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सुनिए सरकार, आम जनता के लिए महंगाई और बेरोजगारी ही है सबसे बड़ी टेंशन
एक सर्वे में यह बात सामने आई है कि देश में महंगाई और बेरोजगारी लोगों को सबसे ज्यादा परेशान किए हुए है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
मोदी सरकार के लिए महंगाई और बेरोजगारी (Inflation And Unemployment) भले ही कोई मुद्दा न हो, लेकिन आम जनता इनसे सबसे ज्यादा चिंतित है. एक सर्वे में यह सामने आया है कि देशवासी पहले नंबर पर महंगाई और दूसरे नंबर पर बेरोजगारी से परेशान हैं. सर्वे के मुताबिक, मार्च 2023 में महंगाई को लेकर 50 फीसदी और बेरोजगारी को लेकर 43 फीसदी लोग चिंतित हैं. हालांकि, फरवरी के मुकाबले ये आंकड़ा थोड़ा कम जरूर है, लेकिन महंगाई और बेरोजगारी आम जनता के लिए मुद्दा बनी हुई हैं.
चढ़ती कीमतों ने किया परेशान
इप्सोस (Ipsos) के 'व्हाट वरीज द वर्ल्ड ग्लोबल मंथली सर्वे' के परिणाम बताते हैं कि मार्च 2023 में भी लोगों के लिए महंगाई और बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा है. लोग असमान छूती कीमतों से परेशान हैं और रोजगार की कमी उनकी परेशानियों को और बढ़ा रही है. फरवरी के सर्वेक्षण में 52 प्रतिशत लोगों ने महंगाई और 45 फीसदी ने बेरोजगारी को चिंता की मुख्य वजह बताया था.
इंडिया की टॉप 5 चिंताएं
इप्सोस इंडिया के सीईओ अमित अदारकर ने कहा कि हर महीने हम 'व्हाट वरीज द वर्ल्ड मंथली सर्वे' के माध्यम से न केवल भारत, दुनियाभर के सबसे महत्वपूर्ण सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर जनता की राय जानते हैं. भारतीय नागरिकों की टॉप 5 चिंताएं- मुद्रास्फीति (50 प्रतिशत), बेरोजगारी (43 प्रतिशत), गरीबी एवं सामाजिक असमानता (25 प्रतिशत), वित्तीय एवं राजनीतिक भ्रष्टाचार (24 प्रतिशत) और अपराध एवं हिंसा (22 प्रतिशत) हैं. वहीं, वैश्विक नागरिकों ने बताया कि वे मुद्रास्फीति (42 प्रतिशत), गरीबी एवं सामाजिक असमानता (31 प्रतिशत), अपराध एवं हिंसा (29 प्रतिशत), बेरोजगारी (28 प्रतिशत) और वित्तीय एवं राजनीतिक भ्रष्टाचार (26 प्रतिशत) से सबसे अधिक चिंतित हैं.
देश को लेकर ये है नजरिया
अमित अदारकर ने कहा कि भारत और दुनिया के अन्य देशों से लोग लगभग एक समान चिंताओं से जूझ रहे हैं. कोरोना महामारी, वैश्विक आर्थिक मंदी और यूक्रेन युद्ध ने आम आदमी का जीवन मुश्किल बना दिया है. इसके अलावा, मार्च में अप्रत्याशित बारिश और मानसून पर अल-नीनों के प्रभाव जैसी बातों ने इस चिंता को और बढ़ा दिया है. सर्वे में शामिल 10 में 8 (58 फीसदी) भारतवासियों का यह भी मानना है कि देश सही दिशा में आगे बढ़ रहा है. सर्वे के दौरान उभरते सबसे आशावादी राष्ट्र में पहले नंबर पर इंडोनेशिया (83 प्रतिशत) उसके बाद सिंगापुर (82 प्रतिशत), मलेशिया (66 प्रतिशत) और भारत (58 प्रतिशत) रहा. फरवरी में भारत का स्कोर 61 फीसदी था और जनवरी में 65% यानी इस लिहाज से मार्च में भारत को आशावादी राष्ट मानने वालों की संख्या में कमी आई है.
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