कई शहरों के नाम बदले...अब AIIMS की बारी! लेकिन आसान नहीं होगी राह

एम्स के डॉक्टर का मानना है कि संस्थान का नाम नहीं बदला जाना चाहिए. इस संबंध में एम्स के डॉक्टर की फैकेल्टी एसोसिएशन ने एक पत्र लिखकर सदस्यों से सुझाव मांगे हैं.

Last Modified:
Monday, 05 September, 2022
फाइल फोटो

तमाम शहरों के बाद अब देश के सबसे प्रतिष्ठित मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल 'ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज' (AIIMS) का नाम बदलने की कवायद चल रही है. मीडिया रिपोर्ट्स में सूत्रों से हवाले से बताया गया है कि सरकार स्थानीय नायक और स्वतंत्रता सेनानियों के नाम पर देश के 23 AIIMS का नाम बदलना चाहती है. हालांकि, सरकार के लिए यह शहर का नाम बदलने जितना आसान नहीं होगा, क्योंकि संस्थान के डॉक्टर इसके खिलाफ हैं.   

डॉक्टर्स ने जताई नाराज़गी
एम्स के डॉक्टरों का मानना है कि संस्थान का नाम नहीं बदला जाना चाहिए. इस संबंध में एम्स के डॉक्टरों की फैकेल्टी एसोसिएशन ने एक पत्र लिखकर सदस्यों से सुझाव मांगे हैं कि देशभर के 23 एम्स के नाम बदले जाने चाहिए या नहीं. इस पत्र में सरकार की कवायद पर एतराज जताते हुए कहा गया है कि जब ऑक्सफोर्ड और कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के नाम सदियों नहीं बदले तो एम्स को उसकी पहचान से अलग क्यों किया जाए. पत्र में यह भी लिखा गया है कि यह नाम ही संस्थान की पहचान है और नाम बदलने से देश-दुनिया में AIIMS की पहचान खराब हो जाएगी.

पत्र में दिए उदाहरण
पत्र में सदस्यों से 2 दिन में इस बारे में राय देने के लिए कहा है, जिससे एसोसिएशन आगे की कार्रवाई की योजना बना सके. एसोसिएशन का मानना है कि चेन्नई, कोलकाता और मुंबई जैसे शहरों के नाम बदलने के बाद भी वहां बहुत कुछ पुराने नाम पर है. उदाहरण के तौर पर मद्रास हाई कोर्ट, मद्रास यूनिवर्सिटी, को आज भी इसी नाम से जाना जाता है. ऐसे में एम्स का नाम बदलने का कोई तुक नजर नहीं आता.

लिस्ट में ये एम्स भी शामिल!
रिपोर्ट में बताया गया है कि जिन एम्स के नाम बदलने की कवायद चल रही है, उसमें भोपाल, भुवनेश्वर, जोधपुर, पटना, रायपुर, ऋषिकेश, रायबरेली और मदुरई के संस्थान भी शामिल हैं. बता दें कि इन सभी एम्स को प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के पहले चरण में मंजूरी दी गई थी और इनमें कामकाज शुरू हो चुका है. वहीं, इस समय देश में 4 एम्स संस्थान निर्माण के विभिन्न चरणों में हैं. एसोसिएशन के पत्र में कहा गया है कि किसी भी संस्थान की पहचान उसके नाम से जुड़ी होती है. अगर पहचान खो जाती है तो संस्था की मान्यता भी खो जाती है.