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इतने हज़ार मोबाइल टावरों से शानदार हो जाएगा 5जी का नेटवर्क, सरकार ने तय की डेडलाइन
पिछले 3 दिनों से इंडिया मोबाइल कांग्रेस में चली आ रही आईटी मिनिस्टर की कॉन्फ्रेंस में यह तय हुआ है कि देश में अगले 500 दिनों में 26000 करोड़ रुपए की लागत से 25000 मोबाइल टावर लगाए जाएंगे.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
5 जी सेवा के लॉन्च होने के बाद अब केन्द्र सरकार सभी राज्यों के साथ मिलकर 5G के बेस्ट नेटवर्क को लेकर काम करने पर जुटी हुई है. इसी कड़ी में पिछले 3 दिनों से इंडिया मोबाइल कांग्रेस में चली आ रही आईटी मिनिस्टर की कॉन्फ्रेंस में यह तय हुआ है कि देश में अगले 500 दिनों में 26000 करोड़ रुपए की लागत से 25000 मोबाइल टावर लगाए जाएंगे. इतनी बड़ी संख्या में मोबाइल टावर लगाए जाने के बाद 5G नेटवर्क देश के हर कोने तक बेहतरीन क्वालिटी में पहुंच सकेगा.
क्या है सरकार की मंशा
एक अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 5G लॉन्च करने के साथ ही अब 5जी को जल्द से जल्द पूरे भारत में पहुंचाने का प्रयास सरकार की ओर से किया जा रहा है. इसी कड़ी में सिर्फ 5G नेटवर्क पहुंचाना ही नहीं बल्कि बेहतरीन 5G नेटवर्क पहुंचाना सरकार की प्राथमिकता में शामिल है. इसी कड़ी में अश्विनी वैष्णव ने समापन संबोधन में कहा की सरकार ने निर्णय लिया है कि अगले 500 दिनों में वह 26000 करोड़ रुपए की लागत से 25000 नए टावर खड़े करेगी,जिससे पूरे देश में नेटवर्क और बेहतर हो सकेगा.
किन- किन राज्यों ने लिया भाग
5G लॉन्च होने के साथ ही प्रगति मैदान में शुरू हुई सभी राज्यों के सभी राज्यों के आईटी मिनिस्टर्स की कॉन्फ्रेंस में असम, बिहार, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, गोवा, मणिपुर उत्तराखंड, तेलंगाना, पुडुचेरी, सिक्किम और मणिपुर राज्य के आईटी मिनिस्टर ने भाग लिया. अश्विनी वैष्णव नहीं सभी राज्यों को पीएम गति शक्ति पोर्टल से जुड़ने पर बधाई दी. उन्होंने विशेष राज्यों के लिए दो हजार करोड़ के स्पेशल कैपिटल एक्सपेंडिचर का भी ऐलान किया,जिसका इस्तेमाल राज्य अपने रिसोर्सेज के विकास में कर सकते हैं.
बेहतर सिग्नल के लिए सरकार ने टेलीकॉम बिल में भी किए हैं कई प्रावधान
5G को देश के हर कोने तक बेहतरीन तरीके से पहुंचाने के लिए सरकार ने टेलीकॉम बिल में भी कई सारे बदलाव किए हैं,जिसमें टावर लगाने में होने वाले विवादों को खत्म करने का प्रयास किया गया है. अब टावर लगाने के लिए किसी सरकारी एजेंसी की नहीं बल्कि टावर लगाने वाली कंपनी और मकान मालिक के बीच ही आपसी समन्वय होगा. सरकार को सिर्फ इसकी सूचना देनी होगी. यदि इसे लेकर दोनों पक्षों के बीच में कोई विवाद होता है तो उसे भी आपसी बातचीत के जरिए ही समझाने की कोशिश की जाएगी.
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