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खुशखबरी! रिजर्व बैंक के गवर्नर ने बताया, किस महीने से कम हो जाएगी महंगाई
महंगाई से त्राहिमाम कर रही देश की जनता को अगले कुछ महीनों में इससे मुक्ति मिल सकती है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
नई दिल्लीः महंगाई से त्राहिमाम कर रही देश की जनता को अगले कुछ महीनों में इससे मुक्ति मिल सकती है. भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने इस बात का संकेत देते हुए कहा कि लोगों की दिवाली अच्छे से मने इसके लिए रिजर्व बैंक जल्द ही कुछ और कदम उठाने जा रहा है.
लेने होंगे कुछ सख्त फैसले
इकोनॉमी को महंगाई के जंजाल से मुक्त कराने के लिए जल्द ही कुछ और सख्त फैसले लिए जाएंगे ताकि महंगाई पर काबू पाया जा सके. फिलहाल आरबीआई की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी ने रेपो रेट को बढ़ाकर के 4.90 फीसदी कर दिया है. वहीं महंगाई दर का रिजर्व बैंक ने अनुमान 6.7 फीसदी लगाया है. रेपो रेट में इसलिए बढ़ोतरी की गई थी ताकि महंगाई पर काबू पाया जा सके. इसके परिणाम भी दिखने लगे हैं.
रिकवरी का संकेत बेहतर
कौटिल्य आर्थिक सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में बोलते हुए दास ने कहा कि मौजूदा समय में सप्लाई आउटलुक बेहतर नजर आ रहा है. सभी इंडेक्टर्स वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही में अर्थव्यवस्था की बेहतर रिकवरी के संकेत दे रहे हैं.
दूसरी छमाही में कम होगी महंगाई
वित्त वर्ष 2022-23 की दूसरी छमाही (अक्टूबर से मार्च के बीच) में महंगाई में कमी आने की उम्मीद है, जिससे अर्थव्यवस्था की दिक्कतें कम होंगी. उन्होंने संकेत दिया कि महंगाई में कमी आने पर आरबीआई को कठोर मॉनिटरी पॉलिसी वाले फैसले लेने की दरकार नहीं पड़ेगी.
मूल्य स्थिरता महत्वपूर्ण
उन्होंने कहा कि वृहद आर्थिक और वित्तीय स्थिरता बनाए रखने के लिए मूल्य स्थिरता महत्वपूर्ण है और इसलिए केंद्रीय बैंक व्यापक आर्थिक स्थिरता को बनाए रखने और बढ़ावा देने के उपाय करेगा. दास ने कहा, ‘‘हालांकि, हमारे नियंत्रण से परे कारक शॉर्ट टर्म में मुद्रास्फीति को प्रभावित कर सकते हैं, लेकिन मीडियम टर्म में इसकी चाल मौद्रिक नीति द्वारा निर्धारित होगी. इसलिए मौद्रिक नीति को मुद्रास्फीति को स्थिर करने के लिए समय पर कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि अर्थव्यवस्था को मजबूत स्थिति में और सतत वृद्धि की राह पर कायम रखा जा सके.’’
दिसंबर तक ऊंची रहेगी मुद्रास्फीति
कुछ दिन पहले दास ने एक इंटरव्यू में कहा था कि भारत की खुदरा मुद्रास्फीति दिसंबर तक 6 फीसदी से अधिक रहेगी और फिर नीचे आ जाएगी. उन्होंने कहा, “हम मुद्रास्फीति को कम करने के लिए सही रास्ते पर हैं. दिसंबर तक, सीपीआई मुद्रास्फीति निर्धारित दायरे से अधिक रहने का अनुमान है. इसके बाद हमारे वर्तमान अनुमानों के अनुसार इसके 6 फीसदी से नीचे जाने की उम्मीद है. मुद्रास्फीति का दबाव होगा और केवल चौथी तिमाही में हमने इसे 6 फीसदी से नीचे जाने का अनुमान लगाया है.”
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