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क्या बंद होने वाला है ऑनलाइन दवाओं का बाजार? इस Letter में कही गई ये बड़ी बात
संगठन का दावा है कि ऑनलाइन दवा विक्रेता नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं और लोगों की जान जोखिम में डाल रहे हैं.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 11 months ago
ऑनलाइन शॉपिंग के दौर में दवाएं भी घर बैठे मांगने का ट्रेंड चल पड़ा है. ऑनलाइन दवाएं अपेक्षाकृत सस्ती मिल जाती हैं, इसलिए उनकी डिमांड बढ़ती जा रही है और नई-नई कंपनियां इस मार्केट में कूदती जा रही हैं. हालांकि, दवाओं की ऑनलाइन बिक्री का विरोध भी हो रहा है. सरकार खुद इसके पक्ष में नजर नहीं आ रही है. ऑल इंडिया ऑर्गनइजेशन ऑफ केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट (AIOCD) ने इसके संबंध में कैबिनेट सेक्रेटरी को पत्र लिखा है. इस पत्र में सरकार से ऑनलाइन दवाओं की बिक्री पर बैन लगाने की मांग की गई है.
सरकार के पास 6 सप्ताह का समय
वहीं, दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को ई-फार्मेसियों के लिए प्रस्तावित नियमों के संबंध में हितधारकों के साथ परामर्श करने और विचार-विमर्श करने के लिए छह सप्ताह का समय दिया है. दरअसल, उच्च न्यायालय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा प्रकाशित मसौदा नियमों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें दवाओं की 'अवैध' ऑनलाइन बिक्री पर प्रतिबंध लगाने और ड्रग एवं कॉस्मेटिक नियमों में संशोधन की बात कही गई है. बता दें कि ई-फार्मेसियों को नियंत्रण में लाने के लिए नए कानून पर मंथन चल रहा है. मंत्रियों के समूह का मानना है कि ई-फॅार्मेसी से सबसे ज्यादा खतरा निजी जानकारी को लेकर है. ऑनलाइन दवा मंगाने वाले व्यक्ति का डाटा स्टोर किया जा रहा है, जिसका दुरुपयोग किया जा सकता है.
नियमों के उल्लंघन का हवाला
AIOCD ने अपने लेटर में सरकार से ऑनलाइन दवाओं की खरीद-बिक्री रोकने की मांग की है. संगठन का दावा है कि ऑनलाइन दवा विक्रेता नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं और लोगों की जान जोखिम में डाल रहे हैं. देश के लगभग 13 लाख केमिस्ट और वितरकों का प्रतिनिधित्व करने वाले इस संगठन ने 2018 के दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश का उल्लेख किया, जिसने पहले बिना लाइसेंस के ई-फार्मेसी के माध्यम से इंजेक्शन बेचने पर प्रतिबंध लगा दिया था. हालांकि, इस आदेश के बावजूद ई-फार्मेसियों का संचालन जारी है. ये ई-फार्मेसियां साढ़े चार साल से अधिक समय से चल रही हैं.
नोटिस के बावजूद कार्रवाई नहीं
एआईओसीडी ने कहा कि केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मंडाविया ने अवैध ई-फार्मेसियों को नोटिस जारी किया था, लेकिन इसके बावजूद उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई. पत्र में यह भी कहा गया है कि 2020 में संयुक्त औषधि नियंत्रक को इस संबंध में एक लिखित याचिका भी प्रस्तुत की थी, जिसमें कहा गया था कि 1940 और 1945 के ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स अधिनियम में ऑनलाइन फार्मेसी के लिए कोई प्रावधान नहीं है. संगठन का कहना है कि चूंकि दवाओं की ऑनलाइन बिक्री का मामला सरकार के विचाराधीन है, इसलिए दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार दवाओं की ऑनलाइन बिक्री पर तुरंत रोक लगाई जानी चाहिए.
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