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क्या SEBI के चलते टूट गई Zee-Sony की डील? सुभाष चंद्रा ने पत्र में लगाए गंभीर आरोप
सुभाष चंद्रा ने डील टूटने से पहले ही वित्त मंत्री को पत्र लिखकर बाजार नियामक सेबी की भूमिका पर सवाल उठाए थे.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 3 months ago
जी एंटरटेनमेंट (Zee Entertainment) के प्रमोटर सुभाष चंद्रा को शायद पहले ही यह इल्म हो गया था कि ZEE-Sony मर्जर परवान नहीं चढ़ पाएगा. इसलिए उन्होंने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर मामले में हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया था. सुभाष चंद्रा ने अपने पत्र में बाजार नियामक सेबी (SEBI) की भूमिका पर सवाल उठाते हुए वित्त मंत्री से अनुरोध किया था कि ZEE एंटरटेनमेंट के माइनॉरिटी शेयरहोल्डर्स के हितों की रक्षा के लिए कुछ कदम उठाएं. अब जब मर्जर डील रद्द हो गई है, तो चंद्रा का ये पत्र वायरल हो रहा है.
एक-दूसरे पर लगा रहे आरोप
डील रद्द होने पर सोनी ने ZEE से टर्मिनेशन फीस के रूप में 9 करोड़ डॉलर की मांग की है. वहीं, ZEE ने कहा है कि वो Sony के डील तोड़ने के फैसले को अदालत में चुनौती देगा. कंपनी का कहना है कि उसने इस डील को बचाने के लिए हरसंभव प्रयास किया, लेकिन कल्वर मैक्स एंटरटेनमेंट (पहले सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया) ने समझौते को रद्द कर दिया. ZEE और Sony के बीच करीब 2 साल पहले मर्जर के लिए डील हुई थी और इससे देश की सबसे बड़ी ब्रॉडकास्टिंग कंपनी बननी थी. हालांकि, अब ऐसा संभव नहीं हो पाएगा.
टाइमिंग पर उठाया सवाल
इस डील को तमाम तरह की अड़चनें आ रही थीं. बाजार नियामक SEBI की कार्रवाई से डील पर संशय के बादल मंडराने लगे थे. इसी के मद्देनजर सुभाष चंद्रा ने वित्त मंत्री से गुहार लगाईं थी. उन्होंने अपने पत्र में लिखा था - ZEE और सोनी के विलय को रोकने की लगातार कोशिशें हो रही हैं. हमें बाजार नियामक सेबी के जांच की कोई चिंता नहीं है, लेकिन नए नोटिस की टाइमिंग को लेकर जरूर है. हम किसी भी संदेह को लेकर सेबी की जांच रोकने के लिए नहीं कह रहे हैं, लेकिन नए नोटिस में ऐसा कोई पॉइंट हीं नहीं है जो पहले से ही कंपनी के रिकॉर्ड का हिस्सा नहीं है. जो भी पॉइंट हैं, उसकी सारी डिटेल्स पहले ही सेबी को दी जा चुकी है.
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सनसनीखेज बनाने की कोशिश
उन्होंने आगे लिखा कि इस स्तर पर नोटिस जारी करना मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए पूरे मामले को सनसनीखेज बनाने की कवायद प्रतीत होती है. मैंने नवंबर 2018 में सेबी को एक पत्र लिखा गया था, जिसमें Zee के वैल्यूएशन को प्रभावित करने वाली नकारात्मक ताकतों पर इसी तरह की चिंता व्यक्त की थी. चंद्रा ने कहा कि सभी लेंडर्स के साथ बातचीत चल रही है और 40 हजार करोड़ रुपए के कर्ज का करीब 92% हिस्सा चुकाया जा चुका है. चंद्रा ने पत्र में कहा कि शेयर मार्केट रेगुलेटर (SEBI) पूर्व निर्धारित मानसिकता के साथ काम कर रहा है और यह 30 अक्टूबर 2023 को सिक्योरिटीज अपीलेट ट्रिब्यूनल (SAT) के आदेश से भी दिखता है. SAT ने सेबी के उस आदेश को पलट दिया था जिसमें सुभाष चंद्रा और पुनीत गोएनका को जांच पूरी होने तक किसी भी लिस्टेड कंपनी में मैनेजेरियल पोस्ट संभालने से रोक दिया गया था.
क्यों किया जा रहा था मर्जर?
ZEE के साथ सोनी ने 22 जनवरी को मर्जर रद्द कर दिया था. दिसंबर 2021 में इन दोनों कंपनियों ने मर्जर के लिए अग्रीमेंट साइन किया था. Sony ने ZEE पर शर्तों के कथित उल्लंघन का आरोप लगाते हुए करीब 9 करोड़ रुपए की टर्मिनेशन फीस भी मांगी है. ZEE और Sony ने मर्जर का फैसला इसलिए लिया था क्योंकि सोनी भारत में अपने बिजनेस को बहुत ज्यादा बढ़ाने में सफल नहीं हो पा रही थी. वहीं, ZEE पर कर्ज का बोझ था. यदि ये डील फाइनल हो जाती, तो दोनों कंपनियों को फायदा होता. साथ ही 10 अरब डॉलर का एक नया मीडिया संस्थान अस्तित्व में आता. गौरतलब है कि जापान के सोनी कॉर्प की सहायक कंपनी सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया ने भारत में 1995 में अपना पहला टीवी चैनल लॉन्च किया था. वहीं ZEE ने 1992 में अपना पहला चैनल लॉन्च किया था. आज ZEE के देश में 50 चैनल और 40+ इंटरनेशनल चैनल हैं.
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