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Electoral Bonds पर क्या सोचती है सरकार, निर्मला सीतारमण ने कही 'मन' की बात
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद चुनाव आयोग ने SBI से मिले विवरण को अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर दिया है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 month ago
इलेक्टोरल बॉन्ड्स (Electoral Bonds) विवाद पर सरकार की प्रतिक्रिया आ गई है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) का कहना है कि इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर पूरी चर्चा केवल अनुमानों पर आधारित है. उन्होंने पूछा कि क्या इलेक्टोरल बॉन्ड्स से पहले का सिस्टम पूरी तरह परफेक्ट था? मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, फाइनेंस मिनिस्टर ने एक कार्यक्रम में स्वीकार किया कि यह परफेक्ट सिस्टम नहीं है, लेकिन यह भी कहा कि पिछले सिस्टम से बेहतर है.
कोर्ट में है मामला
निर्मला सीतारमण ने आगे कहा कि हमें इससे सीखने की जरूरत है. इस संबंध में कोई नया कानून आएगा या नहीं, अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है. लेकिन इतना तय है कि सरकार इस सिस्टम को और पारदर्शी बनाने के लिए प्रयास करती रहेगी. वित्त मंत्री ने कहा कि मामला अब भी सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है. इसे लेकर कोई नया कानून आएगा या नहीं, मैं इस पर टिप्पणी नहीं कर रही हूं. यह भले ही परफेक्ट सिस्टम न हो, लेकिन पहले की व्यवस्था से बेहतर है.
SBI को फिर फटकार
उधर, इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) से पूरी जानकारी देने को कहा है. कोर्ट ने एसबीआई को नोटिस जारी कर पूछा है कि उसने बॉन्ड के यूनिक नंबर निर्वाचन आयोग को क्यों नहीं दिए. कोर्ट ने एसबीआई से सोमवार तक जवाब मांगा है. चीफ जस्टिस (CJI) की अध्यक्षता वाली संवैधानिक पीठ ने एसबीआई से कहा कि हमारा निर्देश बहुत ही स्पष्ट था. हमने पूरा ब्योरा देने को कहा था, लेकिन आपने यूनिक नंबर की जानकारी नहीं दी. एसबीआई को इसकी जानकारी देनी ही पड़ेगी. अदालत ने एसबीआई को 18 मार्च तक का समय दिया है.
पूरी जानकारी नहीं दी
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद SBI ने इलेक्टोरल बॉन्ड का विवरण चुनाव आयोग को सौंपा था, जिसे आयोग ने अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर दिया है. चुनाव आयोग ने दो लिस्ट अपलोड की हैं. एक में बॉन्ड खरीदने वालों की जानकारी है और दूसरी में राजनीतिक दलों को मिले इलेक्टोरल बॉन्ड का ब्यौरा दिया गया है. हालांकि, यह जानकारी सामने नहीं आई है कि किसने किस पार्टी को कितना चंदा दिया है. इसका पता यूनिक नंबर से चल सकता है. वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में यह मुद्दा उठाया था. उन्होंने कहा था कि बॉन्ड के सीरियल नंबर नहीं दिए गए हैं, जिससे यह पता चलेगा कि आखिर बॉन्ड किसके लिए खरीदे गए हैं.
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