इन फूड आइटम्स को फ्रिज में रखने की न करें भूल, वरना होगा ये नुकसान 

कई फूड आइटम्स ऐसे हैं, जिन्हें फ्रिज में रखने से बचना चाहिए. यदि आप ऐसा नहीं करते हैं, तो उसके कई नुकसान हो सकते हैं.

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Saturday, 10 December, 2022
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आमतौर पर माना जाता है कि खाने-पीने की चीजों को फ्रिज में रखने से खराब नहीं होतीं. लेकिन हर फूड आइटम को फ्रिज में नहीं रखा जाता. लिहाजा, आपको पता होना चाहिए कि किसे फ्रिज में रख सकते हैं और किसे नहीं. चलिए आज हम आपको ऐसे ही कुछ आइटम्स के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्हें फ्रिज में रखने से बचना चाहिए.

ब्रेड
ब्रेड को फ्रीज में नहीं रखना चाहिए, क्योंकि इससे यह बहुत जल्दी सूखी हो जाती है. इसकी नमी खत्म हो जाती है और ऐसा होने पर आपको इसका पहले वाला स्वाद नहीं मिलेगा.  इसलिए ब्रेड को स्टोर करने का सबसे अच्छा तरीका उसे ब्रेड बॉक्स में रखकर किचन में रखें.

आलू
आलू को यदि आप उसके सही टेक्सचर या बनावट में रखना चाहते हैं, तो फ्रिज में स्टोर करने की गलती न करें. फ्रिज में रखे जाने पर आलू गैस रिलीज़ करता है और ढीला पड़ जाता है. इसलिए उसे रूम टेम्परेचर पर ही स्टोर करना चाहिए. 

केला 
इस फल को भी फ्रिज से दूर रखना चाहिए. यदि केले को फ्रिज में रखा जाता है, तो वो जल्द खराब हो जाते हैं. इसके अलावा, केले की डंडी से इथाईलीन गैस भी निकलती है, जो आसपास के फलों को जल्द पका देती है. इसलिए इसे फ्रिज में रखने की भूल न करें.

शहद 
शहद फ्रिज में रखने से टाइट हो जाता है और इसका स्वाद भी पहले जैसा नहीं रहता. वैसे भी, शहद के बारे में कहा जाता है कि इसे सालों तक रखा जा सकता है और इसके लिए फ्रिज की भी जरूरत नहीं है. आप इसे इसके ऑरिजनल कंटेनर में कूल एवं डार्क प्लेस पर रखें. 

इन्हें भी न रखें
तरबूज और खरबूज जैसे फल ज्यादा देर तक फ्रिज में रखने से अपने पोषक तत्व खो देते हैं. इसके अलावा, यदि आप इन्हें कटा हुआ फ्रिज में रखते हैं, तो इनकी महक पूरे फ्रिज में भर जाती है. खासकर खरबूज के मामले में ऐसा होता है. इसके अलावा, हरे धनिया आदि को भी फ्रिज में रखने से बचें. क्योंकि इससे यह सूख जाता है. बेहतर है कि इसे किसी ग्लास में पानी भरकर उसमें रख दें.


ISRO चीफ को Aditya-L1 की लॉन्च पर मिली थी 'बुरी खबर', फिर भी हंसते-हंसते पूरा किया मिशन

ISRO चीफ एस सोमनाथ को कैंसर है. चंद्नयान 3 के बाद उन्हें यह बात पता चली, जिसके बाद उन्होंने चेन्नई के एक अस्पताल से इलाज कराया और अब वो ठीक हो गए हैं.

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Monday, 04 March, 2024
isro s somnath

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) चीफ एस सोमनाथ को कैंसर है. इस बात का खुलासा उन्होंने एक मीडिया रिपोर्ट में किया है. एस सोमनाथ ने कहा है कि चंद्रयान-3 मिशन के दौरान भी उन्हें कुछ स्वास्थ्य समस्याएं थी, लेकिन तब इस बात का पता नहीं था, कि उन्हें कैंसर है. उन्होंने बाद में जांच कराई, जिसमें पता चला कि उनके पेट में कैंसर है. उन्होंने चेन्नई के एक अस्पताल में कैंसर का इलाज कराना शुरू कर दिया था. उनके परिवार वाले भी काफी परेशान हो गए थे. उनकी कीमोथैरेपी चलती रही और अब वो ठीक हो गए हैं.उन्हें आदित्य एल 1 की लांच के दिन इसका पता चला था, जिसके बाद उन्होंने परिवार को इसकी जानकारी दी.

Aditya l1  मिशन के दिन पता चली बीमारी
एस सोमनाथ ने बताया कि चंद्रयान-3 मिशन के दौरान उन्हें कुछ स्वास्थ्य समस्याएं थी, लेकिन यह जानकारी नहीं थी कि उन्हें कैंसर है। इसके बाद Aditya l1  मिशन के दिन वह अपनी रूटीन जांच के लिए अस्पताल गए थे. उसी दिन जांच में पता चला कि उनके पेट में कैंसर है, लेकिन उन्होंने अपना मिशन पूरा किया. इसके बाद उन्होंने चेन्नई के एक अस्पताल में कैंसर का इलाज कराना शुरू कर दिया था. उनके परिवार वाले भी काफी परेशान हो गए थे। उनकी कीमोथैरेपी चलती रही और वो ठीक हो गए. फिलहाल उनकी दवाइयां चल रही है.

चंद्रयान -3 मिशन के दौरान भी हुई थी स्वास्थ्य समस्या

एस सोमनाथ ने बताया कि चंद्रयान-3 मिशन के दौरान उन्हें कुछ स्वास्थ्य समस्याएं थी, लेकिन उन्हें इस बात का पता नहीं था कि मुझे कैंसर है। जांच में पता चला कि उनके पेट में कैंसर है। उन्होंने चेन्नई के एक अस्पताल में कैंसर का इलाज कराना शुरू कर दिया था। उनके परिवार वाले भी काफी परेशान हो गए थे। उनकी कीमोथैरेपी चलती रही और वो ठीक हो गए।उन्होंने कहा कि जिस दिन Aditya l1 मिशन अंतरिक्ष में लॉन्च हुआ था, उसी दिन उन्हें इस बात की जानकारी मिली, लेकिन उन्होंने बिना घबराए या परेशान हुए मिशन को पूरा किया. वो रूटीन चेकअप के लिए अस्पताल गए थे, तभी उन्हें इस बात की जानकारी मिली थी।

जेनेटिक बीमारी निकला कैंसर
एस सोमनाथ नेबताया कि Aditya l1 मिशन की सफल लॉन्चिंग के बाद उन्होंने पेट का स्कैन कराया. तब इसका पता चला था. इसके बाद अधिक जांच और इलाज के लिए वो चेन्नई गए. कुछ ही दिन में वहां कैंसर की पुष्टि भी हो गई. तब उन्हें पता चला कि यह बीमारी उन्हें जेनेटिकली है. इसके बाद सोमनाथ ने सर्जरी कराई और उसके बाद उनकी कीमोथेरेपी हुई. अब वह ठीक हैं.
 
मिशन गगनयान के लिए तैयार भारत

एस सोमनाथ ने बताया कि कुछ दिनों पहले गगनयान मिशन में शामिल चार एस्ट्रोनॉट्स के नाम का एलान हुआ. बतौर एस्ट्रोनॉट्स ग्रुप कमांडर प्रशांत बालकृष्णन नायर, अंगद प्रताप, अजीत कृष्णन, विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला स्पेस में जाएंगे. ये चारों भारतीय वायु सेना के टेस्ट पायलट हैं. इस मिशन के लिए चारों ने रूस जाकर ट्रेनिंग की है. इन चारों की फिलहाल एस्ट्रोनॉट ट्रेनिंग फैसिलिटी में ट्रेनिंग चल रही है. मिशन गगनयान मिशन का टेस्ट व्हीकल की सफल लॉन्चिंग हो चुकी है.

 


माता-पिता मूकबिधर, लेकिन इलाज के बाद अब बोल सकेगी नौ महीने की मासूम, कोशिश हुई कामयाब

ईएनटी एक्सपर्ट्स ने गुरुग्राम निवासी बच्ची मन्नत के कानों की सफल कॉक्लियर इम्प्लांट सर्जरी कर उसे सुनने व बोलने की क्षमता का उपहार देकर नया जीवनदान दिया है. 

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Friday, 01 March, 2024
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गुरुग्राम में रहने वाली एक नौ महीने की बच्ची की सफल कॉक्लियर इम्प्लांट सर्जरी कर उसे सुनने और बोलने की क्षमता का उपहार मिला है. नौ महीने की मन्नत जन्म से ही सुन नहीं सकती थी. उसकी मां खुशी व पिता कृष्णा और बुआ भी बचपन से ही मूक और बधिर (Dumb and Deaf) हैं, ऐसे में जेनेटिक कारणों से उसे भी यह समस्या आई, लेकिन उसकी दादी संतोष के प्रयास और आशा के चलते आज उसे एक नया जीवन मिल गया है. अब बच्ची सुनकर प्रति क्रिया भी देती है और बोलने का प्रयास भी करती है.

छह माह की उम्र में परिवार को पता चली बच्ची की समस्या
मन्नत का जन्म 7 मार्च 2023 में हुआ. मन्नत की दादी संतोष ने बताया कि वह छह महीने की थी, जब उन्हें यह अंदेशा हुआ कि मन्नत भी अपने माता पिता की तरह सुन और बोल नहीं सकती. वो घर पर कोई भी आवाज या शोर होने पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देती थी. वह न आवाज पहचानती, न कुछ सुनकर मुड़ के देखती, अचानक कुछ सुन कर चौंकने जैसी प्रतिक्रिया भी नहीं देती थी. उन्होंने सोचा कि मन्नत के माता पिता भी मूक बधिर हैं, ऐसे में वह इसे कैसे पालेंगे. उन्होंने इस पर विचार करते हुए बिना देरी किए डाक्टरों से संपर्क किया, ताकि वो जल्द सुनने और बोलने लगे. उन्होंने पहले एक स्थानीय ऑडियोलॉजिस्ट की स्क्रीनिंग कराई, जिसके बाद उसे आगे की जांच के लिए सर्वोदय अस्पताल रेफर किया गया.

20 दिन के ईलाज की प्रकिया के बाद सुनने लगी बच्ची

सर्वोदय अस्पताल के विषेषज्ञों ने बिहेवियरल ऑब्जर्वेशन ऑडियोमेट्री (बीओए), टिम्पैनोमेट्री, ऑडिटरी ब्रेनस्टेम रिस्पॉन्स (एबीआर), और ऑडिटरी स्टेडी-स्टेट रिस्पॉन्स (एएसएसआर) सहित विभिन्न जांचों से मन्नत में बधिरता की पुष्टि की. इसके बाद इनर ईयर, ऑडिटरी नर्व, और उसके आसपास  में संरचनात्मक असामान्यताओं का पता लगाने के लिए टेम्पोरल बोन के सीटी और एमआरआई स्कैन जैसे इमेजिंग अध्ययन भी किए गए. बच्ची के अंदर बधिरता की गंभीरता को देखते हुए अस्पताल के ईएनटी और कॉक्लियर इम्प्लांट के डायरेक्टर और हेड डॉ. रवि भाटिया ने कॉक्लियर इम्प्लांट सर्जरी की सलाह दी. डॉ. भाटिया ने बताया कि मन्नत में सामान्य इंट्राऑपरेटिव प्रतिक्रियाओं के साथ 28 दिसंबर 2024 को उसकी सर्जरी सफल रही और कोई दिक्कत नहीं हुई। मन्नत तेज़ी से रिकवर हुई और अगले दिन उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।

सर्जरी के तुरंत बाद ही बच्ची ने आवाज पर प्रति क्रिया देनी की शुरू
परिवार के बताया कि मन्नत ने सर्जरी के तुरंत ऑडिटरी प्रतिक्रियाएं दिखानी शुरू की और तीन सप्ताह की एक्टिवेशन अवधि के बाद उसने आवाजों पर काफी रेस्पांस करना शुरू कर दिया. उसने बड़बड़ाना भी शुरू कर दिया। अगले एक साल तक मन्नत को कॉक्लियर इम्प्लांट फंक्शन का आंकलन करने के लिए नियमित मॉनिटर किया जाएगा.

बच्ची की सर्जरी का पूरा खर्च एक संस्था ने उठाया
डाक्टरों के अनुसार इस सर्जरी का खर्च करीब 10 लाख रुपये तक आता है, लेकिन मन्नत का पूरा ईलाज फ्री में हुआ. द हंस फाउंडेशन ने परिवार की कमजोर आर्थिक स्थिति को देखते हुए पूरे सर्जिकल खर्च की जिम्मेदारी खुद उठाई. 


भारत में प्रति लाख में से 291 बच्चे जन्म से मूक व बधिर पैदा होते हैं

अस्पताल के मेडिकल एडमिनिस्ट्रेटर डा. सौरभ गहलोत ने बताया कि माता-पिता को अक्सर अपने बच्चों में सुनने की क्षमता में कमी के शुरुआती लक्षणों पर ध्यान नहीं देते हैं. इस कारण से बच्चे को सही उम्र में जरूरत अनुसार सर्जरी नहीं मिल पाती है. आज भी भारत में प्रति लाख में से 291 बच्चे जन्म से मूक व बधिर पैदा होते हैं,  जिसमें से सिर्फ एक तिहाई को ही सही समय पर सही इलाज मिल पाता है. ऐसे में माता पिता को सलाह है कि वह जितना जल्द हो सके बच्चों को ईलाज कराएं ताकि वह जल्द बोलनाव सुनना शुरू कर दें. 
 
 


AI से सिर्फ इनवेस्टिगेशन ही नहीं बल्कि प्रोडक्टिविटी को भी बढ़ा या जा सकता है. 

डॉक्‍टर हर्ष महाजन ने कहा कि मेरा मानना है कि रेडियोलॉजिस्‍ट जो आज काम कर रहे हैं उनसे बेहतर वो काम कर पाएंगे जो रेडियोलॉजिस्‍ट एआई के साथ काम करेंगे.

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो by
Published - Saturday, 24 February, 2024
Last Modified:
Saturday, 24 February, 2024
BW Healthcare

BW Healthcare के Heathcare Excellence Summit And Awards में आयोजित हुए एक पैनल डिस्‍कशन में इस क्षेत्र के कई नामी लोगों ने भाग लिया. एआई की भूमिका को लेकर जहां कुछ लोगों ने कहा कि इससे मेडिकल जगत में रेवोल्‍यूशन आने की उम्‍मीद है वहीं दूसरी ओर कुछ एक्‍सपर्ट प्रीवेंटिव और प्रीडिक्टिव केयर को लेकर अपनी बात कही. लेकिन सभी ने हेलथकेयर में एआई की भूमिका को अहम बताया. इस पैनल में जहां महाजन इमेजिंग के फाउंडर और सीईओ डॉ. हर्ष महाजन, फुजीफिल्‍म इंडिया के सीनियर वीपी चंद्रशेखर सिब्‍बल और  Agilas Diagnostic के CEO & MD आनंद के शामिल हुए. 

एआई रेडियोलॉजी से संभव है कई काम 
महाजन इमेजिंग के फाउंडर और सीईओ डॉ. हर्ष महाजन ने कहा कि आज दुनिया के सभी हिस्‍सों में दिखाई दे रहा है. अहम बात ये है कि रेडियोलॉजी तीन दशक पहले से डिजिटल हो गई थीउन्‍होंने कहा कि मैं आपको बताना चाहूंगा कि 2018 में लैंडसेट में भारत में सबसे पहले एआई को लेकर जो स्‍टडी सामने आई थी उसमें हमारे ग्रुप की बड़ी भूमिका थी.

डॉक्‍टर महाजन ने कहा कि मेरा मानना है कि रेडियोलॉजिस्‍ट जो आज काम कर रहे हैं उनसे बेहतर वो काम कर पाएंगे जो रेडियोलॉजिस्‍ट एआई के साथ काम करेंगे. उन्‍होंने कहा कि हाल ही में हॉवर्ड यूनिवर्सिटी की रिसर्च सामने आई थी जिसमें कहा गया था एआई चेस्‍ट एक्‍सरे की मिस्‍ड फाइडिंग का भी पता लगाने में सक्षम है. उस स्‍टडी को बड़े लेवल पर किया गया था. इससे सिर्फ फाइडिंग को ही बेहतर नहीं बनाया जा सकता है बल्कि प्रोडक्टिविटी को भी बढ़ाया जा सकता है.आज अगर हम एक दिन में 30 से 35 एमआरआई कर रहे हैं तो एआई के आने के बाद वो केवल एक असिस्‍टेंट की तरह ही काम करेगा. सिर्फ यही नहीं उम्‍मीद ये भी रहेगी कि कभी मेरे व्‍यस्‍त समय में मेरे काम को शेयर करेगा. 

मास स्‍क्रीनिंग से बदल रही है तस्‍वीर 
फुजीफिल्‍म इंडिया के सीनियर वीपी चंद्रशेखर सिब्‍बल ने कहा कि आज अगर किसी भी चीज की स्‍क्रीनिंग करनी है तो उसके लिए एआई एक अहम साधन बन रहा है. आज कई तरह की स्‍क्रीनिंग इसके जरिए हो रही है. आज इसके जरिए जो भी फाइडिंग हो रही है अब वो भले ही कैल्शियम लेवल की जांच हो, अब वो भले ही ब्रेस्‍ट इंवेस्टिगेशन हो, हम देश में मास स्‍क्रीनिंग कर रहे हैं.

हमारी वैन्‍स जा रही हैं और एक्‍सरे कर रहे हैं. देख रहे हैं कि उनमें किसी तरह का इनफेक्‍शन है या नहीं. भारत जैसे देश के लिए ये एक बहुत बड़ी चीज है. उन्‍होंने कहा कि मुझे लगता है कि एआई इस पूरे सेक्‍टर में रेवोल्‍यूशन लाने वाला है. बहुत सारे डेवलपमेंट हो रहे हैं, विशेषतौर पर स्‍क्रीनिंग के मामले में कई विकास हो रहे हैं. भारत जैसे देश में सबसे ज्‍यादा समस्‍या इस बात की है कि हमारे वहां कैंसर उस वक्‍त डिटेक्‍ट होता है जब वो तीसरे या चौथे स्‍टेज में होता है. जबकि जापान और यूएस जैसे देशों में एक रेग्‍यूलर स्‍क्रीनिंग का सिस्‍टम होता है. इसके कारण वो अर्ली स्‍टेज में डिटेक्‍ट हो जाता है और उसका इलाज शुरू हो जाता है. इससे उसका नंबर कम हो जाता है. 

प्रीवेंटिव और प्रीडिक्टिव टेस्टिंग दोनों अलग-अलग हैं
Agilas Diagnostic के CEO & MD Anand K ने कहा कि अगर हम प्रीवेंटिव टेस्‍टिंग की बात करें तो आज वो भारत की कुल पैथोलॉजी जांच का 20 प्रतिशत है. ये सालाना 14 से 15 प्रतिशत की रफ्तार से बढ़ भी रही है. ये इंडस्‍ट्री का तेजी से बढ़ने वाला सेगमेंट है. अगर हम प्रीवेंटिव टेस्टिंग और प्रीडेक्टिव टेस्टिंग की बात करें तो दोनों में अंतर है. आज भारत में प्रीवेंटिंव टेस्टिग हो रही है.

प्रीवेंटिव टेस्टिंग वो होती है जो एक हेल्‍थी आदमी की होती है और किसी आदमी के अंदर बीमारी की जांच के लिए की जाती है. लेकिन जहां तक बात एआई जनरेटिव डिटेक्‍शन की बात है तो उसमें हम लोग बीमारी को लेकर एक अलग अप्रोच से काम करते हैं. हालांकि अभी ये बहुत दूर है. इसलिए जीनोमिक्‍स एक बड़ी भूमिका निभाता है. हाल ही में प्रीडिक्‍टिव एक्‍शन को लेकर अभी भी कई तरह की आशंकांए हैं. हाल ही में सामने आई एक स्‍टडी निकलकर सामने आई जिसमें बताया गया कि आखिर 8 में से एक आदमी पर जब इसकी जांच हुई लोगों की जब प्रीडिक्टिव जांच हुई तो पता चला कि उनमें कुछ परेशान है, इस तरीके से उनके इलाज को और आसानी से करने में काफी मदद मिली.


भारत में जेनेरिक मेडिसिन और उपकरणों से सस्‍ते इलाज की बड़ी संभावनाएं हैं : डॉ. अजय स्‍वरूप 

डॉक्‍टर अजय स्‍वरूप ने कहा कि भारत वो देश है जहां HTA अपने शुरूआती दौर में है और हम आज भी नई चीजों को सीख रहे हैं. उन्‍होंने कहा कि हम अफोर्डेबल हेल्‍थकेयर दे सकते हैं.

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो by
Published - Saturday, 24 February, 2024
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Saturday, 24 February, 2024
Dr. Ajay Swaroop

BW Heathcare के दिल्‍ली में आयोजित हुए समिट और अवॉर्ड कार्यक्रम में गंगाराम अस्‍पताल के चेयरमैन बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट डॉ अजय स्‍वरूप ने भारत के हेल्‍थकेयर सिस्‍टम को लेकर कई अहम बातें बताई. उन्‍होंने कहा कि हमारे हेल्‍थकेयर सिस्‍टम की शुरुआत आयुर्वेद से होती है और वहां से आज हम मॉडर्न हेल्‍थकेयर सिस्‍टम की ओर आगे बढ़ रहे हैं. उन्‍होंने देश के सामने मौजूद चुनौतियों से लेकर उसकी उपलिब्‍ध के बारे में अपनी बात कही. उन्‍होंने कहा कि हमारे देश में जेनेरिक मेडिसिन और लोकल मेड उपकरणों के जरिए सस्‍ते इलाज की बड़ी संभावना है. 

आयुर्वेद से शुरू होता है भारत का हेल्‍थकेयर 
डॉक्‍टर अजय स्‍वरूप ने कहा कि मैं एक सामान्‍य क्‍लीनिकल डॉक्‍टर हूं और अब मैं गंगाराम जैसे प्रतिष्ठित अस्‍पताल में एक एडमिनिट्रेटर हूं. मैं यहा आपको किसी भी तरह का पॉवर प्‍वाइंट प्रजेंटेशन देने नहीं आया हूं. मैं आज आप लोगों को यहां पर बस बताना चाहता हूं कि हम कहां थे कहां आए हैं और हमारा टारगेट क्‍या है. भारत अपने आयुर्वेद और सिद्ध और यूनानी दवाओं के लिए जाना जाता है. इनका जिक्र हमें अपने प्राचीन वेदों में भी मिलता है. 2500 बीसी में भारत में आयुर्वेद सामने आया था. हमारे देश में सुश्रुत को एक प्राचीन प्‍लास्टिक सर्जन के तौर पर जाना जाता है. आप इस बात को लेकर आश्‍चर्यचकित हो जाएंगे जब ये जानेंगे कि वो जिन उपकरणों का इस्‍तेमाल करते थे आज के मुकाबले वो कितने अलग थे.

मौजूदा हेल्‍थकेयर की ये हैं चुनौतियां 
डॉक्‍टर अजय स्‍वरूप ने कहा कि आज हम हेल्‍थकेयर सिस्‍टम में कई तरह के बदलाव देख रहे हैं. मैं आज आप लोगों के सामने कुछ चुनौतियों को रखना चाहता हूं. आज यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका जैसे देशों में बेहतर हेल्‍थ इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर है, जिनसे कई ऐसे देश अलग-अलग चीजों को सीख रहे हैं. भारत वो देश है जहां HTA अपने शुरूआती दौर में है हम आज भी कई ऐसी चीजों को सीख रहे हैं. एक ऐसे देश में जहां विविधता बड़ी संख्‍या में हो गांवों की श्रृंखला का सिस्‍टम बड़ा व्‍यापक हो, वहां हम एफोर्डेबल हेल्‍थकेयर मुहैया कराने की कोशिश कर रहे हैं.

हेल्‍थ इंश्‍योरेंस एक बड़ी भूमिका में दिखाई दे रहा है. वहीं सरकार एक बड़ी संख्‍या के लोगों को हेल्‍थ कवरेज प्रोवाइड कर रही है. इसी कड़ी में भारत सरकार ने 2018 में आयुष्‍मान भरत स्‍कीम को लॉन्‍च किया था. हेल्‍थ टेक्‍नोलॉजी एसेसमेंट एजेंसी के लिए सीमित बजट और संसाधनों में भारत में यूनिवर्सल हेल्‍थ कवरेज स्‍थापित करना एक बड़ी चुनौती है. ऐसा देखने में आया है कि महिलाएं और बुजुर्ग पब्लिक हेल्‍थकेयर सिस्‍टम का ज्‍यादा इस्‍तेमाल करते हैं. पब्ल्कि हेल्‍थकेयर सिस्‍टम को देश के सोसियोइकोनॉमिक लोगों की जरूरत को देखते हुए बनाया गया है. हेल्‍थ जैसे विषय का राज्‍य का सब्‍जेक्‍ट होना भी बड़ी अलग बात लगती है. 

रेग्‍यूलेटरी सिस्‍ब्‍टम को लेकर कही ये बात 
जैसा कि भारत अपने हर स्‍तर पर भ्रष्‍टाचार का सामना कर रहा है, ऐसे में जरूरी ये है कि एवीडेंस बेस्‍ड रिसर्च की जाए और ट्रांसपेरेंट तरीके से काम हो. भारत का रेग्‍यूलेटरी सिस्‍टम देश के डायवर्सिफाई हेल्‍थकेयर सिस्‍टम के कारण काफी प्रभावित है. हमारे देश में ना कि इंपोर्टेड इक्‍यूपमेंट और ट्रीटमेंट की बजाए लोकल स्‍तर पर बनी मेडिकल इक्विपमेंट और लो कॉस्‍ट ट्रीटमेंट की बड़ी संभावना है. जेनेरिक मेडिसिन के हमारे सामने क्‍लीनिकल एवीडेंस सामने हैं. भारत दूसरे लो इनकम देशों के मुकाबले डाटा को लेकर बड़ी परेशानी का सामना कर रहा है. इसके कारण डिजिटलाइजेशन नहीं हो पा रहा है. लेकिन इसे डेटा के स्‍टोरेज से बेहतर सिस्‍टम बनाया जा सकता है. हमारे देश में मरीजों के क्‍लीनिकल प्रैक्टिस की कमियों को दूर करने के लिए, दवाओं के ज्‍यादा इस्‍तेमाल को रोकने के लिए, इलाज को समझने के लिए, स्‍पष्‍ट गाइडलाइन की बहुत जरूरत है. 


हेल्‍थ इंडस्‍ट्री ने बजट का स्‍वागत तो किया लेकिन आखिर क्‍यों दिख रही है निराशा?

इंडस्‍ट्री प्‍लेयर का कहना है कि बजट में स्वास्थ्य देखभाल व्यय में 10-12% की वृद्धि की उम्मीद की गई थी, जिससे स्वास्थ्य देखभाल पर अब आवश्यक ध्यान दिया जा सकेगा.

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो by
Published - Thursday, 01 February, 2024
Last Modified:
Thursday, 01 February, 2024
Budget 2024

वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को जो बजट पेश किया उसमें हेल्‍थ सेक्‍टर के लिए काफी योजनाओं की घोषणा की है. एक ओर जहां आयुष्‍मान भारत योजना के दायरे को बढ़ाने की बात कही गई है वहीं दूसरी ओर नए मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए समिति बनाने की बात भी कही है. सबसे खास बात है कि इस बजट को आखिर हेल्‍थ सेक्‍टर कैसे देख रहा है. हेल्‍थ सेक्‍टर के विशेषज्ञ जहां इस बजट को नई दिशा का बजट कह रहे हैं वहीं कई मामलों को लेकर निराश भी हैं. 

स्‍वास्‍थ्‍य सेवा का बढ़ाया जा सकता था बजट   
एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, फरीदाबाद के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, डॉ. एन के पांडे, कहते हैं  कि निर्मला सीतारमण के अनुसार, देश के युवाओं, महिलाओं और ग्रामीण विकास पर सरकार का फोकस काफी हद तक आश्वस्त करने वाला है. उन्‍होंने कहा कि सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम के लिए टीकाकरण को प्रोत्साहित करने, मौजूदा सरकारी निजी अस्पताल के बुनियादी ढांचे का उपयोग करके अधिक मेडिकल कॉलेज स्थापित करने, सभी आंगनवाड़ी और आशा कार्यकर्ताओं के लिए आयुष्मान भारत कवर का विस्तार करने की पहल के लिए बजट की सबसे अधिक सराहना की जानी चाहिए.

 हालाँकि कुल मिलाकर बजट संतुलित लगता है, फिर भी स्वास्थ्य सेवा पर अधिक ध्यान दिया जा सकता था. बजट में स्वास्थ्य देखभाल व्यय में 10-12% की वृद्धि की उम्मीद की गई थी, जिससे स्वास्थ्य देखभाल पर अब आवश्यक ध्यान दिया जा सकेगा. आम तौर पर बजट को प्रमुख मुद्दों को संबोधित करने के लिए सकारात्मक माना जाता है, हालांकि, स्वास्थ्य देखभाल के लिए अधिक पर्याप्त आवंटन का आह्वान भविष्य के विचारों के लिए एक उल्लेखनीय बिंदु है.

चिकित्‍सा रिसर्च में और बेहतर हो सकता था

प्रसूति एवं आईवीएफ विशेषज्ञ, नर्चर आईवीएफ क्लिनिक के स्त्री रोग विशेषज्ञ, डॉ. अर्चना धवन बजाज कहते हैं कि वित्‍त मंत्री के अनुसार, चिकित्सा शिक्षा पर सरकार के जोर और सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम के लिए टीकाकरण मिशन जैसी पहल को मान्यता मिली है. एक व्यापक कार्यक्रम के तहत मातृ एवं शिशु देखभाल के लिए विभिन्न योजनाओं का एकीकरण, जिसमें ‘सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0’ के माध्यम से आंगनवाड़ी केंद्रों का त्वरित उन्नयन शामिल है, पोषण, प्रारंभिक बचपन की देखभाल और विकास में सुधार के प्रति प्रतिबद्धता का संकेत देता है.
हालाँकि, इन सकारात्मक पहलुओं के बीच, चिकित्सा प्रौद्योगिकी को बढ़ाने, आनुवंशिक अनुसंधान और निवारक स्वास्थ्य देखभाल उपायों को बढ़ावा देने के लिए बढ़ी हुई फंडिंग में कुछ चूकें हैं. बजट घोषणाएं एक व्यापक रणनीति के साथ अधिक प्रभावी हो सकती थीं जो स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में व्यापक चुनौतियों और अवसरों को संबोधित करती है, जिससे देश में सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए समग्र और प्रभावशाली दृष्टिकोण सुनिश्चित होता है.

जो नहीं हो सका उसकी भी एक लंबी सूची है

आकाश हेल्थकेयर के प्रबंध निदेशक, डॉ. आशीष चौधरी ने कहा कि स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र केंद्रीय बजट 2024 की सराहना करता है. यह ध्यान देने योग्य बात है कि सरकार ने मौजूदा अस्पताल के बुनियादी ढांचे का उपयोग करके और अधिक मेडिकल कॉलेज स्थापित करने की घोषणा के साथ चिकित्सा शिक्षा को प्राथमिकता दी है. साथ ही, मातृ एवं शिशु देखभाल के लिए विभिन्न योजनाओं को एक व्यापक कार्यक्रम के तहत लाया जा रहा है जिससे कार्यान्वयन में तालमेल बढ़ेगा.
सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम के लिए 9 से 14 वर्ष की आयु वर्ग की लड़कियों के लिए टीकाकरण को प्रोत्साहित करने का प्रस्तावित मिशन सही दिशा में एक कदम है. आयुष्मान भारत योजना के तहत स्वास्थ्य देखभाल कवरेज को सभी आशा कार्यकर्ताओं, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं तक बढ़ाए जाने के साथ, ये उपाय देश भर में महिलाओं, बच्चों और स्वास्थ्य कर्मियों के लिए व्यापक स्वास्थ्य देखभाल और कल्याण के प्रति प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हैं. हालाँकि, बजटीय घोषणा में इस क्षेत्र की उम्मीदों के बीच जो चीजें छूटी हैं उसकी भी एक सूची है. देश में सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए समग्र और प्रभावशाली दृष्टिकोण सुनिश्चित करने, स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के भीतर व्यापक चुनौतियों और अवसरों को संबोधित करने के लिए बजटीय घोषणाओं को अधिक व्यापक रणनीति से लाभ हो सकता है.

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क्‍या FM की घोषणाओं से सुधर पाएगी हेल्‍थकेयर सेक्‍टर की हेल्‍थ या अधूरी रह जाएगी हसरत 

केन्‍द्र सरकार ने जहां आयुष्‍मान योजना का दायरा बढ़ाया है वहीं दूसरी ओर आंगनवाड़ी और मातृत्‍व के लिए भी कई योजनाओं का ऐलान किया है. 

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो by
Published - Thursday, 01 February, 2024
Last Modified:
Thursday, 01 February, 2024
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लोकसभा चुनावों से पहले पेश हुए देश के अंतरिम बजट में हेल्‍थकेयर को लेकर भी कई घोषणाएं की गई हैं. इस बजट में जहां हेल्‍थकेयर के लिए सरकार ने जहां आयुष्‍मान भारत का दायरा बढ़ा दिया है वहीं दूसरी ओर नए मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए समिति बनाने का भी ऐलान किया गया है. यही नहीं वित्‍त मंत्री ने जहां सर्वाइकल कैंसर जैसी बीमारी के लिए वैक्‍सीन लगवाने का ऐलान किया है ऐसे ही कई और भी ऐलान किए है. 

अब इन लोगों को भी मिल सकेगा आयुष्‍मान कार्ड 
वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि इस साल से आयुष्‍मान योजना में हेल्‍थकेयर वर्करों जैसे कि आंगनवाड़ी में काम करने वाली आशा वर्कर और आंगनवाड़ी वर्कर और उनके सहायकों को भी इसका फायदा मिल पाएगा. ये केन्‍द्र सरकार की एक बड़ी योजना है जो अभी तक केवल गरीबों को ही दी जा रही थी. 

नए मेडिकल कॉलेजों के लिए बनेगी समिति 
वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में कहा कि देश में मौजूदा समय में कई युवाओं ने चिकित्‍सा शिक्षा पास की है जो अब अच्‍छे हेल्‍थकेयर सेक्‍टर में देश को अपनी सेवाएं देना चाहते हैं. उन्‍होंने कहा कि हमारी सरकार अलग-अलग विभागों के मौजूदा हेल्‍थकेयर सिस्‍टम के साथ नए अस्‍पताल बनाना चाहती है. उन्‍होंने कहा कि इस दिशा जल्‍द ही एक समिति बनाई जाएगी जो इसे मामले को लेकर विस्‍तृत रिपोर्ट सरकार को देगी. 

सर्वाइकल कैंसर के लिए वैक्‍सीनेशन 
वित्‍त मंत्री ने अपने बजट भाषण में कहा कि सर्वाइकल कैंसर जैसी बीमारी से बचने के लिए 9 से लेकर 14 साल की लड़कियों को वैक्‍सीन के लिए प्रोत्‍साहित किया जाएगा. आकाश हेल्थकेयर के प्रबंध निदेशक, डॉ. आशीष चौधरी ने कहा कि सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम के लिए 9 से 14 वर्ष की आयु वर्ग की लड़कियों के लिए टीकाकरण को प्रोत्साहित करने का प्रस्तावित मिशन सही दिशा में एक कदम है.

एक योजना के अंदर आएंगी मातृत्‍व योजनाएं
वित्‍त मंत्री ने ये कहा कि मातृत्‍व और शिशु सुरक्षा से जुड़ी हुई कई योजनाओं को एक विस्‍तृत कार्यक्रम के तहत लाया जाएगा. आंगनवाड़ी कार्यक्रम को सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.O लाया जाएगा. इसके तहत और इस कार्यक्रम का और विस्‍तार किया जाएगा जिसमें बच्‍चों को और पौष्टिक आहार दिया जाएगा. वित्‍त मंत्री ने छोटे बच्‍चों के लिए चलाए जा रहे इम्‍यूनाइजेशन कार्यक्रम को पूरे देश में रोल आउट करने के लिए चलाए जा रहे Uwin पोर्टल को अब पूरे देश में लागू करने की भी तैयारी कर ली है. 

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नए साल का जश्न मनाएं, लेकिन सावधानी के साथ; बढ़ रहे हैं JN.1 के मामले

कोरोना का नया वैरिएंट आसानी से इम्यूनिटी को चकमा देकर संक्रमित करने में सक्षम है. ऐसे में नए साल पर भीड़-भाड़ के कारण वायरस फैलने का खतरा और भी बढ़ सकता है.

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो by
Published - Wednesday, 27 December, 2023
Last Modified:
Wednesday, 27 December, 2023
file photo

कोरोना (Corona Virus) के प्रकोप से हम सभी वाकिफ हैं. कुछ साल पहले इस जानलेवा वायरस ने जो कहर बरपाया था, उसे शायद ही कोई भूल सके. चिंता की बात ये है कि कोरोना अब अपने नए रूप में सामने आ चुका है और इसके JN.1 वैरिएंट के मामले बढ़ रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, देश में अब तक इससे संक्रमित 83 मरीज मिल चुके हैं. कोरोना के इस नए वैरिएंट से सबसे ज्यादा प्रभावित गुजरात हुआ है. यहां इसके 34 मामले सामने आए हैं. 

कहां, कितने मिले मामले?
मीडिया रिपोर्ट्स में कोविड सैंपल का जीनोम सीक्वेंसिंग करने वाले संघ INSACOG के हवाले से बताया गया है कि JN.1 की सबसे ज्यादा मार गुजरात पर पड़ रही है. राज्य में अब तक इसके 34 केस मिले हैं. गुजरात के बाद गोवा का नंबर है, यहां 18 मामले सामने आ चुके हैं. इसी तरह. कर्नाटक में 8, महाराष्ट्र में 7, केरल में 5, राजस्थान में 5, तमिलनाडु से 4 और तेलंगाना में 2 पॉजिटिव केस मिले हैं. वहीं, कोरोना के कुल मामलों की बात करें, तो संक्रमितों की संख्या बढ़कर 4,170 हो गई है. इसमें अकेले केरल में ही 3,096 मामले मिले हैं. कर्नाटक में COVID-19 के 122 केस हैं. 

पहले 3 हफ्ते में बढ़े केस
गुजरात में कोरोना के नए वैरिएंट के केस ज्यादा मिलने के पीछे तर्क यह दिया जा रहा ही कि वहां टेस्टिंग बढ़ा दी गई है. केरल में भले ही COVID-19 के अधिक केस दर्ज हो रहे हों, लेकिन जेएन.1 के अब तक केवल 5 मामले ही सामने आए हैं. INSACOG का डेटा बताता है कि JN.1 वैरिएंट के मामले दिसंबर के पहले तीन हफ्ते में बढ़े हैं. 24 दिसंबर को समाप्त हुए सप्ताह में 29 नए मामलों का पता चला है. वहीं, अमेरिका और सिंगापुर जैसे देशों में भी नए वैरिएंट से जुड़े मामलों में उछाल आया है. 

वायरस फैलने का खतरा
मेडिकल एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस वैरिएंट में एक अतिरिक्त म्यूटेशन है, जिसके कारण यह तेजी से फैल रहा है. यह आसानी से इम्यूनिटी को चकमा देते हुए व्यक्ति को संक्रमित करने में सक्षम है. ऐसे में नए साल पर भीड़-भाड़ के कारण वायरस फैलने का खतरा और भी बढ़ सकता है. एम्स के पूर्व डायरेक्टर और सीनियर पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. रणदीप गुलेरिया का कहना है कि कोरोना का नया सब-वैरिएंट जेएन.1 तेजी से फैल रहा है, लेकिन इससे मरीजों की स्थिति गंभीर होने के मामले सामने नहीं आए हैं और ना ही हॉस्पिटलाइजेशन बढ़ा है. वहीं, कुछ अन्य एक्सपर्ट्स का भी कहना है कि सावधानी बरतने की जरूरत है न कि घबराने की. बुजुर्ग और गंभीर बीमारी वाले लोग मास्क इस्तेमाल करें.  


भारत को मिली WFME मान्‍यता, मेडिकल छात्रों को होगा ये फायदा

एनएमसी की ओर से दी गई इस जानकारी के बाद भारत में पढ़ाई कर रहे मेडिकल के स्‍टूडेंट अमेरिका, आस्‍ट्रेलिया सहित कई अन्‍य देशों में जाकर स्‍नात्‍तकोत्‍तर प्रशिक्षण और प्रैक्टिस कर पाएंगे. 

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो by
Published - Thursday, 21 September, 2023
Last Modified:
Thursday, 21 September, 2023
Medical Student

भारत में पढ़ाई कर रहे मेडिकल स्‍टूडेंट के लिए अमेरिका से बड़ी खबर निकलकर सामने आई है. नेशनल मेडिकल काउंसिल को वर्ल्‍ड फेडरेशन फॉर मेडिकल एजुकेशन (WFME) की मान्‍यता मिल गई है. इस मान्‍यता के मिलने के बाद अब भारत में पढ़ाई कर रहे मेडिकल स्‍टूडेंट अमेरिका, कनाडा, आस्‍ट्रेलिया और न्‍यूजीलैंड जैसे देशों में जाकर प्रैक्टिस कर पाएंगे. इस मान्‍यता का मतलब ये है कि भारत की चिकित्‍सा पढ़ाई को दुनिया के बड़े देशों ने मान्‍यता दे दी है.इस मान्‍यता के साथ भारत की चिकित्‍सा पढ़ाई को वैश्विक मानकों को मान्‍यता मिल चुकी है. इस निर्णय से भारत में मेडिकल टूरिज्‍म में और इजाफा होने की संभावना है. 

706 कॉलेजों को मिल गई है मान्‍यता 
WFME की इस मान्‍यता के बाद भारत के सभी 706 कॉलेजों को मान्‍यता मिल गई है. यही नहीं भारत में आने वाले समय में जो भी कॉलेज बनेंगे या सरकार द्वारा बनाए जा रहे हैं उन्‍हें भी मान्‍यता मिल जाएगी. ये मान्‍यता 10 वर्षों के लिए मिली है. इस मान्‍यता के बाद भारत में मेडिकल शिक्षा का स्‍तर भी वैश्विक स्‍तर का हो गया है. भारत में एनएमसी चिकित्‍सा संबंधी शिक्षा और अभ्‍यास की देखरेख करने वाली सबसे बड़ी इकाई है. जबकि WFME दुनिया भर में चिकित्‍सा संस्‍थानों के लिए मानक बनाने वाली संस्‍था है. 

मान्‍यता पर एनएमसी ने क्‍या कहा? 
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, मान्‍यता मिलने पर एनएमसी (नेशनल मेडिकल काउंसिल) में एथिक्‍स एंड मेडिकल रजिस्‍ट्रेशन बोर्ड के सदस्‍य योगेन्‍द्र मलिक ने कहा कि WFME की मान्‍यता इस बात को दर्शाती है कि भारत की चिकित्‍सा शिक्षा को वैश्विक मान्‍यता मिल गई है. हम उन मानकों का पालन कर रहे हैं जो WFME ने दुनिया भर के कई देशों के मेडिकल कॉलेजों के लिए बनाए हैं. इस मान्‍यता के साथ सभी भारतीय छात्र विदेशी चिकित्‍सा शिक्षा और संयुक्‍त राज्‍य अमेरिका की मेडिकल लाइसेंसिंग परीक्षा के लिए आवेदन के पात्र बन गए हैं. 

भारत अंतराष्‍ट्रीय छात्रों के लिए बनेगा हॉट डेस्टिनेशन 
WFME की मान्‍यता के साथ भारत के अंतराष्‍ट्रीय छात्रों के लिए एक बड़े डेस्टिनेशन के तौर पर उभरने की संभावना बढ़ गई है. हालांकि अगर इलाज के लिहास से देखा जाए तो भारत अभी भी दुनिया के कई देशों में बेहतर और सस्‍ता इलाज मुहैया कराता है. इसी का नतीजा है कि एशिया से लेकर अफ्रीका तक और कई अन्‍य देशों के मरीज इलाज कराने के लिए भारत आते हैं.  


 


 


BW Healthcare: मेरे पेरेंट्स ने मुझे यहां तक पहुंचने का रास्‍ता दिखाया है : अनुष्‍का जौली 

अनुष्‍का ने अपने इस पूरे सफर में अपने माता-पिता की भूमिका को बेहद अहम बताया. उन्‍होंने कहा कि मेरे माता-पिता ने मुझे रास्‍ता दिखाया है. 

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो by
Published - Wednesday, 20 September, 2023
Last Modified:
Wednesday, 20 September, 2023
Dr. Anurag Batra

BW healthcare world healthtech के बैंग्‍लुरु में हो रहे पहले संस्‍करण में बिजनेस वर्ल्‍ड के चेयरमैन और एडिटर-इन-चीफ और एक्‍सचेंज4मीडिया के फाउंडर डॉ. अनुराग बत्रा के साथ डिस्‍कशन में Innerark Blocktech Pvt. Ltd की Co-Founder अनुष्‍का जौली ने लाइफसटाइल से लेकर किशोरों की जिंदगी को लेकर कई अहम बातें कहीं. अनुष्‍का ने कहा कि आज हमारे बीच की एक स्‍क्रीन ने सभी को डिवाइड कर दिया है. इससे दूरियां तो पैदा हुई ही हैं लेकिन इसने 13 से 17 साल के किशोरों को असंवेदनशील बना दिया है. 

कैसा रहा एंटी बूलिंग कैंपेन का सफर? 
डॉ. अनुराग बत्रा के साथ डिस्‍कशन में अनुष्‍का ने बताया कि मैंने इसकी शुरुआत तब की थी जब मैं 9 साल की थी. तब मैंने इसके बारे रिसर्च करके और दूसरी तरह की कोशिशें करके उसके बाद मैंने एक वेबसाइट बनाई और इसके बारे में लिखना पढ़ना शुरू किया. इसके बाद मैं कई एनजीओ के पास गई और कई स्‍कूल कॉलेजों में जाकर मैंने उस पर काम करना शुरू किया. इसके बाद फाइनली मैंने एक एप की शुरुआत की.

इस एप में वो लोग शिकायत कर सकते थे जिनके साथ ऐसी कोई घटना होती थी. उस पर स्‍कूल कार्रवाई करता था और जो ऐसा करता थे उन्‍हें पनिशमेंट देता था. इस एप पर 13 से 17 साल के 2 मिलियन से ज्‍यादा बच्‍चों ने अपनी शिकायत की. बुलिंग से शुरु हुआ मेरा सफर आज हम इसमें मेंटल हेल्‍थ से लेकर दूसरी कई परेशानियों तक पहुंच चुका है. हम हर स्‍तर पर स्‍टूडेंट को मदद करने की कोशिश कर रहे हैं. 

आंत्रप्रिनियोर को लेकर क्‍या सोचती हैं अनुष्‍का? 
अनुष्‍का ने कहा कि हम अभी तक इस एप के पहले वर्जन के बाद दूसरा और तीसरा वर्जन भी ला चुके हैं. जब मैं नौ साल की थी तब मैं और मेरा पूरा परिवार शार्क टाइम के फैन थे. हमने उसकी हर सीरिज देखी है. हम उसके आंत्रप्रिनियोर डिस्‍कशन को देखते हुए बढ़े हुए हैं तो ऐसे में हमारे घर में भी अक्‍सर इस तरह का‍ डिस्‍कशन हुआ करता था. मैं भी एक बड़ी आंत्रप्रिनियोर बनना चाहती हूं. लेकिन एक एंटी बूलिंग कैंपेन से वहां तक का सफर कैसे तय होगा ये मैं नहीं जानती हूं.

मेरे पेरेंट की इसमें बड़ी भूमिका रही है. मेरे पेरेंट डे वन से मेरे साथ हैं, मेरे पास मेरे विजन के लिए एक पाथ था, क्‍या करना है ये पता था लेकिन जो रास्‍ता है वो मुझे मेरे पेरेंटस ने दिखाया है, वो मेरे पेंरेंटस ने मेरे लिए बनाया है. मेरे माता पिता ने मुझे इतना इम्‍पॉवर किया है कि मैं अपने से जुड़े फैसलों को ले सकती हूं. उन्‍होंने मुझे इतना कैपेबल बनाया है कि मैं अपने को ग्रो कर सकती हूं.

स्‍क्रीन ने हमारे बीच पैदा की है एक दीवार
पहले क्‍या होता था कि हम स्‍कूल जाते थे और उसके बाद अपने मा‍ता पिता के साथ खाना खाते थे और सो जाते थे. लेकिन जब से हमारी जिंदगी में टेक्‍नोलॉजी आई है तब से हम देख रहे हैं कि हमें जैसे स्‍क्रीन ने डिवाइड कर दिया है. इसके कारण हम देख रहे हैं कि किशोर आज की डेट में असंवेदनशील हो गए हैं. वो ये जानते ही नहीं है कि समाज में दूसरों से कैसे रिश्‍ते बनाने हैं कैसे किसी से कनेक्‍ट होना है. सोशल मीडिया से लेकर दूसरी चीजों ने उनके दूसरों को देखने का नजरिया ही बदल दिया है. इसी ने कहीं न कहीं मेंटल हेल्‍थ को बढ़ाने का भी काम किया है. इनफॉरमेशन के ओवरलोड ने भी लोगों को परेशान किया है. 
 


BW Healthcare: आज भी मरीज-डॉक्‍टर का ट्रस्‍ट सबसे अहम हिस्‍सा है: डॉ. अनुराग बत्रा 

हेल्‍थकेयर सेक्‍टर में अगर पिछले कुछ सालों में निवेश की स्थिति को देखें तो पिछले साल के मुकाबले अभी तक रेवेन्‍यू बराबर ही है. जबकि अभी 4 महीने और बचे हैं. 

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो by
Published - Wednesday, 20 September, 2023
Last Modified:
Wednesday, 20 September, 2023
Dr. Anurag Batra

BW healthcare world healthtech के पहले संस्‍करण में जो बैंग्‍लुरू में हो रहा है उसमें बिजनेस वर्ल्‍ड के चेयरमैन और एडिटर-इन-चीफ और एक्‍सचेंज4मीडिया के फाउंडर डॉ. अनुराग बत्रा ने संबोधित करते हुए कई अहम बातें कहीं. इस मौके पर उन्‍होंने कहा कि मैं आप सभी का स्‍वागत करता हूं अपने इस इवेंट में जहां हम आज शाम को 30 अंडर 30 में इस क्षेत्र में काम करने वालों को सम्‍मानित करेंगे. मैं ये कह सकता हूं कि अपने इस प्रयास में हम महिलाओं की भागीदारी को 50 प्रतिशत ले जाने के करीब पहुंचे हैं. उन्‍होंने एक अहम बात कहते हुए कहा कि आज भी हेल्‍थकेयर सेक्‍टर में डॉक्‍टर और मरीज के बीच एक विश्‍वास का रिश्‍ता है. जो इस पेशे की एक बुनियाद की तरह है. 

मैं कम करता हूं पॉवर प्‍वॉइंट प्रजेटेशन का इस्तेमाल
डॉ. अनुराग बत्रा ने अपने संबोधन में कहा कि दरअसल मैं अपने संबोधन में कम ही पॉवर प्‍वॉइंट का इस्‍तेमाल करता हूं. क्‍योंकि मैं मानता हूं कि पॉवर प्‍वॉइंट प्रेजेटेशन ऐसे लोगों के द्वारा तैयार किया जाता है जो न तो पॉवरफुल होते हैं और न ही उनका कोई प्‍वॉइंट ऑफ व्‍यू होता है. ऐसे में मैंने सोचा कि आखिर उस कम्‍यूनिटी के सामने में क्‍या बात करूंगा जो इस फील्‍ड में मुझसे ज्‍यादा जानती है. आप लोग मुझसे बेहतर जानते हैं कि आखिर इस क्षेत्र में क्‍या हो रहा है. अगर 2021 की बात करें तो हेल्‍थकेयर सेक्‍टर में 3.2 बिलियन डॉलर का निवेश हुआ है. वहीं 2022 की बात करें तो उसमें कई कारणों के चलते इसमें फंडिंग को लेकर विंटर देखने को मिला. इसके कारण ये घटकर 1.4 टू 1.5 बिलियन डॉलर तक आ गई थी. उसी तरह से अगर 2022-23 में देखें तो ये अभी उसी के आसपास है और अभी इसमें 4 महीने का समय और बचा है. ऐसी इंडस्‍ट्री में 4 महीने काफी बड़ा समय होता है. 

हेल्‍थकेयर में सबसे अहम है थ्री टी सिस्‍टम 
हेल्‍थकेयर सिस्‍टम में तीन अहम चीजें हैं इनमें एक हेल्‍थकेयर मेडिसीन हैं दूसरे हेल्‍थकेयर इक्‍विपमेंट हैं जो आपके शरीर के अलग-अलग पैरामीटर को नापते हैं. इसमें तीसरा है प्रीवेंटिव हेल्‍थकेयर. ये तीनों मिलकर हेल्‍थकेयर की अहम पार्ट बनते हैं. डॉ बत्रा ने कहा कि हेल्‍थकेयर सेक्‍टर के बुनियादी हिस्‍से बनते हैं. उन्‍होंने कहा कि हेल्‍थकेयर अभी भी ऐसा सेक्‍टर है जहां ट्रस्‍ट सबसे अहम है. पिछले कुछ समय में मेंटल हेल्‍थ सबसे अहम समस्‍या बनकर सामने आई है. आज हर तीन में से 1 आदमी माइल्‍ड किस्‍म के ड्रिपेसन से जूझ रहा है.और 4 में से 1 सीरियस स्थिति में है. एनजाइटी, डिप्रेसन और इनसोमेनिया जैसी चीजें हैं जिससे आज सैकड़ों लोग जूझ रहे हैं. 

नींद से न करें कोई समझौता
उन्‍होंने कहा कि मैं आपसे ये कहना चाहूंगा कि आप अपनी नींद से कोई समझौता ना करें. मैं आप सभी से कहना चाहूंगा कि आपको Mathew Walker की लिखी Why we Sleep किताब जरूर पढ़नी चाहिए. मैं आप सभी को बिजनेस वर्ल्‍ड के नए संस्‍करण के बारे में भी बताना चाहूंगा जिसमें हमने मिथुन संचेती की स्‍टोरी को लिया है. जो बताती है कि आपको वेल्‍थ कैसे क्रिएट करनी चाहिए. मैं आपसे ये भी कहना चाहूंगा कि हम इंसानियत के सामने ऐसी कौन सी दूसरी समस्‍याओं से जूझ रहे हैं. इनमें स्‍ट्रेस एक है लेकिन उससे भी जो बड़ी है क्‍लाइमेट चेंज. इस बार के टाइम मैग्‍जीन के संस्‍करण में बताया गया है कि धरती पर सबसे खुबसूरत जगह कौन सी है.जी हां वो समुद्र है. हमारे क्‍लाइमेट चेंज पर सबसे ज्‍यादा असर कौन डाल रहा है वो यूरोप के जंगलों में लगने वाली आग है, अफ्रिका में तापमान कैसे बढ़ रहा है, आज हम देख रहे हैं कि मार्च अप्रैल में हमें पीक टेंपरेचर का सामना करना पड़ रहा है. ग्‍लोबल वॉर्मिंग एक बड़ी समस्‍या है और हम क्‍लाइमेट चेंज की समस्‍या से जूझ रहे हैं. 

अवॉर्ड लेने सभी लोग बेहद योग्‍य 
डॉ. अनुराग बत्रा ने कहा कि ज्‍यूरी की क्‍वॉलिटी बहुत बेहतर है. हम लोग जो अवॉर्ड दे रहे हैं उसे इस सेक्‍टर के बेहद नामी लोगों ने चुना है. मैं आपको ये भी कहना चाहूंगा कि जिन्‍हें ये अवॉर्ड मिल रहा है वो बेहद योग्‍य हैं. मुझे पूरी आशा है कि हेल्‍थकेयर इस साल से दोगुना पैसा कमाएगा. हमारे देश में डॉयबिटिज के सबसे ज्‍यादा मरीज हैं. मुझे बेहद खुशी है कि आज टेक्‍नोलॉजी की मदद से लोग इस सेक्‍टर में उन लोगों की मदद करने में लगे हैं जो हेल्थकेयर की अलग-अलग समस्‍या से जूझ रहे हैं.