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Walmart ने Flipkart पर नियंत्रण मजबूत करने के लिए चला ये बड़ा दांव
अमेरिकी कंपनी वॉलमार्ट ने हेज फंड टाइगर ग्लोबल की हिस्सेदारी भी खरीद ली है. टाइगर ग्लोबल के पास फ्लिपकार्ट में करीब 4% हिस्सेदारी थी.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 9 months ago
भारत के दिग्गज ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म फ्लिपकार्ट (Flipkart) पर अपना नियंत्रण मजबूत करने के लिए अमेरिकी कंपनी वॉलमार्ट (Walmart) ने बड़ा दांव चला है. वॉलमार्ट ने फ्लिपकार्ट में शेयरहोल्डिंग रखने वाले Hedge Fund Tiger Global की हिस्सेदारी को खरीद लिया है. इस तरह, फ्लिपकार्ट में Walmart की हिस्सेदारी बढ़ गई है. अमेरिकी कंपनी ने यह डील 1.4 बिलियन डॉलर में पूरी की है. न्यूयॉर्क स्थित Tiger Global ने अपने निवेशकों को पत्र लिखकर इस बारे में सूचित किया है.
टूट गया पुराना रिश्ता
टाइगर ग्लोबल और फ्लिपकार्ट के रिश्ते का एक लंबा इतिहास है. 2009 में, टाइगर ग्लोबल ने Flipkart में निवेश किया था. 2010 और 2015 के बीच, टाइगर ने फ्लिपकार्ट में लगभग 1.2 बिलियन डॉलर का इन्वेस्टमेंट किया और इससे 3.5 बिलियन डॉलर का लाभ कमाया. फ्लिपकार्ट की स्थापना 2007 में सचिन बंसल और बिन्नी बंसल द्वारा की गई थी. बता दें कि फ्लिपकार्ट के वर्तमान सीईओ कल्याण कृष्णमूर्ति Hedge Fund Tiger Global के पूर्व एमडी हैं.
पिछले साल से थी तैयारी
Tiger Global और Accel पिछले साल ही फ्लिपकार्ट में अपनी बची हुई हिस्सेदारी वॉलमार्ट को बेचने की तैयारी कर रही थीं. टाइगर ग्लोबल की फ्लिपकार्ट में करीब 4 फीसदी की हिस्सेदारी थी. अमेरिकी कंपनी वॉलमार्ट ने साल 2018 में फ्लिपकार्ट में लगभग 77% हिस्सेदारी खरीद ली थी, इसके लिए लगभग 16 बिलियन डॉलर में डील हुई थी. फ्लिपकार्ट की तरफ से बाद में यह भी कहा गया था कि वो अगले चार सालों में कंपनी को पब्लिक भी कर सकती है.
क्या आएगा आईपीओ?
टाइगर ग्लोबल ने कई कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी कम की है. वो Delhivery और Policy Bazaar से बाहर निकल गई है. साथ ही उसने फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म Zomato में भी अपना स्टेक घटा दिया है. वहीं, वॉलमार्ट के फ्लिपकार्ट पर अपना नियंत्रण मजबूत करने के बाद अब एक बार फिर से चर्चा शुरू हो गई है कि क्या Flipkart का आईपीओ आएगा? दरअसल, फिल्पकार्ट ने पहले आईपीओ लाने की इच्छा जताई थी, लेकिन इस पर आगे नहीं बढ़ पाई. हाल ही में इस बारे में कंपनी के CEO कृष्णमूर्ति ने कहा था कि वे इस बात से पूरी तरह सहमत नहीं हैं कि अगर कोई कंपनी अच्छा कर रही है, तो उसे आईपीओ लाना ही चाहिए.
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