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कमजोर पड़ती देश की विकास दर पूरा कर पाएगी कामगारों के सपने?
देश की विकास दर लगातार कमजोर पड़ रही है. ग्लोबल इकॉनमी की अनिश्चितताओं और बढ़ते इंटरेस्ट रेट्स की वजह से देश की इकॉनमी पर दबाव बढ़ रहा है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
वित्त वर्ष 23 के तीसरे क्वार्टर यानि अक्टूबर से दिसम्बर के बीच भारत की विकास दर की रफ्तार धीमी हुई है. कमजोर पड़ती मांग और बढ़ते इंटरेस्ट रेट्स की वजह से भविष्य में इसके और ज्यादा धीमे पड़ने की उम्मीदें लगायी जा रही है. अप्रैल – मई क्वार्टर के दौरान जहां इकॉनमी में 13.5% की वृद्धि देखने को मिली थी, वहीं जुलाई – सितम्बर क्वार्टर के दौरान यह 6.3% की रफ्तार पर स्थिर हो गयी थी. इसी बीच भारत के केन्द्रीय बैंक, RBI (भारतीय रिजर्व बैंक) की MPC (मोनेटरी पॉलिसी कमेटी) के अध्यक्ष जयंत वर्मा ने अपने बयान में कहा है, कि भारत की विकास दर बहुत कमजोर है और यह कामगारों की आकांक्षाओं को पूरा नहीं कर सकती.
MPC कमेटी के अध्यक्ष RBI गवर्नर शक्तिकांत दास हैं और यह कमेटी इन्फ्लेशन से निपटने के लिए आवश्यक पॉलिसी रेट यानी रेपो-रेट में बदलाव के लिए काम करती है. जयंत ने अपने बयान में आगे बताया, कि भारत में साल 2022-2023 के बीच उन्हें इन्फ्लेशन के ज्यादा रहने की उम्मीद है, वहीं साल 2023-2024 के दौरान इन्फ्लेशन में कमी आ सकती है. साथ ही उन्होंने कहा – विकास दर बहुत ही कमजोर है और आर्थिक दबाव के चलते मांग में भी कमी हो रही है. EMI (आसन मासिक किश्त) में वृद्धि की वजह से परिवारों के बजट पर दबाव बढ़ रहा है और खर्चों में कमी आ रही है इसके साथ-साथ निर्यातों में भी समस्या आ रही है. आपको बता दें, कि ज्यादा इंटरेस्ट रेट्स से प्राइवेट कैपिटल इन्वेस्टमेंट में समस्या आती है. जयंत ने कहा कि सरकार अभी राजस्व इकट्ठा करना चाहती है और इसीलिए इस स्त्रोत से इकॉनमी को मिलने वाले सपोर्ट को कम कर रही है.
अपने बयान में आगे जयंत ने कहा – इन सभी कारणों के चलते हमारी विकास दर कमजोर पड़ रही है और देश की जनसंख्या एवं इनकम लेवल को देखते हुए मुझे डर है कि यह बढ़ते कामगारों की आकांक्षाओं को पूरा नहीं कर पाएगी. साल 2023-2024 के लिए RBI ने भारत की विकास दर 6.4% रहने का अंदेशा जताया था. NSO (राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय) के पहले एडवांस अनुमान के मुताबिक, 2022-2023 के दौरान देश की GDP (सकल घरेलु उत्पाद) के 7% रहने की आशंका जताई गयी थी. 2022-2023 के इकॉनोमिक सर्वे ने अगले वित्त वर्ष में GDP के आधारभूत विकास के 6.5% रहने की उम्मीद जताई थी.
फिलहाल IIM अहमदाबाद में प्रोफेसर के पद पर कार्यरत जयंत वर्मा ने कहा – कोरोना महामारी और युक्रेन युद्ध के परिणामस्वरूप पैदा हुई मुश्किलें कम होने के साथ ही आने वाले महीनों में ग्लोबल इन्फ्लेशन का दबाव कम हो जाएगा. दुनिया युद्ध के साथ जीना सीख रही है और दुनिया भर में आर्थिक दबाव की वजह से आर्थिक विकास पर खतरा बढ़ रहा है. इस वक्त रेपो-रेट में आवश्यक इजाफा हो चुका है और अब MPC को इन्तजार करना होगा कि स्थिति किस प्रकार से बेहतर हो सकती है.
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