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मेट्रो अधिनियम में बदलाव को लेकर आखिर क्यों चिंतित है वित्त मंत्रालय ?
रिपोर्ट बता रही हैं कि वित्त मंत्रालय की चिंता इस बात को लेकर है कि अगर मेट्रो एक्ट में सुधार होता है तो इससे देश की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की रैंकिंग पर गंभीर असर पड़ेगा.
ललित नारायण कांडपाल 1 year ago
केन्द्र सरकार एक ओर देश में जहां लगातार बिजनेस को लेकर एक बेहतर वातावरण बनाने को लेकर काम कर रही है वहीं दूसरी ओर सरकार ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को लेकर भी काम कर रही है. लेकिन केंद्रीय हाउसिंग एंड अर्बन अफेयर्स मंत्रालय के एक प्रस्ताव ने वित्त मंत्रालय की चिंताएं बढ़ा दी है. दरअसल हाउसिंग एंड अर्बन अफेयर्स मिनिस्ट्री ने मेट्रो एक्ट में संशोधन को लेकर प्रस्ताव वित्त मंत्रालय के पास भेजा है. जिसके कई पहलुओं को लेकर फाइनेंस मंत्रालय ने चिंता जताई है.
ईज ऑफ डूईंग पर भी पड़ेगा असर
वित मंत्रालय ने इस संसोधन को लेकर कहा है कि MoHUA के इस प्रपोजल का सिंगल प्वाइंट एजेंडा ये है कि मेट्रो संपत्तियों को मध्यस्थता पुरस्कारों और सिविल कोर्ट के आदेशों के अनुसार, निष्पादन कार्यवाही से मेट्रो रेल संपत्ति को घेरना (Ring Fence) है. मंत्रालय ने कहा है कि मेट्रो अधिनियम में संशोधन से व्यापार करने में आसानी के मामले में भारत की रैंकिंग बुरी तरह प्रभावित हो सकती है. इसमें कहा गया है प्रस्तावित संशोधन प्रथम दृष्टया केंद्रीय कानून मंत्रालय के अनुसार संवैधानिकता की परीक्षा में पास नहीं होता है.
आखिर ऐसा क्या है वित्त मंत्रालय की चिंता
हाउसिंग मिनिस्ट्री के इस प्रस्ताव को लेकर (वित्त मंत्रालय) के आर्थिक मामलों के विभाग ने सलाह दी है कि इस संशोधन के प्रभाव को मेट्रो प्रोजेक्ट को लेकर फंडिंग करने वालों के साथ-साथ अन्य कानूनों के तहत छूट पाने वालों के अधिकारों पर विचार किया जाना चाहिए. वित्त मंत्रालय का मानना है कि प्रस्तावित संशोधन मेट्रो अधिनियम की अन्य शर्तों को प्रभावित कर सकते हैं और ये संशोधन मेट्रो परियोजनाओं के बारे में फंड करने वालों के नजरिए को भी प्रभावित कर सकते हैं, क्योंकि फंड करने वालों को ऐसी परियोजनाओं की राजस्व धाराओं के लिए सहारा देने से इनकार किया जा सकता है. यही नहीं आधिकारिक बयान के अनुसार, व्यय विभाग (वित्त मंत्रालय) ने ये भी कहा है कि इस संसोधन के बीच भारत सरकार के हितों की रक्षा के नजरिए से भी देखा जाना चाहिए, जिससे महानगरों द्वारा भारत सरकार को बकाया राशि का भुगतान मिलता रहे. दरअसल MoHUA ने मेट्रो अधिनियम में प्रस्तावित संशोधन पर विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों से टिप्पणियां मांगी थीं जिसके जवाब में वित्त मंत्रालय ने अपनी ये चिंताए जाहिर की हैं.
इंटरनेशनल फंडिंग कम्यूनिटी को करेगा हतोत्साहित
वित्त मंत्रालय ने इस प्रपोजल को लेकर विस्तार से अपनी बात रखते हुए कहा कि है कि अगर ये संशोधन होता है तो निश्चित रूप से भारतीय बुनियादी ढांचा क्षेत्र के आपूर्तिकर्ताओं/ठेकेदारों के अलावा अंतरराष्ट्रीय और घरेलू वित्त पोषण एजेंसियों को हतोत्साहित करेगा. जो कि भविष्य के प्रोजेक्ट के लिए सही नहीं होगा. मंत्रालय ने ये भी कहा है कि यह संशोधन संबोधित करने की तुलना में अधिक चिंताएं पैदा करता है.
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