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सरकार की इस योजना से इन मोबाइल कंपनियों ने जताई अहसमति, ये बताई वजह
भारत के मौजूदा बाजार में सैमसंग की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा है उसके बाद श्याओमी की दूसरी सबसे बड़ी हिस्सेदारी और तीसरे नंबर पर एप्पल है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 6 months ago
मोबाइल बनाने वाली कंपनियों में सैमसंग और क्वॉलकाम ने सरकार की उस योजना में शामिल होने से मना कर दिया है जिसमें कहा गया था कि मोबाइल कंपनियों को एटीएससी 3 तकनीक को फोन में लगाने पर सोचना चाहिए. कंपनियों ने इसका ये कहकर विरोध किया है कि इसे लगाने से फोन की कीमत में 30 डॉलर तक का इजाफा हो जाएगा. दरअसल सरकार के प्रपोजल के अनुसार मोबाइल के हार्डवेयर में अगर बदलाव किया जाए तो ATSC 3 के जरिए बिना सेलुलर नेटवर्क के लाइव टीवी देखा जा सकता है.
कंपनियों का क्या तर्क है?
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस पूरे मामले में कंपनियों का तर्क है कि भारत में उनके जो मौजूदा मोबाइल फोन हैं वो एटीएससी 3 तकनीक के साथ काम करने के लिए तैयार नहीं हैं. कंपनियों ने ऐसा भी कहा है कि अगर इस तकनीक को उनमें जोड़ने की कोशिश की भी जाती है तो उसकी कीमत 30 डॉलर तक बढ़ सकती है. 30 डॉलर का मतलब है कि कम से कम 2400 रुपये का इजाफा हो जाएगा. कंपनियों ने ये भी कहा है कि ये योजना उनकी भविष्य की निर्माण योजना को बर्बाद कर सकती है.
कई कंपनियों ने लिखा है पत्र
कंपनियों की ओर से कम्युनिकेशन मिनिस्ट्री को लिखे गए एक पत्र में कहा गया है कि अगर इस तकनीक को मोबाइल में जोड़ा जाता है तो इसका असर मोबाइल की बैटरी पर भी पड़ेगा. इससे सेलूलर रिसेप्शन भी खराब हो सकता है. कंपनियों ने ये भी कहा है कि इस तकनीक के एडॉप्शन में कोई मेरिट नजर नहीं आ रही है. इस लेटर को लिखने वाली कंपनियों में सैमसंग, क्वॉलकाम, एरिक्शन और नोकिया जैसी कंपनियां शामिल हैं.
क्यों लाना चाह रही है सरकार ये तकनीक?
दरअसल सरकार लाइव डिजिटल टीवी की इस तकनीक को इसलिए लाना चाह रही है क्योंकि वो सेलूलर नेटवर्क पर इसके जरिए लोड को कम करना चाह रही है. इससे पहले मीडिया रिपोर्ट के अनुसार एप्पल और शाओमी जैसी कंपनियां भी इस तकनीक का विरोध कर चुकी हैं. मौजूदा समय में इस तकनीक को दक्षिण कोरिया और अमेरिका के कुछ इलाकों में लॉन्च किया गया है. मौजूदा समय में सैमसंग के पास 17.2 % हिस्सेदारी है जबकि शाओमी के पास 16.6 % और एप्पल के पास 6 % हिस्सेदारी है.
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