Madras High Court ने क्यों कहा - स्कूली बच्चों की तरह है सरकारी कर्मचारी?

कुडनकुलम न्यूक्लियर पावर एम्प्लॉइज यूनियन की तरफ से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत ने ये टिप्पणी की.

Last Modified:
Tuesday, 18 April, 2023
file photo

मद्रास हाई कोर्ट (Madras High Court) ने सरकारी कर्मचारियों को लेकर एक बेहद तल्ख टिप्पणी की है. एक मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि सरकारी कर्मचारी और स्कूली बच्चों में कोई अंतर नहीं है. जिस तरह से बच्चों की नजर स्कूल से छुट्टी के लिए सार्वजनिक अवकाशों पर रहती है, ठीक वैसे ही सरकारी कर्मचारियों की नजर हमेशा सरकारी छुट्टियों और काम से छूट पर रहती है. 

क्या था याचिका में?
मद्रास हाई कोर्ट की मदुरै बेंच के जस्टिस जीआर स्वामीनाथन (Justice GR Swaminathan) ने यह टिप्पणी कुडनकुलम न्यूक्लियर पावर एम्प्लॉइज यूनियन (Kudankulam Nuclear Power Employees Union) द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान की. इस याचिका में मांग की गई थी कि चूंकि कर्मचारियों से 14 अप्रैल, 2018 को आंबेडकर जयंती के मौके पर घोषित सार्वजनिक अवकाश वाले दिन काम करवाया गया था, इसलिए उन्हें दोगुना भत्ता मिलना चाहिए.  

हाई कोर्ट ने दिया आदेश
हाई कोर्ट के जस्टिस जीआर स्वामीनाथन ने कर्मचारी यूनियन की याचिका पर प्रोजेक्ट के डायरेक्टर को आदेश दिया कि कर्मचारियों को सार्वजनिक अवकाश वाले दिन काम करवाने के लिए दोगुना भत्ता दिया जाए. लेकिन साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि राज्य सरकार ने 14 अप्रैल को आंबेडकर जयंती के उपलक्ष्य में नागरिकों की भावनाओं का सम्मान करने के लिए राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया था. डॉ. बीआर आंबेडकर भी यही चाहेंगे कि उनकी जयंती पर लोग छुट्टी मनाने के बजाये ज्यादा से ज्यादा काम करें.

शिष्टाचार हमारी पहचान
हाईकोर्ट ने कहा कि हमने भावनाओं और प्रतीकों के एक सिस्टम का पालन किया. दक्षता के बजाय शिष्टाचार में विश्वास किया. देश प्रतीकवाद और भावनाओं की बहुत परवाह करता है. जस्टिस जीआर स्वामीनाथन ने कहा कि कुशलता के बजाय शिष्टाचार हमारी पहचान है. भारत रत्न एपीजे अब्दुल कलाम की तरह, आंबेडकर ने भी यही कहा होगा कि मेरी मृत्यु पर छुट्टी घोषित न करें, इसके बजाय एक अतिरिक्त दिन काम करें, यदि आप मुझसे प्यार करते हैं.
 


क्या स्वाति की खामोशी के बावजूद Kejriwal की टेंशन बढ़ा सकती है दिल्ली पुलिस?

राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल ने कल केजरीवाल के PA पर मारपिटाई का आरोप लगाकर सनसनी फैला दी थी.

Last Modified:
Tuesday, 14 May, 2024
BWHindia

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निजी सचिव पर बदसलूकी और मारपिटाई का आरोप लगाने के बाद स्वाति मालीवाल फिलहाल खामोश हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कल यानी सोमवार को उन्होंने यह कहकर भूचाल ला दिया था कि केजरीवाल ने PA बिभव कुमार ने मुख्यमंत्री आवास में उनके साथ मारपीट की. आम आदमी पार्टी की राज्यसभा सांसद और दिल्ली महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष स्वाति ने पहले पुलिस को कॉल करके घटना की जानकारी दी फिर पुलिस स्टेशन जाकर मौखिक शिकायत भी की. लेकिन उसके बाद से पूरे मामले में हर तरफ खामोशी है. 

पुलिस को आए थे 2 कॉल
एक रिपोर्ट के मुताबिक, पीसीआर कॉल के बाद पुलिस ने जो नोट लिखा है, उसमें बताया गया है कि स्वाति मालीवाल ने कहा कि केजरीवाल ने उन पर यह हमला कराया. पीसीआर पर आए 2 कॉल के बाद दिल्ली पुलिस मुख्यमंत्री आवास पहुंची. लेकिन तब तक स्वाति सिविल लाइंस थाने पहुंच चुकी थीं. इस दौरान उन्हें कुछ फोन कॉल आए, जिसके बाद वह यह कहकर थाने से वापस लौट गईं कि कुछ देर बाद वापस आएंगी. मगर वह वापस नहीं लौटीं.  स्वाति मालीवाल ने पूरे मामले पर चुप्पी साध ली है. 

लिखित शिकायत का इंतजार 
सोशल मीडिया पर एक्टिव रहने वालीं स्वाति वहां भी पूरी तरह खामोश हैं. पुलिस उनसे लिखित शिकायत का इंतजार कर रही है और उसने स्वाति की कंप्लेंट को फिलहाल 'पेंडिंग' में रखा है. पुलिस इस मामले में कानून के जानकारों से राय ले रही है कि क्या वह DD एंट्री (Daily Diary Entry) और पीसीआर कॉल के आधार पर आगे बढ़ सकती है. कई मामलों में पुलिस ने ऐसा किया है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि पुलिस पीसीआर और डीडी एंट्री के आधार पर FIR दर्ज कर सकती है. आमतौर पर ऐसा पीड़ित के सामने नहीं आने पर किया जाता है. 

ऐसा भी कर सकती है पुलिस
इस विकल्प के अलावा, पुलिस मालीवाल से संपर्क करके उन्हें मजिस्ट्रेट के सामने बयान दर्ज कराने को भी कह सकती है. यदि ऐसा होता है, तो कथित शराब घोटाले से जुड़े मामले में जमानत पर बाहर चल रहे केजरीवाल की मुश्किलें बढ़ जाएंगी. स्वाति मालीवाल ने CM केजरीवाल के PA पर मारपीट का आरोप लगाया है. ऐसे में अगर FIR दर्ज होती है, तो पुलिस केजरीवाल को भी मुकदमे में आरोपी बना सकती है. बता दें कि स्वाति मालीवाल और बिभव कुमार, अरविंद केजरीवाल के पुराने साथी हैं. तीनों लंबे समय से साथ काम करते आ रहे हैं. स्वाति की गिनती आम आदमी पार्टी की तेज-तर्रार लीडर के तौर पर होती है. महिला आयोग की अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने कई उल्लेखनीय कार्य किए हैं. 


भ्रामक विज्ञापन मामले में IMA को फटकार और बाबा रामदेव को मिली ये राहत,फैसला हुआ सुरक्षित

सुप्रीम कोर्ट ने भ्रामक विज्ञापन के इस मामले में फैसला सुरक्षित रखते हुए आईएमए को फटकार लगाते हुए कहा कि आप अपने बयान के जरिए क्‍या संदेश देना चाहते हैं. 

Last Modified:
Tuesday, 14 May, 2024
BWHindia

पतंजलि आयुर्वेद के प्रमुख बाबा रामदेव और बालकृष्‍ण के लिए मंगलवार का दिन मंगल खबर लेकर आया. सुप्रीम कोर्ट ने दोनों को व्‍यक्तिगत पेशी से राहत देते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया है. साथ ही पतंजलि को एफिडेविट फाइल करते हुए ये बताना होगा कि उन दवाओं को रोकने के लिए आखिर उन्‍होंने क्‍या कदम उठाया है जिनका लाइसेंस निलंबित कर दिया गया है. 

अवमानना मामले को सुन रही है सुप्रीम कोर्ट 
सुप्रीम कोर्ट भ्रामक मामले की सुनवाई कर रही है. सुप्रीम कोर्ट की जज हिमा कोहली ने बाबा रामदेव और बालकृष्‍ण को तीन हफ्ते के अंदर शपथ पत्र देने को कहा, जिसमें ये बताया गया हो कि उन्‍होंने लाइसेंस रद्द हो चुकी दवाओं को वापस बुलाने के लिए क्‍या किया है. यही नहीं मंगलवार को कोर्ट ने इस मामले में रामदेव के योग को लेकर योगदान को स्‍वीकार तो किया लेकिन कहा कि उन्‍हें इसका सकारात्‍मक इस्‍तेमाल करना चाहिए. कोर्ट ने स्‍पष्‍ट तौर पर कहा कि हमारा मकसद ये है कि लोगों को रामदेव पर भरोसा है तो उसका सही इस्‍तेमाल हो. 

ये भी पढ़ें: Fintech सेक्‍टर की प्रतिस्‍पर्धा से इस कंपनी ने की तौबा, वापस लौटा दिए लाइसेंस

आईएमए प्रेसीडेंट को लिया आड़े हाथों
मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के प्रमुख डॉ. अशोकन को भी फटकार लगाई और कहा कि आप जिस संस्‍था के प्रमुख हैं उससे 3.50 लाख डॉक्‍टर जुड़े हुए हैं. कोर्ट ने उनके द्वारा कोर्ट के लिए की गई टिप्‍पडि़यों को देखते हुए फटकार लगाई और पूछा कि आप क्‍या संदेश देना चाहते हैं. कोर्ट ने ये भी कहा कि आपने सार्वजनिक तौर पर माफी क्‍यों नहीं मांगी. दरअसल आईएमए ने कोर्ट की आलोचनात्‍मक टिप्‍पड़ी पर सवाल उठाते हुए एक इंटरव्‍यू भी दिया था. इससे पहले 3 मई को सुप्रीम कोर्ट आईएमए को महंगी दवाएं लिखने को लेकर सवाल उठा चुकी है.

इन 14 प्रोडक्‍ट पर लग चुका है बैन 
सुप्रीम कोर्ट के सख्‍त रवैये के बाद उत्‍तराखंड सरकार के औषधि विभाग ने पतंजलि के खिलाफ कार्रवाई करते हुए 14 दवाओं पर रोक लगा दी थी. विभाग की इस कार्रवाई के बाद कंपनी ने कहा था कि वो इन दवाओं को वापस बुला रही है. सरकार की ओर से जिन दवाओं के खिलाफ कार्रवाई की गई थी उनमें पतंजलि आयुर्वेद की दृष्टि आई ड्रॉप, दिव्य फार्मेसी की मधुनाशिनी वटी, दिव्‍य फार्मेसी की श्वासारि गोल्ड, दिव्‍य फार्मेसी की श्वासारि वटी, दिव्‍य फार्मेसी की ब्रोंकोम, दिव्‍य फार्मेसी की श्वासारि प्रवाही, दिव्‍य फार्मेसी की श्वासारि अवलेह, दिव्‍य फार्मेसी की मुक्ता वटी एक्स्ट्रा पावर, दिव्‍य फार्मेसी की लिपिडोम, दिव्‍य फार्मेसी की बीपी ग्रिट, दिव्‍य फार्मेसी की मधुग्रिट, दिव्‍य फार्मेसी की लिवामृत एडवांस, दिव्‍य फार्मेसी की लिवोग्रिट और आईग्रिट गोल्ड शामिल है.  
 


बेल पर बाहर आए Kejriwal के लिए कितनी मुश्किल बढ़ा सकते हैं Swati Maliwal के आरोप? 

स्वाति मालीवाल ने केजरीवाल के PA पर बदसलूकी और मार-पिटाई का आरोप लगाया है.

Last Modified:
Monday, 13 May, 2024
BWHindia

'आम आदमी पार्टी' और उसके प्रमुख अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) अब एक नए मामले में घिरते नजर आ रहे हैं. पार्टी की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल (Swati Maliwal) को लेकर जो खबरें मीडिया में सामने आ रही हैं, उससे एक बड़ा बवाल खड़ा हो गया है. कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि स्वाति मालीवाल ने मुख्यमंत्री केजरीवाल के निजी सचिव पर बदसलूकी एवं मारपीट का आरोप लगाया है और उन्होंने सिविल लाइन थाने में इसकी शिकायत भी है. इससे पहले, मुख्यमंत्री कार्यालय से किसी ने पुलिस को दो बार कॉल करके स्वाति मालीवाल के साथ मारपीट की बात कही थी. हालांकि, जब पुलिस टीम CM हाउस पहुंची, तो वहां स्वाति नहीं मिलीं.

खामोशी का मतलब 'हां' तो नहीं?  
पुलिस की तरफ से आधिकारिक तौर पर अभी तक इसकी पुष्टि नहीं की गई है कि स्वाति ने थाने में शिकायत दी है या नहीं. आम आदमी पार्टी, अरविंद केजरीवाल और न ही स्वाति मालीवाल ने खुद इस बारे में कोई बयान जारी किया है. इसलिए इस पूरे मामले में कई सवाल उठ रहे हैं. हालांकि, सभी की खामोशी कहीं न कहीं यही इशारा कर रही है कि बदसलूकी और मारपीट की जो खबर सामने आई है, उसमें कुछ न कुछ सच्चाई जरूर है.     

BJP नेता मिश्रा हुए एक्टिव
रिपोर्ट्स में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि स्वाति मालीवाल ने पुलिस को कॉल करके सीएम केजरीवाल के पीए पर पिटाई का आरोप लगाया है. पुलिस को सुबह करीब 10 बजे के आसपास 2 कॉल मिलीं. हालांकि, जब पुलिस सीएम आवास पहुंची तो स्वाति मालीवाल वहां से जा चुकी थीं. उधर, बीजेपी नेता कपिल मिश्रा इस मामले में एक्टिव हो गए हैं. उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा है कि आज सुबह केजरीवाल के घर पर स्वाति को पुलिस क्यों बुलानी पड़ी? क्या केजरीवाल के पीए बिभव ने स्वाति मालीवाल की पिटाई की? क्या मुख्यमंत्री का कार्यालय कोई स्पष्टीकरण देगा? ईश्वर करे मुख्यमंत्री के घर में महिला राज्यसभा सांसद की पिटाई की खबर झूठी हो.

...तो केजरीवाल बनेंगे आरोपी
स्वाति मालीवाल ने CM केजरीवाल के PA पर मारपीट का आरोप लगाया है. ऐसे में स्वाति यदि पुलिस FIR दर्ज कराती हैं, तो पुलिस केजरीवाल को भी मुकदमे में आरोपी बना सकती हैं. खबर है कि आम आदमी पार्टी द्वारा स्वाति से अनुरोध किया जा रहा है कि वह शांत हो जाएं और कोई शिकायत न दें। बता दें कि दिल्ली शराब घोटाले में अरविन्द केजरीवाल को हाल ही में सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिली है. कोर्ट ने उन्हें चुनाव प्रचार के लिए 1 जून तक के लिए जमानत दी है. 2 जून को उन्हें सरेंडर करना होगा. 


सुप्रीम कोर्ट से केजरीवाल को बड़ी राहत, एक जून तक मिली अंतरिम जमानत

दिल्ली शराब घोटाले में जेल में बंद अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिल गई है.

Last Modified:
Friday, 10 May, 2024
BWHindia

कथित दिल्ली शराब घोटाला मामले में गिरफ्तार अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत मिल गई है. सुप्रीम कोर्ट दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल को 1 जून तक के लिए अंतरिम जमानत दी है. आज यानी शुक्रवार को दोपहर 2 बजे इस मामले पर फिर से सुनवाई हुई. अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद केजरीवाल को अंतरिम जमानत देने का फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला केजरीवाल के साथ-साथ आदमी पार्टी को बड़ी राहत के समान है. ऐसी भी खबर चल रही थी कि ED आज केजरीवाल को शराब घोटाले मामले में आरोपी बनाएगी और उनके खिलाफ चार्जशीट दायर करेगी.

प्रचार पर नहीं कोई रोक
सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को 1 जून तक अंतरिम जमानत दी है, जिसका मतलब है कि उन्हें 2 जून को सरेंडर करना होगा. कोर्ट ने सीएम केजरीवाल के चुनाव प्रचार पर कोई रोक नहीं लगाई है. लिहाजा वह लोकसभा चुनाव के मद्देनजर अपनी पार्टी के लिए प्रचार कर सकेंगे. बता दें कि शराब घोटाले के आरोप में तिहाड़ जेल में बंद अरविंद केजरीवाल की अंतरिम जमानत का प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने विरोध किया था. गुरुवार को ED ने कहा था कि सामान्य नागरिक की तुलना में एक राजनेता किसी विशेषाधिकार का दावा नहीं कर सकता. अपराध करने पर उसे किसी अन्य नागरिक की तरह ही गिरफ्तार और हिरासत में लिया जा सकता है.

कब तक आएंगे बाहर?
जमानत मिलने के बाद भी केजरीवाल को जेल से बाहर आने में कुछ वक्त लगेगा. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट का लिखित ऑर्डर दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में भेजा जाएगा. जहां जमानत की शर्तें तय होंगी और बेल बॉन्ड भरना होगा. इसके बाद ट्रायल कोर्ट रिलीज ऑर्डर तैयार करके तिहाड़ जेल प्रशासन को भेजा. रिलीज ऑर्डर मिलने के बाद ही अरविंद केजरीवाल जेल से बाहर आ पाएंगे. हालांकि, केजरीवाल के वकील का कहना है कि रोजाना जितने भी रिलीज ऑर्डर आते हैं, उनका निपटारा लगभग एक घंटे में हो जाता है. जमानत के दौरान केजरीवाल आम आदमी पार्टी के लिए प्रचार कर सकते हैं. दिल्ली की 7 लोकसभा सीटों के लिए 25 मई को मतदान होना है.  


सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से आखिर क्यों घबराए बैंक कर्मचारी, आप भी जानिए 

बैंक कर्मचारियों और अधिकारियों की यूनियन ने आयकर (Income Tax) विभाग के एक नियम को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. कोर्ट के फैसले के बाद बैंक कर्मचारियों के हाथ सिर्फ निराशा लगी.   

Last Modified:
Thursday, 09 May, 2024
BWHindia

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के एक फैसले ने बैंक कर्मचारियों को बड़ा झटका दे दिया है. कोर्ट ने गुरुवार को एक फैसले में कहा है कि बैंक कर्मचारियों को उनके एम्पलॉयर बैंकों की ओर से इंटरेस्ट फ्री या कम इंटरेस्ट रेट के लोन की जो सुविधा मिलती है, उस पर उन्हें टैक्स का भुगतान करना होगा. इस फैसले के बाद बैंक कर्मचारी काफी निराश हुए है.  

क्या था पूरा मामला? 
दरअसल, बैंक कर्मचारियों के संगठनों ने आयकर (Income Tax) विभाग के एक नियम को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसके तहत बैंक कर्मचारियों को खास तौर पर मिलने वाली लोन की सुविधा को टैक्सेबल बनाया गया है. आईटी एक्ट 1961 के सेक्शन 17(2)(viii) और आईटी रूल्स 1962 के नियम 3(7)(i) के तहत अनुलाभ (perquisites) को परिभाषित किया गया है. अनुलाभ उन सुविधाओं को कहा जाता है, जो किसी भी व्यक्ति को उसके काम/नौकरी के चलते सैलरी के अतिरिक्त मिलती हैं.  

देना पड़ेगा टैक्स 
सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने इस मामले में आय कर के नियमों को सही ठहराया. कोर्ट ने कहा कि बैंक कर्मचारियों को बैंकों की ओर से खास तौर पर यह सुविधा दी जाती है, जिसमें उन्हें या तो कम ब्याज पर या बिना ब्याज के लोन मिल जाता है. अदालत के हिसाब से यह यूनिक सुविधा है, जो सिर्फ बैंक कर्मचारियों को ही मिलती है. इसे सुप्रीम कोर्ट ने फ्रिंज बेनेफिट या अमेनिटीज करार दिया और कहा कि इस कारण ऐसे लोन टैक्सेबल हो जाते हैं.  

कोर्ट ने सुनाया ये फैसला 
कोर्ट की पीठ ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि बैंक अपने कर्मचारियों को कम ब्याज पर या बिना ब्याज के जो लोन की सुविध देते हैं, वह उनकी अब तक की नौकरी या आने वाले समय की नौकरी से जुड़ी हुई है. ऐसे में यह कर्मचारियों को सैलरी के अलावा मिलने वाली सुविधाओं में शामिल हो जाती है और इसे अतिरिक्त लाभ माना जा सकता है. इसका मतलब हुआ कि आयकर के संबंधित नियमों के हिसाब से यह सुविधा टैक्सेबल हो जाती है. पीठ ने टैक्स के कैलकुलेशन के लिए एसबीआई के प्राइम लेंडिंग रेट को बेंचमार्क की तरह इस्तेमाल करने को भी स्वीकृति प्रदान कर दी.
 

इसे भी पढ़ें-यहां DLF ने बेचे 5,590 करोड़ रुपये के फ्लैट्स, वहां शेयर ने मारी उछाल


केजरीवाल की जमानत रोकने के लिए आज मास्टर स्ट्रोक खेलेगी ED, पहली बार होगा ऐसा 

सुप्रीम कोर्ट कल अरविंद केजरीवाल की अंतरिम जमानत पर फैसला सुना सकता है. केजरीवाल को 21 मार्च को गिरफ्तार किया गया था.

Last Modified:
Thursday, 09 May, 2024
BWHindia

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की मुश्किलों का अंत होता नजर नहीं आ रहा है. कथित शराब घोटाले (Delhi Liquor Scam) में प्रवर्तन निदेशालय (ED) कल यानी शुक्रवार को केजरीवाल के खिलाफ ट्रायल कोर्ट में चार्जशीट दायर कर सकता है. मीडिया रिपोर्ट्स में वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से बताया गया है कि चार्जशीट में पहली बार केजरीवाल को आरोपी बनाया जाएगा. बता दें कि ED ने इस मामले में 21 मार्च को केजरीवाल को गिरफ्तार किया था. तब से वह सलाखों के पीछे हैं. निचली अदालत के साथ-साथ हाई कोर्ट से भी उन्हें कोई राहत नहीं मिली है. 

चार्जशीट की टाइमिंग अहम 
ED द्वारा केजरीवाल के खिलाफ कल दायर की जाने वाली चार्जशीट की टाइमिंग बेहद अहम है. शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट अरविंद केजरीवाल की अंतरिम जमानत पर फैसला सुनाएगा और उसी दिन ईडी दिल्ली के मुख्यमंत्री को आरोपी बनाएगी. प्रवर्तन निदेशालय ने केजरीवाल को अभी तक आरोपी नहीं बनाया गया है. रिपोर्ट्स के अनुसार, ED की ताजा चार्जशीट में केजरीवाल के साथ-साथ कुछ अन्य लोगों को भी आरोपी बनाया जा सकता है. लेकिन केजरीवाल को मुख्य साजिशकर्ता के रूप में पेश किया जाएगा. 

ये भी पढ़ें - Ola-Uber की मुश्किलें बढ़ाने वाली है Paytm, लेकिन आपको होगा फायदा; जानें कैसे

सिसोदिया भी हैं जेल में
वैसे, ED के वकील मौखिक रूप से कोर्ट में केजरीवाल को मुख्य साजिशकर्ता और सरगना बता चुके हैं, लेकिनचार्ज शीट में उन्हें आरोपी बनाया जाना अलग बात है. कथित शराब घोटाले से जुड़े मामले में केजरीवाल के अलावा दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया भी जेल में हैं. जबकि आम आदमी पार्टी (AAP) सांसद संजय सिंह 4 महीने की जेल के बाद बाहर आ चुके हैं. अदालत ने हाल ही में उन्हें कुछ शर्तों के साथ जमानत दी है. 

ED का पक्ष होगा मजबूत
केजरीवाल की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान ऐसा लगा कि उन्हें राहत मिल सकती है. अदालत ने कहा था कि केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं, वह आदतन अपराधी नहीं. चूंकि, लोकसभा चुनाव पांच साल बाद आता है, इसलिए प्रचार के लिए उन्हें अंतरिम जमानत देने पर विचार किया जा सकता है. हालांकि, अब यह सवाल खड़ा हो गया है कि क्या केजरीवाल को राहत मिलेगी? माना जा रहा है कि सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई से पहले ही ED ट्रायल कोर्ट में चार्जशीट पेश कर सकती है. जानकारों का मानना है कि इससे सुप्रीम कोर्ट में ED का पक्ष मजबूत हो सकता है और ऐसे में केजरीवाल की जमानत की आस टूट सकती है.
 


जबरन GST वसूली पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, सरकार को दिए ये निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जीएसटी कलेक्शन में बल प्रयोग का कानून में कोई प्रावधान नहीं है. 

Last Modified:
Thursday, 09 May, 2024
BWHindia

(GST) वसूली को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने केंद्र सरकार को कारोबारियों के खिलाफ सर्च ऑपरेशन के दौरान धमकी और जोर-जबरदस्ती का इस्तेमाल न करने का निर्देश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उन्हें स्वेच्छा से बकाया चुकाने के लिए मनाया जाए. इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में 281 याचिकाओं पर सुनवाई हो रही है, जिसमें कोर्ट की एक पीठ जीएसटी अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों की जांच कर रही है.

भुगतान स्वेच्छा से हो, विभाग नहीं कर सकता बल का प्रयोग
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने कहा कि जीएसटी कानून के तहत ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जो अधिकारियों को बकाया राशि के भुगतान के लिए बल के इस्तेमाल का अधिकार देता हो. 

सरकार की ओर से आया से पक्ष
केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने तलाशी और जब्ती के दौरान ज्यादातर भुगतान स्वैच्छिक ही हुए हैं. ज्यादातर भुगतान स्वेच्छा से या वकील से परामर्श कर कुछ दिनों के बाद किए जाते हैं. हां, अतीत में कुछ उदाहरण हो सकते हैं लेकिन यह मानक नहीं है.

281 याचिकाओं पर सुनवाई
एक याचिकाकर्ता के वकील सुजीत घोष ने कहा कि कानून के तहत प्रदान किए गए सुरक्षा उपायों को लागू नहीं किया गया है और इसके बजाय लोगों को भुगतान करने के लिए गिरफ्तारी की धमकी दी जाती है. कोर्ट जीएसटी अधिनियम, सीमा शुल्क अधिनियम और धनशोधन निवारण अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों को चुनौती देने वाली 281 याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है.

नहीं बना सकते गिरफ्तारी का दबाव 
कोर्ट की पीठ ने कहा कि कई याचिकाकर्ताओं ने अधिकारियों पर तलाशी और जब्ती अभियान के दौरान धमकी और जबरदस्ती करने के आरोप लगाए हैं. अगर कोई टैक्स भुगतान से इनकार करता है, तो आप उनकी संपत्तियां अस्थायी रूप से कुर्क कर सकते हैं, लेकिन आपको परामर्श करने, सोचने और विचार करने के लिए कुछ समय देना होगा. आप उसे धमकी और गिरफ्तारी के दबाव में नहीं रख सकते हैं. अगर गिरफ्तारी करनी भी है तो वह कानून के तहत निर्धारित प्रक्रिया में हो, जीएसटी अधिनियम की धारा 69 के तहत गिरफ्तारी का प्रावधान है.

सुरक्षा उपाय किए जाएं लागू
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि धारा 69 (गिरफ्तार करने की शक्ति) और धारा 70 (समन करने की शक्ति) का कड़ाई से अनुपालन होना चाहिए. जब विधायिका ने सुरक्षा उपाय किए हैं तो उन्हें कड़ाई से लागू करने की जरूरत है.
 


बैंकर्स को सस्ते लोन पर सुप्रीम कोर्ट की तिरछी नजर, सुना दिया ये बड़ा फैसला

सरकारी बैंक के कर्मचारियों को सामान्य नागरिकों की तुलना में सस्ता लोन मिलता है.

Last Modified:
Thursday, 09 May, 2024
BWHindia

बैंक कर्मचारियों (Bankers) को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से बड़ा झटका लगा है. अदालत ने बैंकर्स को मिलने वाले सस्ते लोन पर एक ऐसा फैसला सुनाया है, जिससे उनकी जेब ढीली होना लाजमी है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बैंक कर्मचारियों को ब्याज मुक्त या रियायती दर पर मिलने वाला लोन एक ‘अनुलाभ’ है और इसलिए यह आयकर अधिनियम के तहत टैक्सेबल है. कोर्ट के इस फैसले का सीधा मतलब है कि सरकारी बैंक के कर्मचारियों को सस्ता लोन अब उतना भी सस्ता नहीं पड़ेगा.  

क्रूर नहीं है ये प्रावधान
जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 17(2)(viii) और आयकर नियम, 1962 के नियम 3(7)(i) की वैधता को बरकरार रखा है. कोर्ट ने कहा कि यह प्रावधान न तो अन्यायपूर्ण है, न ही क्रूर है और न ही करदाताओं पर कठोर. बैंक कर्मियों को मिलने वाला लोन बाजार के मुकाबले काफी सस्ता पड़ता है. बैंकर्स को सिंपल इंटरेस्ट रेट पर लोन मिलता है, जबकि सामान्य नागरिकों को कंपाउंड इंटरेस्ट रेट के हिसाब से लोन का भुगतान करता पड़ता है.  

ये भी पढ़ें - Ramdev की पतंजलि को घेरते-घेरते आखिर खुद कैसे फंस गए IMA के चीफ?

SBI की दरें बेंचमार्क 
एक ही अमाउंट के लोन के लिए बैंक कर्मी जितनी EMI चुकाते हैं और सामान्य व्यक्ति को जितने का भुगतान करना पड़ता है, उसके बीच का अंतर अब कर योग्य होगा. इसका मतलब है कि बैंक कर्मियों के लिए सस्ता लोन पहले जितना सस्ता नहीं रह जाएगा. अपने फैसले में न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा कि ब्याज मुक्त या रियायती कर्ज के मूल्य को अनुलाभ के रूप में टैक्स लगाने के लिए अन्य लाभ या सुविधा माना जाना चाहिए. साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की ब्याज दर को एक बेंचमार्क के रूप में तय करने से एकरूपता सुनिश्चित होती है. इससे विभिन्न बैंकों द्वारा ली जाने वाली अलग-अलग ब्याज दरों पर कानूनी विवादों को रोका जा सकता है. 

काम नहीं आया ये तर्क
न्यायमूर्ति खन्ना और न्यायमूर्ति दत्ता की पीठ ने ‘अनुलाभ’ की प्रकृति को स्पष्ट करते हुए कहा कि यह रोजगार की स्थिति से जुड़ा एक लाभ है, जो ‘वेतन के बदले लाभ’ से अलग है. अनुलाभ रोजगार के लिए आकस्मिक हैं और रोजगार की स्थिति के कारण लाभ प्रदान करते हैं, जो सामान्य परिस्थितियों में उपलब्ध नहीं होते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स फेडरेशन की उन याचिकाओं को खारिज कर दिया, जिनमें तर्क दिया गया था कि भारतीय स्टेट बैंक की प्रमुख लेडिंग रेट को मानक बेंचमार्क के रूप में उपयोग करना मनमाना और संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है.


Ramdev की पतंजलि को घेरते-घेरते आखिर खुद कैसे फंस गए IMA के चीफ? 

भ्रामक विज्ञापन के मामले में सुप्रीम कोर्ट पतंजलि को कड़ी फटकार लगा चुका है और लगता है अब बारी IMA की है.

Last Modified:
Wednesday, 08 May, 2024
BWHindia

बड़े-बड़े दांवों पर बाबा रामदेव (Baba Ramdev) की पतंजलि को घेरते-घेरते इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) प्रमुख डॉ. आरवी अशोकन कुछ ऐसा कर गए हैं कि आने वाले दिन उनके लिए मुश्किलों भरे हो सकते हैं. अब तक पतंजलि (Patanjali) को सुप्रीम कोर्ट से मिली फटकार से आत्म-संतुष्टि का अनुभव करने वाले अशोकन खुद भी कोर्ट के निशाने पर आ गए हैं. शीर्ष अदालत ने डॉ. अशोकन को नोटिस जारी कर उनसे जवाब मांगा है. चलिए जानते हैं कि भ्रामक विज्ञापन मामले में फरियादी की भूमिका निभा रहा IMA आखिर आरोपी के किरदार में कैसे पहुंच गया. 

बाबा वाली गलती कर बैठे अशोकन
पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन के मामले में सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है. कुछ वक्त पहले जब बाबा रामदेव ने बाकायदा प्रेस कांफ्रेंस करके अपना गुस्सा जाहिर किया था, तो IMA ने इस मुद्दे को खूब उछाला था और इसे सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करार देते हुए बाबा पर निशाना साधा था. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन का कहना था कि बाबा रामदेव ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी प्रेस कांफ्रेंस काके डॉक्टरों के खिलाफ दुष्प्रचार किया. इसके अलावा, रोक के बावजूद विज्ञापन प्रकाशित करवाए गए, जो सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन है. अब आईएमए प्रमुख डॉ. अशोकन खुद बाबा रामदेव वाली गलती कर बैठे हैं और बाबा के सहयोगी आचार्य बालकृष्ण ने उनकी इस गलती को पकड़ लिया है.  

बालकृष्ण चाहते हैं कार्रवाई 
पतंजलि आयुर्वेद के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण ने डॉ. अशोकन के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की है, जिस पर अदालत ने IMA प्रमुख को नोटिस जारी करते हुए उनसे जवाब मांगा है. जस्टिस हिमा कोहली और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने मामला लंबित रहने के दौरान डॉ. अशोकन द्वारा दिए गए साक्षात्कार पर कड़ी फटकार लगाई. जस्टिस कोहली ने IMA के वकील से बेहद कड़े शब्दों में कहा कि जब मामला अदालत में लंबित है, तो आपका मुवक्किल इस बारे में इंटरव्यू कैसे दे सकता है? आप कह रहे हैं कि दूसरा पक्ष भ्रामक विज्ञापन चला रहा है, आप क्या कर रहे हैं? अदालत की कार्यवाही पर टिप्पणियां कर रहे हैं.

क्या कहा था IMA चीफ ने? 
अब यह भी जान लेते हैं कि आखिर आईएमए अध्यक्ष अशोकन ने कहा क्या था. उन्होंने एक न्यूज एजेंसी से बातचीत करते हुए कहा था कि ये बेहद ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि सुप्रीम कोर्ट ने IMA और प्राइवेट डॉक्टरों की प्रैक्टिस की आलोचना की. उच्चतम न्यायालय के कुछ बयानों ने प्राइवेट डॉक्टरों का मनोबल कम किया है और हमें ऐसा लगता है कि उन्हें देखना चाहिए था कि उनके सामने क्या जानकारी रखी गई है. बता दें कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने पतंजलि के खिलाफ याचिका दायर की थी. IMA ने बाबा की कंपनी पर आधुनिक चिकित्सा प्रणालियों के खिलाफ भ्रामक दावे और विज्ञापन प्राकशित करने का आरोप लगाया है. इसी मुद्दे को लेकर अदालत में सुनवाई चल रही है. कोर्ट पतंजलि को कड़ी फटकार लगा चुका है और लगता है अब बारी IMA की है.


केजरीवाल को राहत के आसार, सुप्रीम कोर्ट का ED से सवाल - 100 से 1100 करोड़ कैसे हो गए?

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली शराब नीति मामले में अरविन्द केजरीवाल की याचिका पर आज ED से कई सवाल पूछे.

Last Modified:
Tuesday, 07 May, 2024
BWHindia

कथित शराब नीति घोटाले में तिहाड़ जेल में बंद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद आज पहली बार उनके बाहर आने की उम्मीद दिखाई दी. अदालत ने इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) से कई सवाल पूछे. हालांकि, ED की तरफ से पेश वकील के यह कहते ही कि हमें नहीं लगता कि आज हम अपनी दलील पूरी कर पाएंगे, केजरीवाल की अंतरिम जमानत पर आज कोई फैसला आने की उम्मीद कम हो गई है. 

पूरी आय अपराध की आय कैसे हुई?
जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच के समक्ष केजरीवाल की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी, ED की तरफ से Additional Solicitor General (ASG) एसवी राजू और Solicitor General (SG) तुषार मेहता ने दलीलें रखीं. आज सुनवाई शुरू होते ही एसवी राजू ने कहा कि मामले में 100 करोड़ के हवाला ट्रांजेक्शन की बात कही गई है और मनीष सिसोदिया की जमानत खारिज होने के बाद 1100 करोड़ अटैच किए जा चुके हैं. इस पर कोर्ट ने पूछा कि 2 साल में ये 1100 करोड़ हो गए? आपने पहले कहा था कि 100 करोड़ का मामला है, अब ये इतने करोड़ कैसे हो गए? इस पर राजू ने कहा कि ये शराब नीति के फायदे हैं. जस्टिस खन्ना ने कहा कि पूरी आय अपराध की आय कैसे हुई?

उनके खिलाफ कोई केस भी नहीं है
करीब डेढ़ घंटे दलीलें सुनने के बाद जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने ED के वकील से पूछा कि क्या आप 1 बजे तक अपनी बातें खत्म कर पाएंगे? फिर हम लंच के बाद केजरीवाल को आधा घंटा देंगे. इस पर ASG राजू ने कहा कि हमें नहीं लगता कि आज हम अपनी दलील पूरी कर पाएंगे. अदालत ने कहा कि अरविंद केजरीवाल दिल्ली के चुने हुए मुख्यमंत्री हैं. चुनाव चल रहे हैं, यह आम हालात नहीं है. उनके खिलाफ कोई केस भी नहीं है. इसका विरोध करते हुए SG तुषार मेहता ने कहा कि हम क्या उदाहरण रख रहे हैं? क्या दूसरे लोग मुख्यमंत्री से कम महत्वपूर्ण हैं. इस आधार पर कोई फर्क होना चाहिए कि वह मुख्यमंत्री हैं. इस पर जस्टिस खन्ना ने कहा कि यह अलग बात है. चुनाव पांच साल में एक बार होते हैं, हमें यह पसंद नहीं है. एसजी तुषार मेहता ने कहा कि केजरीवाल छह महीने तक समन टालते रहे. अगर पहले सहयोग करते, तो संभव है कि गिरफ्तारी नहीं होती.

आपको इतना समय कैसे लग गया?  
सुप्रीम कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी से पहले की फाइल भी ED से मांगते हुए कहा कि 2 सालों से जांच चल रही है. ये किसी भी एजेंसी के लिए सही नहीं है कि इतने लंबे समय तक इस तरह जांच चले. जस्टिस संजीव खन्ना ने पूछा कि बयानों में केजरीवाल का नाम पहली बार कब लिया गया? एसवी राजू ने कहा कि 23 फरवरी 2023 को बुची बाबू के बयान में केजरीवाल का नाम सामने आया था. इस पर अदालत ने पूछा कि आपको इतना समय क्यों लगा? एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि यदि हम शुरुआत में ही केजरीवाल की जांच शुरू कर देते तो गलत होता. केस को समझने में समय लगता है. बता दें कि दिल्ली के कथित शराब घोटाले में ED ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को 21 मार्च को गिरफ्तार किया था. इससे पहले ED ने उन्हें पूछताछ के लिए 9 समन जारी किए थे.