बायजू रवींद्रन की मुश्किलें खत्म नहीं हो रही है. पिछले हफ्ते ही उन्होंने अपने निवेशकों को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा था कि कंपनी का वैल्यू अब जीरो हो चुका है.
वित्तीय संकट का सामना कर रही है टेक्नोलॉजी बेस्ड एजुकेशन कंपनी बायजूस (Byju's) को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. कोर्ट ने एसीएलएटी (NCLAT) के उस आदेश को रद्द कर दिया है जिसमें एसीएलएटी vs बायजूस और बीसीसीआई (BCCI) के बीच सेटलमेंट की इजाजत दे दी थी. इससे पहले 14 अगस्त, 2024 को मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एनसीएलएटी के आदेश पर रोक लगाया था जिसे अब सर्वाच्च न्यायालय ने रद्द कर दिया है.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा, बायजूस और बीसीसीआई के बीच जो सेटलमेंट प्रोसेस को अपनाया गया है उसमें कई खामियां है. ये सेटलमेंट इंसोलवेंसी प्रोफेशनल पंकज श्रीवास्तव की मंजूरी के बगैर हुआ है जिन्हें एनसीएलएटी ने 16 जुलाई को कंपनी के कामकाज देखने के लिए नियुक्त किया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हम मौजूदा अपील को स्वीकार करते हुए एनसीएलएटी के अगस्त 2024 में दिए आदेश को रद्द करते हैं. बायजूस को जिन अमेरिकी कर्जदाताओं के समूह ने कर्ज दिया था उन्होंने एनसीएलएटी के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
BCCI ने बायजूस के खिलाफ दायर की थी याचिका
बायजूस के फाउंडर बायजू रवींद्रन के भाई रिजु रवींद्रन जो कंपनी के सबसे बड़े शेयरधारक हैं उन्होंने बीसीसीआई को 158 करोड़ रुपये का भुगतान कर स्पांसर डील से जुड़े विवाद को सेटल किया था. बीसीसीआई ने बायजूस के खिलाफ दिवालिया कानून के तहत कार्रवाई करने के लिए एनसीएलएटी में याचिका दायर किया था. बायजूस को कर्ज देनेवाली अमेरिकी लेंडर्स ग्लास ट्रस्ट कंपनी (GLAS Trust Company) ने बायजूस और बीसीसीआई के बीच सेटलमेंट का विरोध करते हुए अपने पैसे वापस करने की मांग कर रहे थे. अमेरिकी लेंडर्स ने बायजूस को 1.2 बिलियन डॉलर का कर्ज दिया था.
NCLT के निर्देशों का पालन करे Byju’s
सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई से सेटलमेंट में मिले रकम को ब्याज समेत बायजूस की पैरेंट कंपनी थींक एंड लर्न (Think And Learn) की कमिटी ऑफ क्रेडिटर्स के पास जमा कराने को कहा है. कोर्ट ने क्रेडिटर्स के समूह से इस पैसे को आगे की कार्रवाई तक एस्क्रो अकाउंट में रखने को कहा है साथ ही उन्हें एनसीएलएटी के आगे के निर्देशों का पालन करने को भी कहा है.
महिंद्रा ने इस विवाद पर खेद जताते हुए कहा कि दो बड़ी भारतीय कंपनियों को ऐसे अनावश्यक विवाद में नहीं उलझना चाहिए.
भारत की दिग्गज कार निर्माता Mahindra & Mahindra ने अपनी हाल ही में लॉन्च हुई इलेक्ट्रिक एसयूवी ‘BE 6e’ का नाम बदलकर ‘BE 6’ कर दिया है. ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि इंडिगो एयरलाइंस की मूल कंपनी इंटरग्लोब एविएशन ने ट्रेडमार्क को लेकर महिंद्रा के खिलाफ कानूनी मुकदमा दर्ज करवाया है. बता दें कि यह विवाद ‘6e’ ट्रेडमार्क को लेकर हुआ है, जिसका इस्तेमाल इंडिगो एयरलाइंस करती है. नाम बदलने के बावजूद भी महिंद्रा ने कहा है कि वह अदालत में ‘BE 6e’ के लिए ट्रेडमार्क के लिए लड़ाई जारी रखेगी.
मामला कहां से शुरू हुआ?
3 दिसंबर 2024 को इंटरग्लोब एविएशन ने दिल्ली हाई कोर्ट में महिंद्रा के खिलाफ केस दायर किया. उनका दावा है कि महिंद्रा की नई इलेक्ट्रिक एसयूवी BE 6e नाम का उपयोग उनके ट्रेडमार्क ‘6e’ का उल्लंघन है. एयरलाइन ने दावा किया कि ‘6E’ पिछले 18 वर्षों से उसकी पहचान का अभिन्न हिस्सा है. यह एक रजिस्टर्ड ट्रेडमार्क है, जिसे व्यापक वैश्विक मान्यता प्राप्त है. यह मामला 9 दिसंबर को अदालत में सुनवाई के लिए जाएगा. इंटरग्लोब ने कहा कि किसी भी रूप में ‘6E’ का अनधिकृत उपयोग हमारे ब्रांड की प्रतिष्ठा और पहचान का उल्लंघन है. हम अपनी बौद्धिक संपदा और ब्रांड को सुरक्षित रखने के लिए हर संभव कदम उठाएंगे.
महिंद्रा का रुख
महिंद्रा ने इस विवाद पर खेद जताते हुए कहा कि दो बड़ी भारतीय कंपनियों को ऐसे अनावश्यक विवाद में नहीं उलझना चाहिए. महिंद्रा ने कहा कि हमने अपने उत्पाद का नाम बदलकर ‘BE 6’ रखने का फैसला लिया है ताकि विवाद को खत्म किया जा सके और आगे की ओर बढ़ा जा सके.” आपको बता दें कि इंडिगो खुद एक ट्रेडमार्क विवाद का सामना कर चुकी है. टाटा मोटर्स ने इंडिगो नाम के इस्तेमाल पर आपत्ति जताई थी. टाटा ने 2002 में अपनी सेडान कार का नाम ‘इंडिगो’ रखा था, जबकि इंटरग्लोब एविएशन ने 2006 में अपनी पहली फ्लाइट इंडिगो के नाम से शुरू की थी.
महिंद्रा की नई इलेक्ट्रिक एसयूवी है BE 6e
महिंद्रा ने अपनी पहली “इलेक्ट्रिक ओरिजिन” एसयूवी ‘BE 6e’ और ‘XEV 9e’ को 26 नवंबर 2024 को लॉन्च किया था. इससे ठीक एक दिन पहले, यानी 25 नवंबर को, ट्रेडमार्क रजिस्ट्रार ने ‘BE 6e’ नाम को पंजीकरण के लिए स्वीकार कर लिया था. अगर यह नाम पंजीकृत हो जाता है, तो महिंद्रा को ‘BE 6e’ नाम का उपयोग करने का अधिकार मिलेगा. महिंद्रा ने उम्मीद जताई है कि यह विवाद जल्द खत्म होगा और भारतीय कंपनियां एक-दूसरे की प्रगति को प्रोत्साहित करेंगी.
मुंबई की एक अदालत ने गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई को नोटिस भेजा है। यह नोटिस ध्यान फाउंडेशन के संस्थापक योगी अश्विनी को लेकर एक आपत्तिजनक वीडियो को लेकर भेजा गया है.
दुनिया की सबसे बड़ी टेक कंपनियों में शुमार गूगल (Google) के सीईओ (CEO) सुंदर पिचाई को मुंबई की एक कोर्ट ने अवमानना नोटिस जारी किया है. यह नोटिस यूट्यूब (YouTube) पर डाले गए एक वीडियो को लेकर जारी किया गया है. दरअसल, वीडियो स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म यूट्यूब पर अदालत के आदेश का पालन न करने का आरोप लगा है, जिसके चलते सुंदर पिचाई को नोटिस जारी किया गया है. तो आइए जानते हैं यूट्यूब वीडियो से जुड़ा यह पूरा मामला क्या है?
इसलिए अदालत ने भेजा नोटिस
मुंबई कोर्ट के एडिशनल चीफ जस्टिस ने सुंदर पिचाई को नोटिस भेजते हुए पूछा है कि कोर्ट की अवमानना और उसके पहले के आदेश का पालन न करने के चलते उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई क्यों न शुरू की जाए. दरअसल, एक एनजीओ ध्यान फाउंडेशन ने गूगल के स्वामित्व वाले यूट्यूब के खिलाफ कोर्ट में केस फाइल किया है. इसके संस्थापक योगी अश्विनी को लेकर यूट्यूब पर एक कथित रूप से अपमानजनक वीडियो पब्लिश किया गया था. कोर्ट ने इस वीडियो को हटाने को लेकर यूट्यूब को आदेश जारी किया गया था. यूट्यूब ने कोर्ट के आदेश का पूरी तरह से पालन नहीं किया, जिसके चलते अदालत ने सुंदर पिचाई को नोटिस जारी किया है. इस केस की अगली सुनवाई 3 जनवरी 2025 को होनी है.
ये है पूरा मामला
यूट्यूब पर योगी अश्विनी को लेकर 'पाखंडी बाबा की करतूत' नाम से एक वीडियो शेयर किया गया था. इस वीडियो को हटाने के लिए एनजीओ ने कोर्ट का रुख किया था. कोर्ट ने यूट्यूब को इस आपत्तिजनक वीडियो को प्लेटफॉर्म से हटाने का आदेश जारी किया था. एनजीओ का कहना है कि इस वीडियो को भारत में तो नहीं देखा जा सकता है, लेकिन देश के बाहर अब भी यह अपमानजनक वीडियो को आसानी से देखा जा सकता है. इसके साथ ही ध्यान फाउंडेशन ने इस केस में गूगल पर आरोप लगाए हैं कि उसने जानबूझकर आपत्तिजनक वीडियो को यूट्यूब से नहीं हटाया है. उनका कहना है कि इसके चलते उनके एनजीओ और संस्थापक योगी अश्विनी की प्रतिष्ठा धूमिल हो रही है। उन्होंने गूगल पर आरोप लगाए हैं कि कंपनी कुछ न कुछ बहाने बनाकर कोर्ट के आदेश को टाल रही है. योगी योगी अश्विनी का यह एनजीओ पशु कल्याण पर केंद्रित है. उसका कहना है कि गूगल ने जानबूझकर ध्यान फाउंडेशन और योगी जी के चरित्र और प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया है.
सरकार के मुताबिक 63,481 शिकायतें डिजिटल अरेस्ट को लेकर आईं जिनमें 1,616 करोड़ रुपये का नुकसान पाया गया.
एक कॉल. नौकरी देने का वादा. या डिजिटल अरेस्ट. लाखों-करोड़ों की ठगी. किसी की पूरी जिंदगी की कमाई गई. तो किसी के माता-पिता के इलाज के पैसे. एक इंडिविजुअल के लेवल पर ये आम बात लग सकती है. क्योंकि साइबर फ्रॉड आए दिन किसी न किसी के साथ हो रहे हैं. पर देशभर के लेवल पर, यानी मैक्रो लेवल पर अगर इसे देखें तो तस्वीर काफी चौंकाने वाली है. और आंकड़े भी यही गवाही दे रहे हैं. 2024 के 9 महीनों में भारत को साइबर फ्रॉड में 11 हजार 333 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. ये आंकड़े हमारे नहीं हैं, गृह मंत्रालय द्वारा जारी किए गए हैं.
ट्रेडिंग घोटाले टॉप पर
इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के मुताबिक स्टॉक ट्रेडिंग घोटालों में देश को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ. इसमें कुल 2 लाख 28,094 शिकायतें आईं, और 4,636 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. वहीं इन्वेस्टमेंट से जुड़े घोटालों में 1 लाख 360 शिकायतें आईं और 3,216 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. जबकि 63,481 शिकायतें डिजिटल अरेस्ट को लेकर आईं. इनमें देश को 1,616 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.
सिटीजन फाइनेंशियल साइबर फ्रॉड रिपोर्टिंग एंड मैनेजमेंट सिस्टम (CFCFRMS) के डेटा की मानें तो 2024 में लगभग 12 लाख साइबर फ्रॉड की शिकायतें दर्ज हुईं. इनमें से 45% फीसदी शिकायतें दक्षिण पूर्व एशियाई देशों, जैसे कि कंबोडिया, म्यांमार और लाओस से आईं. 2021 से अब तक CFCFRMS ने 30.05 लाख शिकायतें दर्ज की हैं. इन शिकायतों के आधार पर जो डेटा मिला उसके मुताबिक कुल 27,914 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. इनमें से 2023 में 11 लाख 31,221 शिकायतें, 2022 में 5 लाख 14,741 और 2021 में 1 लाख 35,242 शिकायतें दर्ज कराई गई थीं.
4.5 लाख बैंक अकाउंट्स फ्रीज
रिपोर्ट के मुताबिक इस साल हुए साइबर फ्रॉड के मामलों के एनालिसिस से पता चला है कि चोरी की गई रकम अक्सर चेक, सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC), फिनटेक क्रिप्टो, ATM, मर्चेंट पेमेंट और ई-वॉलेट का उपयोग करके निकाली जाती है. पिछले एक साल में I4C, यानी Indian Cyber Crime Coordination Centre ने ऐसे लगभग 4.5 लाख बैंक अकाउंट्स को फ्रीज किया है. इन अकाउंट्स का इस्तेमाल आमतौर पर साइबर फ्रॉड से जुटाई गई रकम को लॉन्डर करने के लिए किया जाता है.
नितिन कामत ने दी फ्रॉड से बचने की सलाह
ऑनलाइन ब्रोकरेज फर्म जीरोधा (Zerodha) के को-फाउंडर और सीईओ नितिन कामत ने लोगों को सावधान रहने की सलाह दी है. सोशल मीडिया हैंडल 'X' पर कामत ने बेंगलुरु के एक शख्स द्वारा स्टॉक मार्केट स्कैम में 91 लाख रुपये गंवाने की खबर शेयर करते हुए लिखा कि पिछले 9 महीने में देश में 11,000 करोड़ रुपये से अधिक के स्कैम हुए हैं.
आगे कहा कि इस तरह की धोखाधड़ी का ट्रेंड तेजी से बढ़ रहा है. ऐसी उम्मीद है कि आने वाले समय में यह बढ़ सकता है, क्योंकि जालसाजों की ओर से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग किया जा रहा है. इसके अलावा कामत ने धोखाधड़ी को रोकने के लिए एक महत्वपूर्ण सलाह देते है हुए कहा कि लोगों को टेलीग्राम (Telegram) और व्हाट्सअप (Whatsapp) में प्राइवेसी सेटिंग में बदलाव करना चाहिए.
जांच एजेंसी ईडी के मुताबिक ओरिस इंफ्रा कंपनी सहित उसकी सहयोगी 2 अन्य कंपनियों के खिलाफ दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा में कई निवेशकों के दर्जनों मामले दर्ज कराए गए थे.
केंद्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने करीब 500 करोड़ के मनी लॉन्ड्रिंग और फर्जीवाड़ा का खुलासा किया है. इस मामले में एक बड़ी कार्रवाई को अंजाम देते हुए दिल्ली एनसीआर में काफी चर्चित कंपनी ओरिस (ORRIS) इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी सहित उसकी कई सहयोगी कंपनियों के खिलाफ सर्च ऑपरेशन किया गया. ये सर्च ऑपरेशन की कार्रवाई को दिल्ली, हरियाणा के गुरुग्राम सहित नोएडा (Noida) में अंजाम दिया गया.
ED ने चलाया सर्च ऑपरेशन
जांच एजेंसी ईडी की गुरुग्राम जोनल ऑफिस ने इस मामले में ग्रीन-वे इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी और मेसर्स थ्री सी शेल्टर प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी के खिलाफ भी सर्च ऑपरेशन चलाया था. इस दौरान काफी सबूतों और दस्तावेजों सहित काफी इलेक्ट्रॉनिक एविडेंस को खंगाले गए. जांच एजेंसी के द्वारा इन कंपनियों और उन कंपनियों से जुड़े कई मौजूदा सहित पूर्व निदेशकों के लोकेशन पर भी सर्च ऑपरेशन की कार्रवाई की गई. दर्ज FIR के मुताबिक जांच एजेंसी के रडार पर प्रमुख तौर पर ये आरोपी हैं, जिसके खिलाफ सर्च ऑपरेशन की कार्रवाई को अंजाम दिया गया. उनके नाम प्रमुख तौर पर इस प्रकार से हैं. विजय गुप्ता, अमित गुप्ता, सरदार निर्मल सिंह और अन्य.
आर्थिक अपराध शाखा में दर्ज सैकड़ों शिकायतें
जांच एजेंसी ईडी के मुताबिक ओरिस इंफ्रा कंपनी सहित उसकी सहयोगी 2 अन्य कंपनियों के खिलाफ दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा में कई निवेशकों के दर्जनों मामले दर्ज कराए गए थे. इसके बाद में उन्हीं मामलों को जांच एजेंसी ईडी ने टेकओवर किया. मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत मामले को तफ्तीश किया जा रहा है. ईडी की गुरुग्राम जोनल ऑफिस के द्वारा इस मामले की तफ्तीश के दौरान कई आरोपियों का बयान दर्ज किया गया था. उसी के आधार पर तमाम सबूतों को इकट्ठा करने के बाद अब तफ्तीश का दायरा आगे बढ़ाया जा रहा है.
500 करोड़ का किया फर्जीवाड़ा
जांच एजेंसी के मुताबिक कंपनी के निदेशकों और अन्य अधिकारियों के द्वारा लोगों को आशियाना दिलाने के नाम पर करीब एक हजार करोड़ रुपये जमा किए गए. इसके बाद में करीब 500 रुपये उस संबंधित प्रोजेक्ट में खर्च करके बाकी के 500 करोड़ का फर्जीवाड़ा कर दिया गया, यानि लोगों के साथ फर्जीवाड़े करते हुए उन्हें समय पर उपलब्ध नहीं कराया गया.
उसके बाद कंपनी के निदेशकों के द्वारा जमा कराए गए करोड़ों रुपये को किसी अन्य प्रोजेक्ट में निवेश कर दिया गया. इससे इन कंपनियों की दूसरी कंपनी में काफी मुनाफा हुआ लेकिन जिस प्रोजेक्ट के लिए करीब 1000 करोड़ रुपये इकट्ठा किए गए थे. उसके निवेशकों को चूना लगा दिया गया. जिसके बाद दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा हुए थे.
चिदंबरम के खिलाफ एयरसेल-मैक्सिस मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ट्रायल कोर्ट में चल रही कार्यवाही पर रोक लगा दी है. दिल्ली HC ने पी चिदंबरम की याचिका पर ईडी को नोटिस जारी किया है.
एयरसेल-मैक्सिस मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कांग्रेस नेता पी चिदंबरम को बड़ी राहत मिली है. दिल्ली हाई कोर्ट ने कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम के खिलाफ एयरसेल-मैक्सिस मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ट्रायल कोर्ट में चल रही कार्यवाही पर रोक लगा दी है। दिल्ली हाई कोर्ट ने पी चिदंबरम की याचिका पर ईडी (ED) को नोटिस जारी किया है. दिल्ली हाई कोर्ट में मामले की अगली सुनवाई जनवरी 2025 में होगी. एयरसेल-मैक्सिस मामले में चिदंबरम के खिलाफ ईडी द्वारा दायर आरोपपत्र पर संज्ञान लेने के ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती दी है.
चिदंबरम ने दी थी चुनौती
पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति चिदंबरम ने एयरसेल-मैक्सिस डील के मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले में ट्रायल कोर्ट की ओर से चार्जशीट पर संज्ञान लेने के आदेश को चुनौती दी थी, इसे लेकर दोनों ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. जस्टिस मनोज कुमार ओहरी की बेंच ने याचिका पर आंशिक सुनवाई की थी और आज 20 नवंबर को भी सुनवाई जारी रखी.
चिदंबरम की ओर से पेश वकील ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने अभियोजन चलाने की अनुमति मिले बिना ही चार्जशीट पर संज्ञान ले लिया था. पूर्व केंद्रीय मंत्री लोकसेवक थे, ऐसे में अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 197(1) के प्रावधानों के तहत अभियोजन चलाने के लिए अनुमति की जरूरत है, लेकिन ईडी के वकील ने इसका विरोध करते हुए कहा कि याचिका सुनवाई योग्य नहीं है.
क्या है एयरसेल मैक्सिस केस?
यह केस फॉरेन इन्वेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड (एफआईपीबी) से जुड़ा है. 2006 में एयरसेल-मैक्सिस डील को पी चिदंबरम ने बतौर वित्त मंत्री ने मंजूरी दी थी. पी चिदंबरम पर आरोप है कि उनके पास 600 करोड़ रुपए तक के प्रोजेक्ट प्रपोजल्स को ही मंजूरी देने का अधिकार था. इससे बड़े प्रोजेक्ट को मंजूरी देने के लिए उन्हें आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति से मंजूरी लेनी जरूरी थी. एयरसेल-मैक्सिस डील केस 3500 करोड़ की एफडीआई की मंजूरी का था. इसके बावजूद एयरसेल-मैक्सिस एफडीआई मामले में चिदंबरम ने कैबिनेट कमेटी ऑन इकोनॉमिक अफेयर्स की मंजूरी के बिना मंजूरी दी गई.
सुब्रमण्यम स्वामी ने किया था मामले का खुलासा
साल 2015 में सुब्रमण्यन स्वामी ने कार्ति चिदंबरम की विभिन्न कंपनियों के बीच वित्तीय लेनदेन का खुलासा किया था. स्वामी ने आरोप लगाया कि यूपीए सरकार में वित्त मंत्री रहते हुए पी. चिदंबरम ने अपने बेटे कार्ति की एयरसेल-मैक्सिस डील से लाभ उठाने में मदद की. इसके लिए उन्होंने दस्तावेजों को जानबूझकर रोका और अधिग्रहण प्रक्रिया को नियंत्रित किया ताकि कार्ति को अपनी कंपनियों के शेयर की कीमत बढ़ाने का वक्त मिल जाए.
कौन-कौन हैं आरोपी?
23 मार्च, 2022 को राऊज एवेन्यू कोर्ट ने सीबीआई और ईडी दोनों से जुड़े मामलों में पी. चिदंबरम और कार्ति चिदंबरम को नियमित जमानत दी थी. साथ ही 27 नवंबर 2021 को कोर्ट ने सीबीआई और ईडी की ओर से आरोपियों के खिलाफ दाखिल चार्जशीट पर भी संज्ञान लिया था. ईडी की ओर से दाखिल केस में पी. चिदंबरम और कार्ति चिदंबरम के अलावा मेसर्स पद्मा भास्कर रमन, मेसर्स एडवांटेजेज स्ट्रैटेजिक कंसल्टिंग प्राइवेट लिमिटेड और मेसर्स चेस मैनेजमेंट सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड को भी आरोपी बनाया गया है.
दिल्ली पुलिस ने धोखाधड़ी के मामले में चीन के एक नागरिक को गिरफ्तार किया है. इस आरोपी का नाम फैंग चेनजिन है जिसके तार 100 करोड़ रुपये की ठगी से जुड़े हैं.
दिल्ली पुलिस ने एक चीनी नागरिक को गिरफ्तार किया है. जिसपर 100 करोड़ से अधिक के साइबर धोखाधड़ी मामले में शामिल होने का आरोप है. इस शख्स का नाम फैंग चेनजिन बताया जा रहा है. शाहदरा के डीसीपी प्रशांत गौतम के अनुसार, चेनजिन ने लोगों को व्हाट्सएप पर ग्रुप बनाकर अपना शिकार बनाया. वह लोगों को व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से ऑनलाइन स्टॉक ट्रेडिंग का झांसा देता और उनसे पैसे ठग लेता था. चीनी शख्स को सुरेश कोलिचियिल अच्युतन नाम के एक शख्स की शिकायत के बाद गिरफ्तार किया गया है. जो फर्जी शेयर बाजार प्रशिक्षण सत्रों में 43.5 लाख रुपये गंवा बैठा.
जानें क्या है पूरा मामला?
दरअसल, जालसाजों ने सुरेश कोलिचियिल अच्युतन नाम के एक शख्स को धोखाधड़ी वाले स्टॉक मार्केट प्रशिक्षण सत्रों में फंसाया. जालसाजों ने उसे कई लेनदेन के जरिए इस बाजार में निवेश कराया. सुरेश कोलिचियिल अच्युतन ने 24 जुलाई को अपने साथ हुए 43.5 लाख की धोखाधड़ी के बारे में पुलिस को सूचित किया. ये निवेश जालसाजों ने कई बैंक खातों में पैसा जमाकर अंजाम दिया. जांच से पता चला कि चेनजिन का घोटाला साइबर अपराध पोर्टल पर दर्ज 17 आपराधिक शिकायतों से जुड़ा था, जो सभी एक ही फिनकेयर बैंक खाते से जुड़े थे.
डीसीपी प्रशांत गौतम ने कहा, "धोखाधड़ी व्हाट्सएप ग्रुप्स के माध्यम से आयोजित ऑनलाइन स्टॉक ट्रेडिंग के जरिए की गई. जिसमें व्यक्तियों को निशाना बनाया गया था. पुलिस को आगे की जांच से पता चला कि फेंग चेनजिन आंध्र प्रदेश और उत्तर प्रदेश में साइबर अपराध और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े दो अन्य महत्वपूर्ण धोखाधड़ी मामलों से जुड़ा हुआ है."
ठगी के पैसों की जांच कर रही पुलिस
अब पुलिस ठगी गई रकम का पता लगाने के लिए बैंक खातों, मोबाइल नंबरों और कॉल डिटेल्स का विश्लेषण कर रही है. उनकी गहन जांच से दिल्ली के मुंडका में महा लक्ष्मी ट्रेडर्स के नाम पर एक बैंक खाते का पता चला है, जो धोखाधड़ी वाले लेनदेन से जुड़ा पाया गया. आगे की पूछताछ में चेनजिन के नाम पर पंजीकृत एक मोबाइल फोन का पता चला, जिसका उपयोग धोखाधड़ी गतिविधियों को निर्देशित करने के लिए किया गया था.
सफदरजंग एन्क्लेव में रहता है चीनी शख्स
चीनी शख्स राजधानी दिल्ली के सफदरजंग एन्क्लेव में रहता है. पुलिस ने फैंग चेनजिन के कब्जे से एक मोबाइल फोन और व्हाट्सएप चैट लॉग सहित कई सबूत बरामद कर उसे गिरफ्तार किया है. व्हाट्सएप ग्रुप्स में उसके सहयोगियों से हुई चैट में स्पष्ट रूप से पता चला कि वह घोटाले में इस्तेमाल किए गए मोबाइल नंबर के रिचार्ज सहित धोखाधड़ी गतिविधियों को निर्देशित करता था.
सैंटियागो मार्टिन 1300 करोड़ रुपये से ज्यादा के इल्कटोरल बॉन्ड खरीद के चर्चा में आया था.
प्रवर्तन निदेशालय यानी की ED ने चेन्नई के 'लॉटरी किंग' कहे जाने वाले सैंटियागो मार्टिन के ठिकानों पर छापेमारी की है. जानकारी के मुताबिक, ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के सिलसिले में ये रेड की है. बता दें कि लॉटरी किंग सैंटियागो मार्टिन ने चुनावी बॉन्ड योजना के जरिए राजनीतिक दलों को 1,300 करोड़ रुपये से भी चंदा दिया था. हाल ही में मद्रास हाई कोर्ट ने ईडी को मार्टिन के खिलाफ जांच आगे बढ़ाने की अनुमति दी थी, इसके बाद ईडी ने उसके ठिकानों पर रेड की.
चेन्नई समेत कई अन्य स्थानों पर रेड
तमिलनाडु पुलिस ने कुछ ही समय पहले लॉटरी किंग सैंटियागो मार्टिन और कुछ लोगों के खिलाफ केस को बंद करने का फैसला किया था. निचली अदालत ने पुलिस की इस को स्वीकार कर लिया था. हालांकि, मद्रास हाई कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय को मार्टिन के खिलाफ जांच आगे बढ़ाने की अमुनति दे दी है. सूत्रों के मुताबिक, ईडी द्वारा चेन्नई और कुछ अन्य स्थानों पर मार्टिन से संबंधित परिसरों पर रेड की गई है.
457 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क हो चुकी
बीते साल केंद्रीय एजेंसी ने सैंटियागो मार्टिन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की थी. मार्टिन पर केरल में राज्य लॉटरी की धोखाधड़ी से बिक्री करके सिक्किम सरकार को 900 करोड़ रुपये से अधिक के कथित नुकसान से जुड़े एक मामले में कार्रवाई की गई थी. इस मामले में मार्टिन की 457 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की गई थी. आपको बता दें कि सिक्किम लॉटरी की मुख्य डिस्ट्रीब्यूटर मार्टिन की कंपनी ‘फ्यूचर गेमिंग सॉल्यूशन्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड’ है.
2019 से ही जांच जारी
तमिलनाडु में ‘लॉटरी किंग’ के रूप में पहचान रखने वाले सैंटियागो मार्टिन के खिलाफ ईडी द्वारा साल 2019 से ही जांच जारी है. मार्टिन मुख्य रूप से तब चर्चा में आया था जब ये बात पता लगी थी कि साल 2019 और 2024 के बीच उसकी कंपनी फ्यूचर गेमिंग ने राजनीतिक दलों को चंदा देने के लिए 1,300 करोड़ रुपये से ज्यादा के चुनावी बॉन्ड की खरीद की थी.
भारत के मुख्य न्यायाधीश के तौर पर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ अपने कई फैसलों को लेकर चर्चा में रहे. उनके रिटायर होने के बाद अब जस्टिस खन्ना CJI बने हैं.
अपने तमाम फैसलों और PM मोदी को घर आमंत्रित करके सुर्खियों में आने वाले जस्टिस धनंजय यशवंत (DY) चंद्रचूड़ अब रिटायर्मेंट लाइफ जी रहे हैं. 10 नवंबर को वह CJI यानी भारत के मुख्य न्यायाधीश पद से सेवानिवृत्त हुए हैं. सुप्रीम कोर्ट की कमान अब न्यायाधीश संजीव खन्ना के हाथों में है, वह भारत के 51वें सीजेआई हैं. चलिए जानते हैं कि भारत के रिटायर्ड CJI को कितनी पेंशन और क्या-क्या सुविधाएं मिलती है.
इतनी मिलती है सैलरी
एक रिपोर्ट के अनुसार, देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) की सैलरी 2 लाख 80 हजार रुपए प्रतिमाह होती है. इसके साथ ही 45 हजार रुपए महीना भत्ता भी मिलता है. जबकि, रिटायरमेंट के बाद उन्हें बतौर पेंशन 16 लाख 80 हजार रुपए हर साल मिलते हैं. उन्हें डियरनेस अलाउंस अलग से दिया जाता है. उनकी ग्रेच्युटी की रकम 20 लाख रुपए होती है. सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों की सैलरी, ग्रेच्युटी, पेंशन, भत्ते आदि सुप्रीम कोर्ट सैलरी एंड कंडीशन्स ऑफ सर्विस एक्ट, 1958 के तहत दिए जाते हैं.
24/7 मिलेगी सुरक्षा
रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि CJI पद से रिटायरमेंट के बाद DY चंद्रचूड़ के आवास पर 24/7 सुरक्षा रहेगी. साथ ही अगले 5 साल तक एक पर्सनल सिक्योरिटी गार्ड भी साथ रहेगा. रिटायर्ड सीजेआई को दिल्ली में टाइप-VII आवास उपलब्ध कराया जाता है. इस आवास में वह सभी सभी सुविधाएं मिलती हैं, जिनका लाभ केंद्रीय मंत्री के पद पर रह चुके मौजूदा सांसद उठाते हैं. सेवानिवृत्त चीफ जस्टिस को घरेलू कर्मचारी और ड्राइवर भी उपलब्ध कराया जाता है.
इनका भी उठा सकेंगे लाभ
रिटायरमेंट के बाद भी CJI एयरपोर्ट पर सेरेमोनियल लाउंज का भी लाभ उठा सकते हैं. उनके आवास पर टेलीफोन की सुविधा निशुल्क रहती है. उन्हें मोबाइल और ब्रॉडबैंड के इस्तेमाल पर हर महीने 4 हजार 200 रुपए तक का भुगतान किया जाता है. बता दें कि जस्टिस चंद्रचूड़ ने अपने रिटायरमेंट से पहले गणपति पूजा के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घर आमंत्रित किया था. इसे लेकर काफी बवाल भी मचा. हालांकि, उन्होंने इसे सामान्य बताया था.
राजधानी के आसपास वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के संशोधित नियम, 2024 अब लागू होंगे. ये नियम उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली की सरकारों के लिए अनिवार्य होंगे.
दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते वायु प्रदूषण और जहरीली होती हवा एक गंभीर मुद्दा है. इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट भी लगातार नाराजगी जाहिर करते हुए केंद्र और राज्य दोनों ही सरकारों को फटकार लगाता रहा है. अब केंद्र सरकार ने पराली जलाने वालों पर सख्त एक्शन लेते हुए जुर्माने को दोगुना कर दिया है. अब अगर 5 एकड़ से ज्यादा की जमीन पर कोई भी पराली जलाता पाया गया तो उस पर 30 हजार रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा.
30,000 रुपये तक का लगेगा जुर्माना
भारत सरकार ने इस संबंध में एक गजट नोटिफिकेशन भी जारी किया है. इस नोटिफिकेशन में साफ कहा गया है कि अगर कोई 2 से 5 एकड़ तक में पराली जलाते पकड़ा जाएगा तो उस पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा. वहीं दूसरी तरफ 5 एकड़ से अधिक पर पराली जलाते पकड़े जाने पर 30 हजार रुपये का का जुर्माना लगाया जाएगा. इसके अलावा दो एकड़ से कम की जमीन पर अगर कोई पराली जलाता पाया गया तो ऐसे आरोपियों के खिलाफ 5 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा.
किन कानूनों के तहत किया गया बदलाव
बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा ये नियम राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग अधिनियम, 2021 (29 of 2021) के चलते बदले गए हैं. अधिनियम की धारा 25 की उप-धारा (2) के खंड (h) का हवाला देते हुए, केंद्र सरकार ने इन नियमों को संशोधित करते हुए "राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (पराली जलाने के लिए पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति का अधिरोपण, संग्रहण और उपयोग) संशोधन नियम, 2024" के रूप में पारित किया है.
दिल्ली में बद-से-बदतर होते हालात
बता दें कि दिवाली से पहले ही इस बार दिल्ली की हवा जहरीली हो गई थी, वहीं दिवाली के बाद तो हालत बद से बदतर हो गए हैं. गुरुवार को भी दिल्ली का औसत एक्यूआई 362 दर्ज किया गया. सीपीसीबी के अनुसार राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में सुबह 5:15 बजे तक औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक 362 दर्ज किया गया, जो कि बेहद की खराब श्रेणी वाला सूचकांक माना जाता है.
PhonePe ने मद्रास हाई कोर्ट में Telegram के खिलाफ उसका नाम और लोगो का इस्तेमाल करके फर्जी चैनल बनाने की शिकायत दर्ज कराई है.
ऑनलाइन पेमेंट ऐप फोनपे (PhonePe) ने टेलीग्राम (Telegram) के खिलाफ मद्रास हाई कोर्ट में एक शिकायत दर्ज कराई है. इसे लेकर कोर्ट ने टेलीग्राम की जमकर फटकार लगाई है. दरअसल, फोनपे ने टेलीग्राम पर खिलाफ उसका नाम और लोगो का इस्तेमाल करके फर्जी चैनल बनाने का आरोप लगाया है. कोर्ट ने अब टेलीग्राम को ऐसे फर्जी चैनल ब्लॉक करने का आदेश दिया है. तो आइए जानते हैं क्या है ये पूरा मामला?
ये है पूरा मामला
फोन पे ने मद्रास हाई कोर्ट में शिकायत दर्ज की है कि कुछ लोग टेलीग्राम पर फर्जी चैनल बना रहे हैं. ऐसे में लोग रियल और फर्जी फोनपे ऐप में फर्क नहीं कर पा रहे हैं. यह चैनल फोनपे का नाम और लोगो का इस्तेमाल कर रहे हैं. इन चैनल के जरिए लोग लोगों को धोखा देकर उनसे पैसे हड़पा जा रहा है. फोनपे ने कोर्ट से इन चैनलों को बंद करने की मांग की. फोनपे ने यह भी कहा है कि टेलीग्राम की वजह से उसे वित्तीय तौर पर नुकसान हो रहा है, जिसकी वजह से लोगों को भरोसा ऑनलाइन पेमेंट से उठ सकता है.
कोर्ट ने टेलीग्राम को दिया ये आदेश
मद्रास हाई कोर्ट की सुनवाई के दौरान टेलीग्राम को जमकर फटकार लगाई गई है. वहीं, इस मामले में कोर्ट ने टेलीग्राम को आदेश दिया है कि वह फोनपे का नाम और लोगो का इस्तेमाल कर धोखाधड़ी करने वाले चैनलों को ब्लॉक और डिलीट करे. ये चैनल लोगों को धोखा देकर उनसे पैसे हड़प रहे थे. फोनपे ने कोर्ट में शिकायत की थी कि इन चैनलों की वजह से कंपनी और उसके यूजर्स को नुकसान हो रहा है.
फोनपे या यूजर की शिकातय पर टेलीग्राम करेगा कार्रवाई
टेलीग्राम ने कोर्ट को बताया कि वह ऐसे चैनलों को खुद से पहचान और ब्लॉक नहीं कर सकता, लेकिन कंपनी ने कोर्ट को आश्वासन दिया कि अगर फोनपे या कोई यूजर शिकायत करेगा, तो वह तुरंत संबंधित चैनल को ब्लॉक कर देगा. कोर्ट ने आदेश दिया कि अगर फोनपे को ऐसे कोई चैनल मिलते हैं, तो वह तुरंत टेलीग्राम को सूचित करे. इसके बाद टेलीग्राम को उस चैनल को ब्लॉक कर देगा.