होम / बिजनेस / दिवालिया हो चुकी कर्ज में डूबी इस कंपनी को अपना बनाना चाहते हैं अंबानी और अडानी
दिवालिया हो चुकी कर्ज में डूबी इस कंपनी को अपना बनाना चाहते हैं अंबानी और अडानी
गौतम अडानी और मुकेश अंबानी उन 15 बोलीदाताओं में शामिल हैं, जिन्होंने फ्यूचर रिटेल के अधिग्रहण में रुचि दिखाई है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
एक कर्ज में डूबी कंपनी को अपना बनाने के लिए मुकेश अंबानी और गौतम अडानी आमने-सामने हैं. दोनों अरबपतियों ने फ्यूचर रिटेल लिमिटेड (FRL) को खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है. बिग बाजार रिटेल (Big Bazar) चेन की पैरंट कंपनी फ्यूचर रिटेल लिमिटेड दिवालिया घोषित हो चुकी है. कंपनी पर इतना कर्ज है, जिसे चुका पाना उसके लिए मुमकिन नहीं है. बैंक ऑफ इंडिया ने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) में याचिका दायर करते हुए FRL के खिलाफ दिवालिया कार्यवाही शुरू करने की अपील की थी, जिसे NCLT ने स्वीकार कर लिया था.
ये कंपनी भी दौड़ में शामिल
मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि गौतम अडानी और मुकेश अंबानी की कंपनी उन 15 बोलीदाताओं में शामिल हैं, जिन्होंने फ्यूचर रिटेल की संपत्ति हासिल करने के लिए अपनी रुचि पत्र (EoI) भेजे हैं. इसके अलावा, कैपरी ग्लोबल होल्डिंग्स, ओपी जिंदल ग्रुप की नलवा स्टील एंड पावर, शालीमार कॉरपोरेशन सहित कुछ अन्य कंपनियां भी इस दौड़ में शामिल हैं. यानी एक बार फिर से अंबानी और अडानी सामने आ गए हैं.
लगातार बढ़ रही थी परेशानी
अक्टूबर में ही फ्यूचर समूह की कंपनी फ्यूचर रिटेल लिमिटेड के लिए रुचि पत्र जमा करने की समयसीमा करीब दो हफ्ते बढ़ाकर तीन नवंबर कर दी गई थी. खबरों के अनुसार, संभावित समाधान आवेदकों की अंतिम सूची 20 नवंबर 2022 को प्रकाशित की जाएगी और समाधान योजना जमा करने की अंतिम तारीख 15 दिसंबर 2022 है. फ्यूचर रिटेल पिछले काफी समय से परेशानियों का सामना कर रही थी, कंपनी पर कर्ज लगातार बढ़ता जा रहा था, जिसके चलते उसे दिवालिया घोषित किया गया.
कंपनी पर भारी-भरकम कर्जा
फ्यूचर रिटेल लिमिटेड समय पर 5,322.32 करोड़ रुपए अदा नहीं कर सकी थी, उस पर बैंक ऑफ इंडिया का सबसे ज्यादा कर्ज है. इसके अलावा, कंपनी अमेजन द्वारा शुरू की गई कानूनी के चलते भी काफी परेशानी से गुजरी है. दरअसल, अमेरिकी ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन (Amazon) नहीं चाहती थी कि फ्यूचर रिटेल को दिवालिया घोषित किया जाए. उसने इसे बैंक और कंपनी की मिलीभगत करार दिया था. अमेजन ने दिवालिया प्रक्रिया रोकने के लिए NCLT में अपील की थी, उसने कहा था कि अभी इस मामले में RFL को दिवाला घोषित करने की कार्रवाई शुरू करने से उसके अधिकारों के साथ ‘समझौता’ होगा, लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ.
क्या था Amazon से विवाद?
रिटेल बाजार में पकड़ बनाने के लिए फ्यूचर समूह ने अगस्त 2020 में फ्यूचर रिटेल के अधिग्रहण के लिए रिलायंस के साथ 24,713 करोड़ रुपए की डील की थी, लेकिन अमेजन ने पुराने समझौता का हवाला देते हुए इसपर एतराज जताया, जिससे यह सौदा कानूनी लड़ाई में फंस गया. दरअसल, इसके पीछे अमेजन और फ्यूचर समहू के बीच अगस्त 2019 में हुई डील थी. उस समय अमेजन ने फ्यूचर समूह की कंपनी फ्यूचर कूपंस की 49 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी थी. यह डील 1431 करोड़ रुपए में फाइनल हुई थी और फ्यूचर कूपंस की फ्यूचर रिटेल में 9.8 फीसदी हिस्सेदारी है. इसके अलावा 2019 की डील में इस बात पर सहमति बनी थी कि अगले 3-10 साल के भीतर अमेजन, फ्यूचर रिटेल की हिस्सेदारी खरीदने की हकदार होगी.
टैग्स