टेक महिंद्रा द्वारा जानकारी दी गई है कि कंपनी के कर्मचारियों की संख्या में 4354 कर्मचारियों की कमी देखने को मिली है.
IT क्षेत्र की प्रमुख कंपनियों में एक के बाद एक छंटनी की जा रही है और IT क्षेत्र की जानी-मानी कंपनी टेक महिंद्रा (Tech Mahindra) को लेकर इस वक्त एक काफी बड़ी खबर सामने आ रही है. टेक महिंद्रा ने हाल ही में 31 दिसंबर 2023 को खत्म हुए क्वार्टर के दौरान कंपनी के कर्मचारियों की संख्या में हुई कमी के बारे में जानकारी दी है. कंपनी ने कहा है कि पिछले क्वार्टर के मुकाबले कर्मचारियों की संख्या में 4354 लोगों की कमी देखने को मिली है.
कंपनी के कर्मचारियों की संख्या हुई कम
इस वक्त पूरी IT इंडस्ट्री में मैक्रो-इकॉनोमिक चुनौतियों के साथ-साथ मांग में अनिश्चितता बनी हुई है और इसी बीच टेक महिंद्रा द्वारा जानकारी दी गई है कि कंपनी के कर्मचारियों की संख्या में 4354 कर्मचारियों की कमी देखने को मिली है. वित्त वर्ष 24 की तीसरी तिमाही में कंपनी के कुल कर्मचारियों की संख्या 1,46,250 थी और इससे पिछले क्वार्टर के दौरान कंपनी द्वारा 2307 कर्मचारियों को नौकरी पर रखा गया था. वित्त वर्ष 24 के दूसरे क्वार्टर के दौरान कंपनी के कर्मचारियों की संख्या में कमी करने की दर 11% हुआ करती थी जबकि तीसरे क्वार्टर के दौरान इस दर में 1% की गिरावट के साथ यह दर 10% पर पहुंच गई थी.
IT क्षेत्र में जारी छंटनी का तांडव
इस क्वार्टर के दौरान भारत की 5 टियर-1 IT कंपनियों में से तीन के कर्मचारियों की संख्या में प्रमुख रूप से गिरावट देखने को मिली है. जहां टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) के कुल कर्मचारियों की संख्या में 5680 कर्मचारियों की कमी देखने को मिली है, वहीं इन्फोसिस के कर्मचारियों की संख्या में 6101 कर्मचारियों, विप्रो में 4473 और HCL टेक के कर्मचारियों की संख्या में 3617 कर्मचारियों की कमी देखने को मिली है. इस क्वार्टर के दौरान टेक महिंद्रा (Tech Mahindra) ने अपना ध्यान जनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के टैलेंट को बढ़ावा देने पर भी लगाया था और इसी प्रोग्राम के तहत टेक महिंद्रा ने 60,000 एसोसिएट्स की स्किल ट्रेनिंग की थी.
इन क्षेत्रों पर है कंपनी का ध्यान
पूर्व CEO CP गुरनानी द्वारा कंपनी की बागडोर छोड़े जाने और नए CEO मोहित जोशी के हाथों में कंपनी की बागडोर आ जाने के बाद यह पहला क्वार्टर है. कारोबार की स्थिति पहले से बेहतर करने के लिए मोहित जोशी ने संस्था और लीडरशिप में ढांचागत बदलाव किये हैं और ये सभी बदलाव 1 जनवरी 2024 से लागू किये जा चुके हैं. फिलहाल कंपनी BFSI, हेल्थकेयर और लाइफ साइंसेज जैसे क्षेत्रों में अपने कारोबार का विस्तार करने पर ध्यान दे रही है. आपको बता दें कि कंपनी को 40% कमाई, कम्युनिकेशन, मीडिया और एंटरटेनमेंट के कारोबार से होती है.
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सर्वे बता रहा है कि अपनी एआई योग्यता बढ़ाने के लिए लिंक्डइन लर्निंग पाठ्यक्रमों का इस्तेमाल करने वाले गैर-तकनीकी प्रोफेशनल्स में 160 फीसदी की ग्रोथ हुई है.
आने वाले दिनों में Artificial Intelligence का इस्तेमाल बढ़ेगा इसकी भविष्यवाणी तो सभी कर रहे हैं लेकिन दो महत्वपूर्ण कंपनियों के एआई को लेकर आए आंकड़े चौंकाने वाले हैं. माइक्रोसॉफ्ट और लिंक्डिन की ओर से जारी की गई इस रिपोर्ट का शीर्षक ‘एआई ऐट वर्क इज हीयर है. ये रिपोर्ट बता रही है कि एआई के लॉन्च होने के एक साल के अंदर देश में 92 फीसदी नॉलेज वर्कर्स अपने वर्कप्लेस पर एआई का इस्तेमाल करते हैं जबकि भारत में 91 प्रतिशत बिजनेस लीडर्स का भी मानना है कि उनकी कंपनियों को प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए एआई को अपनाने की जरूरत है.
क्या कहते हैं इस रिपोर्ट के आंकड़े?
माइक्रोसॉफ्ट और लिंक्डिन की इस रिपोर्ट के लिए आंकड़े 31 देशों में 31,000 लोगों के बीच किए गए सर्वेक्षण, लिंक्डइन पर लेबर और नियुक्ति के रुझान, खरबों माइक्रोसॉफ्ट 365 प्रोडक्टिविटी सिग्नल्स और फॉर्च्यून 500 ग्राहकों के बीच किए गए शोध पर आधारित हैं. भारत में 91 प्रतिशत बिजनेस लीडर्स का भी मानना है कि उनकी कंपनियों को प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए एआई को अपनाने की जरूरत है, लेकिन 54 फीसदी को चिंता है कि उनके संगठन के पास इसके कार्यान्वयन के लिए किसी योजना और नजरिए का अभाव है.
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रिपोर्ट बता रही है तीन अहम बातें
यह रिपोर्ट आने वाले वर्षों में वर्क, टैलेंट और नियुक्तियों पर एआई के प्रभाव के बारे में प्रत्येक बिजनेस लीडर और प्रोफेशनल को जानने के लिए जरूरी तीन बातों पर प्रकाश डालती है. कर्मचारी वर्कप्लेस पर एआई चाहते हैं - और वे इस पर कंपनियों के आगे बढ़ने का इंतजार नहीं करेंगे. भारत का वर्कफोर्स एआई को लेकर बहुत आशावादी है। भारत में 92 फीसदी नॉलेज वर्कर्स अपने वर्कप्लेस पर एआई का इस्तेमाल करते हैं, जबकि दुनिया भर में इसका औसत 75% है। भारत में 91 प्रतिशत बिजनेस लीडर्स का भी मानना है कि उनकी कंपनियों को प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए एआई को अपनाने की जरूरत है, लेकिन 54 फीसदी को चिंता है कि उनके संगठन के पास इसके कार्यान्वयन के लिए किसी योजना और नजरिए का अभाव है.
क्या कह रहे हैं लिंक्डिन के आंकड़े?
लिंक्डइन के आंकड़ों से पता चलता है कि लिंक्डइन पर की जाने वाली जॉब पोस्ट में एआई के बारे में लिखने वालों की संख्या में 17 फीसदी का इजाफा हुआ है. जहां तक नियुक्तियों की बात है तो भारत के बिजनेस लीडर्स के लिए एआई स्किल अब सबसे महत्वपूर्ण बन गया है. 75 फीसदी बिजनेस लीडर्स का कहना है कि वे एआई कौशल की कमी वाले किसी व्यक्ति को नौकरी पर नहीं रखेंगे। ये आंकड़ा ग्लोबल एवरेज से 66 फीसदी से ज्यादा है. दिलचस्प बात यह है कि एआई स्किल अब अनुभव से ज्यादा महत्वपूर्ण बन गया है। भारत में 80 फीसदी बिजनेस लीडर्स एआई स्किल के बिना ज्यादा अनुभवी उम्मीदवार की तुलना में एआई स्किल वाले कम अनुभवी उम्मीदवार को नौकरी देना पसंद करते हैं.
अमेरिका और चीन के बीच तनाव बढ़ गया है. इस बीच, माइक्रोसॉफ्ट ने अपने चीनी कर्मचारियों से दूसरे देशों में शिफ्ट होने को कहा है.
चीन के तारे इन दिनों गर्दिश में चल रहे हैं. चीन के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वालीं ग्लोबल कंपनियां अब उससे किनारा करने लगी हैं. iPhone बनाने वाली Apple चीन से ज्यादा प्यार भारत पर लुटा रही है. ताइवान की कंपनी फॉक्सकॉन भी चीन में खुद को सीमित करते हुए भारत में विस्तार कर रही है. अब खबर है कि दुनिया की सबसे वैल्यूएबल कंपनी माइक्रोसॉफ्ट (Microsoft) चीन को अलविदा कहने वाली है. कंपनी ने चीन में मौजूद अपने कर्मचारियों को दूसरे देशों में शिफ्ट होने को कहा है.
स्टाफ को इन देशों का मिला विकल्प
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें, तो माइक्रोसॉफ्ट ने चीन छोड़ने की पूरी तैयारी कर ली है. कंपनी ने चीन में क्लाउड-कंप्यूटिंग और आर्टिफिशियल-इंटेलिजेंस ऑपरेशन में लगे करीब 700 से 800 कर्मचारियों से कहा है कि वे विदेशों में रिलोकेट होने पर विचार करें. अमेरिका की इस दिग्गज कंपनी ने चाइना के अपने कर्मचारियों के सामने अमेरिका, आयरलैंड, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसे देशों में ट्रांसफर का विकल्प रखा है. चीन में कंपनी का ज्यादातर स्टाफ स्थानीय है. ऐसे में यदि कर्मचारी चीन छोड़ने को तैयार नहीं होते, तो फिर उन्हें नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है.
इस वजह से लिया ये फैसला
अमेरिका और चीन के संबंधों में तनाव लगातार बढ़ रहा है. जो बाइडेन की अमेरिकी सरकार ने चीन से इंपोर्टेड सामानों पर भारी टैक्स लगाने का फैसला लिया है. सरकार ने चीनी सामानों पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाकर 100% तक कर दी है. अमेरिका चीन से इलेक्ट्रिक व्हीकल्स, बैटरी, सोलर सेल, स्टील-एल्यूमीनियम, मिनरल्स आदि इम्पोर्ट करता है. सबसे ज्यादा टैक्स इलेक्ट्रिक व्हीकल्स पर बढ़ाया गया है. बाइडेन के इस फैसले से 18 बिलियन डॉलर के सालाना कारोबार पर असर पड़ सकता है. साथ ही इससे दोनों देशों के बीच जारी ट्रेड वॉर बढ़ने की आशंका भी बढ़ गई है. इसी के मद्देनजर माइक्रोसॉफ्ट ने यह कदम उठाया है.
1992 में हुई थी चीन में एंट्री
वहीं, माइक्रोसॉफ्ट के प्रवक्ता का कहना है कि चीन के अपने कर्मचारियों को इस तरह का ऑफर देना कंपनी के ग्लोबल बिजनेस का हिस्सा है. आज के समय में माइक्रोसॉफ्ट मार्केट कैप के हिसाब से दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी है. इसका मार्केट कैप 3.144 ट्रिलियन डॉलर है. माइक्रोसॉफ्ट की चीन में एंट्री 1992 में हुई थी. अमेरिका के बाहर कंपनी का सबसे बड़ा R&D सेंटर चीन में ही है. कंपनी को 2015 में The World’s Top 10 Most Innovative of 2015 Companies in China" का खिताब भी मिला था. हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं है कि माइक्रोसॉफ्ट पूरी तरह से चीन छोड़ रही है या नहीं.
1881 में स्थापित, थॉमस कुक (इंडिया) लिमिटेड देश की अग्रणी ओमनीचैनल ट्रैवल कंपनी है, जो विभिन्न क्षेत्रों में सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदान करती है.
ट्रेवल सर्विस प्रोवाइडर थॉमस कुक इंडिया लिमिटेड ने बुधवार को मार्च 2024 को समाप्त चौथी तिमाही के नतीजे जारी कर दिए है. कंपनी को चौथी तिमाही में 58.17 करोड़ रुपये का प्रॉफिट हुआ है. थॉमस कुक इंडिया ने एक नियामक फाइलिंग में कहा कि कंपनी ने एक साल पहले इसी तिमाही में 10.22 करोड़ रुपये का कंसोलिडेटेड नेट लॉस दर्ज किया था. तिमाही के दौरान इसकी कंसोलिडेटेड टोटल इनकम 1,692.61 करोड़ रुपये रही, जबकि पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में यह 1,323.94 करोड़ रुपए थी.
FY24 तिमाही में किया शानदार प्रदर्शन
चौथी तिमाही में टोटल एक्सपेंडिचर पिछले वर्ष की समान तिमाही के 1,330.1 करोड़ रुपये की तुलना में बढ़कर 1,631.92 करोड़ रुपये हो गया. 31 मार्च 2024 को समाप्त वित्त वर्ष के लिए इसका कंसोलिडेटेड नेट प्रॉफिट पिछले वर्ष के 10.37 करोड़ रुपये के मुकाबले 271.11 करोड़ रुपये था. कंपनी ने कहा कि वित्त वर्ष 2024 में कंसोलिडेटेड टोटल इनकम 7,435.65 करोड़ रुपये रही, जबकि वित्त वर्ष 2023 में यह 5,111.2 करोड़ रुपये थी.
Blinkit से बोली एक मां, सब्जी के साथ फ्री मिले धनिया, सीईओ ने पुरी कर दी मुराद
डिविडेंड का भी किया एलान
कंपनी ने कहा कि उसके बोर्ड ऑफ डायरेक्टर ने बेहतर वित्तीय प्रदर्शन के कारण 20 पैसे प्रति शेयर के स्पेशल डिविडेंड सहित 1 रुपये फेस वैल्यू के प्रति इक्विटी शेयर पर 60 पैसे का डिविडेंड देने की सिफारिश की है.
कार्यकारी अध्यक्ष ने सभी आभार जताया
थॉमस कुक इंडिया लिमिटेड के कार्यकारी अध्यक्ष माधवन मेनन ने कंपनी की सफलता में योगदान के लिए सभी टीमों, ग्राहकों, भागीदारों और शेयरधारकों के प्रति आभार व्यक्त किया. इसके साथ ही मुझे प्रति 1 शेयर पर 0.60 रुपये के लाभांश की घोषणा करते हुए भी खुशी हो रही है, जिसमें एक रुपये का विशेष लाभांश 0.20 प्रति शेयर भी शामिल है. हमारे मूल्यवान शेयरधारकों को 0.20 प्रति शेयर. उन्होंने भारतीय और ग्लोबल ट्रेवल सर्विस सेक्टर में उछाल पर जोर दिया और पिछले वर्ष की तुलना में 18 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाते हुए मजबूत अग्रिम बुकिंग पर प्रकाश डाला.
ब्लिंकिट (Blinkit) ने एक यूजर द्वारा एक्स पर सब्जी के साथ धनिया फ्री मिलने के सुझाव को स्वीकार लिया है.
किराने के सामान, सब्जियां, फल आदि ऑन लाइन बेचने वाली कंपनी ब्लिंकिट (Blinkit) को मुंबई के एक व्यक्ति ने एक्स पर पोस्ट शेयर करके कहा कि उनकी मां का ने सुझाव दिया कि सब्जियों के साथ धनिया फ्री मिलना चाहिए. इसके बाद ब्लिंकिट के सीईओ अलबिंदर ढींडसा (Albinder Dhindsa) ने ऐसा जवाब दिया कि यूजर्स भी खुश हो गए. तो चलिए जानते हैं, क्या है ये पूरा मामला और यूजर ने क्यों ब्लिंकिट को ऐसा सुझाव दिया?
एक्स पर दिया ये सुझाव
मुंबई में रहने वाले अंकित सावंत नाम के एक व्यक्ति ने अपने एक्स अकाउंट पर ब्लिंकिट के फाउंडर अलबिंदर ढिंडसा को टैग करते हुए एक पोस्ट लिखा कि जब ब्लिंकिट से ऑर्डर करते समय उनकी मां को धनिया पत्ती के लिए भी पेमेंट करना पड़ा, तो वह हैरान रह गईं और मां को मिनी हार्ट अटैक आया. ऐसे में उनकी मां ने सुझाव दिया है कि ब्लिंकिट को एक निश्चित मात्रा में सब्जियों के साथ मुफ्त में देना चाहिए.
सीईओ का जवाब सुन खुश हो गए यूजर्स
इस पोस्ट ने कई लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा, जिनमें सीईओ अलबिंदर ढींढसा भी शामिल थे. उन्होंने भी अंकित सावंत की एक्स पोस्ट पर कमेंट किया और लिखा, ‘Will Do it’. उनकी इस पोस्ट ने लोगों को खुश कर दिया. लोगों ने खूब मजेदार कमेंट किए.
सब्जियों के ऑर्डर पर 100 ग्राम धनिया मुफ्त
इस पोस्ट के कुछ घंटों बाद ढींडसा ने अपने ऑफिशियल एक्स पर लिखा, "यह लाइव है! कृपया सभी लोग अंकित की मां को धन्यवाद दें. हम अगले कुछ हफ्तों में इस सुविधा को बेहतर बना देंगे।” उन्होंने एक स्क्रीनशॉट भी साझा किया जिसमें ब्लिंकिट कुछ सब्जियों के ऑर्डर पर 100 ग्राम मुफ्त धनिया ऐड करने का विकल्प दे रहा है.
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5.88 लाख से अधिक बार देखा गया पोस्ट
इस पोस्ट कुछ ही घंटों में 5.88 लाख से अधिक बार देखा जा चुका है और संख्या तेजी से बढ़ रही है. वायरल शेयर पर अब तक लगभग 8000 लाइक्स आ चुके हैं. लोगों ने शेयर पर प्रतिक्रिया देते हुए तरह-तरह के कमेंट पोस्ट किए. यूजर्स ने ब्लिंकिट की इस पहल की खूब प्रशंसा की. लोग काफी मजेदार कमेंट कर रहे हैं.
ब्लिंकिट का रेवेन्यू
अलबिंदर ढींडसा, ऋषि अरोड़ा और सौरभ कुमार ब्लिंकिट के संस्थापक हैं. आपको बता दें, वित्त वर्ष 2024 में ब्लिंकइट का रेवेन्यू करीब 3 गुना हो गया है. रेगुलेटरी फाइलिंग के अनुसार ब्लिंकइट का रेवेन्यू 2301 करोड़ रुपये रहा है, जो पिछली तिमाही में 806 करोड़ रुपये था.
दुनिया में कई जगह इस वक्त ऐसी परिस्थितियां चल रही हैं जिसने देशों को अलर्ट मोड पर डाला हुआ है. गोल्ड को हमेशा ही करेंसी के विकल्प के तौर पर देखा जाता है.
हाल ही में खबर आई थी कि चीन बड़े पैमाने पर गोल्ड की खरीद कर रहा है. चीन गोल्ड की इस स्तर पर खरीद कर रहा है कि उसके दामों में ही इजाफ हो गया. लेकिन अब भारत की गोल्ड खरीद के आंकड़ों के सामने आने के बाद ये साफ हो गया है कि अकेला चीन ही नहीं बल्कि भारत भी गोल्ड की बड़ी खरीद कर रहा है. कॉमर्स मंत्रालय के आंकड़े बता रहे हैं कि पिछले साल अप्रैल से इस अप्रैल के आंकड़ों की तुलना करें तो दिखाई देता है कि कैसे गोल्ड खरीद के आंकड़ों में इजाफा हुआ है और आंकड़े कहां पहुंच गए हैं.
चीन ने खरीदा इतना कि बढ़ गई सोने की कीमत
जानकारों का मानना है कि गोल्ड की ज्यादा खरीद किसी भी देश के लिए अच्छा है. दरअसल पिछले कुछ समय में जिस तरह से जियो पॉलिटिकल परिस्थितियां बदली हैं उसके बाद हर देश करेंसी के विकल्प के तौर अपने पास सोने के भंडार को रखना चाहता है. कुछ ऐसा ही कदम चीन ने उठाया है. चीन ने गोल्ड खरीदन की अपनी इस पॉलिसी को ऐसे समय में भी बनाए रखा जब सोना महंगा बिक रहा था. इजराइल फिलिस्तीन युद्ध के समय हमने देखा कि गोल्ड के दाम किस तरह से बढ़े थे. उस समय इंटरनेशनल बाजार में सोने की कीमत 2300 डॉलर प्रति औंस थी लेकिन चीन ने इतना खरीदा कि उसकी कीमत बढ़ गई और वो 2400 डॉलर जा पहुंची थी.
भारत के गोल्ड इंपोर्ट में हुआ है लगभग तीन गुना इजाफा
भारत के गोल्ड इंपोर्ट के आंकड़ों पर नजर डालें तो 2022-23 में अप्रैल महीने में ये 1.01 बिलियन डॉलर रहा था, जब उसके मई में 3.69 बिलियन डॉलर, जून में 5.00 बिलियन डॉलर, जुलाई में 3.50 बिलियन डॉलर, अगस्त में 4.94 बिलियन डॉलर, सितंबर में 4.11 बिलियन डॉलर, अक्टूबर में 7.23 बिलियन डॉलर, नवंबर में 3.45 बिलियन डॉलर, दिसंबर में 3.03 बिलियन डॉलर, जनवरी में 1.91 बिलियन डॉलर, फरवरी में 6.15 बिलियन डॉलर, मार्च में 1.53 बिलियन डॉलर, और अप्रैल में 3.11 बिलियन डॉलर रहा है. यानी पिछले मार्च और इस मार्च के आंकड़ों पर नजर डालें तो वो लगभग तीन गुना है.
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आखिर क्या है इसकी वजह?
इसकी वजह के बारे में पूछे जाने पर कॉमर्स सेक्रेट्री संजय बर्थवाल ने कहा कि गोल्ड की खरीद को तीन लोग करते हैं. उसकी खरीद सेंट्रल बैंक से लेकर कारोबारी और आम आदमी करता है. ऐसे में उनका कहना है कि ये आंकड़े कोई चौंकाने वाले इसलिए नहीं है क्योंकि गोल्ड पिछले साल के मुकाबले उतना ही इंपोर्ट हुआ है लेकिन दाम बढ़ने के कारण इंपोर्ट का दाम बढ़ गया है.
क्या कह रहे हैं IBJA के सेक्रेट्री?
देश में सभी ज्वैलरों की एसोसिएशन IBJA(indian Bullion Jwellery Association) के सेक्रेट्री सुरेन्द्र मेहता कहते हैं कि हम जो मंथली आंकड़ों की तुलना कर रहे हैं उसमें ऐसी कोई चौंकाने वाली बात नहीं है. पिछले साल अप्रैल 2023 में जब दाम बढ़ रहे थे उस वक्त लोग इंपोर्ट नहीं कर रहे थे. लेकिन अब सभी को पता चल गया है कि इसके प्राइसेस बढ़ने वाले हैं. सबसे खास बात ये है कि उस वक्त की स्थिति पर नजर डालें तो उतनी जियोपॉलिटिकल टेंशन कम नहीं हो रहा है. ब्रिक्स नेशन भी अपनी करेंसी लाने की तैयारी कर रहे हैं. अगर ट्रंप जीत जाएंगे तो और सख्ती हो सकती है. अभी हम देख रहे हैं कि एक ओर इजराइल फिलिस्तीन का युद्ध चल रहा है वहीं रूस रूक्रेन के बीच भी तनाव बना हुआ है. ये उस अप्रैल में नहीं थी जो इस अप्रैल में आ गई हैं. लेकिन हो सकता है उसके आगे पीछे के महीनों में ज्यादा इंपोर्ट हुआ हो.
उनकी पत्नी कंपनी के कामकाज में सक्रिय रूप से शामिल थी. वो कंपनी में अहम जिम्मेदारी पर थी. उनके पास ऑपरेशंस की जिम्मेदारी थी.
जेट एयरवेज के चेयरमैन नरेश गोयल के लिए गुरुवार को दुख भरी खबर निकलकर सामने आई. नरेश गोयल की पत्नी अनीता गोयल का निधन हो गया है. अनीता गोयल कैंसर की बीमारी से जूझ रही थी. जेट एयरवेज को लेकर चल रहे मनीलॉन्ड्रिंग के मामले में पति पत्नी दोनों को ही पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. लेकिन स्वास्थ्य के आधार पर पहले पत्नी को और उसके बाद पति को जमानत मिली थी. नरेश गोयल का स्वास्थ्य भी ठीक नहीं है.
अनीता गोयल ने कहां ली अंतिम सांस
जेट एयरवेज के चेयरमैन अनीता गोयल लंबे समय से मुंबई के एक अस्तपाल में अपना इलाज करा रही थी. लेकिन आज सुबह 3.30 बजे उन्होंने आखिरी सांस ली. अनीता गोयल भी जेट एयरवेज में सक्रिय भूमिका निभा रही थी. वो बाकायदा लंबे समय से कंपनी से जुड़ी हुई थी और मौजूदा समय में वाइस प्रेसीडेंट के पद पर थीं. वो कंपनी के ऑपरेशंस से जुड़े हुए थे. नरेश गोयल ने फरवरी में जमानत के लिए आवेदन किया था लेकिन अदालत ने उनकी याचिका को ठुकरा दिया था. लेकिन इलाज के लिए प्राइवेट अस्पताल में इलाज कराने की अनुमति दे दी थी.
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नरेश गोयल को 6 मई को मिली थी जमानत
फरवरी में जमानत याचिका को ठुकराने के बाद 6 मई को अदालत ने उन्हें 2 महीने की अंतरिम जमानत दे दी थी. उनके वकील ने अदालत में कहा था कि उन्होंने अब जीने की उम्मीद खो दी है. इस पूरे मामले को सुनने के बाद अदालत ने जमानत पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था और उन्हें 6 मई तक अस्तपाल से डिस्चार्ज न करने का आदेश दिया था. इसके बाद 6 मई को अदालत ने उन्हें दो महीने की अंतरिम जमानत दे दी थी.
1991 में शुरु हुई थी जेट एयरवेज
नरेश गोयल ने जेट एयरवेज की शुरूआत 1991 में एयरटैक्सी से की थी. नरेश गोयल को केनरा बैंक ने कंपनी के लिए 568.62 करोड़ रुपये का कर्ज दिया था. इस कर्ज की हेराफेरी और मनीलॉन्ड्रिंग के मामले को देखते हुए उन्हें ईडी ने गिरफ्तार किया था. ईडी ने इस मामले में उनकी पत्नी अनीता गोयल को भी गिरफ्तार किया था. लेकिन स्वास्थ्य कारणों के चलते उन्हें बाद में अदालत ने जमानत दे दी थी. लेकिन एक साल में ही उन्होंने चार विमानों का बेड़ा तैयार कर लिया और जेट एयरक्राफ्ट की पहली उड़ान शुरू हो गई. 2007 में एयर सहारा को टेकओवर करने के बाद जेट एयरवेज सबसे बड़ी एयरलाइन बन गई थी. लेकिन बाद कंपनी की मुसीबतें बढी और 2019 में कंपनी का संचालन बंद हो गया.
कोरोना काल से थिएटर इंडस्ट्री दर्शकों की कमी से जूझ रही हैं. ऐसे में PVR Inox ने मुनाफा बढ़ाने के लिए नई तरकीब सोची है.
कोरोना काल से थिएटर इंडस्ट्री दर्शकों की कमी से जूझ रही है जिससे सिनेमाघरों को काफी नुकसान हो रहा है. भारत का सबसे बड़ा सिनेमा ऑपरेटर PVR Inox भी दर्शकों की बेरुखी के दर्द को झेल रहा है. हाल ही में PVR ने अपने चौथी तिमाही के नतीजे जारी किए थे. कंपनी को इस दौरान 130 करोड़ का घाटा हुआ है. ऐसे में कंपनी ने अब कमाई करने के लिए क्रिकेट का सहारा लेने की सोची है. दर्शकों को आकर्षित करने के लिए PVR Inox ने T20 वर्ल्ड कप के खास मैच दिखाने की तैयारी कर रहा है. आईसीसी टी20 वर्ल्ड कप की शुरुआत 2 जून को होगी.
क्रिकेट से दर्शकों को लुभाएगा PVR
कंपनी के मुख्य वित्तीय अधिकारी नितिन सूद ने बताया कि कंपनी अगले महीने से शुरू हो रहे टी20 विश्व कप के अहम मैच दिखाएगी. उनका मानना है कि भारत में बेहद लोकप्रिय टी20 क्रिकेट पिछले साल अक्टूबर में हुए एक दिवसीय विश्व कप की तुलना में सिनेमाघरों में ज्यादा दर्शक खींचेगा. इसके अलावा भारतीय दर्शकों को लुभाने के लिए के-पॉप परफॉरमेंस लाने पर भी विचार किया जा रहा है.
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कई और भी ऑफर लाई है कंपनी
PVR Inox ने पीवीआर आईनॉक्स पासपोर्ट जैसे लॉयल्टी प्रोग्राम पेश किए हैं, जिसके जरिए लोगों को वीकडे की स्क्रीनिंग के लिए सस्ते टिकट मिल सकते हैं, क्योंकि यह दर्शकों को आकर्षित करने का काम करता है. मूवी चेन दर्शकों की पसंदीदा फिल्मों को भी फिर से लॉन्च कर रही है और फिल्म फेस्टिवल की मेजबानी करने का प्लान बना रही है.
OTT ने बढ़ाई थिएटरों की मुश्किलें
ओवर द टॉप यानी OTT कोरोना काल से काफी लोकप्रिय हो गया है. ऐसे में दर्शकों ने सिनेमाघरों से दूरी बना ली. नेटफ्लिक्स और अमेजन प्राइम जैसे प्लेटफॉर्म अच्छी फिल्मों के राइट्स खरीद रहा है. साथ ही कम बजट में फिल्में और शो दे रही हैं. ऐसे में थिएटर की इंडस्ट्री की मुश्किलें बढ़ी हैं. इसी को देखते हुए अब PVR Inox केवल फिल्मों पर ही निर्भर नहीं रहना चाहता. कमाई के लिए वह क्रिकेट मैच और कंसर्ट भी सिनेमाघरों में दिखाने पर गंभीरता से विचार कर रहा है.
चौथी तिमाही में हुआ 130 करोड़ रुपये का घाटा
वित्त वर्ष की 2024 की चौथी तिमाही में कपंनी को 130 करोड़ का घाटा हुआ है. हालांकि एक साल पहले के मुकाबले में मार्च तिमाही के घाटे में कमी आई है. PVR INOX का एकीकृत घाटा सालाना आधार पर 333 करोड़ रुपये से घटकर 130 करोड़ रुपये हो गया है. इसी तरह आय 1143 करोड़ रुपये से बढ़कर 1256 करोड़ रुपये (YoY) पर आ गया है. कामकाजी मुनाफा 264 करोड़ से बढ़कर 278 करोड़ रुपये रहा है. कंपनी का मार्जिन वित्त वर्ष 2022-23 के 23.1% से घटकर 22.1% फीसदी रहा.
अपने अब तक के सबसे बड़े बोनस की घोषणा करते हुए कंपनी ने कहा है कि वो ग्राहकों के लिए बेस्ट उत्पाद बनाना जारी रखेगी.
प्राइवेट सेक्टर की बीमा कंपनी एचडीएफसी लाइफ इंश्योरेंस (HDFC Life Insurance) ने अपने पॉलिसीहोल्डर्स को अब तक का सबसे ज्यादा बोनस देने का ऐलान किया है. कंपनी पार्टिसिपेटिंग प्लान पर 3,722 करोड़ रुपए का बोनस देने जा रही है. इसका लाभ 22.23 लाख पॉलिसीधारकों को मिलेगा. मालूम हो कि पार्टिसिपेटिंग प्लान या पार प्लान एक स्पेशल जीवन बीमा पॉलिसी है, जो पॉलिसीधारकों को कंपनी के लाभ में साझेदारी की अनुमति देती है.
इस तरह होगा डिस्ट्रीब्यूट
एचडीएफसी लाइफ के अनुसार, कुल बोनस राशि में से 2,798 करोड़ चालू वित्त वर्ष में पॉलिसीधारकों को मेच्योरिटी बोनस या नकद बोनस के रूप में वितरित किए जाएंगे. जबकि बाकी बोनस भविष्य में Policy Maturity, मृत्यु या पॉलिसी सरेंडर करने पर देय होगा. HDFC लाइफ की एमडी और सीईओ विभा पडलकर (Vibha Padalkar) ने कहा कि हमें इस वर्ष अपने पॉलिसीधारकों के लिए बोनस में बढ़ोतरी की घोषणा करते हुए खुशी हो रही है. जीवन बीमा पॉलिसी लंबी अवधि के लिए डिजाइन की जाती हैं और बोनस, पॉलिसी अवधि के दौरान पॉलिसीधारकों की लॉयल्टी के लिए एक रिवॉर्ड के तौर पर काम करता है. हम अपने पॉलिसीधारकों को सबसे अच्छे प्रोडक्ट और सर्विस प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं.
99.7% क्लेम सेटलमेंट
2000 में स्थापित, एचडीएफसी लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड भारत में एक लीडिंग, सूचीबद्ध, दीर्घकालिक जीवन बीमा समाधान प्रदाता कंपनी है, जो व्यक्तिगत और समूह बीमा समाधानों की एक श्रृंखला पेश करती है. कंपनी के पोर्टफोलियो में 80 से अधिक उत्पाद (व्यक्तिगत और समूह उत्पादों सहित) और ऑप्शनल राइडर्स हैं, जो ग्राहकों की विविध आवश्यकताओं को पूरा करते हैं. वित्त वर्ष 2024 में, एचडीएफसी लाइफ का क्लेम सेटलमेंट रेशियो 99.7% था और इस अवधि के दौरान कंपनी ने 66 मिलियन से अधिक लोगों को सुरक्षित किया है.
शेयर बाजार की तेजी पर बुधवार को ब्रेक लग गया. आज भी बाजार से मिलीजुली प्रतिक्रिया मिलने की उम्मीद है.
चुनावी मौसम में शेयर बाजार (Stock Market) लगातार हिचकोले खा रहा है. बुधवार को बाजार एक बार फिर डुबकी लगा गया. रिलायंस इंडस्ट्रीज और HDFC बैंक जैसे दिग्गज शेयरों में बिकवाली के दबाव और विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) के लगातार बिकवाल बने रहने से स्टॉक मार्केट में गिरावट आई. इस दौरान, बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) का सेंसेक्स 117.58 अंक गिरकर 72,987.03 पर बंद हुआ. इसी तरह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का निफ्टी भी 17.30 अंकों की कमजोरी के साथ 22,200.55 के लेवल पर पहुंच गया. चलिए जानते हैं कि आज कौनसे शेयर खबरों में रह सकते हैं.
इनमें मिले हैं तेजी के संकेत
मोमेंटम इंडिकेटर मूविंग एवरेज कन्वर्जेंस डिवर्जेंस (MACD) ने Symphony, BEML, Honeywell Automation, HG Infra Engineering और Happy Forgings में तेजी के संकेत दिए हैं. यानी कि इन शेयरों में आज उछाल देखने को मिल सकता है. जाहिर है यदि इन शेयरों के भाव उछलेंगे, तो इन पर दांव लगाने वाले मुनाफा कमाने की स्थिति में भी आ जाएंगे. हालांकि, BW हिंदी आपको सलाह देता है कि स्टॉक मार्केट में निवेश से पहले किसी सर्टिफाइड एक्सपर्ट से परामर्श जरूर कर लें, अन्यथा आपको आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ सकता है. Symphony के शेयर कल के गिरावट वाले बाजार में तेजी के साथ 995.05 रुपए पर बंद हुए थे.
इनमें आ सकती है गिरावट
MACD ने तेजी के साथ ही कुछ शेयरों में मंदी का भी संकेत दिया है. इस लिस्ट में Axis Bank, Carborundum Universal, Colgate-Palmolive (India) और Kirloskar Pneumatic Company का नाम शामिल है. इस संकेत का मतलब है कि आज इन स्टॉक में गिरावट देखने को मिल सकती है. लिहाजा, इनमें निवेश को लेकर सावधान रहें. इन शेयरों के कल के प्रदर्शन की बात करें, तो प्राइवेट सेक्टर के एक्सिस बैंक के शेयर कल तेजी के साथ 1,128 रुपए पर बंद हुए. इस शेयर की चाल खास अच्छी नहीं है. इस साल अब तक इसने महज 2.76% का ही रिटर्न दिया है. Carborundum Universal के शेयरों में कल 3 प्रतिशत से अधिक का उछाल आया. 1,535.95 रुपए के भाव पर मिल रहा ये शेयर इस साल अब तक 37.53% का रिटर्न दे चुका है. वहीं, Colgate-Palmolive कल 5.21% के नुकसान में रहा.
इनमें है मजबूत खरीदारी
अब उन शेयरों के बारे में जानते हैं, जिनमें मजबूत खरीदारी देखने को मिल रही है. इस लिस्ट में Thermax, Siemens Ltd, Timken India, ABB Power, Linde India, CG Power और Vijaya Diagnostic का नाम शामिल है. इनमें से कुछ ने अपना 52 वीक का हाई लेवल पार कर लिया है. Thermax Limited के शेयर बुधवार को 8 प्रतिशत से ज्यादा उछले 5,080 रुपए मूल्य का ये शेयर बीते पांच दिनों में 8.97% चढ़ा है. Siemens के लिए भी कल का गिरावट वाला बाजार अच्छा रहा. इस दौरान, कंपनी के शेयर साढ़े छह प्रतिशत की तेजी के साथ 7,082 रुपए पर पहुंच गए. इसका बीते 5 सत्रों का रिकॉर्ड भी अच्छा है. इसी तरह, ABB Power, Linde India, CG Power और Vijaya Diagnostic में भी तेजी देखने को मिली.
(डिस्क्लेमर: शेयर बाजार में निवेश जोखिम के अधीन है. 'BW हिंदी' इसकी कोई जिम्मेदारी नहीं लेता. सोच-समझकर, अपने विवेक के आधार पर और किसी सर्टिफाइड एक्सपर्ट से सलाह के बाद ही निवेश करें, अन्यथा आपको नुकसान उठाना पड़ सकता है).
रिपोर्ट बताती है कि भारत में सरकार की नीतियों और रेग्यूलेटर के समर्थन के कारण रिन्यूएबल एनर्जी के उत्पादन में तेजी से इजाफा हो रहा है.
कोयले का इस्तेमाल भारत में आज से नहीं बल्कि आजादी के पहले से ही अपनी जरूरतों को पूरा करने के भरपूर मात्रा में किया जाता रहा है. आंकड़े बताते हैं कि कोयले का दोहन वक्त के साथ पहली बार बढ़ा है. लेकिन पर्यावरण के लिए खतरनाक कोयले के दोहन को लेकर एक सकारात्मक खबर सामने आई है. बिजली के लिए कोयले के इस्तेमाल के शेयर में कमी आई है. जबकि कोयला बिजली बनाने के काम में अभी भी सबसे बड़े शेयर के साथ टॉप पर बना हुआ है. रिपोर्ट बता रही है कि कोयले के शेयर में कमी रिन्यूएबल एनर्जी के उत्पादन में लगातार हो रहे इजाफे के कारण हुई है.
आखिर क्या कह रहे हैं कोयला इस्तेमाल के आंकड़े?
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, रिपोर्ट के आंकड़े कह रहे हैं कि हमारे देश में बनने वाली बिजली के शेयर में कोयले की हिस्सेदारी 50 प्रतिशत से नीचे चली गई है. हालांकि हमारे देश पावर के लिए कोयले पर निर्भरता अभी भी 70 प्रतिशत बनी हुई है. जबकि रिन्यूएबल एनर्जी बिजली उत्पादन के लिए 71.5 प्रतिशत जिम्मेदार है जिससे आज देश में 13669 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है. ये वो पावर है जो 2024 के पहले क्वॉर्टर में जोड़ी गई है. IEEFA की ओर से जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार, देश में बड़े पैमाने पर रिन्यूएबल एनर्जी के प्लांट स्थापित किए जा रहे हैं जिनकी क्षमता अब तक 69 गीगावाट तक पहुंच चुकी है. ये सरकार की 50 गीगावाट की क्षमता के लक्ष्य को पार कर चुकी है.
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क्या बोले IEEFA के डॉयरेक्टर?
इस रिपोर्ट को जारी करते हुए IEEFA के डॉयरेक्टर विभूति गर्ग ने कहा कि 2019 से लेकर 2022 तक पिछले कुछ कारणों के चलते जिनमें आपूर्ति-श्रृंखला(स्प्लाई चेन) के मुद्दों, कोविड-19 महामारी और रूस के यूक्रेन पर आक्रमण के कारण वैश्विक कीमतों में बढ़ोतरी के कारण बिजली उत्पादन क्षमता में कमी आई है. इस दौरान 2019 से 2022 तक मंदी का भी सामना उत्पादन से जुड़ी ईकाइयों को देखने पड़ा. उन्होंने कहा कि इस मामले में निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ रही है और सरकार से लेकर रेग्यूलेटर के समर्थन के कारण इसका बाजार तेजी से उभर रहा है.
दुनिया के टॉप सोलर प्रोडक्शन देशों में शामिल है भारत
भारत में जिस तेजी से सोलर ऊर्जा का उत्पादन हो रहा है उससे आज हम दुनिया के कई टॉप देशों में शामिल हो गए हैं. आज भारत में रिन्यूएबल एनर्जी का जिस तेजी से उत्पादन हो रहा है उससे भारत तीन टॉप देशों में शामिल हो गया है. अमेरिका और चीन के बाद भारत ऐसा देश है जो सोलर ऊर्जा के उत्पादन को लेकर काम कर रहा है. इस दिशा में हाल ही एंबर की रिपोर्ट जारी हुई है जिसमें भारत की इस स्थिति का जिक्र किया गया है. जबकि भारत 2015 में इस टेली में 9वें नंबर पर था. भारत ने इस टेली में जापान को भी पीछे छोड़ दिया है. वहीं अगर 2023 के आंकड़ों के अनुसार देश में ऊर्जा उत्पादन के आंकड़ों को देखें तो भारत में 18 टेरावॉट घंटे प्रति TWH रहा है. जबकि अमेरिका में +33 टेरावॉट घंटे प्रति TWH, चीन में +156 टेरावाट घंटे प्रति TWH और ब्राजील में +22Twh टेरावाट शामिल है.