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सॉफ्ट ड्रिंक बनाने वाली इस कंपनी को लगा तगड़ा करंट, सीधे 62% कम हो गया मुनाफा
बढ़ती लागत और खर्चों के चलते फूड एवं बेवरेज सेक्टर की दिग्गज कंपनी पेप्सिको का नेट प्रॉफिट पिछले साल के मुकाबले कम हुआ है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
दिग्गज फूड एवं बेवरेज कंपनी PepsiCo India Holdings का मुनाफा घट गया है. वित्त वर्ष 2012 के लिए कंपनी के शुद्ध लाभ यानी नेट प्रॉफिट में 62 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है. पिछले फाइनेंशियल इयर में पेप्सिको इंडिया का नेट प्रॉफिट 73 करोड़ रुपए था, जो घटकर 28 करोड़ रुपए रह गया है.
ऑपरेटिंग रिवेन्यु में सुधार
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, जहां पेप्सिको इंडिया के नेट प्रॉफिट में कमी आई है, वहीं ऑपरेटिंग रिवेन्यु पहले की तुलना में 24% बढ़ा है. पिछले वर्ष में यह 5,032 करोड़ रुपए था और इस बार 6,240 करोड़ रुपए हो गया है. कंपनी के टोटल रिवेन्यु में से 754 करोड़ यानी 12 प्रतिशत वॉटर बिजनेस (मिनरल और Aerated Waters सहित) से आया है. जबकि बाकी (88 प्रतिशत) फूड प्रिपरेशन सेगमेंट से. पेप्सिको इंडिया के पोर्टफोलियो में माउंटेन ड्यू, पेप्सी, स्टिंग, लेज़, कुरकुरे और डोरिटोस जैसे ब्रांड शामिल हैं. इसके कार्बोनेटेड बेवरेजेज वरुण बेवरेजेज उत्पादित और वितरित किया जाता है.
कंपनी के खर्चे भी बढ़े
कंपनी का मुनाफा घटने की एक बड़ी वजह खर्चे बढ़ना है. FY22 में पेप्सिको इंडिया के कुल खर्चे 24% बढ़े हैं. इसमें सबसे ज्यादा हिस्सेदारी स्टॉक-इन-ट्रेड की खरीदारी और विज्ञापन की है. इन पर कंपनी का सबसे ज्यादा खर्चा हुआ है. बता दें कि पेप्सिको 1989 से भारत में है और 1990 के दशक में उसने Duke and Sons का अधिग्रहण किया था. उस समय Duke पश्चिमी भारत में एक बड़ा नाम था.
इनसे है मुकाबला
कार्बोनेटेड सॉफ्ट ड्रिंक बिजनेस में पेप्सिको का सीधा मुकाबला कोका-कोला से है. Coca-Cola के पोर्टफोलियो में थम्स अप, स्प्राइट और कोक शामिल हैं. पैकेज्ड ड्रिंकिंग वॉटर की बात करें, तो पेप्सिको के ब्रैंड Aquafina को बिसलेरी Coca-Cola के किनले के साथ बाजार में हिस्सेदारी शेयर करनी पड़ रही है. इसी तरह, कंपनी ने जूस ब्रैंड ट्रॉपिकाना की लड़ाई डाबर के रियल, मिनट, कोका-कोला के माजा, पारले एग्रो के फ्रूटी और ITC के B नेचुरल के साथ है. वहीं, पेप्सिको इंक. अपने उत्तरी अमेरिकी स्नैक और बेवरेज इकाइयों में कार्य कर रहे कर्मचारियों की छंटनी कर रही है, यह इस संकेत के रूप में है कि कॉर्पोरेट कटौती प्रौद्योगिकी और मीडिया कंपनियों से आगे बढ़ने लगी है.
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