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अगर layoff का है डर, तो लीजिए ये इंश्योरेंस और हो जाइए टेंशन फ्री
यह योजना आमतौर पर उन कंपनियों के कर्मचारियों को कवर करती है जो बंद हो गई हैं या जिनको बिना किसी कारण के नौकरी से अचानक से निकाल दिया गया है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
नई दिल्लीः आज कल बहुत सारी कंपनियां विश्व भर में छंटनी कर रही हैं और हजारों की संख्या में लोगों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ रहा है. ऐसे में इन लोगों के सामने परिवार के रोजाना और मासिक खर्चों को चलाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, जिसका असर व्यक्ति के मानसिक और शारिरिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है.
इन कंपनियों से निकाले गए हैं लोग
जहां एक प्रतिभाशाली इंजीनियर शुक्रवार की रात सोशल मीडिया के लिए नई सुविधाओं का निर्माण कर रहा है, सोमवार सुबह तक बेरोजगार हो सकता है. ट्विटर, अमेजन और मेटा से परे, छंटनी ने दुनिया भर में तकनीकी क्षेत्र को प्रभावित किया है. लगभग 1.5 लाख लोगों को 800 से अधिक फर्मों में नौकरी के बिना छोड़ दिया है. यहां तक कि मीडिया स्पेस में भी डिज्नी ने नौकरी में कटौती की घोषणा की है, जबकि एक भारतीय समाचार चैनल जी हिंदुस्तान के बंद होने की खबरों ने 300 कर्मचारियों को परेशानी में डाल दिया है.
जॉब लॉस इंश्योरेंस करता है मदद
जॉब लॉस इंश्योरेंस एक ऐसा इंश्योरेंस है जो ऐसे लोगों के खर्च और बिल भुगतान को कवर करती है, जो अपनी आय का स्रोत खो देते हैं, जब तक कि उन्हें नई नौकरी नहीं मिल जाती है. यह योजना आमतौर पर उन कंपनियों के कर्मचारियों को कवर करती है जो बंद हो गई हैं या जिनको बिना किसी कारण के नौकरी से अचानक से निकाल दिया गया है. आईसीआईसीआई, एचडीएफसी और रॉयल सुंदरम जैसे आय सुरक्षा प्लान लोगों को ईएमआई का भुगतान करने में मदद करते हैं, भले ही उनकी नियमित आय नौकरी छूटने से रुकी हो.
ऐसे लोगों को मिलता है यह कवर
इसका लाभ केवल उन लोगों द्वारा उठाया जा सकता है, जिनकी बीमारी के कारण नौकरी छूट गई है या जिन्हें नौकरी से निकाल दिया गया है, लेकिन यह उनके लिए नहीं है जिन्हें खराब प्रदर्शन के कारण निकाल दिया गया है. आईसीआईसीआई, एचडीएफसी और रॉयल सुंदरम की नीतियां केवल वेतनभोगी लोगों को कवर करती हैं और मौजूदा योजनाओं में ऐड-ऑन के रूप में उपलब्ध हैं.
पॉलिसी बाजार ने बेरोजगारी को कवर करने के लिए एक पॉलिसी भी पेश की थी, जो वेतनभोगी और स्व-नियोजित दोनों लोगों को सुरक्षा प्रदान करती है.
सरकार भी करती है ऐसे लोगों को कवर
जहां तक राज्य समर्थित नीतियों की बात है, 2005 में शुरू की गई राजीव गांधी श्रमिक कल्याण योजना, तीन साल से अधिक समय के लिए बीमित लोगों को अधिकतम दो वर्षों के लिए भत्ते के रूप में 50 प्रतिशत वेतन प्रदान करती है. अटल बीमित व्यक्ति कल्याण योजना में से एक, जहां बीमित व्यक्ति बेरोजगार होने पर अपने जीवनकाल में तीन महीने के लिए नकद राशि प्राप्त कर सकता है.
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