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केंद्र सरकार के साथ इन्फ्लेशन के सुझावों वाले पत्रों को RBI ने क्यों नहीं किया सार्वजनिक?
RBI ने एक RTI में की गयी अपील का जवाब देते हुए बताया कि केंद्र सरकार के साथ अपने पत्र व्यवहार को वह सार्वजनिक नहीं कर सकता.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
भारत के केंद्रीय बैंक, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने एक RTI (राईट टू इन्फोर्मेशन) अपील का जवाब देते हुए बताया कि उसने केन्द्रीय सरकार को रिटेल इन्फ्लेशन के उपायों के बारे में लिखे अपने पत्र को सार्वजनिक इसलिए नहीं किया क्योंकि RBI नहीं चाहता था कि मार्केट में किसी भी तरह से दरार आये और वित्तीय मार्किट में अस्थिरता आये.
RBI और सरकार के बीच किसी भी तरह के पत्र-व्यवहार को खासकर उन पत्रों को जिनमें वित्तीय उपाय सुझाए गए हों सार्वजनिक इसलिए नहीं किये जाते क्योंकि इससे मार्केट की उम्मीदें टूट सकती हैं और यह आर्थिक पॉलिसी के चलन में बाधा उत्पन्न कर सकती हैं. आगे चलकर इस वजह से ग्रोथ की संभावनाएं टूट जाती हैं और यह देश के इकॉनोमिक इंटरेस्ट को भी नुकसान पहुंचाती हैं. दिसंबर में संसद के शीत सत्र के दौरान ही वित्तीय सेवा विभाग के मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए बताया था कि भारत सरकार ने इन्फ्लेशन के बारे में RBI द्वारा भेजी गयी रिपोर्ट को RBI एक्ट 1934 की वजह से सार्वजनिक नहीं किया था.
RBI एक्ट के सेक्शन 45ZN के अनुसार केन्द्रीय बैंक को सरकार को एक रिपोर्ट द्वारा बताना होता है कि बैंक तय किये गए इन्फ्लेशन टारगेट तक न पहुँच पाने के कारणों को बताना होता है. इसके साथ साथ बैंक को इन कारणों को ठीक करने के उपायों, और उपायों के इस्तेमाल के बाद कितने वक्त में इन्फ्लेशन के लिए तय किये गए टारगेट तक पहुंचा जाएगा यह भी बताना होता है. RBI की MPC ((मोनेटरी पॉलिसी कमिटी) ने नवम्बर में मिलकर बैंक द्वारा सरकार को भेजे जाने वाली रिपोर्ट के बारे में बातचीत की थी और तय किया था कि वह सरकार को रिपोर्ट के माध्यम से बतायेंगे कि 2016 में कमिटी के बनाये जाने के बाद यह पहली बार हुआ है कि कमिटी लगातार तीन क्वार्टर्स में इन्फ्लेशन के अपने लक्ष्य को तय नहीं कर पायी.
नवम्बर में एक बैंकिंग कॉन्क्लेव पर बोलते हुए RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि केन्द्रीय बैंक के पास यह शक्ति नहीं है कि वह सरकार को भेजे गए अपने सुझावों वाले पत्र को सार्वजनिक कर सके. हालाँकि उन्होंने यह भी कहा था कि पत्र के कंटेंट को जल्द ही सार्वजनिक किया जाएगा क्योंकि पत्र संसद में जाएगा. लेकिन पत्र को रिलीज नहीं किया गया.
दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों के लिए बढ़ता हुआ इन्फ्लेशन रेट चिंता का विषय बना हुआ है. कोरोना के बाद इकॉनोमिक झटकों से अभी दुनिया पूरी तरह उभर भी नहीं पायी थी कि रूस और युक्रेन के युद्ध से पैदा हुई अनिश्चितताओं ने दुनिया को फिर से परेशान कर दिया. कोविड के बाद ग्लोबल वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि होने से रिकवरी की शुरुआत हुई थी लेकिन युद्ध ने इसे बीच में ही रोक दिया और बहुत ही ज़रूरी वस्तुओं जैसे कोयले, मेटल, एडिबल ऑयल और क्रूड ऑयल की सप्लाई चैन को अव्यवस्थित कर दिया.
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