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इतिहास रचने वाली MRF की वित्तीय सेहत हुई मजबूत, फिर शेयरों में क्यों आई कमजोरी?
टायर कंपनी एमआरएफ के शेयर आज स्टॉक मार्केट में लाल निशान पर कारोबार करते नजर आए.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 3 months ago
टायर बनाने वाली दिग्गज कंपनी MRF की आर्थिक सेहत में कुछ मजबूती आई है. कंपनी ने चालू वित्त वर्ष 2023-24 की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही के नतीजे (Q3 Results) जारी कर दिए हैं, जो इस बात की गवाही दे रहे हैं. MRF का नेट प्रॉफिट इस तिमाही में सालाना आधार पर (YoY) 191% की बढ़ोत्तरी के साथ 509.71 करोड़ रुपए रहा है, जो वित्त वर्ष 2022-23 में 174.83 करोड़ रुपए था. बता दें कि MRF स्टॉक मार्केट में सबसे महंगे शेयर वाली कंपनी है. इसका शेयर सामान्य निवेशकों की पहुंच से बहुत दूर जा चुका है.
रिवेन्यु में भी हुआ इजाफा
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, MRF ने आज यानी शुक्रवार को शेयर बाजार को बताया कि चालू वित्त वर्ष के पहले 9 महीने में उसका एकीकृत शुद्ध लाभ बढ़कर 1,685.12 करोड़ रुपए रहा, जबकि पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में यह 428.29 करोड़ था. इस तिमाही में ऑपरेशनल रिवेन्यु सालाना आधार पर 9% बढ़कर 6,162.46 करोड़ रुपए हो गया, जो एक साल पहले की अवधि में 5,644.55 करोड़ था. हालांकि, तिमाही आधार पर कंपनी के प्रॉफिट और रिवेन्यु में कुछ कमी देखने को मिली है. शायद इसी के चलते MRF के स्टॉक में आज गिरावट आई.
गिरावट के साथ बंद हुए शेयर
दिसंबर तिमाही में MRF का कुल खर्च 5,557.67 करोड़ रहा, जो सितंबर तिमाही में 5,497.21 करोड़ रुपए था. यानी कंपनी के खर्चों में इजाफा हुआ है. एक साल पहले की बात करें, तो इसी तिमाही में कंपनी का खर्चा 5,484.72 करोड़ रुपए था. उधर, कंपनी के बोर्ड ने 31 मार्च, 2024 को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष के लिए 3 रुपए प्रति शेयर का दूसरा अंतरिम डिविडेंड भी घोषित कर दिया है. डिविडेंड के लिए रिकॉर्ड डेट 21 फरवरी, 2024 निधारित की गई है. वहीं, MRF के शेयर की बात करें, तो इसमें शुक्रवार को गिरावट देखने को मिली. 3.76% लुढ़ककर यह 1,37,120 रुपए के लेवल पर आ गया. बता दें कि कुछ दिन पहले इस स्टॉक ने इतिहास रचते हुए डेढ़ लाख का आंकड़ा पर कर लिया था. यानी कंपनी का 1 शेयर डेढ़ लाख रुपए का हो गया था.
इस तरह अस्तित्व में आई MRF
MRF के फाउंडर केरल के एक ईसाई परिवार में जन्मे केएम मैमन मापिल्लई (K. M. Mammen Mappillai) हैं. उन्होंने 1946 में चेन्नई में गुब्बारे बनाने की एक छोटी यूनिट लगाई थी. सबकुछ बढ़िया चल रहा था, फिर मापिल्लई ने देखा कि एक विदेशी कंपनी टायर रीट्रेडिंग प्लांट को ट्रेड रबर की सप्लाई कर रही है. तब उनके दिमाग में भी ऐसा कुछ करने का आईडिया आया. बता दें कि रीट्रेडिंग पुराने टायरों को दोबारा इस्तेमाल करने लायक बनाने को कहा जाता है. जबकि ट्रेड रबर टायर का ऊपरी हिस्सा होती है. इसके बाद मापिल्लई ने अपनी सारी पूंजी ट्रेड रबर बनाने के बिजनेस में लगा दी और इस तरह मद्रास रबर फैक्ट्री (MRF) का जन्म हुआ.
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