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भारत में बनेगा विश्व का सबसे बड़ा खाद्यान्न भंडार, किसानों को होगा जबरदस्त फायदा!
इस योजना के अंतर्गत हर ब्लॉक में 2000 टन की क्षमता वाले एक गोदाम का निर्माण किया जाएगा और इसके लिए समिति का गठन भी किया जाएगा.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 11 months ago
हाल ही में हुई कैबिनेट वार्ता के दौरान केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि भारत सरकार द्वारा जल्द ही को-ऑपरेटिव सोसायटी क्षेत्र के अंतर्गत विश्व का सबसे बड़ा खाद्य भंडार बनाने के लिए एक पॉलिसी लाई जा सकती है. अनुराग ठाकुर द्वारा इस प्रस्तावित योजना को को-ऑपरेटिव क्षेत्र के अंतर्गत ‘विश्व के सबसे बड़े खाद्यान्न भण्डार कार्यक्रम’ का नाम दिया गया है.
को-ऑपरेटिव क्षेत्र में होगी वृद्धि
इतना ही नहीं यह घोषणा भी की गयी है कि इस योजना के लिए भारत सरकार द्वारा 1 लाख करोड़ रुपये आवंटित किये जाएंगे. इस योजना के अंतर्गत हर ब्लॉक में 2000 टन की क्षमता वाले एक गोदाम का निर्माण किया जाएगा और इसके लिए आतंरिक मंत्रियों की एक समिति का गठन भी किया जाएगा. अनुराग ठाकुर ने कहा कि यह योजना भारत सरकार द्वारा देश में खाद्यान्न भंडारों की सुविधा बढ़ाने के प्लान के अंतर्गत आती है और इससे को-ऑपरेटिव क्षेत्र की वृद्धि में भी काफी मदद मिलेगी.
स्टोरेज में भी की जाएगी वृद्धि
इस कार्यक्रम का लक्ष्य देश के को-ऑपरेटिव क्षेत्र में मोजूद खाद्यान्न भंडारों की क्षमता में 700 लाख टन की वृद्धि करना है. फिलहाल देश के खाद्यान्न भंडारों की क्षमता 1450 टन के आस-पास है. आने वाले पांच सालों के दौरान खाद्यान्न भंडारों की क्षमता बढ़कर 2150 टन हो सकती है. अनुराग ठाकुर ने घोषणा करते हुए बताया कि को-ऑपरेटिव क्षेत्र के अंतर्गत ही स्टोरेज में वृद्धि की जाएगी.
किसानों को होगा फायदा
अनुराग ठाकुर ने यह भी कहा कि इस पहल का मकसद भंडारों की कमी से खाद्यान्न को होने वाले नुकसान को कम करना, किसानों द्वारा जल्दबाजी में की गयी बिक्री की जांच करने में मदद करना और इम्पोर्ट्स पर देश की निर्भरता को कम करना भी है. इसके साथ ही इस योजना की बदौलत भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे. इस योजना की वजह से भारत में खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा मिलेगा और किसानों को उनकी फसलों के लिए बेहतर दाम भी मिल पाएंगे.
सिर्फ भंडार नहीं मिलेगा लोन भी
अनुराग ठाकुर ने कहा कि पहले मौसम से संबंधित समस्याओं के चलते किसानों को जल्दबाजी में समय-समय पर अपने माल को बेचना पड़ता था. इस वक्त भारत में 65,000 कृषि को-ऑपरेटिव सोसायटी मौजूद हैं. अनुराग ठाकुर का मानना है कि यह नई पहल कृषि सोसायटी और किसानों के साथ-साथ कंज्यूमर्स के लिए भी काफी लाभदायक साबित होगी. सिर्फ इन भंडारों में अपनी फसल जमा करने कि बजाय किसान इन सोसायटी से 70% जितना लोन भी ले पाएंगे. इससे फसल को लाने ले जाने वाली कीमतों में भी कमी आएगी.
इस कार्यक्रम की भी होगी शुरुआत?
भारत द्वारा हर साल लगभग 3,100 लाख टन खाद्यान्न का उत्पादन किया जाता है लेकिन फिलहाल देश में मौजूद खाद्यान्न भंडार इस कुल फसल का केवल 47% हिस्सा ही स्टोर कर सकते हैं. इस वार्ता के दौरान, विश्व के सबसे बड़े खाद्यान्न भंडार को बनाने के साथ-साथ इनोवेट, इंटीग्रेट और सस्टेन जैसे लक्ष्यों समेत CITIIS 2.0 कार्यक्रम में इन्वेस्टमेंट की शुरुआत को लेकर भी फैसला लिया गया था.
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