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Startups पर क्यों है IT डिपार्टमेंट की नजर, क्यों भेजे जा रहे हैं उन्हें नोटिस?
आयकर विभाग ने शनिवार को भी कुछ स्टार्टअप को नोटिस भेजकर जानकारी मांगी है. पिछले एक महीने से यह सिलसिला चल रहा है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 8 months ago
पिछले कुछ वक्त में देश में स्टार्टअप (Startups) की संख्या में तेजी आई है. इन स्टार्टअप में निवेश करने वालों में कई बड़े-बड़े नाम भी शामिल हैं. आजकल इन्वेस्टर्स ट्रेडिशनल इन्वेस्टमेंट्स के बजाए दमदार बिजनेस आईडिया वाले स्टार्टअप में पैसा लगाना ज्यादा पसंद करते हैं, क्योंकि उन्हें बेहतर रिटर्न की उम्मीद होती है. कई स्टार्टअप ने यह साबित भी करके दिखाया है, इस वजह से उनमें निवेश करने वालों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है. अब इन निवेशकों पर आयकर विभाग (IT Department) की नजरें टिक गई हैं. विभाग की तरफ से उन्हें नोटिस भेजे जा रहे हैं.
इसलिए भेजे हैं नोटिस
मीडिया रिपोर्ट्स एक अनुसार, आयकर विभाग ने आज यानी शनिवार को कुछ स्टार्टअप्स को नोटिस भेजकर उनसे निवेशकों के बारे में जानकारी मांगी है. विभाग इन निवेशकों की साख जांचना चाहता है. साथ ही यह भी सत्यापित करना चाहता है कि निवेश की गई राशि निवेशकों द्वारा घोषित आय के अनुरूप है या नहीं. आईटी डिपार्टमेंट से मिल रहे नोटिस से स्टार्टअप मालिक परेशान हैं. हालांकि, विभाग का कहना है कि सबकुछ नियमों के अनुसार हो रहा है और निवेशकों से जुड़ी हर जानकारी प्रदान करना कंपनी की जिम्मेदारी है.
अश्नीर ने उठाया है सवाल
अक्सर अपने बयानों से विवाद खड़ा कर देने वाले Bharat Pe के पूर्व फाउंडर अशनीर ग्रोवर ने इस मुद्दे को लेकर हाल ही में एक ट्वीट किया था. उन्होंने लिखा था - पिछले एक महीने में, कई स्टार्टअप्स को आयकर नोटिस प्राप्त हुए हैं, जिसमें शेयरधारकों के बारे में जानकारी मांगी गई है. यह काफी अजीब है कि आयकर विभाग स्टार्टअप कंपनियों से सभी शेयरधारकों का 3 साल का ITR प्रस्तुत करने के लिए कह रहा है. स्टार्टअप के पास शेयरधारकों का आईटीआर कैसे और क्यों होगा?
सवाल पर मिला ये जवाब
अश्नीर ने आगे कहा था कि जिन स्टार्टअप को नोटिस मिले हैं उनमें से कुछ उनके पोर्टफोलियो में भी हैं. उनका सवाल है कि एक शेयरधारक/व्यक्ति अपना ITR किसी निजी कंपनी के साथ क्यों साझा करेगा? अश्नीर ग्रोवर ने केंद्रीय वित्त मंत्रालय से भी इस पर गौर करने को कहा है. वहीं, अश्नीर के सवाल के जवाब में आयकर विभाग ने लिखा है - आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 68 जिसके तहत मूल्यांकन अधिकारी (एओ) ने शेयरधारक/निवेशक की साख के बारे में पूछताछ की है. कंपनी को निवेशकों की पहचान, निवेशक की साख और लेनदेन की वास्तविकता को साबित करना होगा.
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