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Yes Bank ने बनाए हैं बड़े प्लान, आने वाले दिनों में बदल जाएगा बहुत कुछ
यस बैंक माइक्रोफाइनेंस कारोबार में उतरना चाहता है. साथ ही उसने नए प्रमोटर की तलाश भी शुरू कर दी है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 2 months ago
प्राइवेट सेक्टर का यस बैंक (Yes Bank) माइक्रोफाइनेंस कारोबार में उतरने की तैयारी कर रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बैंक वित्त वर्ष 2025 से इस सेगमेंट में एंट्री ले सकता है. इसके लिए बैंक मुख्य तौर पर दो रणनीतियों पर काम कर रहा है. माइक्रोफाइनेंस इंस्टीट्यूशन का अधिग्रहण करके वह ऐसा कर सकता है या दूसरे विकल्पों पर विचार कर सकता है. वैसे, यस बैंक ने माइक्रोफाइनेंस कारोबार में उतरने के लिए सभी विकल्प खुले रखे हैं.
मजबूत पकड़ की आस
यस बैंक के एमडी और सीईओ प्रशांत कुमार ने हाल ही में कहा था कि बैंक किसी माइक्रोफाइनेंस इंस्टीट्यूशन की तलाश कर रहा है, जिसे अधिग्रहित कर कारोबार में उतरा जा सके. इसके साथ ही दूसरे विकल्पों पर भी विचार किया जा रहा है. दरअसल कई बैंक माइक्रोफाइनेंस कारोबार में उतर चुके हैं और इसके जरिए उन्हें छोटे शहरों में अपनी पकड़ बनाने में मदद मिली है. Yes Bank भी उन्हीं की राह पर चलते हुए छोटे शहरों में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराना चाहता है.
दक्षिण पर है फोकस
बैंक के पोर्टफोलियो में स्मॉल और मिड एंटरप्राइजेस के लोन और मिड साइज कॉर्पोरेट लोन की हिस्सेदारी करीब 30% है, जिसे वह बढ़ाना चाहता है. बैंक दक्षिण भारत में अपने विस्तार पर भी फोकस कर रहा है. माइक्रोफाइनेंस इंस्टीट्यूशन वो वित्तीय कंपनियां होती हैं, जो ऐसे लोगों को छोटे लोन प्रदान करती हैं जिनके पास बैंकिंग सुविधाओं तक पहुंच नहीं है. छोटे लोन की परिभाषा देशों के बीच भिन्न-भिन्न है. जहां तक भारत का सवाल है, तो 1 लाख रुपए से कम के सभी लोन को स्मॉल लोन माना जा सकता है.
नए प्रोमोटर की तलाश
इधर, खबर है कि Yes Bank अपने लिए एक नया प्रमोटर खोज रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि बैंक अपनी करीब 51% हिस्सेदारी को 8 से 9 अरब डॉलर के वैल्यूएशन पर बेचने की तैयारी में है. बैंक ने यह काम सिटीग्रुप की भारतीय इकाई को सौंपा है. यस बैंक ने इस हिस्सेदारी बिक्री में भाग लेने के लिए मौजूदा शेयरधारकों सहित कुछ घरेलू लेंडर्स को भी निमंत्रण भेजा है. साथ ही जापान, पश्चिम एशिया और यूरोप के बैंकों और वित्तीय संस्थानों के साथ भी चर्चा शुरू की है. यस बैंक में 26% से अधिक हिस्सेदारी खरीदने के लिए किसी भी नए प्रमोटर को पहले RBI से मंजूरी लेनी होगी.
SBI के पास इतनी हिस्सेदारी
यदि ऐसा होता है, तो भारतीय स्टेट बैंक (SBI), भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC), HDFC बैंक लिमिटेड और ICIC बैंक लिमिटेड जैसे प्रमुख शेयरधारकों को Yes बैंक से अपनी हिस्सेदारी बेचकर बाहर निकलने का मौका मिलेगा. इन सभी ने 2020 में यस बैंक को डूबने से बचाने के लिए हिस्सेदारी ली थी. SBI के पास बैंक की करीब 29 प्रतिशत हिस्सेदारी है. यस बैंक की वित्तीय सेहत की बात करें, तो दिसंबर तिमाही में, बैंक का शुद्ध मुनाफा बढ़कर 231.6 करोड़ रुपए रहा था. जबकि एक साल पहले इसी अवधि में यह 51.5 करोड़ था. इसी अवधि में ग्रॉस नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स (NPA) 2 प्रतिशत पर रहा और नेट-NPA कम होकर 0.9 प्रतिशत पर आ गया.
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