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सरकार के एक आदेश से क्यों परेशान हैं मोबाइल कंपनियां, आपकी जेब पर कैसे होगा असर?
नाविक को सपोर्ट करने वाले मोबाइल फोन तैयार करने के लिए कंपनियों को उनका हार्डवेयर बदलना होगा, जो खर्चीला काम है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
स्मार्टफोन बनाने वालीं कंपनियां जैसे कि सैमसंग, शाओमी, एप्पल और वीवो मोदी सरकार के एक आदेश से परेशान हैं. इस आदेश पर अमल के लिए उन्हें अपने स्मार्टफोन के हार्डवेयर में बदलाव करना होगा, जिससे स्मार्टफोन बनाने की लागत बढ़ेगी. इसके अलावा भी उन्हें कई अन्य तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. चलिए समझते हैं कि आखिर पूरा माजरा क्या है?
अभी GPS होता है इस्तेमाल
सरकार ने मोबाइल कंपनियों से कहा है कि अब उन्हें अपने स्मार्टफोन को घरेलू नेविगेशन सिस्टम के मुताबिक बनाना होगा. फिलहाल कंपनियां नेविगेशन के लिए ग्लोबल पोजीशनिंग सिस्टम (GPS) का इस्तेमाल करती हैं. इसका मतलब हुआ कि सरकार के आदेश पर अमल के लिए उन्हें हाईवेयर में बदलाव करना होगा. जाहिर है, इससे उनकी लागत बढ़ेगी.
कंपनियों ने जताई आपत्ति
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस संबंध में कुछ बैठकें भी हुई हैं, जिनमें एप्पल इंक, शाओमी कॉर्प और सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स के प्रतिनिधियों ने सरकार के इस फैसले पर आपत्ति जताई थी. कंपनियों का कहना है कि स्मार्टफोन को नाविक कंप्लायंट बनाने का मतलब होगा, ज्यादा रिसर्च और उत्पादन लागत में इजाफा. इसके साथ ही उन्हें ज्यादा टेस्टिंग की मंजूरी की भी ज़रूरत होगी. बता दें कि सरकार ने इसके लिए एक जनवरी की डेडलाइन तय की है. वहीं, कंपनियों का कहना है कि इससे कारोबार करने और नए लॉन्च में रुकावटें आ सकती हैं.
ये है सरकार की योजना
मोदी सरकार विदेशी सामान-टेक्नोलॉजी पर निर्भरता कम करना चाहती है. इसी के मद्देनजर मोबाइल फोन में 'नाविक' के इस्तेमाल का फैसला लिया गया है. फिलहाल स्मार्टफोन में नेविगेशन के लिए ग्लोबल पोजीशनिंग सिस्टम (GPS) का इस्तेमाल हो रहा है. सरकार का मानना है कि नाविक से नेविगेशन को और बेहतर बनाया जा सकता है, क्योंकि यह ज्यादा सटीक है और इससे देश की अर्थव्यवस्था को भी फायदा होगा.
क्या है नाविक नेविगेशन सिस्टम?
नाविक भारत का अपना सैटेलाइट नेविगेशन सिस्टम है, जिसे इसरो ने तैयार किया है. सरल शब्दों में समझें तो जिस तरह अमेरिका के पास GPS है, रूस के पास ग्लोनॉस है, यूरोप के पास गैलीलियो और चीन के पास BeiDou नेविगेशन सिस्टम है, उसी तरह भारत के पास भी खुद का नाविक (NavIC) नेविगेशन सिस्टम है. इसरो का दावा है कि NavIC नेविगेशन सिस्टम GPS की तुलना में ज्यादा सटीक जानकारी देता है. बता दें कि नाविक काफी सालों से मौजूद है, लेकिन इसका इस्तेमाल बेहद कम होता है. लिहाजा सरकार चाहती है कि स्मार्टफोन कंपनियां 2023 से ऐसे फोन बाजार में उतारें, जो नाविक को सपोर्ट करते हों.
महंगे हो सकते हैं फोन
नाविक को सपोर्ट करने वाले मोबाइल फोन तैयार करने के लिए कंपनियों को उनका हार्डवेयर बदलना होगा, जो खर्चीला काम है. यानी कंपनियों के लिए प्रति स्मार्टफोन की लागत बढ़ जाएगी. ऐसे में वो इस बढ़ी हुई लागत का कुछ बोझ ग्राहकों पर भी डालेंगी. यही अमूमन होता है, जब कंपनियों की प्रोडक्शन कॉस्ट बढ़ती है, तो वह प्रोडक्ट महंगा कर देती हैं. लिहाजा, इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि आने वाले समय में स्मार्टफोन महंगे हो सकते हैं.
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