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JSW-MG Motor को लेकर आई ये खबर, इस महीने तक हो सकता है करार
एमजी मोटर जब से भारत में लॉन्च हुई है तब से उसे अब तक 1720 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है. ऐसे में खबर ये आई थी कि वो अपना बड़ा हिस्सा बेचना चाहती है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 7 months ago
EV सेक्टर में उतरने की कोशिश में जुटे JSW को अपने इस मिशन में आने वाली दीवाली तक कामयाबी मिल सकती है. JSW के ईवी सेक्टर में उतरने को लेकर उसकी MG मोटर से जल्द ही डील हो सकती है. JSW, MG Motor का 35 प्रतिशत हिस्सा अधिग्रहीत कर सकती है. JSW इसे लेकर एक एमओयू को जल्द ही साइन कर सकता है. एमजी मोटर शंघाई बेस्ड एसएआईसी मोटर की सब्सिडियरी कंपनी है.
मेक इन इंडिया EV के लिए कोशिश कर रहा है JSW
JSW का मकसद पूरी तरह से भारत में विकसित ईवी को भारतीय बाजार में लॉन्च करने का है. इसीलिए कंपनी इसके लिए सक्रिय रूप से पिछले लंबे समय से कोशिश कर रही है. मीडिया रिपोर्ट का कहना है कि दोनों कंपनियों के बीच इस सौदे को लेकर दिवाली तक सहमति हो सकती है. इस अधिग्रहण में JSW एनर्जी और JSW स्टील शामिल नहीं होंगे. जो JSW समूह की दो सूचीबद्ध कंपनियां हैं.
जनवरी 2024 तक लॉन्च हो सकती है नई EV
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, JSW समूह जनवरी 2024 तक भारत के बाजार में नई ईवी को लॉन्च करने की तैयारी कर रहा है. सज्जन जिंदल के नेतृत्व वाली कंपनी ने 23 अरब डॉलर औद्योगिक बिजलीघर ने विद्युत के स्थानीय करण को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है. कंपनी का मकसद है कि वो स्थानीय उत्पाद को बढ़ावा देने के साथ साथ ईवी आम आदमी की पहुंच तक लाने के लिए प्रयास करना चाहती है.
कंपनी कार्बन उत्सर्जन को लेकर भी काम करना चाहती है.मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अगर ये समझौता होता है तो एमजी मोटर का 35 प्रतिशत हिस्सा सज्जन जिंदल से जुड़ी एक निजी इकाई के पास जा सकता है. जबकि एमजी मोटर की सब्सिडियरी कंपनी 51 प्रतिशत हिस्सा सुरक्षित रखेगी. एमजी मोटर के घाटे की पूर्ति SAIC की इक्विटी पूंजी से की जाएगी. एक बार अगर इस घाटे की पूर्ति हो गई तो उसके बाद एमजी मोटर इंडिया अपने आईपीओ लाने के बारे में भी विचार कर सकती है.
एमजी मोटर को लेकर सामने आई थी ये खबर
एमजी मोटर को लेकर ये खबर सामने आई थी कि वो अपनी हिस्सेदारी में बड़ी कमी करना चाहती है. क्योंकि 2019 में भारत में लॉन्च होने के बाद से अब तक कंपनी को 1720 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है. अब देखना होगा कि ये समझौता कब तक हो पाता है.
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