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सरकार के इस कदम से Musk हो जाएंगे खुश, लेकिन Ambani के चेहरे पर आएगी शिकन!
दुनिया के सबसे अमीर कारोबारी एलन मस्क अपनी कंपनी स्टारलिंक की भारत में एंट्री चाहते हैं. उन्होंने इसे लेकर सरकार से एक मांग की थी, जो पूरी हो गई है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 4 months ago
मोदी सरकार ने सोमवार को संसद में नया टेलीकम्युनिकेशन बिल (Telecommunications Bill 2023) पेश किया है. सरकार का कहना है कि टेलीकॉम सेक्टर में तेजी से हो रहे बदलावों के मद्देनजर नए कानून की जरूरत है. मौजूदा कानूनों में से कुछ 138 साल पुराने हैं. नए भारतीय दूरसंचार विधेयक को कैबिनेट से अगस्त 2023 में ही मंजूरी मिल गई थी. इसके पास होने पर सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा या पब्लिक इंमरजेंसी पर किसी भी टेलीकम्युनिकेशन सर्विस या नेटवर्क चलाने वाली कंपनी को प्रबंधित या निलंबित कर सकेगी. सरकार ने लोकसभा में इस बिल को पेश करते हुए इसके कई फायदे गिनाए.
पूरी होने जा रही है मस्क की मुराद
नए बिल में सैटेलाइट इंटरनेट सेवाएं मुहैया करवाने वाली कंपनियों के लिए भी कुछ प्रावधान किए गए हैं. उदाहरण के तौर पर सैटेलाइट इंटरनेट सेवाएं प्रदान करने वाली कंपनियों को स्पेक्ट्रम की नीलामी में भाग नहीं लेना होगा, उनके लिए लाइसेंस का प्रावधान किया गया है. सरकार के इस कदम से अमेरिका में बैठे दुनिया के सबसे अमीर कारोबारी एलन मस्क (Elon Musk) के चेहरे पर जहां बड़ी सी स्माइल आना लाजमी है. वहीं, रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) के चेहरे पर शिकन आ जाएगी. यह प्रावधान मस्क की मुराद पूरी होने जैसा है, क्योंकि वह मोदी सरकार से यही मांग कर रहे थे.
बड़ा उलटफेर कर सकती है स्टारलिंक
Elon Musk अपनी कंपनी स्टारलिंक को भारत लाना चाहते हैं. स्टारलिंक SpaceX की सहायक कंपनी है और सैटेलाइट ब्रॉडबैंड, वॉयस और मैसेजिंग सर्विस उपलब्ध कराती है. स्टारलिंक अमेरिका में सफल रही है. स्टारलिंक को अपनी सेवाएं शुरू करने के लिए जमीन पर टावर लगाने की जरूरत नहीं होती है, ये सीधे सैटेलाइट से इंटनेट सर्विस प्रदान करती है. इसके चलते दूरदराज के इलाकों में भी इंटरनेट की स्पीड काफी अच्छी रहती है. भारत में इंटरनेट का जाल तेजी से फैला है, लेकिन कनेक्टिविटी की समस्या अभी भी कायम है. ऐसे में Musk की कंपनी बड़ा उलटफेर कर सकती है. मस्क ने स्पेक्ट्रम की नीलामी के बजाए लाइसेंस व्यवस्था बनाने की मांग की थी. लोकसभा में पेश बिल में सैटेलाइट इंटरनेट सेवाएं मुहैया करवाने वाली कंपनियों के लिए लाइसेंस का ही प्रावधान है. ऐसे में मस्क का खुश होना लाजमी है.
Reliance का मौजूदा व्यवस्था पर जोर
वहीं, इस प्रावधान को रिलायंस Jio जैसी कंपनियों के लिए झटके के तौर पर देखा जा रहा है. रिलायंस स्पेक्ट्रम की नीलामी की व्यवस्था पर ही जोर देती आई है. इससे पहले, रिलायंस Jio ने व्हाट्सऐप कॉलिंग को लेकर भी सवाल उठाए थे. उसने कहा था कि व्हाट्सऐप और मैसेजिंग कंपनियां कॉलिंग का ऑप्शन दे रही हैं, जबकि वह इसके लिए कोई स्पेक्ट्रम भी नहीं खरीदतीं. Jio ने कहा था कि नीलामी ही स्पेक्ट्रम आवंटन का बिल्कुल सही तरीका है. इसलिए दूसरी कंपनियों को भी इसका पालन करना चाहिए. हालांकि, नए विधेयक में नीलामी की जगह लाइसेंस का प्रावधान है, जो निश्चित तौर पर रिलायंस Jio जैसे स्थानीय कंपनियों को पसंद नहीं आएगा.
इसलिए आकर्षित हो रहीं विदेशी कंपनियां
एक रिपोर्ट बताती है कि सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सेवा का बाजार तेजी से बढ़ रहा है और 2030 तक इसके 36 प्रतिशत प्रति वर्ष बढ़ने का अनुमान है. यही वजह है कि स्टारलिंक जैसी विदेशी कंपनियां भारत का रुख कर रही हैं. 2030 तक इसके 1.9 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है. वहीं, टेलीकम्यूनिकेशन बिल में यूजर्स की सेफ्टी को बढ़ाने के लिए ओवर-द-टॉप (OTT) या इंटरनेट आधारित कॉलिंग एवं मैसेजिंग ऐप्स को दूरसंचार की परिभाषा के तहत लाने का प्रस्ताव है. इस बिल में टेलीकॉम सेक्टर के दूरसंचार नियामक ट्राई (Telecom Regulatory Authority of India) के अधिकारों को भी कम किया गया है. टेलीकॉम कंपनियां ट्राई के अधिकारों को लेकर कई बार सवाल खड़े कर चुकी हैं.
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