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मुश्किलों के भंवर में Anil Agarwal, स्टॉक मार्केट में Vedanta के बुरे हाल
दिग्गज कारोबारी और माइनिंग कंपनी वेदांता (Vedanta) के मालिक अनिल अग्रवाल के लिए समय अच्छा नहीं चल रहा है. वह कई परेशानियों में घिर गए हैं.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
गौतम अडानी (Gautam Adani) का बुरा दौर जहां खत्म होता नजर आ रहा है. वहीं, अनिल अग्रवाल (Anil Agarwal) की कंपनी वेदांता (Vedanta) मुश्किलों में घिर गई है. कंपनी के शेयरों में पिछले कुछ कारोबारी सत्रों से गिरावट का दौर जारी है. आज यानी गुरुवार को खबर लिखे जाने तक वेदांता का शेयर एक फीसदी से ज्यादा लुढ़क चुका था. बीते एक महीने में ये 16.19% नीचे आया है. हिंडनबर्ग रिपोर्ट के असर से अडानी समूह के साथ-साथ बाजार के बाहर निकलने के बीच वेदांता के शेयरों का गोता लगाना अनिल अग्रवाल के लिए भी चिंता का विषय है.
वेदांता पर भारी कर्ज
वेदांता पर भारी कर्ज है, जिसे लेकर निवेशक चिंतित हैं. खासकर अडानी समूह का हाल देखकर उनकी चिंता और भी बढ़ गई है. अनिल अग्रवाल भी इस बात को अच्छे से समझते हैं. इसलिए वह कर्ज चुकाने पर फोकस कर रहे हैं, लेकिन उनकी योजनाएं परवान नहीं चढ़ पा रही हैं. हाल में वेदांता ने अपनी एक कंपनी की हिस्सेदारी हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड (Hindustan Zinc Ltd) को बेचने का प्रयास किया था, मगर केंद्र सरकार ने इसमें पेंच फंसा दिया. हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड में सरकार की करीब 30 फीसदी हिस्सेदारी है और वो इस डील से खुश नहीं है.
महंगा हुआ कर्ज लेना
अनिल अग्रवाल इस हिस्सेदारी को बेचकर उससे मिलने वाले पैसों से अपना कुछ कर्ज चुकाना चाहते थे, जो अब संभव नहीं है. इसके अलावा, वैश्विक बाजार की स्थिति को ध्यान में रखते हुए कई सेंट्रल बैंकों ने महंगाई रोकने के लिए ब्याज दरों में इजाफा किया है. इस वजह से वेदांता के लिए फंड जुटाना मुश्किल गया है. कुछ वक्त पहले क्रेडिट रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने कहा था कि यदि वेदांता रिसोर्सेज दो अरब डॉलर जुटाने या अपने जिंक कारोबार को बेचने में नाकाम रहती है, तो उसकी क्रेडिट रेटिंग दबाव में आ जाएगी.
ये है कंपनी का लक्ष्य
पिछले साल अक्टूबर में रेटिंग एजेंसी मूडीज ने वेदांता की होल्डिंग कंपनी वेदांता रिसोर्सेज की रेटिंग डाउनग्रेड कर दी थी. इससे कंपनी की कर्ज चुकाने की क्षमता पर सवाल उठने लगे थे. हालांकि, वेदांता इस रिपोर्ट से इत्तेफाक नहीं रखती. हाल ही में खबर आई थी कि वेदांता ने चालू वित्त वर्ष 2022-23 में अपना 2 अरब डॉलर कर्ज कम कर लिया है. कंपनी ने 3 सालों में अपना कर्ज 4 अरब डॉलर घटाने का लक्ष्य रखा है, जिसमें से आधा तो उसने इसी वित्त वर्ष में हासिल कर लिया है. वेदांता पर कुल 7.7 अरब डॉलर का कर्ज है, जिसे वह जल्द से जल्द कम करने की कोशिश कर रही है.
अग्रवाल के लिए कठिन समय
वेदांता के मालिक अनिल अग्रवाल (Anil Agarwal) के लिए स्थिति बेहद विकट हो गई है. उन्हें कई चुनौतियों का एक साथ सामना करना पड़ रहा है. सबसे बड़ी चुनौती है फंड जुटाने की. यदि वह THL Zinc Ltd Mauritius को हिंदुस्तान जिंक बेच पाते, तो उसके कैश से उनकी परेशानी कुछ कम हो जाती, जो अब संभव नहीं है. अगर वो सरकार के खिलाफ जाकर यह डील करते हैं, फॉक्सकॉन के साथ सेमीकंडक्टर प्लांट लगाने के उनके प्रोजेक्ट पर संकट के बदल मंडरा सकते हैं. इसके अलावा, अगर वो कर्ज उठाकर, कर्ज भुगतान का सोचते हैं, तो पहले से ज्यादा ब्याज दरें, उनकी मुश्किलें और बढ़ाएंगी. कुल मिलाकर अनिल अग्रवाल ने लिए ये समय बेहद कठिन है.
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