ED ने M3M के प्रमोटर रूप कुमार बंसल को क्यों किया गिरफ्तार, क्या है पूरा मामला? 

प्रवर्तन निदेशालय यानी ED ने काले धन को सफेद बनाने के मामले में दिल्ली NCR की एक रियल एस्टेट फर्म के प्रमोटर को गिरफ्तार किया है.

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Friday, 09 June, 2023
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रियल एस्टेट फर्म M3M के प्रमोटर रूप कुमार बंसल (Roop Bansal) को गिरफ्तार कर लिया गया है. एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट यानी ED ने मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में कार्रवाई करते हुए बंसल को गिरफ्तार किया है. मीडिया रिपोर्ट्स के बताया गया है कि बंसल की गिरफ़्तारी ईडी द्वारा दिल्ली और गुरुग्राम में रियल एस्टेट डेवलपर्स IREO ग्रुप और M3M ग्रुप के सात स्थानों पर चलाए गए तलाशी अभियान के बाद हुई है. अधिकारियों का कहना है कि इन फर्मों के खिलाफ कथित रूप से फंड डायवर्ट करने, गबन करने और हेराफेरी के आरोपों की जांच चल रही है. इतना ही नहीं ED ने IREO ग्रुप और M3M ग्रुप द्वारा 400 करोड़ रुपए से अधिक की मनी लॉन्ड्रिंग का पता भी लगाया है.

छापेमारी में मिला था काफी कुछ 
IREO Group और M3M Group के ठिकानों पर हुई ED की छापेमारी में कई लग्जरी कारों सहित 5.75 करोड़ रुपए के आभूषण, 15 लाख नकद और विभिन्न दस्तावेज, डिजिटल साक्ष्य और बही खाते जब्त किए गए थे. ED के मुताबिक, M3M ग्रुप के मालिक, कंट्रोलर और प्रमोटर बसंत बंसल, रूप कुमार बंसल, पंकज बंसल और अन्य जानबूझकर जांच से बचते रहे. बता दें कि IREO समूह के खिलाफ दर्ज हुईं कई FIR को ध्यान में रखते हुए ED ने मामले जांच शुरू की, जिसमें कई चौंकाने वाले खुलासे हुए. 

इस तरह चला हेराफेरी का सिलसला
जांच एजेंसी का कहना है कि M3M समूह के माध्यम से सैकड़ों करोड़ रुपए का गबन किया गया था. एम3एम ने शेल कंपनियों के माध्यम से आईआरईओ समूह से लगभग 400 करोड़ रुपए प्राप्त किए थे, जिसे आईआरईओ के दस्तावेजों में डेवलपमेंट राइट्स के भुगतान के रूप में दिखाया गया था. शुरुआत में M3M ग्रुप ने 10 करोड़ के भुगतान पर पांच शेल कंपनियों को जमीन के विकास अधिकार बेचे. उसकी तरफ से यह दावा किया गया कि ये पांच कंपनियां असंबद्ध संस्थाएं हैं, लेकिन जांच से पता चला कि ये कंपनियां असल में एम3एम समूह द्वारा संचालित थीं. 

प्रमोटर्स की देखरेख में हुआ सबकुछ
ED के अनुसार, बाद में इन कंपनियों ने उसी भूमि के विकास अधिकार लगभग 400 करोड़ रुपए में IREO समूह को बेच दिए. इसके बाद उस राशि को एम3एम ग्रुप को ट्रांसफर कर दिया गया. सभी शेल कंपनियों का स्वामित्व और संचालन M3M ग्रुप द्वारा इसके प्रमोटर्स बसंत बंसल, रूप कुमार बंसल और उनके परिवार के सदस्यों के निर्देशन में किया गया था. इस तरह, आईआरईओ और एम3एम ने 400 करोड़ रुपये की हेराफेरी की, जो निवेशकों और ग्राहकों के थे. आरोपों की कड़ी जोड़ने के बाद ED ने रूप कुमार बंसल को गिरफ्तार कर लिया है.


Patanjali Case: नाराज कोर्ट से बोले रामदेव - मैं सार्वजनिक रूप से माफी मांगने को तैयार

पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन मामले में बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण फिर से सुप्रीम कोर्ट में हाजिर हुए.

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Tuesday, 16 April, 2024
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भ्रामक विज्ञापन मामले में सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी का सामना कर रहे बाबा रामदेव (Baba Ramdev) और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण ने सार्वजनिक माफी मांगने की बात कही है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मामले की सुनवाई के लिए आज सुप्रीम कोर्ट पहुंचे रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि वे पतंजलि आयुर्वेद के भ्रामक विज्ञापन को लेकर सार्वजनिक रूप से माफी मांगने को भी तैयार हैं.

मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं था
जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अमानतुल्लाह की बेंच पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन मामले में आज यानी मंगलवार को फिर से सुनवाई की. इस दौरान, बाबा रामदेव के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि हम कोर्ट से एक बार फिर माफी मांगते हैं. हमें पछतावा है, हम जनता में भी माफी मांगने को तैयार हैं. सुनवाई के दौरान अदालत ने रामदेव और आचार्य बालकृष्ण से बातचीत की. रामदेव ने कोर्ट से कहा कि मैं आगे से जागरुक रहूंगा. मेरा कोर्ट के आदेश का अनादर करने का कोई इरादा नहीं था.  

उत्साह में ऐसा कर दिया
अदालत ने रामदेव और आचार्य बालकृष्ण से कहा कि हमारे आदेश के बावजूद आपने विज्ञापन प्रकाशित किया. इस पर आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि ये भूल अज्ञानता में हुई है, हमारे पास सबूत हैं. वहीं, स्वामी रामदेव ने कहा कि हमने उत्साह में आकर ऐसा कर दिया. हम आगे से सजग रहेंगे. हम एलोपैथी के बारे में कुछ नहीं बोलेंगे. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने आगे कहा - क्या आपको पता है कि आप लाइलाज बीमारियों का विज्ञापन नहीं कर सकते हैं. कानून सबके लिए समान है. इस पर स्वामी रामदेव ने अपना बचाव करते हुए कहा कि हमने बहुत टेस्ट किए हैं, जिस पर जस्टिस कोहली ने उन्हें टोकते हुए कहा कि आपकी तरफ से ये गैर जिम्मेदार रवैया है.

दिल से माफी नहीं मांग रहे
बेंच ने रामदेव से कहा कि ऐसा नहीं लग रहा है कि आपका कोई हृदय परिवर्तन हुआ हो. अभी भी आप अपनी बात पर अड़े हैं. हम इस मामले को 23 अप्रैल को देखेंगे. जस्टिस कोहली ने कहा कि आपका पिछला इतिहास खराब है, लिहाजा हम इस पर विचार करेंगे कि आपकी माफी स्वीकार की जाए या नहीं. वहीं जस्टिस अमानुल्ला ने कहा कि आप दिल से माफी नहीं मांग रहे, ये ठीक बात नहीं है. बता दें कि बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण पहले भी दो बार अदालत से माफी मांग चुके हैं, लेकिन कोर्ट ने उनका माफीनामा खारिज कर दिया था. 

आखिर क्या है पूरा मामला?
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने पतंजलि के खिलाफ याचिका दायर की है. IMA का आरोप है कि पतंजलि ने COVID वैक्सीनेशन को लेकर एक कैंपेन चलाया था और आधुनिक चिकित्सा प्रणालियों पर सवाल उठाया था. कंपनी द्वारा आधुनिक चिकित्सा प्रणालियों के खिलाफ भ्रामक दावे और विज्ञापन प्राकशित किए गए. इसके बाद अदालत ने पतंजलि को हिदायत देते हुए कहा था कि वो विज्ञापन प्रकाशित न करवाए, लेकिन इसके बावजूद कंपनी की तरफ से विज्ञापन प्रकाशित करवाए गए. IMA का कहना था कि बाबा रामदेव ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी प्रेस कांफ्रेंस करके डॉक्टरों पर दुष्प्रचार का आरोप लगाया था. इसके अलावा, रोक के बावजूद विज्ञापन प्रकाशित करवाए गए, जो सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन है. 

पतंजलि ने कौनसा कानून तोड़ा?
आईएमए का कहना है कि पतंजलि के दावे ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज एक्ट 1954 और कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 2019 जैसे कानूनों का सीधा उल्लंघन है. बता दें कि पतंजलि आयुर्वेद ने दावा किया था कि उसके उत्पाद कोरोनिल और स्वसारी से कोरोना का इलाज संभव है. इस दावे के बाद कंपनी को आयुष मंत्रालय ने फटकार लगाई थी और इसके प्रमोशन को तुरंत रोकने को कहा था. इस पूरे मामले में रामदेव एक तस्वीर के चलते फंस गए. दरअसल, पतंजलि के विज्ञापनों में बाबा रामदेव की तस्वीर भी लगी थी. लिहाजा अदालत ने उन्हें भी पार्टी बनाया और पूछा कि उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही क्यों न की जाए?


केजरीवाल को राहत के लिए करना होगा और इंतजार, SC का जल्द सुनवाई से इंकार 

दिल्ली हाई कोर्ट से मिले झटके के बाद अरविंद केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.

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Monday, 15 April, 2024
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शराब नीति घोटाले में तिहाड़ जेल में बंद दिल्ली से मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) को सुप्रीम कोर्ट से त्वरित राहत नहीं मिली है. हालांकि, अदालत ने इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) को नोटिस जारी कर 24 अप्रैल तक जवाब देने को कहा है. इस मामले में अगली सुनवाई अब 29 अप्रैल को होगी. अरविंद केजरीवाल की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने दावा किया कि केजरीवाल को लोकसभा चुनाव में प्रचार से रोकने के लिए गिरफ्तार किया गया है. उन्होंने मामले को सुनवाई के लिए 19 अप्रैल को ही सूचीबद्ध करने की मांग की थी, लेकिन अदालत ने जल्द सुनवाई से इंकार करते हुए 29 अप्रैल का दिन तय कर दिया.

'अपनी दलील बचाकर रखें'
अरविंद केजरीवाल ने शराब नीति घोटाले में अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए पहले दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया था, लेकिन वहां से उन्हें कोई राहत नहीं मिली. इसके बाद केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ केजरीवाल की याचिका पर सुनवाई कर रही है. केजरीवाल के वकील और वरिष्ठ कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने सुनवाई के दौरान कहा कि केजरीवाल को लोकसभा चुनाव में अपने प्रत्याशियों के लिए प्रचार करना है. साथ ही पार्टी के लिए प्रत्याशी चयन में भी उनकी सलाह चाहिए. इस पर कोर्ट ने कहा कि वह अपनी दलील 29 अप्रैल को होने वाली सुनवाई के लिए बचाकर रखें. 

High Court ने दिया था झटका
अभिषेक मनु सिंघवी लोकसभा चुनाव को देखते हुए इस मामले की सुनवाई में तेजी लाने की अपील भी की, लेकिन अदालत ने इससे इंकार करते हुए स्पष्ट कर दिया कि 29 अप्रैल से पहले का समय नहीं दिया जा सकता. इससे पहले, दिल्ली हाई कोर्ट ने केजरीवाल की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उन्होंने ED की गिरफ्तारी पर सवाल उठाया था. याचिका पर सुनवाई के दौरान जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा ने कहा था कि इस कोर्ट के समक्ष ED ने जो दस्तावेज पेश किए हैं, उसमें कानून का पालन किया गया है. ईडी ने गिरफ्तारी में PMLA एक्ट और सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पालन किया है. साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा था कि ED के तथ्यों से लगता है कि कथित घोटाले में सीएम की संलिप्तता है.

के. कविता को भी लगा झटका
इधर, इसी मामले में बीआरएस लीडर के कविता को भी झटका लगा है. सोमवार को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने उन्हें 23 अप्रैल तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया है. अब सीबीआई उनसे पूछताछ कर रही है. इससे पहले ED ने उन्हें गिरफ्तार किया था. ईडी का दावा है कि के. कविता शराब कारोबारियों की 'साउथ ग्रुप' लॉबी से कनेक्टेड हैं. इस ग्रुप ने दिल्ली सरकार की 2021-22 की शराब नीति (एक्साइज पॉलिसी) में बड़ी भूमिका निभाई थी. बताया जा रहा है कि शराब घोटाले के आरोपी विजय नायर को कथित रूप से 100 करोड़ रुपए की रिश्वत साउथ ग्रुप से ही मिली थी, जिसे संबंधित लोगों उपलब्ध कराया गया था. ईडी हैदराबाद के कारोबारी अरुण रामचंद्रन पिल्लई और कविता का आमना-सामना भी करवा चुकी है. पिल्लई को कविता का करीबी माना जाता है. उसने पूछताछ में बताया था कि कविता और आम आदमी पार्टी के बीच एक समझौता हुआ था, जिसके तहत 100 करोड़ रुपए का लेन-देन हुआ और कविता की कंपनी 'इंडोस्पिरिट्स' को दिल्ली के शराब कारोबार में एंट्री मिली. पिछले साल फरवरी में CBI ने बुचीबाबू गोरंतला नामक व्यक्ति को इस मामले में गिरफ्तार किया था. ED ने भी बुचीबाबू से का बयान दर्ज किया था. माना जाता है कि बुचीबाबू कविता का अकाउंट संभाला करता था.

आखिर क्या है South Group?
ED के मुताबिक, 'साउथ ग्रुप' दक्षिण के राजनेताओं, कारोबारियों और नौकरशाहों का समूह है. इसमें सरथ रेड्डी, एम. श्रीनिवासुलु रेड्डी, उनके बेटे राघव मगुंटा और कविता शामिल हैं. जबकि इस ग्रुप का प्रतिनिधित्व अरुण पिल्लई, अभिषेक बोइनपल्ली और बुचीबाबू ने किया था, तीनों को ही शराब घोटाले में गिरफ्तार किया जा चुका है. प्रवर्तन निदेशालय ने दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया और आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह को भी इस मामले में गिरफ्तार किया था. संजय सिंह को अदालत से जमानत मिल चुकी है.

क्या है शराब घोटाला?
दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने 17 नवंबर 2021 को एक्साइज पॉलिसी 2021-22 लागू की थी. नई नीति के तहत, सरकार शराब कारोबार से बाहर आ गई और पूरी दुकानें निजी हाथों में सौंप दी गईं. सरकार का दावा था कि नई शराब नीति से माफिया राज पूरी तरह खत्म हो जाएगा और उसके रिवेन्यु में बढ़ोतरी होगी. हालांकि, ये नीति शुरू से ही विवादों में रही. जब बवाल ज्यादा बढ़ गया तो 28 जुलाई 2022 को केजरीवाल सरकार ने इसे रद्द करने का फैसला लिया. इस कथित शराब घोटाले का खुलासा 8 जुलाई 2022 को दिल्ली के तत्कालीन मुख्य सचिव नरेश कुमार की रिपोर्ट से हुआ था. तब से अब तक ED इस मामले में कार्रवाई कर रही है.


इस डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लगे कई संगीन आरोप, SEBI से कार्रवाई की मांग

भारत सरकार के पूर्व सेंट्रल इंफॉर्मेशन कमिश्नर और सेव कल्चर सेव भारत फाउंडेशन के फाउंडर उदय माहुरकर ने सेबी और बीएसई से उल्लू (ULLU) डिजिटल प्लेटफॉर्म की जांच करने की अपील की है.

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Friday, 12 April, 2024
SEBI

उल्लू डिजिटल प्लेटफॉर्म पर एक के बाद एक मुसीबत का पहाड़ टूट रहा है. हाल में भारत सरकार के पूर्व सेंट्रल इंफॉर्मेशन कमिश्नर और सेव कल्चर सेव भारत फाउंडेशन के फाउंडर उदय माहुरकर ने सेबी और बीएसई से विभिन्न कानूनों के उल्लंघन पर उल्लू डिजिटल प्लेटफॉर्म की जांच करने की अपील की है. उदय माहुकर के अनुसार उल्लू ऐप ने सिक्योरिटी लॉ एंड रेगुलेशन जैसे सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (इशयू ऑफ कैपिटल एंड डिस्क्लोजर रिक्वायरमेंट) रेगुल्शन 2018 और सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (लिस्टिंग ऑब्लाइजेशन एंड डिस्क्लोजर रिक्वायरमेंट) रेगुलेशन 2015 सहित विभिन्न नियमों का उल्लंघन किया है. उन्होंने आरोप लगाया कि इस ओटीटी प्लेटफॉर्म (OTT Platform) ने अपने ड्राफ्ट पेपर में विभिन्न कानूनों का उल्लंघन किया है. 

प्रमोटर के खिलाफ आपराधिक मामलों की गलत सूचना
सेबी को लिखे पत्र में माहुकर ने लिखा है कि उल्लू डिजिटल लिमिटेड ने अपने प्रमोटरों के खिलाफ आपराधिक मामलों के इतिहास के बारे में गलत और भ्रामक जानकारी दी है. उल्लू के प्रमोटर विभु अग्रवाल (Vibhu Agarwal) पर उल्लू की एक महिला कर्मचारी की गरिमा को ठेस पहुंचाने का आरोप है और मुंबई के एक पुलिस स्टेशन में यह मामला भी दर्ज है. उन्होंने कहा कि उल्लू पर यौन रूप से विकृत सामग्री (Sexually Prevented Content) के निर्माण और प्रसार के लिए विभु अग्रवाल चर्चा में रहे हैं और इसके लिए उल्लू ऐप के खिलाफ भी मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय में कई कानूनी मामले दायर हैं. वहीं, विभु अग्रवाल और मेघा अग्रवाल के खिलाफ महिलाओं का अश्लील प्रतिनिधित्व (निषेध) अधिनियम 1986 (Indecent representation of women (Prohibation Act 1986) के तहत भी मामला दर्ज है.

बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने भी की है कार्रवाई 
माहुकर ने सेबी को लिखे पत्र में बताया है कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने उल्लू ऐप पर कार्रवाई की है. एनसीपीसीआर ने आईटी मंत्रालय से उल्लू ऐप के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा है, जिसने स्पष्ट यौन दृश्यों और कथानक के साथ स्कूली बच्चों को निशाना बनाया है. उल्लू ऐप पर अश्लील कंटेंट वाले शो होने की शिकायतें मिलीं है. ये ऐप प्ले स्टोर और आईओएस मोबाइल प्लेटफॉर्म दोनों पर उपलब्ध है और इसमें बेहद अश्लील और आपत्तिजनक सामग्री है. माहुकर ने पत्र में एक शो के स्क्रीनशॉट संलग्न किए है, जो स्कूली बच्चों के बीच यौन संबंधों को चित्रित करते हैं. उल्लू ऐप प्ले स्टोर और ऐप से किसी भी सामग्री को डाउनलोड करने या देखने के लिए केवाईसी की कोई आवश्यकता नहीं है. ये यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम, 2012 की धारा 11 का सीधा उल्लंघन है. 

अश्लील शो हो रहे प्रसारित
उल्लू प्लेटफॉर्म पर कुछ शीर्ष शो के नाम 'कविता भाभी', 'पलंग तोड़', 'वाइफ इन ए मेट्रो', 'चरमसुख' और 'चाहत' हैं. रिपोर्ट के अनुसार, उल्लू और वयस्क सामग्री से संबंधित कई अन्य भारतीय ऐप मेरठ से संचालित होते हैं, जहां फिल्मों का निर्देशन होटल के कमरे या किराए के अपार्टमेंट में काम करने वाले युवाओं द्वारा लगभग 1.25 लाख रुपये से 2.5 लाख रुपये प्रति एपिसोड के बजट पर किया जाता है. वहीं सेव कल्चर सेव भारत फाउंडेशन ने 20 जनवरी 2024 को उल्लू के खिलाफ डिजिटल पब्लिशर कंटेट ग्रीवांस काउंसिल को भी शिकायत दी है. 

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फैमिली वैल्यूज को खतरा 
उदय माहूकर ने पत्र में कहा है कि उल्लू ऐप स तरह के सैक्शुअली प्रीवेंटिड तकंटेट दिखाकर फैमिली वैल्यूज को खत्म और भारत को विश्व गुरू के पथ पर ले जाने के सपने को बर्बाद करने का प्रयास कर रहा है. इससे कई रिश्ते खराब होने का खतरा है. ऐसे में उल्लू ऐप के खिलाफ कार्रवाई जरूर होनी चाहिए. 

सेबी कर रहा जांच
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार उल्लू प्लेटफॉर्म में इसके फाउंडर विभु अग्रवाल के पास 61.75 प्रतिशत हिस्सेदारी है. जबकि उनकी पत्नी मेघा अग्रवाल के पास 33.25 प्रतिशत हिस्सेदारी है. सेबी के एक अधिकारी ने जानकारी दी है कि बाजार नियामक उल्लू के खिलाफ शिकायतों की जांच कर रहा है. 


Delhi Liquor Scam: क्या केजरीवाल की मुश्किलों की ये तो बस शुरुआत है?

अरविंद केजरीवाल को प्रवर्तन निदेशालय ने पिछले महीने गिरफ्तार किया था, तब से वह बाहर नहीं आ सके हैं.

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Friday, 12 April, 2024
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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की मुश्किलों की क्या ये महज शुरुआत है? यह सवाल खड़ा हुआ है दिल्ली शराब घोटाले (Delhi Liquor Scam) में सीबीआई के एक्शन से. दरअसल, सीबीआई ने भारत राष्ट्र समिति (BRS) की नेता के. कविता की रिमांड मांगी है. तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की बेटी के. कविता (K Kavitha) पहले से ही प्रवर्तन निदेशालय (ED) की कार्रवाई का सामना कर रही हैं. ऐसे में सीबीआई की एंट्री से उनकी मुसीबत में इजाफा हो गया है.  

जल्द बाहर आना मुश्किल 
अरविंद केजरीवाल भी कथित शराब घोटाले में तिहाड़ जेल में बंद हैं. ED ने उन्हें पिछले महीने गिरफ्तार किया था. माना जा रहा है कि कविता के बाद अब सीबीआई केजरीवाल की हिरासत मांग सकती है और मामले से जुड़े पहलुओं पर उनसे पूछताछ कर सकती है. यदि ऐसा होता है, तो केजरीवाल बड़ी मुश्किल में उलझ जाएंगे. अभी उन्हें एक जांच एजेंसी की कार्रवाई का सामना करना पड़ रहा है. फिर उन्हें सीबीआई के सवालों के जवाब भी देने होंगे. ऐसे में उनके जल्द जेल से बाहर आने की संभावनाएं भी कमजोर होती जाएंगी.

केवल संजय को मिली राहत
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सीबीआई ने राउज एवेन्यू कोर्ट से भारत राष्ट्र समिति (BRS) की विधान परिषद सदस्य (MLC) की सदस्य कविता की  रिमांड मांगी है. ED पहले ही इस मामले में अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, संजय सिंह, विजय नायर सहित 15 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है. हालांकि, संजय सिंह को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है, जबकि शेष आरोपियों को अदालत से कोई राहत नहीं मिली है. केजरीवाल को दिल्ली हाई कोर्ट से भी झटका लग चुका है. हाल ही में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.  

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अलग-अलग हो रही जांच
अब सवाल उठता है कि जब ED दिल्ली शराब घोटाले में जांच कर रही है, तो फिर सीबीआई की क्या जरूरत है? दरअसल, दोनों एजेंसियां अलग-अलग जांच कर रही हैं. ईडी जहां शराब नीति को बनाने और लागू करने में धन शोधन यानी मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों की जांच कर रही है. वहीं, केंद्रीय जांच एजेंसी (CBI) की जांच नीति बनाते समय हुई कथित गड़बड़ी पर केंद्रित है. दोनों एजेंसियां अब तक कई गिरफ्तारी कर चुकी हैं. इस बीच, ED ने राउज एवेन्यू की एक विशेष अदालत से आम आदमी पार्टी (AAP) विधायक अमानतुल्लाह खान के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी करने की मांग की है. एजेंसी दिल्ली वक्फ बोर्ड में नियुक्तियों में कथित अनियमितताओं से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उन्हें गिरफ्तार करना चाहती है. अदालत ED की याचिका 18 अप्रैल को विचार करेगी.

आखिर क्या है शराब घोटाला?
दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने 17 नवंबर 2021 को एक्साइज पॉलिसी 2021-22 लागू की थी. नई नीति के तहत, सरकार शराब कारोबार से बाहर आ गई और पूरी दुकानें निजी हाथों में सौंप दी गईं. सरकार का दावा था कि नई शराब नीति से माफिया राज पूरी तरह खत्म हो जाएगा और उसके रिवेन्यु में बढ़ोतरी होगी. हालांकि, ये नीति शुरू से ही विवादों में रही. जब बवाल ज्यादा बढ़ गया तो 28 जुलाई 2022 को केजरीवाल सरकार ने इसे रद्द करने का फैसला लिया. इस कथित शराब घोटाले का खुलासा 8 जुलाई 2022 को दिल्ली के तत्कालीन मुख्य सचिव नरेश कुमार की रिपोर्ट से हुआ था. तब से अब तक ED इस मामले में कार्रवाई कर रही है.
 


Patanjali विवाद: 'आंखें बंद' रखने वाली सरकार ने खोली जुबां, सुप्रीम कोर्ट से कही ये बात

पतंजलि और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की लड़ाई में SC के निशाने पर आई सरकार ने सफाई दी है.

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो by
Published - Wednesday, 10 April, 2024
Last Modified:
Wednesday, 10 April, 2024
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पतंजलि आयुर्वेद के भ्रामक विज्ञापन को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) बेहद सख्त है. अदालत ने बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को जहां कड़ी फटकार लगाई है. वहीं, केंद्र सरकार की भूमिका पर भी सवाल उठाए हैं. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने कहा था कि हम हैरान हैं कि आखिर इस मामले में केंद्र ने अपनी आंखें क्यों बंद रखीं? अब सरकार ने इस पर अपना जवाब दाखिल किया है.  

आरोप लगाना ठीक नहीं
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट में आज हुई सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा है कि कोई भी व्यक्ति अपनी इच्छा से आयुष या फिर एलोपैथी चिकित्सा ले सकता है. दोनों सिस्टम से जुड़े लोगों की ओर से एक-दूसरे पर आरोप लगाने और उन्हें नीचा दिखाने से बचना चाहिए. इससे पहले बाबा रामदेव और उनके सहयोगी आचार्य बालकृष्ण सुप्रीम कोर्ट से दोबारा माफी मांग चुके हैं. दोनों ने कहा है कि भविष्य में ऐसी गलती नहीं होगा. हालांकि, अदालत ने एक बार फिर से उनकी माफी स्वीकार करने से इंकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि आपने कोर्ट के आदेश का उल्लंघन किया है, लिहाजा कार्रवाई के लिए तैयार रहें.

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हमने मना किया था
केंद्र सरकार ने अपने जवाब में कहा कि यदि किसी विज्ञापन में जादुई उपचार की बात की जाती है तो उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए राज्यों के पास पर्याप्त अधिकार हैं. हालांकि, हमने कानून के मुताबिक फैसला लिया था. सरकार ने कहा कि पतंजलि ने कोरोना से निपटने के लिए 'कोरोनिल दवा तैयार की थी और उसके विज्ञापन को लेकर हमने पतंजलि से कहा था कि वह तब तक ऐसे विज्ञापन न निकाले, जब तक मामले का परीक्षण आयुष मिनिस्ट्री कर रही है. 

जारी की थी चेतावनी 
केंद्र ने आगे कहा कि लाइसेंसिंग अथॉरिटी को बताया गया था कि कोरोनिल दवा संक्रमण से निपटने में एक सहायक औषधि के तौर पर है. सरकार ने कोरोना खत्म करने के गलत दावों को लेकर भी चेतावनी दी थी. साथ ही राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कहा गया था कि वे ऐसे विज्ञापनों पर रोक लगाएं. हमारी नीति है कि देश में चिकित्सा की आयुष और एलोपैथी की पद्धति एक साथ चलें. गौरतलब है कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने पतंजलि के खिलाफ याचिका दायर की है. IMA ने बाबा की कंपनी पर आधुनिक चिकित्सा प्रणालियों के खिलाफ भ्रामक दावे और विज्ञापन प्राकशित करने का आरोप लगाया है. 


केजरीवाल की मुश्किलों का अंत नहीं, लगातार दूसरे दिन अदालत से लगा झटका; अब SC से गुहार

दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका खारिज होने के बाद केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.

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Published - Wednesday, 10 April, 2024
Last Modified:
Wednesday, 10 April, 2024
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कथित शराब नीति घोटाले में गिरफ्तार दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) राहत की आस में अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं. मंगलवार को दिल्ली हाई कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका खारिज करते हुए एजेंसी की कार्रवाई को सही ठहराया था. केजरीवाल ने हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ अब सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. इस बीच, राउज एवेन्यू कोर्ट से केजरीवाल को झटका लगा है. अदालत ने वकीलों से मुलाकात का समय बढ़ाने की मांग वाली उनकी याचिका खारिज कर दी है.   

हाई कोर्ट ने कही थी ये बात
दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उन्होंने ED की गिरफ्तारी पर सवाल उठाया था. याचिका पर सुनवाई के दौरान जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा ने कहा था कि इस कोर्ट के समक्ष ED ने जो दस्तावेज पेश किए हैं, उसमें कानून का पालन किया गया है. ईडी ने गिरफ्तारी में PMLA एक्ट और सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पालन किया है. साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा था कि ED के तथ्यों से लगता है कि कथित घोटाले में सीएम की संलिप्तता है.

वकीलों से ज्यादा मुलाकात नहीं 
आम आदमी पार्टी (AAP) नेता और दिल्ली के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा था कि हम हाई कोर्ट के फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती देंगे. अब केजरीवाल सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं. उधर, राउज एवेन्यू कोर्ट ने केजरीवाल को झटका दिया है. अदालत ने केजरीवाल की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें सीएम ने वकीलों से हफ्ते में 5 बार मुलाकात की मांग की थी. फिलहाल अरविंद केजरीवाल अपने वकीलों से सप्ताह में केवल दो बार ही मुलाकात कर सकते हैं. केजरीवाल के वकील विवेक जैन ने तर्क दिया था कि केजरीवाल किसी राहत की मांग नहीं कर रहे हैं, वह केवल अपने वकीलों से मिलने के लिए अतिरिक्त समय चाहते हैं.  

अदालत ने मानी ED की दलील 
दिल्ली के सीएम केजरीवाल के वकील विवेक जैन ने कहा कि केजरीवाल के खिलाफ 35 से 40 मामले चल रहे हैं. किसी व्यक्ति को समझने और निर्देश देने के लिए सप्ताह में केवल एक घंटे का समय पर्याप्त नहीं है. लिहाजा, उन्हें सप्ताह में पांच दिन वकीलों के साथ बैठक करने की इजाजत दी जाए.  एडवोकेट जैन ने कहा कि संजय सिंह को 3 मीटिंग की अनुमति दी गई थी, जबकि उनके खिलाफ केवल 5 या 8 मामले दर्ज थे. वहीं, केजरीवाल की याचिका के खिलाफ ED के वकील ने कहा कि केजरीवाल की मांग जेल मैन्युअल के खिलाफ है. न्यायिक हिरासत में बाहरी दुनिया से संपर्क सीमित और कानून के अनुसार होता है. यदि कोई व्यक्ति जेल से सरकार चलाने का विकल्प चुनता है, तो उसे विशेषाधिकार नहीं दिया जा सकता. अदालत ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद केजरीवाल की याचिका खरिज कर दी.
 


बाबा रामदेव का शीर्षासन, भ्रामक विज्ञापन पर आज SC में सुनवाई से पहले मांगी माफी  

पतंजलि आयुर्वेद के भ्रामक विज्ञापन के मामले में सुप्रीम कोर्ट में आज फिर सुनवाई होनी है.

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो by
Published - Wednesday, 10 April, 2024
Last Modified:
Wednesday, 10 April, 2024
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भ्रामक विज्ञापन मामले में सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी का सामना कर रहे बाबा रामदेव (Baba Ramdev) ने फिर से माफी मांगी है. आज होने वाली सुनवाई से पहले रामदेव ने कोर्ट में हलफनामा दायर कर बिना शर्त माफी मांगी है. योगगुरु ने कहा है कि भविष्य में ऐसी गलती नहीं होगी. रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण की तरफ से कहा गया है कि वे सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पूरी तरह से पालन करेंगे और न्याय की गरिमा को बरकरार रखेंगे.

बड़े-बड़े दावों पर मांगी माफी 
रामदेव और आचार्य बालकृष्ण आज यानी बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश होंगे. दोनों को कारण बताओ नोटिस के संबंध में अदालत में पेश होना है. इससे एक दिन पहले रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण ने अपने औषधीय उत्पादों को लेकर बड़े-बड़े दावे करने वाले विज्ञापनों पर अदालत से माफी मांगी है. कोर्ट में दाखिल दो अलग-अलग हलफनामों में रामदेव और बालकृष्ण ने अदालत के पिछले साल 21 नवंबर के आदेश में दर्ज बयान के उल्लंघन के लिए बिना शर्त माफी मांगी है.  

मुझे गलती का अफसोस है
अपने हलफनामे में बाबा रामदेव ने कहा है - मैं विज्ञापनों के संबंध में बिना शर्त माफी मांगता हूं. मुझे इस गलती पर अफसोस है और मैं अदालत को आश्वस्त करना चाहता हूं कि इसे दोहराया नहीं जाएगा. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 21 नवंबर, 2023 के एक आदेश में कहा था कि पतंजलि आयुर्वेद का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने आश्वासन दिया था कि पतंजलि आयुर्वेद द्वारा निर्मित उत्पादों के विज्ञापन के संबंध में किसी भी कानून का उल्लंघन नहीं होगा. पतंजलि ने यह भी कहा था कि चिकित्सा की किसी भी पद्धति के खिलाफ कोई भी बयान जारी नहीं किया जाएगा. हालांकि, आश्वासन का पालन नहीं करने और मीडिया में बयान जारी किए जाने पर अदालत ने नाराजगी जताई थी और पतंजलि को कारण बताओ नोटिस जारी किया था. 

पहले खारिज की थी माफी 
न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्ला की पीठ आज इस मामले पर सुनवाई करेगी. दो अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने रामदेव और बालकृष्ण की माफी को कोरी बयानबाजी कहकर खारिज कर दिया था. साथ ही बेंच ने केंद्र सरकार की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए थे और कहा था कि हमें हैरानी है कि आखिर इस मामले में केंद्र ने अपनी आंखें क्यों बंद रखीं? गौरतलब है कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने पतंजलि के खिलाफ याचिका दायर की है. IMA ने बाबा की कंपनी पर आधुनिक चिकित्सा प्रणालियों के खिलाफ भ्रामक दावे और विज्ञापन प्राकशित करने का आरोप लगाया है. 


राहत तो मिली नहीं, टेंशन जरूर बढ़ गई; Kejriwal की गिरफ्तारी पर HC ने कही ये बड़ी बातें

कथित शराब नीति घोटाले के मामले में ED द्वारा गिरफ्तार अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं.

Last Modified:
Tuesday, 09 April, 2024
Kejriwal

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) को हाई कोर्ट से फिर झटका लगा है. कोर्ट ने कथित शराब घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है. दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि गिरफ्तारी नियम के मुताबिक हुई है. याचिका पर सुनवाई के दौरान जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा ने कहा कि इस कोर्ट के समक्ष ED ने जो दस्तावेज दिए हैं, उसमें कानून का पालन किया गया है. ईडी ने गिरफ्तारी में PMLA एक्ट और सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पालन किया है.

...तो आप जज पर सवाल उठा रहे हैं
जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा ने यह भी कहा कि ईडी की तरफ से पेश दस्तावेज में हवाला डीलर्स के बयान हैं और 2022 में गोवा में 'आप' से चुनाव लड़ने वाले एक उम्मीदवार का भी बयान है. आबकारी नीति मामले में जो 2 अभियुक्त गवाह बने हैं, उन्होंने केजरीवाल के खिलाफ बयान दिए हैं. केजरीवाल की याचिका में तर्क दिया था कि अभियुक्त से गवाह बने व्यक्ति के बयान पर भरोसा नहीं किया जा सकता. साथ ही ईडी ने वो शुरुआती बयान इसमें नहीं लगाए हैं, जिनमें उन पर आरोप नहीं थे. इस पर अदालत ने कहा कि अप्रूवर्स ने अपनी इच्छा से बयान दिया है या नहीं, इस पर अदालत फिलहाल सवाल नहीं उठा सकती. हालांकि, मुकदमे की सुनवाई के दौरान अभियुक्त उनसे क्रॉस एग्जामिनेशन जरूर कर सकते हैं. साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि अप्रूवर का बयान एजेंसी नहीं बल्कि अदालत लिखती है. यदि आप उस पर सवाल उठाते हैं तो आप जज पर सवाल उठा रहे हैं. 

आपकी सहूलियत से जांच नहीं होगी
सुनवाई के दौरान, अदालत ने कहा कि ये याचिका जमानत के लिए नहीं है. बल्कि गिरफ्तारी को चुनौती देने के लिए लगाई गई थी. कोर्ट ने कहा कि ED ने जो तथ्य कोर्ट के सामने रखे हैं, उससे लगता है कि कथित घोटाले में सीएम की संलिप्तता है. केजरीवाल ने दलील दी थी कि ED गिरफ्तारी के बजाए अलग-अलग माध्यमों से उनसे पूछताछ कर सकती है. इस पर हाई कोर्ट ने कहा कि एजेंसी को ये निर्देश नहीं दिया जा सकता कि वो अभियुक्त की सहूलियत के हिसाब से जांच करे. जस्टिस शर्मा ने कहा कि केजरीवाल को कोई विशेषाधिकार नहीं दिया जा सकता. इसके साथ ही उन्होंने गिरफ्तारी के समय को लेकर दी गई दलील को भी खारिज कर दिया. केजरीवाल की याचिका खारिज होने का मतलब है कि फिलहाल उन्हें जेल में ही रहना होगा. गौरतलब है कि प्रवर्तन निदेशालय ने दिल्ली आबकारी नीति मामले में मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े केस में 21 मार्च को केजरीवाल को गिरफ्तार किया था.


संजय बनाम संजय: निरुपम ने दागे आरोपों के गोले, निशाने पर राउत; आखिर क्या है खिचड़ी घोटाला?

पूर्व कांग्रेस लीडर का कहना है कि संजय राउत ही घोटाले के मास्टरमाइंड हैं, उन्हें गिरफ्तार किया जाना चाहिए.

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Monday, 08 April, 2024
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'हाथ' का साथ छोड़ने वाले संजय निरुपम (Sanjay Nirupam) अब दूसरों का खेल बिगाड़ने में लग गए हैं. पहले उन्होंने अपनी पूर्व पार्टी यानी कांग्रेस पर जमकर आरोप लगाए और अब उनके आरोपों की बंदूक संजय राउत (Sanjay Raut) की तरफ घूम गई है. राउत महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के करीबी और शिवेसना (यूबीटी) के नेता हैं. निरुपम ने आरोप लगाया है कि राउत ही खिचड़ी घोटाले (Khichdi Scam) के मास्टरमाइंड हैं. इतना ही नहीं उन्होंने ED से राउत की गिरफ्तारी की मांग भी की है. बता दें कि 2022 में एक मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ED ने राउत को गिरफ्तार किया था. करीब तीन महीने बाद उन्हें जमानत मिल सकी थी. 

'खिचड़ी चोर' कहकर बुलाया
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पूर्व कांग्रेस नेता संजय निरुपम ने दावा किया है कि महाराष्ट्र में हुए खिचड़ी घोटाले में संजय राउत ने मुख्य भूमिका निभाई थी. उन्होंने कहा कि उत्तर पश्चिम मुंबई से शिवसेना (यूबीटी) के लोकसभा उम्मीदवार अमोल कीर्तिकर 'खिचड़ी चोर' को ईडी ने समन भेजा है. पूछताछ के बाद ED क्या करेगी मुझे नहीं पता, लेकिन उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए. जनता को पता होना चाहिए कि एक बेईमान व्यक्ति को उम्मीदवार बनाया गया है. जब मैंने इस घोटाले पर काम करना शुरू किया, तो पता चला कि इसके सरगना संजय राउत हैं. उन्होंने अपनी बेटी, भाई और पार्टनर के नाम पर रिश्वत ली थी. 

राउत को गिरफ्तार करे ED
संजय निरुपम ने कहा कि इस घोटाले में संजय राउत के परिवार ने एक करोड़ रुपए की रिश्वत ली थी. निरुपम ने आगे कहा कि राउत ने अपनी बेटी के नाम पर चेक के माध्यम से रिश्वत ली, जबकि उनकी बेटी विधिता को शायद इसके बारे में पता भी नहीं होगा. पूर्व कांग्रेस लीडर ने कहा कि यदि प्रवर्तन निदेशालय (ED) मामले की जांच कर रहा है, तो उसे संजय राउत को भी गिरफ्तार करना चाहिए. इस घोटाले में दोषी सभी के खिलाफ करवाई होनी चाहिए. गौरतलब है कि खिचड़ी घोटाले में ED ने आज अमोल कीर्तिकर को समन भेजकर पूछताछ के लिए बुलाया था.

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ऐसे दिया घोटाले को अंजाम 
निरुपम ने जिस घोटाले में संजय राउत पर आरोप लगाया है, वो 2020 से जुड़ा है. कोरोना महामारी के दौरान वर्ष 2022 में बृहन्मुंबई महानगर पालिका (BMC) ने संकट में फंसे प्रवासी मजदूरों को खिचड़ी बांटने का निर्णय किया था. खिचड़ी के पैकेट बांटने का ठेका BMC ने ‘फोर्स वन मल्टी सर्विसेज’ को का दिया गया. आरोप है कि इसी दौरान मिलीभगत से घोटाले को अंजाम दिया गया. आर्थिक अपराध शाखा ने 6.37 करोड़ रुपए के घोटाले में संजय राउत के पार्टनर सुजीत पाटकर और सुनील कदम सहित शिवसेना यूबीटी के कई नेताओं के खिलाफ मामला दर्ज किया था. संजय राउत के पार्टनर की कंपनी को ही खिचड़ी वितरित करने का ठेका मिला था.

ऐसे सामने आया घोटाला
जून 2022 में शिवसेना के विभाजन के बाद उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाविकास अघाड़ी (MVA) की सरकार गिर गई. इसके बाद एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट ने भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाई. समझौते के तहत शिंदे CM और पूर्व CM देवेंद्र फडणवीस बने. NCP लीडर शरद पवार को बड़ा झटका देते हुए उनके भतीजे और अजित पवार भी शिंदे गुट से जा मिले. इसके बाद पिछली सरकार के कार्यकाल में BMC के कामकाज की जांच शुरू हुई और कथित खिचड़ी घोटाले सामने आया. 
 


Maggi के बिगड़े जायके से अपना स्वाद बढ़ाना चाहती थी सरकार, लेकिन पूरी नहीं हुई हसरत

राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने मैगी के खिलाफ सरकार की 2 याचिकाओं को खारिज कर दिया है.

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Friday, 05 April, 2024
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आपके मुंह का स्वाद बढ़ाने वाली मैगी (Maggi) 2015 में एक बड़ी मुसीबत में फंस गई थी. Nestle की मैगी में स्वीकार्य सीमा से अधिक सीसा यानी लेड मिलने की बात सामने आई थी, जिसके बाद भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण ने इस पर प्रतिबंध लगा दिया था. अब उसी मामले में सरकार को बड़ा झटका लगा है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (NCDRC) ने सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें नेस्ले से हर्जाने की मांग की गई थी.

आज शेयरों पर दिखेगा असर 
NCDRC का ये आदेश दिग्गज FMCG कंपनी नेस्ले के लिए बड़ी राहत है. मैगी के मामले में सरकार ने नेस्ले से 640 करोड़ रुपए का हर्जाना मांगा था. इस संबंध में उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय की तरफ से 2 याचिकाएं दायर की गई थीं. NCDRC ने सरकार की उन याचिकाओं को खारिज कर दिया है, जिनमें 284.55 करोड़ रुपए के मुआवजे और 355.41 करोड़ के दंडात्मक हर्जाने की मांग की गई थी. इस राहत का असर आज Nestle India के शेयरों पर देखने को मिल सकता है. कल यानी गुरुवार को कंपनी के शेयर गिरावट के साथ बंद हुए थे.

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बाजार से वापस मंगवाई थी मैगी
नेस्ले ने एक्सचेंज फाइलिंग में बताया है कि उपभोक्ता मामलों के विभाग की NCDRC के समक्ष 2015 में दायर याचिकाओं को आयोग ने खारिज कर दिया है. दरअसल, जून, 2015 में भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने कथित तौर पर स्वीकार्य सीमा से अधिक सीसा होने का हवाला देते हुए इस पर प्रतिबंध लगा दिया था. इसके बाद सरकार ने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निपटान आयोग (NCDRC) का रुख करते हुए आरोप लगाया था कि नेस्ले खतरनाक और दोषपूर्ण मैगी नूडल्स के उत्पादन और सार्वजनिक बिक्री के अनुचित व्यापार में लिप्त थी. इसके चलते नेस्ले को बाजार से मैगी वापस लेने के लिए मजबूर होना पड़ा था.

पांच महीने में हुई थी वापसी
सरकार ने मैगी मामले में पहली बार उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 12-1-D के तहत कार्रवाई की थी. इस धारा के तहत केंद्र और राज्य दोनों को ही शिकायत दर्ज करने की शक्ति मिली हुई है. खाद्य सुरक्षा नियामक FSSAI ने मैगी नूडल्स के नमूनों में सीसे की अधिक मात्रा पाए जाने के बाद इसे मानव उपभोग के लिए असुरक्षित और खतरनाक करार दिया था और प्रतिबंध लगा दिया था. इसके करीब पांच महीने बाद ही मैगी बाजार में दोबारा आ गई थी. वापसी के कुछ समय तक मैगी को परेशानियों का सामना करना पड़ा, लेकिन अपने टेस्ट से उसने जल्द ही लोगों को दोबारा दीवाना बना दिया.