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क्या होली पर Made in India दे पाया Made in China को मात?
CAIT का कहना है कि इस साल होली से जुड़े उत्पादों की बिक्री बीते साल की तुलना में 25 फीसदी अधिक रहने का अनुमान है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
रंगों के त्योहार होली (Holi) पर इस बार चीनी 'रंग' नहीं चढ़ा है. बाजारों में देसी उत्पादों की जबरदस्त डिमांड है. कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) का कहना है कि देश में इस बार चाइनीज कलर और पिचकारियों की जगह देश में बने उत्पादों की मांग अधिक है. वहीं, बाजारों में भी अच्छी-खासी भीड़ नजर आ रही है. कोरोना के खौफ से निकल चुके लोग पिछले सालों की कमी को इस बार पूरा करना चाहते हैं. उनके इस उत्साह के चलते कारोबारियों को भी 'अच्छे दिनों' की आस है.
25% अधिक रहेगा कारोबार
इस साल होली की डेट को लेकर कन्फ्यूजन रहा है. महाराष्ट्र सहित देश के कुछ हिस्सों में जहां Holi आज 7 मार्च को खेली जा रही है. वहीं, बाकी जगहों पर होली 8 मार्च को होगी. होली को लेकर कुछ दिन पहले से ही बाजारों में रौनक दिखाई देने लगी थी. ग्राहकों की भीड़ देखकर देशभर के ट्रेडर्स काफी उत्साहित हैं. उनका अनुमान है कि इस होली कारोबार बीते साल की तुलना में 25 फीसदी अधिक रहने वाला है.
पहले होता था बड़ा आयात
मीडिया रिपोर्ट्स में कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल के हवाले से बताया गया है कि इस साल होली से जुड़े उत्पादों की बिक्री बीते साल की तुलना में 25 फीसदी अधिक रहने का अनुमान है. अकेले दिल्ली में 1,500 करोड़ रुपए का कारोबार होने की उम्मीद है. कारोबारियों का कहना है कि हर साल करीब 10,000 करोड़ का माल होली के लिए आयात होता था, जो इस बार न के बराबर रहा है. यानी इस बार होली पर चीनी रंग नहीं चढ़ पाया है.
बायकॉट का असर
खंडेलवाल का कहना है कि चीन के सामान के बहिष्कार की मांग का असर होली पर भी दिखाई दे रहा है. लोग केवल भारत में ही बने हर्बल रंग, गुलाल, पिचकारी, गुब्बारे आदि की खरीदारी कर रहे हैं. गौरतलब है कि कुछ साल पहले तक लगभग हर फेस्टिवल में चीनी उत्पादों की काफी ज्यादा डिमांड रहती थी, लेकिन गलवान हिंसा के बाद से इसमें कमी देखने को मिली है.
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