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क्या Adani Group पर होगा एक और हमला? ग्रुप क्यों बना आसान टारगेट?

हिंडनबर्ग ने दावा किया कि उन्होंने रिपोर्ट प्रकाशित करने से पहले अडानी ग्रुप से संबंधित उपकरणों को बाजारों में शॉर्ट कर दिया था.

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 8 months ago

Palak Shah, The writer is author of the book: The Market Mafia - Chronicle of India’s High-Tech Stock Market Scandal & The Cabal That Went Scot-Free.

राजनीति और व्यापार का रिश्ता आमतौर पर काफी गहरा होता है. ग्लोबल स्तर की बात करें तो प्रमुख राजनैतिक पार्टियों के करीब रहने वाले राजनैतिक घराने आमतौर पर ज्यादा असुरक्षित होते हैं, खासकर जब चुनाव पास होते हैं. भारत में 1980 और 90 के दशक में आमतौर पर ग्लोबल स्तर की साजिशों और क्षेत्रीय मीडिया के लक्ष्य पर रिलायंस इंडस्ट्रीज हुआ करती थी. इस वक्त जैसी परिस्थितियां हैं, लगता है अब अडानी ग्रुप (Adani Group) की बारी है. अडानी से ज्यादा इस वक्त भारत में हिंडनबर्ग (Hindenburg) के नाम को पहचान मिल चुकी है, खासकर अगर आप कुछ आरोपों की बदौलत किसी कंपनी को 125 बिलयन डॉलर्स का नुक्सान पहुंचा पाएं तो पहचान बन ही जाती है. सूत्रों का कहना है कि भारत में स्टॉक मार्केट से संबंधित जांच करने वाली एजेंसियों को पता चला है कि एक संस्था है, जिसे OCCRP (Organised Crime and Corruption Reporting Project) कहा जाता है. यह संस्था स्टॉक मार्केट शॉर्ट सेलर George Soros से संबंधित है और यह संस्था और अडानी ग्रुप को लेकर कई रिपोर्ट्स की प्लानिंग कर रही थी. 

एक और हिंडनबर्ग रिपोर्ट?
स्टॉक-मार्केट में शॉर्ट-सेलर के लिए टाइमिंग बहुत ही महत्त्वपूर्ण होती है और हिंडनबर्ग ने दावा किया था कि उन्होंने रिपोर्ट प्रकाशित करने से पहले ही अडानी ग्रुप से संबंधित उपकरणों को विदेशी बाजारों में शॉर्ट कर दिया था. आपको बता दें कि हिंडनबर्ग द्वारा रिपोर्ट ऐसे वक्त पर प्रकाशित की गई थी जब अडानी ग्रुप का 20,000 करोड़ का विशालकाय FPO (फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर) आने वाले था. ठीक इसी तरह OCCRP भी एक ऐसे वक्त पर रिपोर्ट जारी करने का प्लान कर रही है जब सुप्रीम कोर्ट द्वारा अडानी-हिंडनबर्ग मामले की SEBI की जांच के संबंध में किसी निर्णय पर पहुंच सकती है. 

OCCRP और George Soros एवं Rockefeller Brothers फंड का संबंध
George Soros मोदी से नफरत करता है और जब अडानी ग्रुप पर हिंडनबर्ग द्वारा रिपोर्ट प्रकाशित की गई तो George Soros काफी आनंदित हुआ था. एक इकॉनोमिक फोरम के दौरान George Soros ने सरेआम कहा था कि अडानी ग्रुप पर किया गया हमला, सरकार पर मोदी की पकड़ को कम करेगा. लेकिन क्या आप जानते हैं कि 1929 में अमेरिकी मार्केट के क्रैश के पीछे मौजूद ग्लोबल फाइनेंसर Rockefeller, George Soros और OCCRP का आपस में क्या संबंध है? 

क्या है OCCRP?
OCCRP अपने आपको एक जांचकर्ता रिपोर्टिंग प्लेटफार्म कहता है जिसे 24 नॉन-प्रॉफिट जांच केन्द्रों द्वारा मिलकर बनाया गया है और ये 24 प्लेटफॉर्म यूरोप, अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका में फैले हुए हैं. आपकी जानकारी के लिए बता दें की OCCRP के एक संस्थागत डोनर George Soros की ओपन सोसाइटी फाउंडेशन भी है. OCCRP के संस्थागत डोनर्स में फोर्ड फाउंडेशन, Rockefeller Brother फंड और ओक फाउंडेशन भी शामिल हैं. George Soros की ही तरह फोर्ड फाउंडेशन पर लेफ्टविंग समाजवादी लोगों का नियंत्रण है. इसके साथ ही OCCRP की आधिकारिक वेबसाइट की मानें तो भारत में उसके प्रमुख एसोसिएट्स में से एक का नाम Anand Mangnale है, जो OCCRP से जुड़ने से पहले NewsClick.in में काम करते थे. Newsclick को चीन से फंड प्राप्त वेबसाइट माना जाता है. 

क्या है OCCRP का प्लान? 
OCCRP का दावा है कि वह ग्लोबल जांचकर्ताओं का नेटवर्क है. फिलहाल ग्लोबल जर्नलिस्टों का यह नेटवर्क बहुत से भारतीय मीडिया घरानों और ग्लोबल जर्नलिस्टों से ऐसी रिपोर्ट्स प्रकाशित करने के बारे में बातचीत कर रहा है, जो इस नेटवर्क के अनुसार अडानी ग्रुप को लेकर इसने खोजी हैं. मामले से जुड़े लोगों की मानें तो OCCRP का ध्यान भी उन अडानी ग्रुप RPTs (रिलेटेड पार्टी ट्रांजेक्शन) पर ही है जो हिंडनबर्ग रिपोर्ट में उल्लेखित की गई हैं.   

हिंडनबर्ग रिपोर्ट जैसी ही होगी OCCRP की रिपोर्ट?
मामले से जुड़े लोगों की मानें तो OCCRP की प्लानिंग पूरी तरह से ओवर-इनवॉइसिंग से संन्बंधित है और यह तब हुआ था जब UPA की अध्यक्षता वाली सरकार सत्ता में हुआ करती थी. इसके अलावा इस रिपोर्ट में अडानी ग्रुप के फाउंडर गौतम अदानी के बड़े भाई विनोद अडानी से संबंधित ट्रांजेक्शन भी शामिल हो सकती हैं. आपको बता दें कि ये वही ट्रांजेक्शन हैं जिनके बारे में हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा प्राकशित रिपोर्ट में बताया गया था. 

सवाल तो दिए पर सबूत नहीं
लेकिन भारतीय मार्केट रेगुलेटर SEBI ने भी हिंडनबर्ग द्वारा उठाये गए सवालों की जांच की थी और ऐसे 6000 ट्रांजेक्शन थे जिनके बारे में रिपोर्ट में सवाल उठाए गए थे. SEBI के MMPS नियमों के अनुसार प्रमोटर्स के पास एक लिस्टेड कंपनी का 75% से ज्यादा हिस्सा मौजूद नहीं होना चाहिए और बाकी का हिस्सा पब्लिक होना चाहिए. हिंडनबर्ग का आरोप था की गौतम अडानी ने SEBI के MMPS नियमों को FPI का इस्तेमाल करते हुए तोड़ा और अदानी ग्रुप से संबंधित लाभान्वित होने वाले फंड पर भी सवाल खड़े किये गए थे. लेकिन SEBI तो बहुत दूर खुद हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में यह नहीं बताया गया है गौतम अडानी द्वारा FPI का इस्तेमाल कैसे किया जा रहा था? साथ ही सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई कमिटी, जिसे यह चेक करना चाहिए था कि क्या मार्केट रेगुलेटर के रूप में कहीं SEBI तो फेल नहीं हुआ? उस कमिटी का यह कहना है कि लिस्टेड कंपनियों में MPS नियमों का इतिहास काफी विचित्र रहा है और इनमें लगातार काफी बार कई बदलाव होते रहे हैं. 

कीमत का मैनीपुलेशन
हिंडनबर्ग की तरह ही OCCRP की रिपोर्ट भी यह दावा कर सकती है कि अडानी ग्रुप के स्टॉक को मैनिपुलेट किया गया था और इसके लिए FPI का इस्तेमाल करते हुए विनोद अडानी से संबंधित RPTs का भी इस्तेमाल किया गया था. अगर इस बारे में भी हिंडनबर्ग रिपोर्ट की तरह ही बिना किसी सबूत के बस दावे भर कर दी जाएं तो यह भी एक तरह से पुराना और घिसा-पिटा तरीका ही हो जाएगा. हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि जब से हिंडनबर्ग रिपोर्ट सामने आई है और पिछले 8-9 महीनों के दौरान अडानी ग्रुप के स्टॉक के आस पास जारी इस नौटंकी की बदौलत अडानी ग्रुप द्वारा की गई त्रंजेक्षणों पर सवाल करते हुए स्टॉक मार्केटों ने निर्णय लिया कि वह अडानी ग्रुप के शेयरों की कीमत दोबारा से तय करेंगे और इसके बाद ही अदानी ग्रुप के शेयर फरवरी के बाद से जारी अपने घाटे से अब बेहतर [प्रदर्शन करते हुए नजर आ रहे हैं. 
 

यह भी पढ़ें: Reliance AGM 2023: रिलायंस रिटेल के IPO पर आखिर क्या बोले अंबानी


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