मीद के बाद टैक्स-फ्री बॉन्ड्स (Tax Free Bonds) काफी चमक उठा है. तो चलिए इसकी विस्तार से जानकारी देते हैं.
क्या होता है सरकारी बॉन्ड?
सरकारी बॉन्ड को Government Securities (जी-सेक) के नाम से भी जाना जाता है. सरकार की ओर से कभी-कभी अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पैसों को जरूरत होती है, उस समय सरकार की ओर से बॉन्ड जारी किया जाता है. इस बॉन्ड में विभिन्न लोग, कंपनियां अपने पैसे निवेश करते हैं जिनके द्वारा सरकार अपने खर्चों को पूरा करने का काम करती है. निवेशकों को सरकारी बॉन्ड में निवेश करने पर उनका पैसा सुरक्षित माना जाता है इसलिए ज्यादातर कंपनियां सरकारी बॉन्ड में अपना पैसा निवेश करती हैं.
इन कंपनियों के बॉन्ड्स में कर सकते हैं निवेश
बाजार में कुल 14 इन्फ्रास्ट्रक्चर सरकारी कंपनी (जैसे-NHAI, IRFC और Power Finance Corporation (PFC) आदि) ने टैक्स-फ्री बॉन्ड्स जारी किए हैं. इन बॉन्ड्स की ट्रेडिंग मुख्य स्टॉक एक्सचेंज पर होती है. बता दें, यह बॉन्ड्स साल 2012 और 2016 के बीच जारी हुए. इसे 10 साल, 15 साल और 20 साल के लिए जारी किया गया. ऐसे में निवेशक बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) से इन टैक्स-फ्री बॉन्ड्स में निवेश कर सकते हैं. वर्तमान में ये टैक्स-फ्री बॉन्ड्स अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं. इन बॉन्ड्स का यील्ड भी काफ अट्रैक्टिव है. इसके अलावा यह सिक्योर और रेगुलर इनकम वाले बॉन्ड हैं.
इन निवेशकों के लिए बेहतर विकल्प
इनमें से लगभग सभी बॉन्ड को 'AAA' की रेटिंग भी मिली है. टैक्स-फ्री बॉन्ड निवेश के लिए काफी अच्छा विकल्प है. इससे होने वाली कमाई पर कोई टैक्स नहीं लगता है, ऐसे में यह बॉन्ड उन निवेशकों के लिए भी काफी अच्छा है जो ज्यादा टैक्स स्लैब (Tax Slab) में शामिल हैं. इसके अलावा यह बॉन्ड सरकारी कंपनियों द्वारा जारी किया जाता है, इस वजह से यह पूरी तरह से सुरक्षित हैं. यह बॉन्ड उन निवेशकों के लिए काफी अच्छा ऑप्शन है जो सुरक्षित सेविंग के साथ उससे रेगुल इनकम भी कमाना चाहते हैं.
निवेश से पहले इन बातों का रखें ध्यान
अगर आप टैक्स-फ्री बॉन्ड्स में निवेश करने का सोच रहे हैं तो आपको कंपनी के लिक्विडिटी और यील्ड टू मैच्योरिटी (YTM) का ध्यान रखना चाहिए. YTM का मतलब बॉन्ड का सालाना रिटर्न है. वहीं, आपको इन बॉन्ड में मैच्योरिटी तक निवेश करना चाहिए.
शेयर बाजार में जारी गिरावट के बीच लोग सुरक्षित निवेश का विकल्प तलाश रहे हैं. ऐसे में लोग सुरक्षित निवेश के साथ बेहतर रिटर्न के लिए बैंक एफडी का विकल्प चुन सकते हैं.
अगर आप सुरक्षित निवेश के साथ अधिक रिटर्न का विकल्प तलाश रहे हैं, तो ये खबर आपके काम की है. दरअसल, इन दिनों शेयर बाजार में लोगों को भारी नुकसान हो रहा है. हालांकि शेयर बाजार में 5 दिनों की गिरावट के बाद 28 अक्टूबर को तेजी देखी गई, लेकिन अभी भी जोखिम बना हुआ है. निवेशकों को आगे मार्केट में बिकवाली आने का डर सता रहा है. ऐसे में आपको निवेश करना भी है तो आपके लिए सबसे सुरक्षित विकल्प फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) है. तो चलिए जानते हैं कौन-कौन से बैंक एफडी पर सबसे अधिक ब्याज ऑफर कर रहे हैं?
ये बैंक दे रहे 9.5 प्रतिशत का ब्याज
पोर्टफोलियो निवेश प्लेटफॉर्म स्मॉलकेस अब उच्च ब्याज दर वाली फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) योजनाएं पेश कर रहा है, जिसमें निवेशक 9.5 प्रतिशत तक की ब्याज दर का लाभ उठा सकते हैं. शिवालिक बैंक, सूर्योदय स्मॉल फाइनेंस बैंक, उत्कर्ष स्मॉल फाइनेंस बैंक, साउथ इंडियन बैंक और नॉर्थ ईस्ट स्मॉल फाइनेंस बैंक के साथ साझेदारी में स्मॉलकेस ने यह पेशकश की है, जो 60 महीने तक की अवधि के लिए लागू है. इस डिजिटल प्लेटफॉर्म पर निवेशक न्यूनतम 1,000 से लेकर लाख 10 लाख तक की राशि पर एफडी कर सकते हैं.
सीनियर सिटीजन को मिल रहा इतना ब्याज
स्मॉलकेस की योजना के तहत सीनियर सिटीजन को 7 से 9.5 प्रतिशत तक का ब्याज मिल रहा है, जो बैंक और योजना के अनुसार अलग-अलग है. इसमें नॉर्थ ईस्ट स्मॉल फाइनेंस बैंक 9.5 प्रतिशत, सूर्योदय स्मॉल फाइनेंस बैंक और उत्कर्ष स्मॉल फाइनेंस बैंक 9.1 प्रतिशत की दर पर ब्याज दे रहे हैं.
स्मॉलकेस पर दी जाने वाली एफडी आरबीआई से मान्यता प्राप्त
स्मॉलकेस पर दी जाने वाली सभी एफडी भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा मान्यता प्राप्त हैं और यह डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) द्वारा बीमाकृत होती हैं. इस बीमा के अंतर्गत प्रत्येक बैंक में प्रति अकाउंट 5 लाख रुपये तक का कवरेज सुनिश्चित होता है, जिससे निवेशकों को उनके जमा पैसों की सुरक्षा की गारंटी मिलती है. स्मॉलकेस ने अपने प्लेटफॉर्म को पूरी तरह से डिजिटल और यूजर-फ्रेंडली बनाया है, जिसमें निवेशक बिना किसी कागजी कार्रवाई के एफडी बुक कर सकते हैं और अपने निवेश को आसानी से मैनेज कर सकते हैं.
मल्टी-एसेट फंड के अंतर्गत इक्विटी फंड भी दीपक की तरह अपनी भूमिका निभाते हैं. इक्विटी आम तौर पर पोर्टफोलियो का ग्रोथ इंजन होती है, जो लॉन्ग टर्म में हाई रिर्न देने के लिए जानी जाती है.
दिवाली को रोशनी का त्योहार कहते हैं, जिसे सबसे अधिक संख्या में भारतीयों द्वारा मनाया जाता है. यह एक ऐसा समय है, जब पूरा परिवार एकजुट होता है और साथ मिलकर खुशियां मनाता है. वहीं, दिवाली के उत्सव का केंद्र लक्ष्मी पूजा है, जहां हम घर में धन और संपन्नता लाने के लिए देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं. ऐसे ही धन प्राप्ति के लिए हमें कड़ी मेहनत भी करनी चाहिए और समझदारी से निवेश भी करना चाहिए. तो चलिए जानते हैं इस दिवाली आप अपनी इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो की योजना कैसे तैयार कर सकते हैं?
पूजा की थाल जैसे होते हैं मल्टी-एसेट फंड
बड़ौदा बीएनपी परिबा एएमसी के सीईओ सुरेश सोनी ने बताया है कि जब भी हम अपने इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो की योजना बनाते है, उस समय देवी लक्ष्मी की पूजा थाली से प्रेरणा ले सकते हैं. जैसे पूजा थाली में कई तरह की वस्तुएं होती हैं, जिनमें से हर एक पूजा की पूरी प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. उसी तरह मल्टी-एसेट फंड में अलग अलग एसेट क्लास एक साथ मिलकर निवेश के लिए एक मजबूत पोर्टफोलियो बनाते हैं. पूजा की थाली के अलग अलग वस्तुओं की तरह, मल्टी-एसेट फंड में भी कैश के साथ-साथ इक्विटी, डेट, गोल्ड जैसे अलग अलग एसेट क्लास शामिल होते हैं.
पोर्टफोलियो में दीपक की तरह है इक्विटी
पूजा की थाली का पहला और सबसे महत्वपूर्ण कंपोनेंट दीपक है. एक दीपक अंधेरे को दूर करने का प्रतीक है और यह किसी के जीवन में उम्मीद और स्पष्टता लाता है. यह रास्ता दिखाने वाला प्रकाश है, जो पूरे अनुष्ठान को प्रकाशित करता है. मल्टी-एसेट फंड के संदर्भ में, इक्विटी भी दीपक की तरह अपनी भूमिका निभाते हैं. इक्विटी आम तौर पर पोर्टफोलियो का ग्रोथ इंजन होती है, जो लॉन्ग टर्म में हाई रिर्न देने के लिए जानी जाती है.
लॉन्ग में अधिक रिटर्न देते हैं इक्विटी फंड
सुरेश सोनी के अनुसार जैसे दीपक कमरे को रोशन करता है, वैसे ही इक्विटी लंबी अवधि में हाई रिटर्न की पेशकश कर ग्रोथ के रास्ते को रोशन करने में मदद करता है. हालांकि बाजार की अस्थिरता के कारण उनमें एक निश्चित स्तर का जोखिम होता है, लेकिन वेल्थ क्रिएशन की उनकी क्षमता उन्हें एक अच्छी तरह से बैलेंस पोर्टफोलियो के लिए जरूरी बनाती है. कई रिसर्च से पता चला है कि लंबी अवधि के दौरान इक्विटी ने हमेशा निवेशकों को पॉजिटिव रिटर्न के साथ बेहतर अनुभव दिया है. इक्विटी हाइएस्ट लॉन्ग टर्म रिटर्न वाला एसेट क्लास है. जिस प्रकार पूजा की थाली इन सभी वस्तुओं के बिना अधूरी है, उसी तरह एक पोर्टफोलियो को संतुलित करने और लंबी अवधि में हाई रिटर्न हासिल करने के लिए एसेट क्लास के मिश्रण की जरूरत होती है. मल्टी-एसेट फंड, इक्विटी, डेट, गोल्ड और कैश के संयोजन के साथ निवेशकों को वेल्थ क्रिएशन के लिए एक डाइवर्सिफिकेशन प्रदान करते हैं, जिससे आपका म्यूचुअल फंड पोर्टफोलियो मजबूत होता है.
फूल की तरह है डेट एसेट क्लास
फूल देवी लक्ष्मी की पूजा थाली का एक अन्य महत्वपूर्ण कंपोनेंट हैं, जो इसकी सुंदरता बढ़ाते हैं और पवित्रता का प्रतीक हैं. वे पूजा में खुशबू और रंग जोड़ते हैं. वहीं पूजा की प्रक्रिया में मन की शांति बढ़ाते हैं और इसे और अधिक आध्यात्मिक बनाने में मदद करते हैं. मल्टी-एसेट फंड में, डेट विकल्प -जैसे बॉन्ड, डिबेंचर और गवर्नमेंट सिक्योरिटीज, एक समान भूमिका निभाते हैं. मल्टी-एसेट फंड में डेट के विकल्प स्थिरता के साथ रेगुलर इनकम प्रदान करते हैं, जैसे फूल की भूमिका पूजा पाठ में खूबसूरती और शांति जोड़ना होता है, जबकि इक्विटी में उतार-चढ़ाव होता है, डेट विकल्प एक बफर के रूप में काम करते हैं. डेट फंड या ऐसे विकल्प यह सुनिश्चित करते हैं कि पोर्टफोलियो में बैलेंस बना रहे और बाजार के बहुत ज्यादा उतार चढ़ाव से सुरक्षा मिले. वे पोर्टफोलियो को सुरक्षा देते हैं, जिसके चलते निवेशकों को रेगुलर इनकम के साथ ही बाजार की अनिश्चितताओं से निपटने का भरोसा हासिल होता है, जो कैश फ्लो की जरूरतों का ध्यान रखने में भी मदद करती है.
गोल्ड रोली/तिलक की तरह
रोली या तिलक, पूजा के दौरान शुभ और सुरक्षा के प्रतीक के रूप में माथे पर लगाया जाता है. यह पवित्र चिन्ह भक्तों को निगेटिव एनर्जी से बचाता है. मल्टी-एसेट फंड में, गोल्ड इस तरह से सुरक्षा ढाल के रूप में काम करता है. गोल्ड को अक्सर महंगाई और बाजार की मंदी के खिलाफ सुरक्षा या बचाव के रूप में माना जाता है. तिलक, जो रक्षा करने के साथ ही आशीर्वाद देता है, उसी तरह गोल्ड आर्थिक उथल-पुथल के समय एक सुरक्षित एसेट क्लास के रूप में काम करके आपके पोर्टफोलियो को भी सेफ करता है. वैल्यू को संरक्षित करने की इसकी क्षमता, इसे अपने निवेश की सुरक्षा चाहने वाले निवेशकों के लिए एक जरूरी एसेट क्लास बनाती है. हाल के दिनों में देखा गया है कि गोल्ड ने हाई रिटर्न दिया है. गोल्ड की कीमतों में तेजी का एक कारण यह है कि इस कीमती मेटल के कई उपयोग हैं और दुनिया में गोल्ड के सबसे बड़े कंज्यूमर्स भारत और चीन में प्रति व्यक्ति आय बढ़ने के साथ, इसकी मांग भी बढ़ रही है.
क्वॉइंस/मनी: कैश इक्विवेलेंट्स
धन, संपन्नता और वित्तीय रूप से पर्याप्त संसाधन होने के प्रतीक के रूप में पूजा की थाली पर सिक्के या धन रखे जाते हैं. वे फाइनेंशियल ग्रोथ और स्थिरता के लिए देवी लक्ष्मी से आशीर्वाद मांगने के लिए हैं. निवेश की दुनिया में, कैश या कैश इक्विवेलेंट्स, जैसे TREPS (ट्रीजरी बिल रीपरचेज एग्रीमेंट्स) और ट्रीजरी बिल, इन सिक्कों के समान हैं। कैश पोर्टफोलियो के भीतर एक सुरक्षा का जाल बनाते हैं, जो बाजार की अस्थिरता के दौरान पोर्टफोलियो को स्थिरता और फ्लेक्सिबिलिटी प्रदान करते हैं.
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) के नए सर्कुलर के अनुसार असेसमेंट ईयर 2024-25 (वित्त वर्ष 2023-24 के लिए कर रिटर्न दाखिल करने) के लिए नई डेडलाइन अब 15 नंवबर है.
आयकर विभाग (Income Tax Department) ने असेसमेंट ईयर 2024-25 के लिए आयकर रिटर्न दाखिल करने की डेडलाइन 15 दिन आगे बढ़ा दी है. अब कॉर्पोरेट्स के लिए नई डेडलाइन बढ़कर 15 नवंबर हो गई है. इस संबंध में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने एक सर्कुलर भी जारी किया है. इस सर्कुलर के अनुसार 31 अक्टूबर 2024 की डेडलाइन आगे बढ़ाई जाएगी और अब असेसमेंट ईयर 2024-25 (वित्त वर्ष 2023-24 के लिए कर रिटर्न दाखिल करने) के लिए नयी डेडलाइन अब 15 नंवबर है.
व्यक्तिगत इनकम टैक्स संग्रह ने कॉर्पोरेट को छोड़ा पीछे
एक्सपर्ट्स के अनुसार कॉर्पोरेट्स के लिए टैक्स रिटर्न दाखिल करने की यह विस्तारित अवधि टैक्स ऑडिट रिपोर्ट पर लागू नहीं होगी. इससे पहले सितंबर में सीबीडीटी ने टैक्स ऑडिट रिपोर्ट दाखिल करने की अंतिम डेडलाइन सात दिन आगे बढ़ाकर 7 अक्टूबर कर दी थी. बता दें, वित्त वर्ष 2021 से व्यक्तिगत आयकर संग्रह ने कॉर्पोरेट आयकर को पीछे छोड़ दिया है. वित्त वर्ष 2024 में प्रत्यक्ष टैक्स-जीडीपी अनुपात 6.64 प्रतिशत पर पहुंच गया, जो 2000-01 के बाद से सबसे अधिक है. इसके अतिरिक्त, कर संग्रह की लागत वित्त वर्ष 2024 में घटकर 0.44 प्रतिशत हो गई, जो वित्त वर्ष 2023 में 0.51 प्रतिशत थी.
रिर्टन फाइलिंग में हो रही बढ़ोतरी
बता दें, टैक्स सरलीकरण उपायों ने आयकर रिटर्न फाइलिंग में बढ़ोतरी की है. एसबीआई रिसर्च की एक रिपोर्ट के अनुसार 5 लाख रुपये तक कमाने वालों के लिए आय असमानता में 74.2 प्रतिशत की कमी आई है, जो दिखाता है कि सरकारी पहल कम आय वाले समूहों के बीच आय को प्रभावी ढंग से बढ़ा रही है. रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रत्यक्ष कर (Direct Tax) योगदान 14 साल के उच्च स्तर पर पहुंच गया है. भारत की प्रगतिशील टैक्स व्यवस्था ने आकलन वर्ष 2024 में प्रत्यक्ष टैक्स योगदान को कुल टैक्स रेवेन्यू का 56.7 प्रतिशत तक बढ़ा दिया है, जो 14 वर्षों में सबसे अधिक है.
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साल 2024-25 की पहली छमाही में मिड-कैप म्यूचुअल फंड में 20 प्रतिशत और स्मॉल-कैप में 24 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज हुई है.
म्यूचुअल फंड योजनाओं में निवेश लोगों की पहली पसंद बनता जा रहा है. फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) की तुलना में अधिक रिटर्न मिलने के चलते लोग म्यूचुअल फंड्स की ओर आकर्षित हो रहे हैं. दरअसल, चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) के दौरान मिड-कैप (मझोली कंपनियों में निवेश करने वाले एमएफ) और स्मॉल-कैप (छोटी कंपनियों में निवेश करने वाले) योजनाओं में करीब 30,342 करोड़ रुपये का निवेश आया है. ये आंकड़े एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) ने जारी किए हैं. तो आइए जानते हैं रिपोर्ट में क्या है?
जारी रहेगा निवेश
आंकड़ों के अनुसार पिछले साल समान अवधि में मिड-कैप और स्मॉल-कैप कोषों में प्रवाह 32,924 करोड़ रुपये रहा था. इन योजनाओं में निवेश करने वाले निवेशकों को काफी अच्छा रिटर्न मिला है, जिसके चलते इनके प्रति उनका आकर्षण बना हुआ है. खास बात यह है कि बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) स्मॉल-कैप और मिड-कैप कोषों में ऊंचे प्रवाह को लेकर चिंता जता चुका है. हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि निवेशक उच्च रिटर्न देने की क्षमता के कारण स्मॉल-कैप और मिड-कैप म्यूचुअल फंड में निवेश जारी रखेंगे. ट्रस्ट म्यूचुअल फंड के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) संदीप बागला ने कहा कि आने वाले वर्षों में स्मॉल कैप में तेज वृद्धि जारी रहेगी. उम्मीद है कि निवेश जारी रहेगा, क्योंकि भारतीय उच्च वृद्धि वाले क्षेत्रों में निवेश करना चाहते हैं. स्मॉल कैप फंड को किसी के पोर्टफोलियो आवंटन का अभिन्न अंग माना जाना चाहिए.
स्मॉल कैप में आया अधिक निवेश
आंकड़ों के अनुसार, पहली छमाही में मिड-कैप म्यूचुअल फंड में 14,756 करोड़ रुपये और स्मॉल-कैप में 15,586 करोड़ रुपये का निवेश आया. इस तरह कुल आंकड़ा 30,342 करोड़ रुपये है. विशेषज्ञों ने कहा है कि मिड-कैप और स्मॉल-कैप म्यूचुअल फंड में निवेशकों की मजबूत दिलचस्पी इन खंड में मिलने वाला ऊंचा रिटर्न है. मिड-कैप और स्मॉल-कैप सूचकांकों ने चालू वित्त वर्ष में अब तक क्रमशः लगभग 20 प्रतिशत और 24 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की है. यह निफ्टी और सेंसेक्स की तुलना में बेहतर प्रदर्शन है.
EPFO में निवेश करके आप रिटायरमेंट के बाद मोटा फंड जमा कर सकते हैं. वैसे तो ईपीएफओ फंड रिटायरमेंट के बाद मैच्योर होता है, पर कुछ स्थिति में इसमें आंशिक निकासी की भी सुविधा मिलती है.
अगर आप नौकरीपेशा हैं, तो हर महीने के आपके वेतन से एक फिक्सड अमाउंट ईपीएफओ (EPFO) में जमा जरूर होती होगी. वैसे तो ईपीएफओ में जमा राशि रिटायरमेंट के बाद मैच्योर होती है, लेकिन जरूरत पड़ने पर आप पहले भी पैसे निकाल सकते हैं. जी हां, ईपीएफओ अपने सदस्यों को यह सुविधा देता है कि जरूरत के समय वह पीएफ फंड से निकासी करें. बता दें, हाल ही में ईपीएफओ ने निकासी के नियमों में संशोधन (EPF Withdrawal Rules 2024) किया है. अगर आप भी ईपीएफ अकाउंट से पैसे निकालने की सोच रहे हैं, तो जानिए नियमों में अब क्या बदलाव हुए हैं?
पीएफ निकासी नए नियम 2024
1. ईपीएफ से आंशिक निकासी के लिए ईपीएफ सदस्य को ऑनलाइन अप्लाई करना होगा. एजुकेशन, घर खरीद या निर्माण, शादी और इलाज के लिए ही निकासी की जा सकती है.
2. ईपीएफओ के निकासी नियमों के अनुसार ईपीएफ धारक रिटायरमेंट से 1 साल पहले 90 प्रतिशत तक की निकासी कर सकती है. 90 प्रतिशत की निकासी के लिए सदस्य की आयु 54 साल से ज्यादा होनी चाहिए.
3. आज के समय में कई कंपनी में छंटनी होती है. ऐसे में ईपीएफओ के नियमों के अनुसार अगर छंटनी होती है और कर्मचारी रिटायरमेंट से पहले बेरोजगार हो जाता है तो वह ईपीएफ फंड से पैसे निकाल सकते है.
4. कर्मचारी एक महीने के बेरोजगारी के बाद 75 प्रतिशत और लगातार 2 महीने बेरोजगार रहने पर पूर्ण निकासी कर सकता है. वहीं, नई जॉब लगने के बाद कर्मचारी बचे हुए 25 प्रतिशत फंड को नए ईपीएफ अकाउंट (EPF Account) में ट्रांसफर कर सकता है.
5. अगर कोई कर्मचारी लगातार 5 साल तक ईपीएफ में योगदान करता है, तो उसे निकासी के समय टैक्स बेनिफिट (Tax Benefit) भी मिलता है. वहीं, मैच्योरिटी से पहले निकासी पर टीडीएस (TDS) काटा जाएगा. हालांकि, 50 हजार रुपये से कम की निकासी पर टीडीएस नहीं कटता है.
6. बता दें, निकासी के लिए सदस्य में पैन कार्ड (PAN Card) जमा किया है, तो 10 प्रतिशत की टीडीएस कटौती होती है. वहीं, पैन कार्ड जमा न करने पर 30 प्रतिशत की कटौती होती है.
आंशिक निकासी के लिए यहां करें अप्लाई
आंशिक निकासी के लिए ईपीएफ मेंबर को ईपीएफ पोर्टल और उमंग ऐप पर आवेदन करना होगा. नियोक्ता से मंजूरी मिल जाने के बाद मेंबर के बैंक अकाउंट में पैसे आ जाते हैं. आंशिक निकासी के लिए आवेदन देने के बाद मेंबर स्टेटस भी चेक कर सकता है.
LIC ने अलग-अलग समयावधि यानी डेली, मंथली और तिमाही आधार पर न्यूनतम SIP राशि और किस्तों की संख्या की घोषणा की है.
अगर आप शेयर मार्केट में निवेश करना चाहते हैं, तो आपको बहुत विकल्प मिल जाएंगे. हालांति निवेशक म्यूचुअल फंड्स में निवेश करना ज्यादा पसंद करते हैं. बीते कुछ समय से व्यवस्थित निवेश योजना (SIP) में निवेश का रुझान बढ़ा है. यही वजह है कि म्यूचुअल फंड्स निवेशकों को अलग-अलग ऑफर्स के जरिए एसआईपी शुरू करने का मौका दे रहे हैं. अब इसी कड़ी में LIC म्यूचुअल फंड ने 100 रुपये की डेली एसआईपी शुरू की है. तो आइए जानते हैं इसमें आप कैसे निवेश कर सकते हैं?
कम से कम 60 किस्त
एलआईसी की डेली एसआईपी की किस्तों की न्यूनतम संख्या 60 है. कंपनी ने अलग-अलग अवधियों यानी डेली, मंथली और तिमाही आधार पर न्यूनतम एसआईपी राशि और किस्तों की संख्या की घोषणा की है. ये एसआईपी एलआईसी म्यूचुअल फंड्स ईएलएसएस टैक्स सेवर और एलआईसी म्यूचुअल फंड्स यूलिप को छोड़कर सभी मौजूदा म्यूचुअल फंड स्कीम्स पर लागू होंगे. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार डेली एसआईपी अब 100 रुपये की हो सकती है.
100 रुपये की एसआईपी कम कमाई वालों के लिए फायदेमंद
बता दें, सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच द्वारा फंड हाउसों के साथ मिलकर न्यूनतम 250 रुपये प्रति माह के योगदान के साथ माइक्रो एसआईपी विकसित करने की इच्छा व्यक्त की गई थी. एक्सपर्ट्स के अनुसार 100 रुपये की एक छोटी राशि बचाकर, कोई आसानी से इक्विटी परिसंपत्ति वर्ग का हिस्सा बन सकता है. यह उन लोगों की मदद करता है जो कम कमाते हैं या जिन्होंने अभी-अभी कमाई शुरू की है.
मंथली न्यूनतम एसआईपी 200 रुपये
न्यूनतम मंथली एसआईपी राशि 200 रुपये रखी गई है. मासिक किस्तों की न्यूनतम संख्या 30 होगी. इसके अलावा तिमाही एसआईपी न्यूनतम 6 किस्तों के साथ 1000 रुपये की हो सकती है. डेली एसआईपी सभी व्यावसायिक दिनों में किया जा सकता है और मासिक, त्रैमासिक एसआईपी महीने की 1 से 28 तारीख के बीच किसी भी तारीख को किया जा सकता है.
त्रैमासिक एसआईपी में न्यूनतम 1000 रुपये का निवेश
ईएलएसएस टैक्स सेवर योजना के तहत दी जाने वाली त्रैमासिक एसआईपी की न्यूनतम राशि और किस्तें भी 16 अक्टूबर, 2024 से संशोधित हो गई हैं. अब कोई भी व्यक्ति त्रैमासिक एसआईपी के माध्यम से न्यूनतम 1,000 रुपये और उसके बाद 500 रुपये के गुणकों में निवेश कर सकता है. किस्तों की न्यूनतम संख्या छह है.
Bank Of Baroda ने अपने ग्राहकों के लिए उत्सव एफडी स्कीम लॉन्च की है. 400 दिनों की इस एफडी में बैंक ग्राहकों को सामान्य एफडी से काफी ज्यादा ब्याज ऑफर कर रहा है.
देश के बड़े सरकारी बैंकों की सूची में शामिल बैंक ऑफ बड़ौदा (Bank of Baroda) ने अपने करोडों ग्राहकों को दिवाली से पहले एक तोहफा दे दिया है. दरअसल, बैंक ने अपने ग्राहकों के लिए BOB उत्सव डिपॉजिट स्कीम लॉन्च की है. उत्सव एफडी स्कीम 400 दिनों की एफडी है. इस स्कीम के तहत ग्राहकों को 7 प्रतिशत से अधिक दर पर ब्याज दिया जाएगा, इसका मतलब है कि 400 दिनों की इस एफडी पर ग्राहकों को अच्छा रिटर्न मिलने जा रहा है. इसके अलावा बैंक ने दूसरी एफडी पर भी ब्याज दर में इजाफा किया है.
उत्सव एफडी में मिलेगा इतना प्रतिशत ब्याज
बैंक की ओर से उत्सव एफडी में निवेश करने वाले सामान्य नागरिकों को 7.30 प्रतिशत, वरिष्ठ नागरिकों को 7.80 प्रतिशत और सुपर सीनियर नागरिकों को 7.90 प्रतिशत की दर से ब्याज मिलेगा.
BOB की संशोधित FD ब्याज
1. 7 दिन से 14 दिन की एफडी– सामान्य जनता को 4.25 प्रतिशत, सीनियर सिटिजन 4.75 प्रतिशत की दर से ब्याज ऑफर किया जाएगा.
2. 15 दिन से 45 दिन की एफडी- सामान्य जनता को 4.50 प्रतिशत और सीनियर सिटिजन को 5 प्रतिशत की दर से ब्याज दिया जाएगा.
3. 46 दिन से 90 दिन की एफडी- सामान्य जनता को 5.50 प्रतिशत और सीनियर सिटिजन को 6 प्रतिशत की दर से ब्याज दिया जाएगा.
4. 91 दिन से 180 दिन की एफडी- सामान्य जनता को 5.60 प्रतिशत और सीनियर सिटिजन को 6.10 प्रतिशत की दर से ब्याज ऑफर किया जा रहा है.
5. 181 दिन से 210 दिन की एफडी- सामान्य जनता को 5.75 प्रतिशत और सीनियर सिटिजन को 6.25 प्रतिशत की दर से ब्याज ऑफर किया जा रहा है.
6. 211 दिन से 270 दिन की एफडी- सामान्य जनता को 6.25 प्रतिशत और सीनियर सिटिजन को 6.75 प्रतिशत की दर से ब्याज ऑफर किया जाएग.
7. 271 दिन और उससे अधिक और 1 साल से कम की एफडी- सामान्य जनता को 6.50 प्रतिशत और सीनियर सिटिजन को 7 प्रतिशत की दर से एफडी ऑफर की जाएगी.
8. 1 साल एफडी – सामान्य जनता को 6.85 प्रतिशत और सीनियर सिटिजन को 7.35 प्रतिशत दर से ब्याज मिलेगा.
9. 1 साल से 400 दिन से अधिक – सामान्य जनता को 7 प्रतिशत और सीनियर सिटिजन को 7.50 प्रतिशत की दर से ब्याज ऑफर किया जाएगा.
10. 400 दिन से अधिक और 2 साल तक की एफडी- सामान्य जनता को 7 प्रतिशत और सीनियर सिटिजन को 7.50 प्रतिशत की दर से ब्याज दिया जाएगा.
11. 2 साल से अधिक और 3 साल तक - आम जनता के लिए: 7.15 प्रतिशत; सीनियर सिटिजन के लिए: 7.65 प्रतिशत
12. 3 साल से अधिक और 5 साल तक - आम जनता के लिए: 6.80 प्रतिशत; सीनियर सिटिजन के लिए: 7.40 प्रतिशत
13. 5 साल से अधिक से 10 साल तक – सामान्य जनता को 6.50 प्रतिशत और सीनियर सिटिजन को 7.50 प्रतिशत की दर से ब्याज दिया जाएगा.
14. 10 साल से अधिक (कोर्ट ऑर्डर स्कीम) – सामान्य जनता को 6.25 प्रतिशत और सीनियर सिटिजन को 6.75 प्रतिशत की दर से ब्याज ऑफर किया जाएगा.