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टाटा ने क्यों खरीदी घाटे वाली ये सरकारी कंपनी? यहां जानें सबकुछ
प्राइवेटाइजेशन के अपने अभियान के तहत सरकार ने नीलाचल इस्पात निगम लिमिटेड (NINL) को बेच दिया है. NINL के लिए टाटा स्टील की इकाई- टाटा स्टील लॉन्ग प्रोडक्ट्स 12,100 करोड़ की बोली लगाई थी.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
एयर इंडिया के बाद टाटा समूह की झोली में एक और सरकारी कंपनी आ गई है. प्राइवेटाइजेशन के अपने अभियान के तहत सरकार ने नीलाचल इस्पात निगम लिमिटेड (NINL) को बेच दिया है. NINL के लिए टाटा स्टील की इकाई- टाटा स्टील लॉन्ग प्रोडक्ट्स (टीएसएलपी) ने इस साल जनवरी में 12,100 करोड़ की बोली लगाई थी.
कितने में हुआ सौदा?
NINL को खरीदने की होड़ में जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड, नलवा स्टील एंड पावर लिमिटेड और जेएसडब्ल्यू स्टील लिमिटेड भी शामिल थीं, लेकिन टाटा ने 12,100 करोड़ की बोली लगाकर कंपनी में 93.71 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल कर ली. बता दें कि नीलाचल इस्पात निगम लिमिटेड का ओडिशा के कलिंगनगर में 1.1 मीर्टिक टन क्षमता वाला एक इंटीग्रेटेड स्टील प्लांट है.
क्यों बिकी कंपनी?
नीलाचल इस्पात निगम लिमिटेड के निजीकरण के पीछे घाटे का तर्क दिया जा रहा है. सरकार का कहना है कि कंपनी भारी घाटे में चल रही है और इसी वजह से इसका प्लांट 30 मार्च, 2020 से बंद है. NINL पर 31 मार्च 2021 तक 6,600 करोड़ रुपए से ज्यादा का कर्ज और देनदारियां थीं. इसमें प्रमोटरों का 4,116 करोड़, बैंकों का 1,741 करोड़, अन्य लेनदारों और कर्मचारियों का भारी बकाया शामिल है. एक रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी की 3,487 करोड़ की नेगेटिव नेट वर्थ है और उसे पिछले साल मार्च तक 4228 करोड़ का घाटा हुआ था.
क्या होगा कर्मचारियों का?
जब भी कोई कंपनी बिकती है, तो उसके कर्मचारियों का भविष्य अधर में लटक जाता है. नीलाचल इस्पात निगम में करीब 5000 कर्मचारी हैं. अब जब कंपनी सरकारी से प्राइवेट हो रही है, तो क्या इनकी नौकरी बरकरार रहेगी? इसका जवाब है, कम से एक एक साल तो कर्मियों की नौकरी बरकरार रहेगी. दरअसल, टाटा समूह ने शेयर परचेज एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किए हैं. इस एग्रीमेंट के तहत खरीदार कंपनी कर्मचारियों के लिए 1 साल का लॉक-इन पीरियड रखने के लिए बाध्य है. यानी इस दौरान कर्मचारियों की छंटनी नहीं हो सकती.
टाटा का क्या फायदा?
टाटा समूह ने घाटे में चल रही NINL को खरीदा है. ऐसे में यह सवाल भी अहम है कि आखिर टाटा घाटे का सौदा क्यों कर रही है? तो जवाब है, बाजार कोरोना महामारी से बाहर निकल आया है. स्टील की डिमांड में तेजी आ रही है, जिसके भविष्य में और तेज होने की उम्मीद है. NINL का प्लांट 2020 से बंद है, लेकिन उससे पहले कंपनी लगातार ऑपरेशन कर रही थी. उसका अपना एक स्थापित मार्केट है, जो अब टाटा का हो जाएगा. टाटा स्टील का वित्तीय वर्ष 21-22 में उत्पादन 19.06 मिलियन टन था, जबकि नीलांचल प्लांट की प्रति वर्ष 1.1 मीर्टिक टन उत्पादन क्षमता है. जो बढ़ती डिमांड को पूरा करने में टाटा के लिए मददगार होगा. ऐसे में जो सौदा घाटे का नज़र आ रहा है, वो भविष्य में टाटा के लिए फायदेमंद होगा.
शेयर पर क्या होगा असर?
टाटा समूह के NINL खरीदने का असर कंपनी की स्टील यूनिट यानी कि टाटा स्टील के शेयरों पर भी पड़ सकता है और माना जा रहा है कि ये असर पॉजिटिव होगा. क्योंकि जब कंपनी ने NINL के अधिग्रहण के लिए सरकार से समझौता किया था तभी टाटा स्टील के शेयरों में 2% से ज्यादा का उछाल देखा गया था. एक्सपर्ट्स मानते हैं कि टाटा के प्रोटफोलियो में NINL जुड़ने से कंपनी के शेयरों खासकर टाटा स्टील में मजबूती दिख सकती है. ऐसे में टाटा स्टील में निवेश करना फायदे का सौदा हो सकता है. शर्त बस इतनी है कि निवेश शॉर्ट टर्म के लिए न हो.
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