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जिस Starbucks की रेसिपी हो गई लीक, उसे सफल बनाने वाले को जानते हैं आप?
स्टारबक्स के एक पूर्व कर्मचारी ने उसकी रेसिपीज को लीक कर दिया है. बताया जा रहा है कि आरोपी कर्मचारी नौकरी से निकाले जाने से नाराज था.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 6 months ago
कॉफी के कद्रदानों के बीच स्टारबक्स (Starbucks) बेहद लोकप्रिय है. भारत में भी इस अमेरिकी कंपनी के चाहने वालों की लंबी-चौड़ी फौज है, जिसमें सबसे ज्यादा तादाद युवाओं की है. फिलहाल, Starbucks की चर्चा उसकी रेसिपीज को लेकर हो रही है, जिसे कंपनी के पूर्व कर्मचारी ने लीक कर दिया है. दरअसल, स्टारबक्स ने अपने इस कर्मचारी को नौकरी से निकाल दिया था. इससे नाराज कर्मचारी ने Starbucks की रेसिपीज को सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया है. लीक रेसिपीज में सभी आइटम्स को बनाने के लिए चीजों का सटीक माप दिया गया है.
इसलिए फेमस है कंपनी
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, स्टारबक्स ने अभी तक अपनी रेसिपीज लीक को लेकर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है. रेसिपी को लीक करने वाले कर्मचारी और उसे नौकरी से क्यों निकाला गया था, इसके बारे में भी ज्यादा जानकारी सामने नहीं आई है. बता दें कि स्टारबक्स सिग्नेचर एस्प्रेसो ड्रिंक्स, जैसे कि कैपेचिनो, अमेरिकानो, लैट्टेस के लिए फेमस है. इसके अलावा, उसके कैफे मोचा, जावा चिप फ्रैप्पेचिनो, सिग्नेचर हॉट चॉकलेट और कैरामल मचियाटो को भी काफी पसंद किया जाता है. स्टारबक्स ने अपना पहला स्टोर साल 1971 में खोला था, इसके बाद से कंपनी लगातार आगे बढ़ती गई. आज इसके दुनियाभर में 36,000 से ज्यादा स्टोर हैं. भारत में स्टारबक्स को टाटा ग्रुप चलाता है.
Howard Schultz रहे हैं हीरो
अब जब स्टारबक्स की बात निकली है, तो फिर उस शख्स की बात करना भी जरूरी हो जाता है, जिसने Starbucks को सफलता के इस मुकाम तक पहुंचाया. हॉवर्ड स्कूल्ज (Howard Schultz) Starbucks Coffee के चेयरमैन रहे हैं. सितंबर में उनके कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स से इस्तीफा देने की खबर सामने आई थी. कंपनी ने उन्हें Lifelong Chairman Emeritus का दर्जा दिया है. स्कूल्ज की बेहतर रणनीति की बदौलत ही स्टारबक्स आज इस मुकाम पर है कि बच्चे भी उसका नाम जानते हैं. हॉवर्ड स्कूल्ज का जन्म साल 1953 में न्यूयॉर्क में हुआ. परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी, इसलिए उन्होंने कम उम्र में ही नौकरी शुरू कर दी. इस बीच, पिता की जॉब चले जाने से परिवार पर आर्थिक परेशानियों का पहाड़ टूट गया, लेकिन स्कूल्ज हालातों से लड़ते रहे.
एंट्री-लेवल सेल्समैन
स्कूल्ज के सपने बड़े थे और वो उन सपनों को पूरा करना चाहते थे. इसलिए उन्होंने आगे पढ़ने का फैसला किया. लेकिन पैसों की कमी उनकी इस राह में बाधा थी, इस बाधा को दूर करने के लिए उन्होंने स्कॉलरशिप हासिल की. वह अपने परिवार में यूनिवर्सिटी जाने वाले पहले व्यक्ति थे. हॉवर्ड स्कूल्ज ने Xerox में एंट्री-लेवल सेल्समैन की नौकरी की, ताकि परिवार को संभाल सकें और अपने सपनों को पूरा कर सकें.
कॉफी बीन्स बेची
कुछ समय बाद उन्होंने उन्होंने एक कॉफी रोस्टर में नौकरी की. बता दें कि स्टारबक्स पहले कॉफी रोस्टर था, जो बाद में कॉफी शॉप बना. हॉवर्ड वहां कॉफी बीन्स बेचा करते थे. हालांकि, जल्द ही अपनी काबिलियत के बल पर उन्होंने बड़ा पद हासिल किया. एक बार वह किसी दूसरे कॉफी हाउस गए, जहां का वातावरण उन्हें बेहद पसंद आया. इसके बाद उनके मन में एक ऐसा कॉफी हाउस खोलने की इच्छा हुई, जहां लोग साथ बैठकर कॉफी पी सकें. उन्होंने अपने मालिकों के सामने यह प्रस्ताव रखा, लेकिन उन्होंने उसे ठुकरा दिया. हावर्ड को मालिकों का यह रुख नागवार गुजरा और उन्होंने नौकरी छोड़कर खुद की कॉफी आउटलेट शुरू की.
खरीद लिया स्टारबक्स
1984 में जब हावर्ड को यह पता चला कि स्टारबक्स को बेचा जा रहा है, तो उन्होंने उसे खरीद लिया और फिर अपने सपने पूरे करने में जुट गए. उन्होंने देश-विदेश में कंपनी की शाखाएं खोलीं. नए-नए आईडियाज के दम पर उन्होंने स्टारबक्स को लोगों के बीच फेमस कर दिया. आज स्टारबक्स तेजी विस्तार कर रही है. कुछ पहले कंपनी ने 318 नए आउटलेट्स खोले थे. इसके साथ दुनियाभर में उसके आउटलेट्स की संख्या बढ़कर 36,000 हो गई है. भारत में स्टारबक्स ने टाटा ग्लोबल बेवरेजेज के साथ अक्टूबर 2012 में एंट्री ली थी.
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