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infosys से आखिर क्यों हो रही है सब्सिडी में मिली जमीन लौटाने की मांग?
उस वक्त ये जमीन इंफोसिस को सब्सिडी पर मुहैया कराई गई थी. सरकार ने इंफोसिस को 35 लाख रुपये प्रति एकड़ पर जमीन दी थी जबकि उसकी कीमत 1.5 करोड़ थी.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 3 months ago
देश की नामी आईटी कंपनी इंफोसिस सब्सिडी में मिली जमीन को लेकर विवादों में आ गई है. इंफोसिस पर कर्नाटक के बीजेपी नेता और नेता विपक्ष अरविंद बेलाड ने कई गंभीर आरोप लगाए हैं. अरविंद बेलाड ने सदन में कहा कि इंफोसिस को सब्सिडी में जमीन देने के पीछे मकसद ये था कि उस क्षेत्र के लोगों को जॉब मिलेगी. लेकिन ऐसा नहीं हो पाया. इंफोसिस वहां केवल ट्री प्लांटेशन और ग्रीनरी करने का काम कर रही है. उन्होंने सरकार से मांग की है कि उस जमीन को वापस लिया जाए.
बेल्लॉड ने ट्वीट करके दी इसकी जानकारी
अरविंद बेलाड ने इस मामले को कर्नाटक विधानसभा के बजट सत्र के दौरान उठाया. उन्होंने इस मामले में ट्वीट करके भी जानकारी दी. अरिवंद अपने ट्वीट में लिखते हैं कि, विश्वासघात अपने चरम पर! इंफोसिस ने नौकरियों का वादा किया, लेकिन हमें केवल खोखले वादे और पेड़ मिले. पूरे उत्तरी कर्नाटक क्षेत्र में रोजगार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से इन्फोसिस को हुबली में 58 एकड़ जमीन दी गई थी जो मेरे निर्वाचन क्षेत्र में है, फिर भी यह रोजगार सृजन करने में विफल रही है.
बेल्लॉड ने किसानों को लेकर कही ये बात
अरविंद बेलाड ने कहा कि उस वक्त इस जमीन को बड़ी सब्सिडी पर दिया गया था. उन्होंने कहा कि जमीन की वास्तविक कीमत 1.5 करोड़ रुपये थी जबकि सरकार ने कंपनी को उसे 35 लाख प्रति एकड़ पर दिया था. उन्होंने ये भी कहा कि एक प्रतिनिधि के रूप में, मैं अब उन किसानों का सामना नहीं कर सकता जिन्हें मैंने उस वक्त शांत किया था. अब समय आ गया है कि इंफोसिस को परिणाम भुगतने पड़ें और सरकार को उस जमीन को दोबारा हासिल करना पड़े जिस पर वह हक है.
सरकार की ओर से इस समस्या को लेकर क्या कहा गया?
अरविंद बेलाड के इस समस्या को उठाने के बाद सरकार की ओर से भी इस मामले को लेकर जवाब दिया गया. इंडस्ट्री मिनिस्टर एमबी पाटिल ने कहा कि इस परिसर का निर्माण 350 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत पर किया गया था. उद्योग मंत्री एमबी पाटिल ने आईटी फर्म का नाम लिए बिना कहा, ‘अगर जमीन ली गई, लेकिन कुछ नहीं किया गया, तो हम नोटिस जारी करेंगे और कार्रवाई करेंगे’. लेकिन इसके बाद बेल्लाड ने दंडात्मक कार्रवाई के लिए कहा, जिस पर पाटिल और राज्य के आईटी मंत्री प्रियांक खड़गे ने कहा कि प्रोत्साहन वापस ले लिया जाएगा. पाटिल ने कहा, ‘हम (जुर्माने के लिए) एक नीति पर भी विचार कर सकते हैं.
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