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मंडियों में बढ़ गई गेहूं की कीमतें, फेस्टिव सीजन में तैयार रहिए महंगा आटा खरीदने के लिए
मंगलवार को जारी थोक मूल्य मुद्रास्फीति के आंकड़ों के मुताबिक, गेहूं में कीमतों का दबाव जुलाई में बढ़कर 13.61% हो गया, जो पिछले महीने में 10.34% था.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
नई दिल्लीः आने वाले फेस्टिव सीजन के दौरान महंगा आटा खरीदने के लिए अभी से आप अपने आप को तैयार कर लें, क्योंकि पूरे देश की विभिन्न प्रमुख मंडियों में गेहूं की कीमतों में जबर्दस्त तेजी आ गई है. पिछले एक हफ्ते में मंडियों में गेहूं की कीमत 14 से 19 फीसदी तक का उछाल ले चुकी है. गेहूं के व्यापारी भी आवक कम रख रहे हैं, क्योंकि उनको पता है कि रेट अभी और बढ़ेंगे. यह तब हाल है जब सरकार ने गेंहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा रखा है.
इतना हो गया है मंडियों में गेहूं का भाव
मध्य प्रदेश की सबसे बड़ी मंडियों में से एक सीहोर में गेहूं की कीमतें 2,400 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गई हैं, जबकि राजस्थान की चित्तौड़गढ़ मंडी में गेहूं की कीमतें 2,300 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास हैं. दिल्ली में आटा मिल मालिक करीब 2,350-2,400 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से गेहूं खरीद रहे हैं.
थोक महंगाई दर में दिया संकेत
उत्पादन में गिरावट के बीच घरेलू आपूर्ति को स्थिर रखने के लिए 13 मई को लगाए गए गेहूं के निर्यात पर लगी रोक का असर व्यापारियों द्वारा की गई जमाखोरी पर पड़ रहा है. दरअसल, मंगलवार को जारी थोक मूल्य मुद्रास्फीति के आंकड़ों के मुताबिक, गेहूं में कीमतों का दबाव जुलाई में बढ़कर 13.61% हो गया, जो पिछले महीने में 10.34% था.
इनकी कीमतों में भी हो सकता है इजाफा
गेहूं की कीमत बढ़ने से इसका असर मैदा और सूजी पर देखा जाएगा. मंडी के भाव 2500 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंचने के बाद व्यापारी बाजार में बिकवाली शुरू कर देंगे. चूंकि सरकार ने मई में गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था, इसलिए व्यापारी बाजार में अपना स्टॉक जारी करने से पहले कीमतों के बढ़ने का इंतजार कर रहे हैं. सीहोर के एक व्यापारी गगन गुप्ता ने कहा कि आगामी त्योहारी सीजन की वजह से मांग आने से कीमतों में और तेजी आने की उम्मीद है।
गुजरात आटा मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष रमेश शराफ ने कहा, "अप्रैल में ताजा गेहूं की फसल आने तक गेहूं की कीमतें अधिक रहने की संभावना है, क्योंकि कई व्यापारियों जिनके पास अभी भी स्टॉक है, उन्होंने ज्यादातर मध्य प्रदेश से 2,500 रुपये प्रति क्विंटल पर गेहूं खरीदने का खर्च उठाया है."
केंद्र सरकार भी नहीं बेचेगी खुले बाजार में गेहूं
केंद्र सरकार की तरफ से गेहूं की खरीद व बिक्री करने वाली संस्था भारतीय खाद्य निगम (FCI) इस साल गेहूं की खुले बाजार में बिक्री नहीं करेगा. FY22 में, FCI ने खुले बाजार में 7 मिलियन टन (mt) से अधिक गेहूं बेचा था, जिसके लिए अनाज की खरीद के वर्ष के MSP से लगभग 8% अधिक कीमत तय की गई थी.
हैफेड बेचेगा गेहूं
इस बीच, हरियाणा राज्य सहकारी आपूर्ति और विपणन संघ (हैफेड) ने मंगलवार को खुले बाजार में 0.1 मिलियन टन से अधिक गेहूं बेचने का फैसला किया. आटा-मिलिंग उद्योग ने हाल ही में खाद्य सचिव से मुलाकात की और उन्हें बाजार में गेहूं की घटती उपलब्धता के बारे में बताया. हैफेड ने निर्यात के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य से अधिक पर 0.2 लाख टन गेहूं खरीदा था.
56 फीसदी घट गई गेहूं की खरीद
2022-23 के रबी विपणन सत्र (अप्रैल-जून) में, एफसीआई द्वारा गेहूं की खरीद 56.6% से अधिक घटकर 18.7 मिलियन टन हो गई, जो पिछले वर्ष किसानों से खरीदी गई 43.3 मिलियन टन थी. कम खरीद के लिए उत्पादन में गिरावट को जिम्मेदार ठहराया गया है.
1 अगस्त को केंद्रीय पूल में गेहूं का स्टॉक 20.5 मिलियन टन (1 अक्टूबर के लिए) के बफर मानदंड के मुकाबले 26.6 मीट्रिक टन था, जो 2008 के बाद से सबसे कम है. कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2021-22 फसल वर्ष (जुलाई-जून) में गेहूं का उत्पादन 109 मिलियन टन से लगभग 3% घटकर 106 मिलियन टन रह गया था. व्यापार अनुमान से पता चलता है कि लगभग 98-99 मिलियन टन में से गेहूं का उत्पादन होता है. अमेरिकी कृषि विभाग की विदेश कृषि सेवा ने भारत के गेहूं उत्पादन 99 मिलियन टन होने का अनुमान लगाया है.
3.5 मिलियन टन का किया निर्यात
चालू वित्त वर्ष में भारत ने लगभग 3.5 मिलियन टन गेहूं का निर्यात किया है. भारत ने वित्त वर्ष 2012 में 2 बिलियन डॉलर मूल्य के 7 मिलियन टन गेहूं का निर्यात किया, जो कि वित्त वर्ष 2011 में 0.55 बिलियन डॉलर मूल्य के केवल 2.1 मिलियन टन था. वर्तमान में, सरकार से सरकार (G2G) मार्गों के माध्यम से खाद्य सुरक्षा की वास्तविक आवश्यकता को पूरा करने के लिए निर्यात किया जा रहा है.
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