होम / बिजनेस / Narayana Murthy ने जिस बहस को दिया जन्म, उसमें अब कूदे Harsh Goenka
Narayana Murthy ने जिस बहस को दिया जन्म, उसमें अब कूदे Harsh Goenka
नारायण मूर्ति ने भारत की कम कार्य क्षमता यानी वर्क प्रोडक्टिविटी पर चिंता जाहिर की थी. उन्होंने कहा था कि युवाओं को हर हफ्ते 70 घंटे काम करना चाहिए.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 6 months ago
इंफोसिस के फाउंडर नारायण मूर्ति (Narayana Murthy) की हफ्ते में 70 घंटे काम करने की सलाह पर पूरे देश में बहस छिड़ गई है. कई दिग्गज हस्तियां इस पर अपने विचार व्यक्त कर रही हैं. कुछ दिन पहले इस पर भारतपे के फाउंडर और शार्क टैंक इंडिया के जज रहे अश्नीर ग्रोवर (Ashneer Grover) का बयान आया था और अब आरपीजी एंटरप्राइजेज (RPG Enterprises) के चेयरमैन हर्ष गोयनका (Harsh Goenka) ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. गोयनका ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर लिखा है कि हाइब्रिड वर्क ही देश का वर्तमान और भविष्य होगा.
क्या है गोयनका का कहना?
हर्ष गोयनका (Harsh Goenka) ने अपने एक्स (Twitter) हैंडल पर लिखा है - हाइब्रिड वर्क ही देश का वर्तमान और भविष्य होगा. इतना ही नहीं, 5 दिन ऑफिस आने का ट्रेंड भी समय के साथ पूरी तरह से खत्म हो जाएगा. वर्तमान में लोग अपने काम का 33 प्रतिशत समय रिमोटली यानी बिना ऑफिस आए ही कर रहे हैं और यह गेम चेंजर साबित होगा. उन्होंने आगे लिखा है, 'हाइब्रिड वर्क आपकी आवश्यकताओं के अनुरूप कार्यालय और दूरस्थ कार्य के मिश्रण के बारे में है. यह अब 50 या 70 घंटे काम करने के बारे में नहीं है, बल्कि आपकी अपनी महत्वाकांक्षा, आपके उद्देश्य और आपकी उत्पादकता के बारे में है. बदलाव को अपनाएं, काम के नए तरीके को अपनाएं. यह प्राथमिकता देने का समय है कि आपके कार्य जीवन में वास्तव में क्या मायने रखता है.
The 5-day office week is dead! People are working nearly 33% of their office time remotely, and it's a game-changer. Flexibility is worth as much to people as an 8% raise. What we value most is skipping the daily commute and the sense of flexibility!
— Harsh Goenka (@hvgoenka) October 30, 2023
Hybrid work…
अश्नीर ने कही थी ये बात
नारायण मूर्ति के विपरीत हर्ष गोयनका ने एक तरह से यह कहने का प्रयास किया है कि काम के घंटे से ज्यादा उत्पादकता मायने रखती है और जरूरी नहीं कि इसके लिए रोज दफ्तर ही जाया जाए. इससे पहले, अश्नीर ग्रोवर ने मूर्ति की सलाह पर रिएक्शन देते हुए कहा था - उनके शब्द जनता को शायद पसंद न आएं. क्योंकि काम को अभी भी परिणाम के बजाए कार्यस्थल पर बिताए गए घंटों के आधार पर देखा जा रहा है. दूसरी बात यह है कि लोगों को ऐसा लग रहा है कि युवाओं का आलस ही भारत को विकसित होने से रोक रहा है. ग्रोवर ने आगे मजाकिया अंदाज में कहा कि क्रिकेट, धर्म, जाति या भाषा से ज्यादा नाराज होना हमें एक करता है.
क्या कहा था मूर्ति ने?
एक पॉडकास्ट के शुरुआती एपिसोड में बोलते हुए नारायण मूर्ति ने भारत की कम कार्य क्षमता यानी वर्क प्रोडक्टिविटी पर चिंता जाहिर की थी. उन्होंने लोगों को सुझाव दिया था कि अगर भारत को ग्लोबल पावर से मुकाबला करना है तो युवाओं को हर हफ्ते 70 घंटे काम करना चाहिए. मूर्ति के इस बयान पर पूरे देश में बहस चल रही है. कुछ लोग इंफोसिस फाउंडर का समर्थन कर रहे हैं, तो कुछ उनकी सलाह से इत्तेफाक नहीं रखते. अश्नीर ग्रोवर और गोयनका जहां मूर्ति से विपरीत सोच रखते हैं. वहीं, ओला इलेक्ट्रिक के सीईओ भाविश अग्रवाल ने इंफोसिस फाउंडर के बयान का समर्थन किया है. उन्होंने पूरी तरह से मूर्ति की बात से सहमति जाहिर की है.
टैग्स